मार्च 23, 2012

जिला प्रशासन की किरकिरी

कोसी महोत्सव के दौरान विभिन्य खेलों का आयोजन किया गया.खेल के दौरान खिलाड़ियों ने अपना बेस्ट परफौरमेंस तो जरुर दिया लेकिन इससे इतर प्रशासनिक इंतजामात टाँय--टाँय फिस्स रहा.विभिन्य खेलों के खिलाड़ी और कोचों ने प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी को लेकर ना केवल जमकर उन्हें कोसा बल्कि कई तरह के सवाल भी खड़े किये.लाखों खर्च करके आयोजित हुए दो दिवसीय कोसी महोत्सव में विभिन्य तरह के खेलों का भी आयोजन किया गया था जिसमें कोसी प्रमंडल के सुपौल,मधेपुरा और सहरसा जिले के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था.खेल के इस आयोजन में प्रशासन के अधिकारियों ने खिलाड़ियों और उनके कोचों का कोई ख्याल और मान नहीं रखा.उन्हें ना तो खाना मिला और ना ही पीने का पानी.हद की इंतहा तो यह थी की उनके बैठने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किये गए थे.खेल के लिए चयनित पटेल मैदान में एक एम्बुलेंस जरुर खड़ी थी लेकिन वहाँ ना तो कोई चिकित्सक मौजूद थे और ना ही कोई आवश्यक दवा ही वहाँ थी.यही नहीं खिलाड़ियों और उनके कोचों के साथ दुर्व्यवहार भी किये गए.यानि इस आयोजन में घोर मनमानी और अन्याय किये गए.ये सब हम नहीं कह रहे बल्कि ये सारे आरोप विभिन्य खेलों के खिलाड़ी और उनके कोच लगा रहे हैं.इन आरोपों से इतना तो साफ़ है की जिला प्रशासन की यह करतूत उन्हें कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी हैं.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।