जनवरी 15, 2012

मर गयी इंसानियत

जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों.लेकिन यहाँ तो खुदा भी संगदिल और क्रूर बना तमाशबीन है.सदर अस्पताल में एक बेड प़र बीते कल शाम से ही एल महिला की लाश पड़ी हुई है लेकिन उसे वहाँ से अस्पताल प्रशासन ने हटाना मुनासिब नहीं समझा.हद की इन्तहा तो यह है की लाश के बगल में यानि उसी बेड प़र एक बीमार जिन्दा महिला भी पड़ी है जिसका इलाज करने वाला भी कोई नहीं है.एक बेड प़र दो महिलायें.एक मुर्दा और एक जिन्दा.मर गयी है इंसानियत.ये लावारिश महिलायें हैं.मर गयी तो मर गयी,जिन्दा है,तो है.इनकी मौत प़र तमाशा भी नहीं होता.इनकी मौत प़र छक के सियासत भी नहीं होती.मगरमच्छ के आंसू भी नहीं बहते.आज दोपहर बाद तक ना तो इस लाश को यहाँ से उठाया गया और ना ही दूसरी जिन्दा महिला का ढंग से इलाज ही शुरू हो सका.
कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले करीब सवा दो सौ बेड वाले सदर अस्पताल में आज इंसानियत कराह रही है.प्रेम,प्यार और भावनाओं का सीना यहाँ चाक हो रहा है.खुदगर्जी से सने समाज और अधिकारी--कर्मियों का काला चेहरा सामने दिख रहा है.इस अस्पताल के महिला वार्ड में एक ही बेड प़र एक महिला की लाश पड़ी हुई है तो उसी के बगल में एक बीमार जिन्दा महिला भी पड़ी हुई है.पिछले दस दिनों से इलाज के लिए इस वार्ड में भर्ती यह महिला इलाज के अभाव और वाजिब देखरेख के अभाव में कल शाम ही मर गयी.कल शाम से लेकर अभीतक इस लाश को यहाँ से उठाना अस्पताल प्रशासन ने मुनासिब नहीं समझा.हद बात तो यह है की इस बेड प़र एक बीमार जिन्दा महिला भी पड़ी हुई है जिसे इलाज की शख्त जरुरत है.लेकिन ये दोनों लावारिश महिलाएं हैं.इसकी लाश और इसकी जिन्दगी से किसी को कोई लेना--देना नहीं है.बगल के मरीज और उनके परिजन काफी परेशान हैं.कहते हैं की वे अस्पताल के कर्मचारियों कहते--कहते थक गए हैं लेकिन कोई उनकी नहीं सुन रहा है.लाश से बदबू आ रही है.वे अपने मरीज को लेकर बाहर में खड़े हैं.
कोई आंसू बहाने वाला नहीं.कोई तीमारदारी में नहीं.इस मौत प़र कोई मातम नहीं.इस लापरवाही और बदइन्तजामी को आखिर में कौन सा नाम दें.मर गयी है इंसानियत.सहरसा टाइम्स  ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को झंकझोड़ने की पुरजोर कोशिश की लेकिन नतीजा सिफर निकला.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।