जनवरी 27, 2013

सहरसा टाईम्स की पहल के बाद उठी लाश

सहरसा टाईम्स:  सहरसा टाईम्स सिर्फ खबरें नहीं लिखता--बनाता बल्कि मानवीय संवेदना के साथ अपनी सामाजिक और अन्य जिम्मेवारी भी सिद्दत के साथ निभाता है।आज हम उसी की बानगी से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।बताना लाजिमी है की 25 जनवरी की शाम करीब आठ बजे सदर थाना के बेंगहा गाँव में एक तेज रफ़्तार मैक्सी ने एक 65 वर्षीय बुजुर्ग को बुरी तरह से कुचल डाला जिससे तत्काल मौके पर ही बुजुर्ग की मौत हो गयी।दुर्घटना के बाद मैक्सी का चालक गाड़ी छोड़ कर फरार हो गया।घटना की सुचना के बाद पुलिस--प्रशासन के कई अधिकारी बीती रात ही घटनास्थल पर पहुंचकर लाश को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हुए। आज अहले सुबह से ही ग्रामीणों ने लाश के साथ सड़क को जाम कर दिया और मुआवजे की मांग करने लगे।मौके पर दिन भर अधिकारियों का आना--जाना लगा रहा लेकिन आहत लोग अपनी मांग पर डटे रहे।आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे की लोग मौके पर सहरसा टाईम्स को देखना और उसकी पहल चाहते थे। आज 26 जनवरी की शाम साढ़े चार बजे सहरसा टाईम्स जब ग्रामीणों के बीच पहुंचा तब लोगों ने सहरसा टाईम्स की पहल और उसके दिए भरोसे के बाद लाश को वहाँ से उठने दिया।जिला प्रशासन ने सहरसा टाईम्स से पारिवारिक लाभ के बीस हजार रूपये,कबीर अन्तियेष्ठी के डेढ़ हजार रूपये सोमवार को पीड़ित के परिजन को देने का वायदा किया,साथ ही उन्होनें गाड़ी मालिक और इंश्योरेंस कंपनी से भी उचित मुआवजा दिलाने का भरोसा दिलाया।
सदर थाना के थानाध्यक्ष सह सदर इन्स्पेक्टर सूर्यकांत चौबे इस बात को खुद बता रहे हैं की लोग लाश को कल से ही उठने नहीं दे रहे हैं।इनलोगों को मुआवजा चाहिए। यह कह रहे हैं की ये लोग फोटो खिंचवाने का इन्तजार कर रहे थे।अब हमारे द्वारा फोटो खिंचवा लिया तो लाश को वे जाने दे रहे हैं।इन्स्पेक्टर साहब का यह बयान जहां सहरसा टाईम्स की पहल को प्रमाणित कर रहा है वहीँ पुलिस--प्रशासन पर अब लोगों का भरोसा नहीं रहा इसकी चुगली भी कर रहा है।
सहरसा टाईम्स सिर्फ खबरें नहीं लिखता--बनाता है बल्कि हर तरह के अपने दायित्व और कर्तव्य को भी बाखूबी निभाता है।हम हर वक्त लोगों की इन्साफ की लड़ाई में उनके साथ तबतक खड़े मिलेंगे जबतक उनको पूरा का पूरा इन्साफ नहीं मिल जाता है।

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।