अगस्त 30, 2011

एक शाम शहीदों के नाम


  एक शाम शहीदों के नाम 
 सहरसा

देश को आजादी दिलाने के लिए 29 अगस्त 1942 को शहीद हुए सहरसा जिले के 6 वीर सपूतों को आज सहरसा जिला मुख्यालय स्थित शहीद चौक पर ना केवल श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया बल्कि उन वीर पुरुषों की याद में मुख्यालय स्थित कला भवन में एक शाम शहीदों के नाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया.राज्य सरकार के कानून मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव,कई कद्दावर नेता,स्वतंत्रता सेनानी सहित सैंकड़ों बुद्धिजीवियों ने शहीद चौक पर शाम करीब छः बजे इन शहीदों को सर्वप्रथम पुष्प अर्पित किया फिर रात्रि के साढ़े आठ बजे से सांस्क्रतिक कार्यक्रम की शुरुआत हुई जो रात बारह बजे तक चलता रहा ..

कानून मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव
सबसे पहले हम आपको सहरसा जिला मुख्यालय के शहीद चौक पर लेकर आये हैं.यहाँ पर 29 अगस्त 1942 को शहीद हुए सहरसा जिले के 6 वीर सपूतों पुलकित कामत ,कालेश्वर मंडल,धीरो रॉय,भोला ठाकुर,केदारनाथ तिवारी और हीराकांत झा को श्रद्धांजलि के श्रद्धा सुमन राज्य सरकार के कानून मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव,कई कद्दावर नेता,स्वतंत्रता सेनानी सहित सैंकड़ों बुद्धिजीवियों के द्वारा अर्पित किया जा रहा है.शाम के करीब छः बजे यह कार्यक्रम हो रहा है.दी कोसी क्रेडिट कॉपरेटिव क्रेडिट सोसाईटी लिमिटेड के सौजन्य से आयोजित इस शहीद दिवस का अगला पड़ाव कला भवन है जहां हम अब आपको लेकर आये हैं.इन महानुभावों की मौजूदगी में इसी कला भवन में रात्रि के साढ़े आठ बजे से एक शाम शहीदों के नाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. 


रात्रि के बारह बजे तक चले इस कार्यक्रम में मंत्री नरेन्द्र नारायण सहित सभी जन तन्मयता से ना केवल बने रहे बल्कि कार्यक्रम का भरपूर आनंद भी उठाया.कोसी क्षेत्र के नामचीन और प्रतिष्ठित कलाकारों ने सूरों का ऐसा जलवा बिखेड़ा की उपस्थित जन बस तालियाँ बजाते चले गए.उपस्थित श्रोताओं ने गायकी में जहां कृतिका गौतम,अमरेन्द्र मिश्र आगा,मनोज कुमार झा और शिल्पी सक्सेना को काफी सराहा वहीँ संगीत परिवार स्वारांजलि की नृत्य प्रस्तुति पर वे झुमने पर मजबूर हो गए.
 
शहीदों का सिर्फ स्मरण और उनकी याद में कार्यक्रम आयोजित करने भर से इन शहीदों का भला होने से तो रहा.अगर हमें इन वीर सपूतों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो हमें आत्म मंथन और आत्म चिंतन से खुद को सुधारना और संवारना होगा.हम बदलेंगे तो सब बदलेगा.हमें दूसरे के आगे आने का इन्तजार नहीं बल्कि खुद के कदम आगे बढाने होंगे.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।