जून 06, 2011

इससे कहीं ज्यादा अच्छा ब्रिटिश हकुमत

चन्दन सिंह
सहरसा
09334572522  

बाबा रामदेव का अहिंसात्मक सत्याग्रह और परेशान कला धन के माल्कि..... जी हा ये सिर्फ बाबा रामदेब का आन्दोलन नहीं है  अपितु इस देश में रहने वाले नागरिक के द्वारा कला धन को वापसी  के लिये किया गया अहिंसात्मक सत्याग्रह आन्दोलन है...... जिसे ना ते सत्ता पे विराजमान  चोर कांग्रेसी  अपने बूटो से रौंद सकता है और ना ही महिलाओ के साथ ओछ हरकते कर के दावा सकता है.....   अरे काले धन के आकाओ तुम जितना भी लढ़ या आँशु के गोले दगोगे ये आन्दोलन और अक्रातम होते जायेगा..... जिसे तुम क्या कोई भी इसे रोक नहीं पाएगा..... याद करो उस समय को जिस वक्त ये देश अंग्रेजो के जंजीरों से गुलाम था ...... हमने उस जंजीर को भी तोड़ा और हमें आजादी मिली...... लेकिन तुम्हारी औकात क्या है....... अरे अंग्रेज तो सीधे गोली मारती थी कोई महिलाओ की इज्जत के साथ खिलवार तो नहीं करती थी ...... लेकिन तुम तो इससे भी आगे निकले...... तुम तो महिलाओ के इज्जत के साथ खेलता  है..... तुम्हारे अंगरक्षक लड़कियो को सारे आम छेरता है.......   और तुम चुप - चाप टूक - टुकी लगाये मजा ले रहे हो.....  खैर ये तुम्हारी पहचान है......

सिब्बल  जी  ने बाबा को ठग, डोंगी और न जाने क्या - क्या  कहा कोई बात नहीं..... ये भी माना सही था...... लेकिन क्या 5 तारीख को जो घटना सरकार के द्वारा जो करवाई गई क्या वो... हमारे संविधान को शर्मसार नहीं किया..... ये पुलिश की बर्बरता सोनिया गाँधी के द्वारा प्रोजित थी.... ये पहले ही सोच लिया था क्या करना है..... क्या राम लीला मैदान मै सभी आतंकवादी , नक्सल (सरकार कि भाषा में ) या कोई माओवादी था...... जिसके साथ तुमने ऐसा क्या ......  सबसे ज्यादा सिब्बल जी को ही भाई काहे को परेशानी है.... ये तमाम काला धनो के आकाओ को ही इस सत्याग्रह से परेशानी है ...... 
राम लीला मैदान मै जो कुछ भी हुआ उसकी कल्पना मै क्या असंवेदनशील व्यक्ति भी नहीं कर सकता है.... अरे इस सरकार से तो कही अच्छा नक्सल का फ़रमान सही होता है ये किसी महिलाओ को तो अपने हवश का शिकार तो नहीं बनता है........   सोनिया जी तो खुद महिला थी क्या वो नहीं जानती की महिलाओ के साथ किस तरह का वर्ताव होना चाहिए...... खैर आपने अच्छा किया.......

दीपक चौरशिया जी (स्टार न्यूज़ )  आप तो 4 मई को सुबह  से लेके 3-4 बजे तक बाबा रामदेव का गुणगान कर रहे थे अचानक आपको किया हुआ..... जो आप बाबा के खिलाफ बोलने लगे..... आपने तो कहा था बाबा को मै बहुत करीब से और पहले से ही जनता हूँ ......क्या आप उनके इस अब्गतो से पहले वाकिफ़ थे ..... अगर थे तो आपने सुबह से ही बाबा का गुणगान कियो कर रहे थे ...... खैर आपकी मर्जी ......
लेकिन ताजुब की बात तो तब हुई जब आपके स्टार न्यूज़ पर मैंने लालू को खुश देखा.... बिहार विधान सभा चुनाव में हार से परस्त लालू को पहली बार चेहरे पर हँशी  तो कल दिखी .... और स्टार न्यूज़ ने काफी समय भी दिया...... जो कि लालू  सीधे - तोर से काला धन के वापसी के विरोध मै है..... जिसने 15 वर्षो तक बिहार को नास्तनाबुत  क्या ..... बिहार में जिसकी पहचान ख़त्म हुई ..... आप उस नेता को रास्ट्रीय चैनल पर उतना महत्व दिया वो भी जो चाहता है काला धन का मुद्दा समाप्त हो ...... दीपक जी  आप जैसे संवेदनशील पत्रकारों से ऐसा उम्मीद नहीं करता हु .....ये मुद्दा किसी बाबा से या किसे नेता से या किसी पार्टी से नहीं बल्कि पुरे राष्ट्रीय का मुद्दा है ......  इसमे हम सबो को साथ देना अति आवश्यक है.... तभी जाके हमारा भारत आर्थिक रूप से सपम्न हो पाएगा ..... ये बाबा रामदेब का सवाल नहीं है इस बाबा के जगह कोई आम आदमी भी रहेगा तो पूरा भारतवाशी उनका साथ देगी.....


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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।