सितंबर 24, 2013

भूख से बुजुर्ग की मौत


मुकेश कुमार सिंह : सरकारी योजनाओं में लगे घुन्न ने आज एक बुजुर्ग की ईहलीला खत्म कर दी.बीते चार--पांच महीने से सरकारी राशन नहीं मिलने की वजह से घर का चुल्हा खामोश था.कमजोर देह को गरीबी और मुफलिसी ने इस कदर अपनी आगोश में ले लिया की आखिरकार उसकी उखड़ी साँसे भी उसका साथ छोड़ गयी.एक बुजुर्ग आज भूख से तड़प--तड़प कर इस दुनिया को ना केवल अलविदा कह गया बल्कि सियासतदां को आंकड़ों की बाजीगरी और सत्ता की कुर्सी बचाने के दाँव--पेंच के खेल को भी बेआबरू कर गया.घर में महीनों से सरकारी दाना नहीं था और भूख कबतक यूँ ही जीने की मोहलत देती.
बैजनाथपुर गाँव में भूख से दम तोड़े यह हैं पचपन वर्षीय नाथो स्वर्णकार.बेजान लाश जमीन पर पड़ी है.एक मामूली सा घर था जिसमें बेटा और पुतोहू के साथ यह बुजुर्ग रहने को तयशुदा थे.बीते चार महीने से घर में अनाज नहीं था.बेटा मंदबुद्धि का है जो अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल में था.घर का चुल्हा पूरी तरह से खामोश था.बगल के लोग और पंचायत के मुखिया की दया से बीते चार महीने के दौरान कभी--कभी कुछ खाने के लिए इस बुजुर्ग को जरुर मिला लेकिन खुदगर्जी से भरी इस दुनिया में कब तक कोई इन्हें भोजन कराता रहता.कमजोर शारीर को समय पर खाना मिलना बंद हुआ तो वह और कमजोर होता चला गया और आज वह घडी आ गयी जब इस बुजुर्ग ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.गाँव के लोगों ने कुछ दिन पहले मृतक की पुतोहू को खबर दी थी,वह आई लेकिन घर में अनाज नहीं था.वह फिर लौटकर अपने मायके गयी और आज दस किलो चावल लेकर आई.लेकिन उसके आने से पहले ही नाथो हमेशा के लिए गहरी नींद में सो चुके थे.अब उन्हें किसी तरह के अनाज की जरुरत नहीं रही थी.
भूख से मौत हुयी है यह बात पंचायत के मुखिया पंकज कुमार चीख--चीख कर कह रहे हैं. मुखिया जी यह भी कह रहे हैं की पिछले तीन माह से इस पंचायत में किसी को अनाज नहीं मिला है.मुखिया जी यह भी कह रहे हैं की यह बात जब उन्होनें जिलाधिकारी से कही की इस बुजुर्ग की मौत भूख से हुयी है तो जिलाधिकारी शशि भूषण कुमार ने उनसे कहा की अगर भूख से मौत हुयी है तो आप जेल जायेंगे.मुखिया जी ने पूरी तरह से खुलकर कहा की बुजुर्ग की मौत की वजह भूख है.सहरसा टाईम्स की पुरजोर दखल के बाद जिलाधिकारी शशि भूषण कुमार ने घटनास्थल पर सी.ओ और अन्य अधिकारियों को जांच के लिए भेजा.और यह भी हमारी दखल का ही नतीजा था की मृतक का अब पोस्टमार्टम कराया जा रहा है जिससे यह पता चले की मौत की आखिर वजह क्या थी.
एक बुजुर्ग असमय काल के गाल में समा गया.महीनों से जिस बुजुर्ग देह को दाना ना मिला हो उसकी मौत की वजह को लेकर आरोप--प्रत्यारोप का दौर शुरू है.घर में अनाज एक दाना भी नहीं था जो एक कड़वी सच्चाई है. हमारी  दखल के बाद जिला प्रशासन अब मौत की वजह खंगालने में जुटा है.अगर जिला प्रशासन को थोड़ी सी भी शर्म और हया है तो वह अभी भी जागे और गरीबों तक समय से राशन--किरासन पहुंचे इसके लिए ईमानदार पहल करे.वैसे आप इसे तय मानिए की इस मामले में भी सभी कुछ ठन्डे बस्ते में जाकर दम तोड़ देगा.इस मामले में बड़ा सच है की इन्साफ से मुतल्लिक कहीं कुछ होने वाला नहीं है.यूँ गरीबों को लेकर कुछ समय तक हो--हंगामे के बाद ख़ामोशी का पुराना चलन है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।