सितंबर 11, 2016

ऑपरेशन वार्ड न० 22.....

डिजिटल इंडिया की तस्वीर ग्रीन इंडिया में तब्दील....
सहरसा नगर परिषद् की खुली पोल.....
गहरी नींद में नगर परिषद् से लेकर वार्ड पार्षद.....
मुख्य मार्ग से कई मोहल्लों का सम्पर्क टूटा.....
कहाँ हैं इस वार्ड के वार्ड पार्षद .......
सन्डे स्पेशल । 
मो० अजहर उद्दीन की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट------- हम ने लगातार अपने पाठकों को सच से रूबरू कराने की कोशिश की है ।क्योंकि सच को उकेरना हमारी मजबूरी नहीं बल्कि हमारे आदतों में शुमार है ।ये तस्वीर कोशी तटबंध के अन्दर किसी गाँव का नहीं है बल्कि प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा के अली नगर वार्ड न० 22 की है जो कोशी तटबंध के अंदर के नजारे को याद दिलाती है । 
स्थानीय लोगों की जिंदगी काफी अस्त--व्यस्त हो चूकी है ।बूढ़े,बच्चें और महिलायें काफी डरी और सहमी हुए है । 
वार्ड पार्षद से लेकर निगम के अधिकारी अब तक कोई उपाये करते नहीं दिखे ।हालात तकरीबन शहर के सभी वार्डो की ऐसी भयावह ही है ।बेचारी जनता जाय तो कहाँ जाये। किसे सुनाये अपना फरियाद । किसे कहें अपनी पीड़ा ।लोग पेट की आग बुझाने के लिए ऑफिस, दुकान और अपने कारोबार पे जाने के लिए चिंतित के साथ--साथ काफी परेशान भी है ।बच्चे को स्कूल और महिलाओं को बाजार और अन्य कामों में जाने में काफी परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है ।इस तालाब के बीच बसे आशियाने के बच्चे कहते है मम्मी सन्डे का किया होगा ।कहे तो पूरा वार्ड ही जलमगन है ।दर्द की इंतेहा हो गयी साहब ।इन सभी परिवार को बाढ़ पीड़ितों के जैसा दर्द महसूस हो रहा है.
बीते दिनों की बात है जब नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी दिनेश राम ताम--झाम के साथ खुद से ANM गर्ल्स हॉस्टल में लगे जल जमाव को चूस दुरुस्त करने पुहँचे और समस्यां का समाधान भी हुआ ।
मैं इस काम के लिए इनके जज्बे को सलाम करता हूँ ।लेकिन सिर्फ हॉस्टल की सफाई से पूरा शहर साफ हो जायेगा क्या। 
पूरे शहर के लोगों को जलजमाव की समस्यां से निजाद मिल जायेगा। नहीं,पूरे शहर को साफ--सुथड़ा रखने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है ।लेकिन ऐसी तस्वीर देखने को नहीं मिल रही है। आखिर जनता अपना दर्द किसे बतायेगे और इस तरह की समस्यां का निदान कौन करेगा । 
ये तस्वीर चीख--चीख कर कह रही है की यहाँ बसे सैकड़ों परिवार की जिंदगी मौत के मुहाने पर खड़ी है ।इस तालाब के बीच बसे सैकड़ों परिवारों के दर्द को टटोलने के लिए हमनें ग्राउंड ज़ीरो पर जाना मुनासिब समझा और लोगों के दर्द से भी रूबरू हुआ ।--------गुड़िया सिंह, ताराकांत ठाकुर, अनिल झा, संतोष झा, राजा कुमार, हरिनन्दन रॉय और विवेक ने कहा हम लोगों का बद से बत्तर हाल पिछले कई दिनों से है जन--जीवन काफी अस्त--व्यस्त हो गया है कोई देखने नहीं आता है रात में काफी डर लगता है और कई बार घर के आँगन में सांप भी मिल चूका है ।आगे बताना लाजमी होगा की इस मोहल्ले में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर के आवास के साथ--साथ विभागीय अधिकारियों का घर भी है लेकिन फिर भी हालात में सुधार की बात नहीं होती है ।निगम के सामने खादी का भी कोई ख़ौफ़ नहीं ।बरहाल सैकड़ों परिवार को फिलवक्त किसी तारणहार की तालाश है, जो इन सभी को पानी के इस सैलाब से बचा पाये ।      

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।