सितंबर 30, 2013

नाथो की मौत भूख से हुयी : सहरसा टाईम्स के खबर का असर

28.09.2013 मुकेश कुमार सिंह: चौबीस सितम्बर को पचपन वर्षीय बुजुर्ग की मौत की वजह आखिरकार भूख ही निकली. सहरसा टाईम्स ने मौत के दिन से ही भूख से हुयी इस मौत की खबर को सिद्दत और संजीदगी से दिखाया था. सहरसा टाईम्स ने खबर के माध्यम से उन तमाम परिस्थितियों की ना केवल तस्वीर उतारी थी बल्कि थोक में लोगों के बयान भी लिए थे जो भूख से हुयी मौत की चीख--चीख कर गवाही दे रहे थे.आज सुप्रीम कोर्ट के फ़ूड सेफ्टी कमिश्नर के सलाहकार रुपेश के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम ने बैजनाथपुर गाँव में जांच कर इस बात का पुरजोर तरीके से खुलासा कर दिया की नाथो की मौत की वजह कोई बिमारी नहीं बल्कि भूख थी.
देखिये सुप्रीम कोर्ट के फ़ूड सेफ्टी कमिश्नर के सलाहकार रुपेश के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम बैजनाथपुर गाँव नाथो की मौत किस वजह से हुयी इसकी जांच के लिए पहुंची है.जांच टीम के सभी सदस्यों ने परिवार के सदस्य,मेले की शक्ल में जमा लोग,मुखिया सहित साथ आये अधिकारियों से जमकर पूछताछ की.पूछताछ पूरी करने के बाद खुद रुपेश कुमार और जांच टीम के प्रमुख सदस्य डॉक्टर शकील ने खुले लहजे में कहा की नाथो की मौत की वजह भूख थी.यही नहीं इन्होनें यह भी कहा की नाथो के लाश का पोस्टमार्टम कराया जाना चाहिए था.अपने बयान में इन्होनें यह भी साफ़ किया की मृतक के पुत्र से सादे कागज़ पर हस्ताक्षर लिए गए और मृतक के पुत्र को यह जानकारी नहीं दी गयी की कागज़ पर क्या लिखा हुआ है.जिले के PDS सिस्टम को पूरी तरह से फेल बताते हुए इन्होनें यह भी कहा की इतने गंभीर मामले में जिलाधिकारी का घटनास्थल पर नहीं आना काफी दुखद है.जाहिर तौर पर इनलोगों ने अपनी जांच में थोक में गड़बड़ी पायी जिसकी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यालय के कमिश्नर को सौंपी जायेगी.कयास लगाया जा सकता है की इस मामले पर जिले के कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिर सकती है.यह जांच टीम दिन के तीन बजे सहरसा पहुंची जहां सबसे पहले सहरसा परिसदन में इस घटना को लेकर अधिकारियों से बातचीत की.लेकिन यह खुलासा नहीं हो पाया की अधिकारियों से क्या बातचीत हुयी.
आखिरकार जिला प्रशासन की लीपा--पोती की कलाई खुल ही गयी और सच सामने आ ही गया.जिला प्रशासन को इस घटना को ना केवल नजीर बनाना चाहिए बल्कि इससे सीख लेते हुए अपनी कार्यशैली इसतरह से दुरुस्त करना चाहिए,जिससे फिर कोई नाथो इस तरह से भूख से तड़प--तड़प कर आगे ना मरे.सहरसा टाईम्स ने इस मामले में अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन बाखूबी किया है.

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