आपके खून--पसीने की कमाई पर कभी भी हो सकता है हाथ साफ.....
अगर आपकी संपत्ति बच रही है,तो समझिये की चोरों की आपपर बरस रही है असीम कृपा ....
सहरसा पुलिस के निकम्मेपन से हलकान हैं शहरवासी....
इनदिनों सहरसा शहर पूरी तरह से चोरों की गिरफ्त में है ।एक तरह से कहें तो चोरों ने इस इलाके को अपना साम्राज्य बना लिया है ।बीती रात सदर थाना के गौतमनगर स्थित प्रीमियर कोचिंग के सचालक विनोद कुमार मुखिया के घर चोरों ने भीषण चोरी की घटना को अंजाम दिया । गौरतलब है की श्री मुखिया सपरिवार बीते कल सुपौल स्थित अपने गाँव टेकुना गए थे ।
आज सुबह पड़ोसियों ने उनके आवास के मुख्य द्वार का ताला टूटा और ग्रिल खुला देखा तो उनके होश उड़ गए ।घर के भीतर दाखिल होने की किसी को हिम्मत नहीं थी ।
इसकी सूचना मोबाइल से पड़ोसियों ने विनोद कुमार मुखिया को दी ।आज ढ़ाई बजे दिन में जब सपरिवार श्री मुखिया अपने घर आये,तो,उनकी दुनिया उजड़ चुकी थी ।चोरों ने 75 हजार नकदी,5 लाख से अधिक के आभूषण और कीमती सामान पर हाथ साफ़ कर दिया था । इस बाबत पीड़ित कोचिंग संचालक ने सब से पहले पुलिस को मोबाइल से सूचना दी ।लेकिन पुलिस वाले घटनास्थल पर पहुंचकर छानबीन करने की जगह,पीड़ित को ही थाने बुलाया ।मरता क्या नहीं करता ?
बताना बेहद लाजिमी है की बीते एक महीने के भीतर डेढ़ दर्जन से ज्यादा चोरी की घटना सहरसा के शहरी क्षेत्र में घट चुकी है जिसमें चोरों ने लाखों का कारोबार किया है ।यही नहीं थाना, कोर्ट,समाहरणालय परिसर सहित बाजार इलाके से कई मोटर साईकिल की चोरी भी हो चुकी है । लेकिन दुःख की बात यह है की पुलिस एक भी मामले का पटाक्षेप करने में अभीतक कामयाब नहीं हो सकी है । सबसे ख़ास बात तो यह है की चोरी की घटना अधिकारी से लेकर पुलिसवालों के घर में भी घटी है ।


जब भाई भरत ने सदर थाने की कमान संभाली, तो,सदर थाना क्षेत्र के लोगों को लगा की अब रामायण काल आने वाला है ।शायद रामराज्य की तस्वीर जनता को देखने को मिलेगी ।लेकिन हम ताल ठोंककर कहते हैं की अभीतक भाई भरत अपराध पर लगाम लगाने में पूरी तरह से असफल हैं ।लेकिन किसी भी मामले में संजय सिंह से उनका रेट कम है,यह लोगों के लिए राहत की बात है ।आगे यह देखना बेहद दिलचस्प होगा की भाई भरत अपने नाम के अनुरूप थानेदारी करते हैं की,वे भी टायं--टांय फिस्स साबित होते हैं ।
इसी तरह अगर सभी पत्रकार बेबाक होकर करवी सत्य को लिखते रहे तो जरुर मजबुरी में हि सही प्रशासन को निंद से जगना ही होगा।
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