फ़रवरी 23, 2013

बिकने से बचा बचपन

कोसी इलाके में बिक रही है मासूम किलकारियां////  रिपोर्ट: मुकेश कुमार सिंह
हम तो पेट की भूख मिटाने की जंग लड़ रहे हैं.हमें सपने देखने की आजादी नहीं है.जी हाँ! कोसी इलाके में बच्चे कच्ची उम्र में ही पढाई कर ऊँचे मंजिल पाने के सपनों को कुचलकर कुछ काम कर रोजी--रोटी के इंतजाम में जुट जाते हैं.आंकड़े गवाह हैं की मानव तस्करों की गिद्ध दृष्टि इस इलाके प़र लगी रहती है जहां के मजबूर माँ--बाप नाना तरह के शब्जबाग के झांसे में आकर अपने बच्चों का सौदा मानव सौदागरों से करने से भी गुरेज नहीं करते हैं.
सहरसा थाना में लाये गए ये बच्चे पंजाब के जालंधर ले जाए जाने के दौरान आज सदर थाना के मनोहर हाई स्कूल के समीप से बरामद किये गए हैं. दलाल इन्हें बहला--फुसलाकर जालंधर ले जा रहे थे.यह सच है की जिन मासूम हाथों में कलम--किताब होनी चाहिए वह मज़बूरी में परदेश,वह भी कमाने के लिए जा रहे हैं. सहरसा टाईम्स ने जब इनकी आपबीती सुनी तो उसका कलेजा भी फट पड़ा.देखिये आसूओं से तर इन मासूम आँखों को.इनकी सुबकियां व्यवस्था और हुक्मरानों से कई सवाल एक साथ कर रहे हैं.गरीबी क्या होती है ज़रा इनकी बेजा चिथड़ों में लिपटी जिन्दगी में उतरकर देखिये.बच्चे कह रहे हैं की उनके माँ---बाप को ठेकेदार डेढ़ से दो हजार रूपये दिए और उनको अपने साथ लेकर चल पड़े.य़े बच्चे कह रहे हैं की वे पढ़ना चाहते हैं लेकिन उनके माँ--बाप ने कहा की पहले कुछ कमा लाओ फिर पढ़ना.ये बच्चे जाना नहीं चाहते थे लेकिन इनकी इच्छा को कुचलकर इन्हें ले जाया जा रहा था.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की दलालों ने बच्चों के विरोध को देखते हुए उन्हें पिछले दो दिनों से एक इंट--भट्ठे में न केवल भूखा--प्यासा रखे हुए थे बल्कि इनके साथ जमकर मारपीट भी की थी की वे आसानी से जालंधर चल सकें.इन बच्चों में मनीष कुमार,सिंटू कुमार और रुदल कुमार तीनों बसनही थाना के बुटहा गाँव के,इंदल कुमार और मनोज सौर बाजार थाना के सिलेट गाँव के और पिंटू,राज कुमार और बाज कुमार तीनों सौर बाजार थाना के ही रुपौली गाँव के रहने वाले हैं.सहरसा टाईम्स ने इन भूखे बच्चों के थाने में खाने का इंतजाम किया.
पुलिस की गिरफ्त में आया यह दलाल लत्तर मंडल है.यह खुद को बेकसूर बताते हुए कह रहा है की इन बच्चों को उसके गाँव माणिकपुर के ही रहने वाले पवन यादव और मुन्ना यादव ले जा रहे थे.उनदोनों ने उसको इन बच्चों की रखवाली करने को कहा और खुद कहीं चला गया.इसी दौरान पुलिस आई और उसको पकड़ ली.पुलिस अधिकारी सुबोध यादव,एस.आई,सदर थाना घटना की पूरी जानकारी देते हुए आगे उचित कारवाई का भरोसा दे रहे हैं.
हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले कोसी के इस इलाके में गरीबी बेकारी,भुखमरी,बीमारी और तरह--तरह की समस्याएं सुबह की पहली किरण के साथ ही मुंह बाए खड़ी रहती है.इस इलाके में गरीबी कुलाचें भर रही है.खासकर के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर की स्थिति तो और भी नाजुक और कलेजे को चाक करने वाली है.पेट की आग बुझाना यहाँ पहाड़ खोदकर दूध निकाले के समान है.ऐसे में गरीब हर वक्त किसी तारणहार की बाट जोहते नजर आते हैं.इस लाचारी में ये गरीब माँ--बाप मानव तस्कर के झांसे में आ जाते हैं और महज कुछ रूपये की लालच में अपने कलेजे के टुकड़ों को उनके हाथों बेच देते हैं.दो से दस हजार के बीच की रकम देकर दलाल इन गरीब लोगों के मासूमों को खरीदकर दूसरे प्रांत ले जाते हैं जहां ऊँची कीमत पर उन बच्चों को बेचकर मालामाल होते हैं.कई ऐसे मामले आये हैं की ये दलाल हर साल बच्चों को अलग--अलग कीमत में बच्चों को अलग--अलग जगहों पर बेचते हैं.पिछले दस वर्षों के दौरान कोसी इलाके के 20 हजार से ज्यादा बच्चों को दलाल खरीदकर दूसरे प्रांत ले गए हैं.यह अलग बात है की कुछ स्व्यंसेवी संघटनों ने अभीतक करीब 9 हजार बच्चों को इन दलालों के चंगुल से मुक्त कराने सफलता पायी है.लेकिन हद की इंतहा देखिये मुक्त कराये गए इन बच्चों को वायदे के मुताबिक़ आजतक ठीक से पुनर्वासित भी नहीं किया गया है.जाहिर सी बात है की इतने संवेदनशील मामले में सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम क्या खाक उठाये जायेंगे,सरकारी फाईलों से गरीबों के नाम पर निकलने वाली करोड़ों--अरबों की योजनायें धरातल पर नहीं पहुच पाती हैं यह उसी का नतीजा है.

कोसी इलाके में मासूम सपनों की बलि चढाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.सरकार के कागजी आंकड़े और जमीनी सच में कोई मेल नहीं है.गरीब के लिए ही लगभग सारी बड़ी योजनायें है लेकिन गरीब को इन योजनाओं का फलाफल मिलना तो दूर इन योजनाओं की पूरी जानकारी भी नहीं हो पाती है और उनकी अर्थी निकल जाती है.गरीबों की ज्यादातर योजनायें बाबू--हाकिम से लेकर बिचौलियों के बीच ही उछलती--फुदकती रह जाती है.ये गरीब अपने मासूम नौनिहालों के सपने बेचते हैं,उनकी जिन्दगी और उनकी अहमियत बेचते हैं.जबतक गरीबी और रोजगार का टोंटा रहेगा इस इलाके में मानव तस्कर खरीदते रहेंगे बच्चों को.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।