अगस्त 29, 2016

अपने और पराये की पहचान हुई मुश्किल...

गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलते हैं इंसान........
असल नारी औरों को खशी देकर होती है धन्य.........
बीणा सिंह---- सही अर्थ में तमाम ऊँची जगह पर काबिज होने के बाद भी नारी आज तक असल पहचान और सम्मान के लिए तरस रही है ।अपनी वाजिब पहचान ना बना सकने में हम अपनी समझ से नारी को भी कसूरवार समझते हैं ।
नारी की कुछ बुरी आदतों में जलन, दूसरे की निंदा, झूठी बड़ाई, किसी भी बात को बढ़ा--चढ़ाकर कहना, बेवजह का दिखावा, झूठ बोलने में महारथ, दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृति मुख्य हैं । हांलांकि और बुरी आदते हैं जिसका जिक्र एक आलेख में करने से इस आलेख की रोचकता कम हो जायेगी ।
यह तय है की विश्व भर में ही पुरुष प्रधान समाज है । नारी को सबसे ज्यादा सम्मान भारतवर्ष में ही हासिल है । नारी बहुत सारी परिस्थितियों के लिए खुद जिम्मेवार है । घर में छोटी--छोटी बातों को स्वाभिमान से कतई नहीं जोड़ना चाहिए । सगे रिश्तेदारों से लचीला रिश्ता बनाकर रखना चाहिए । घर के बड़ों की हर बात पर सिर्फ हाँ ! हाँ ! करते रहना सही नहीं है ।
अगर कोई बात अटपटी लगे तो उसे शालीनता से तुरंत कहना चाहिए ।किसी बात को लेकर घर में कचकच नहीं होना चाहिए ।आप को दूसरे से अपेक्षा है, तो आप यह भी समझिये की दूसरे को भी आपसे अपेक्षा है । जो आपकी खूब सुन रहा है और आपकी बातों पर हामी भर रहा है,या रही है,यह जरुरी नहीं की वह आपका अपना हो ।आपकी कमियों को निकालकर आपके सामने रखने वाला भी आपका अपना हो सकता है ।पति--पत्नी के रिश्ते में भी अब वह माधुर्य और गर्माहट नहीं रही है ।इस रिश्ते को बिस्तर का रिश्ता बनाकर रख दिया गया है । जबकि यह रिश्ता सर्वोच्च रिश्ता है । एक तरह से तमाम रिश्तों की जननी है, यह रिश्ता ।अब पति अगर गैर स्त्री के साथ अवैद्य रिश्ते बनाता है, तो गलत होते हुए भी बहुत हद तक बंदिश में नहीं है । अगर कोई पत्नी किसी दूसरे पुरुष से हमबिस्तर हो जाती है तो उसे कुलटा समझा जाता है । शारीरिक सम्बन्ध प्रकृति की जरुरत है । 
आप ज़रा यह सोचिये की शराब के नशे में धुत्त, या फिर जो पति अपनी पत्नी के साथ बर्बर और दानवी प्रवृति से हमबिस्तर होता है वह कहीं से भी उचित है । हमें कुछ उदाहरण देकर यह बताईये की कितने ऐसे पति--पत्नी हैं जिन्होनें समझ- बुझकर बच्चे जने हैं । पुरुष अपनी पत्नी को अब अपनी अर्धांग्नी की जगह एक घरेलु सामान समझते हैं । उन्हें लगता है की वे अपनी इच्छा से जब जो चाहें, अपनी पत्नी के साथ कर सकते हैं ।यह सही नहीं है ।पत्नी की इच्छा की भी बेहद अहमियत होती है। नारी अगर अपने पति से संतुष्ट हो तो वह किसी भी सूरत में बहक नहीं सकती है. 
पुरुष और स्त्री दोनों को आज पैसे की बेहद जरुरत है ।ऐसे में असल रिश्ता लगभग मृतप्राय है ।पुरुष काफी रफ़्तार से अपने प्रोफेशन में झूठ बोलते हैं और यही सिलसिला रिश्तों के बीच भी शुरू हो जाता है ।हमारे पास कई ऐसे उदाहरण हैं जिसमें मैंने देखा है की एक पति अपनी पत्नी को बॉस के पास रात गुजारने भेजता है तो एक पत्नी अपने पति को बॉस की बीबी के साथ रात गुजारने के लिए भेजती है ।बहुतों तो अपने मासूम बच्चियों का भी सौदा कर लेते हैं ।भौतिकवादी युग में प्यार जैसे रिश्ते बीते दिनों की बात बनकर रह गयी है ।अगर आज के समय में कोई किसी से सच्चा प्यार कर रहा है तो वह अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है ।अभी का समय इस्तेमाल करते जाइए और जिंदगी जीते जाइए वाला है ।
जीवन के इस घाघमेल में कौन अपना है और कौन पराया,इसे समझ पाना बेहद कठिन है ।लेकिन जो कभी आपकी मुसीबत में आपके साथ खड़ा हुआ है,वह जरूर कहीं ना कहीं आपका अपना है ।अगर कोई रिस्तेदार,या आपका कोई परिचित कभी आपसे कोई इस्तेमाल की गुजारिश की है तो समझिये,वह कलयुगी गिरगिट है ।असल नारी को इंसान की शक्ल वाले गिरगिट को भी समझना है,अपने पराये की पहचान भी करनी है और अपनी तरफ से सभी को ज्यादा से ज्यादा ख़ुशी कैसे दे सकें,इसकी भगीरथ कोशिश करनी चाहिए ।
(साभार --- आधी आवादी सोशल ग्रुप )

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