जून 21, 2012

लूट का शौचालय


लूट का शौचालय
रिपोर्ट चन्दन सिंह : जिले में PHED द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान और लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत गरीब-मजलूमों के साथ जरुरतमंदों के लिए बनाये गए शौचालय ना केवल लूट-खसोट के  जिंदा मिसाल हैं बल्कि सरकारी योजनाओं के साथ हो रहे भद्दे मजाक का बेजोड़ नमूना भी हैं.यूँ तो पुरे जिले में BPL परिवार के लिए 1 लाख 14 हजार 40,APL परिवार के लिए 1 लाख 39 हजार और महादलित परिवारों के लिए 33 हजार शौचालय बनाने की योजना थी.लेकिन अभीतक BPL परिवार के लिए 68 हजार 500,APL परिवार के लिए 12 हजार 400 और महादलितों के लिए 20 हजार के करीब  शौचालय बनाए गए हैं.यह योजना वितीय वर्ष 2005--06 की है लेकिन इसपर काम 2007 में शुरू किये गए.एक तो निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ और जब शुरू हुआ तो लूट की दरिया बह निकली.ये बेहया और बेशर्म शौचालय कहीं खेतों में यायावर की तरह बनाये गए हैं तो कहीं रसोई के चूल्हे के बगल में.यही नहीं गुणवत्ता के मानक को ताक पर रखकर बेछप्पड़ इन शौचालयों के लिए टेंक भी नहीं बनाये गए हैं.हद बात तो यह है कि ये सारे अधकचरे मगर विभाग द्वारा पूर्ण निर्मित दिखाए गए वे शौचालय हैं जो दिख रहे हैं.बहुतों शौचालय तो कागजों पर ही बनाये गए हैं.
गौरतलब है की जिले में PHED द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान और लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत अभीतक हजारों शौचालय का निर्माण कराया गया है लेकिन करीब--करीब ये सभी शौचालय पुरे जिले में खून के आंसू रो रहे हैं.एक शौचालय के निर्माण में 2500 रूपये खर्च आता है.APL परिवार को 500 रूपये खुद देने पड़ते हैं जबकि शेष 2000 रूपये विभाग देता है.BPL परिवार को 300 रूपये खुद देने पड़ते हैं जबकि शेष 2200 रूपये विभाग देता है.महादलितों के लिए विभाग पुरे के पुरे 2500 रूपये देकर निर्माण कराता है.यह एक बेहतर सरकारी योजना साबित होती लेकिन योजना का टार्गेट और उसे पूरा करने की जल्दी के बीच खाऊ-पकाऊ कुनीति ने इसे बेमकसद बनाकर रख दिया है.गौरतलब है की इस जिले में शौचालय निर्माण के टारगेट को तो पूरा नहीं ही किया जा सका लेकिन जितने निर्माण हुए वे ना केवल लूट की नयी इबारत लिख रहे हैं बल्कि लूट का परचम भी लहरा रहे हैं.सरकारी योजनाओं का बुरा हस्र कोई नयी बात नहीं है.लेकिन योजनाओं को इसतरह मजाक बनाकर उसके साथ खिलवाड़ करना गिरावट का अति जरुर है.सत्तासीनों के साथ-साथ विरोधी दलों और अवाम को भी इस मुतल्लिक विमर्श और आत्ममंथन की जरुरत है.सुशासन बाबू को हम तो बस कुछ कालिख पुती तस्वीरें दिखा रहे हैं जो जमीनी सच की तासीर हैं.

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