मार्च 21, 2013

आखिर नीतीश बाबू किसे देंगे बकरी और मुर्गी

मुफलिसी और फटेहाली में जार--जार जिन्दगी को बकरी और मुर्गी के पैबंद लगाएगी सरकार//मुकेश कुमार सिंह की कलम से--
इनदिनों बिहार सरकार खुद को गरीबों का तारणहार साबित करने के किसी हद तक जाने को तैयार दिख रही है। इसी कड़ी में सूबे के हाकिम नीतीश बाबू गरीबी दूर भगाने का एक नया नुख्सा लेकर हाजिर हुए हैं। कई लाख गरीब परिवारों को एक साथ सरकार बकरी और मुर्गी देने जा रही है जिसको पालकर गरीब आर्थिक समृधि लाने का नया इतिहास गढ़ेंगे।जाहिर तौर पर मुफलिसी और फटेहाली में जार--जार जिन्दगी को अब बकरी और मुर्गी के पैबंद लगाएगी सरकार।लेकिन इस नयी सरकारी कोशिश को लेकर निरीह गरीबों का कहना है की जहां उनके और उनके बच्चों को रहने और खाने का कोई इंतजाम नहीं है वहाँ वे इन सरकारी बकरियों और मुर्गियों को कहाँ रखेंगे।इन गरीबों की मानें तो ये सरकारी बकरी और मुर्गी उनके लिए आगे नयी मुसीबत साबित होगी।यही नहीं ये गरीब साफ़ लहजे में सरकार की इस पहल को फुसलाने की कोशिश भी बता रहे हैं।
कोसी का यह इलाका हर साल कोसी की बाढ़ और सुखाड़ दोनों को एक साथ झेलता है।एक तरफ कोसी तबाही लाती है तो दूसरी तरफ सुखा सुख--चैन को डंसता है।हम आपको कोसी नदी द्वारा हर साल लायी जाने वाले तबाही की कुछ तस्वीरों से पहले आपको रूबरू करा रहे हैं।आप को यह जानकार कतिपय हैरानी होगी की पूर्वी और पश्चिमी कोसी तटबंध के भीतर सहरसा जिले की साढ़े चार लाख से ज्यादे की आबादी बसती है।यह वह आबादी है जो हर साल कोसी की विभीषिका झेलती है।बसना और उजाड़ना इस इलाके की सालाना नियति बनकर रह गयी है।
हम आपको नवहट्टा प्रखंड के पहाड़पुर के समीप कोसी रिंग बाँध पर पिछले तीन वर्षों से बसे बाढ़ विस्थापितों के बदरंग और मुश्किलों से भरे जीवन की तस्वीर दिखा रहे हैं।देखिये इनके तंग जीवन को।नाम के घर में यहाँ जिन्दगी किसी तरह बस रेंग रही है।सरकार की बड़ी और कालजयी योजनाओं का लाभ इन जरुरतमंदों तक आजतक नहीं पहुंचा है।देखिये इनके बेजार जीवन को।इनके जीवन कर हर रंग उतरा हुआ है।बाढ़ के समय कैसे लोग ऊँची जगहों पर आकर सर छुपाने के लिए कवायद करते हैं।कैसे मुसीबत में फंसे परिवार नाम का ही सही एक घर बनाने की कवायद करते हैं,हम उसकी तस्वीर भी आपको दिखा रहे हैं।हम बाढ़ जब आती है उस वक्त का मंजर कैसा होता है,उसका नजारा भी दिखा रहे हैं।हम महज कुछ तस्वीरें महज बानगी के तौर पर आपको दिखा रहे हैं।हजारों बाढ़ विस्थापित परिवार नवहट्टा प्रखंड अन्य जगहों पर,सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड,सलखुआ और बनमा इटहरी प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के आसपास ऊँची जगह पर यत्र---तत्र आज तक पड़े हुए हैं।कोई भी उनकी सुधि लेने वाला नहीं है।अब सरकार गरीबों के दिन फिराने की जुगात में बकरी औरे मुर्गी लेकर आई है।जहां खुद की और बच्चों की जिन्दगी बचानी पहाड़ खोदकर दूध निकालने के सामान हो वहाँ ये मुर्गिया और बकरी कितनी कारगर होंगी।ये गरीब और निरीह लोग बड़े साफ़ लहजे में कह रहे हैं की उन्हें खुद के रहने का तो कोई इंतजाम ही नहीं है वे बकरी और मुर्गियों को रखेंगे कहाँ और खिलाएंगे क्या। उर्मिला देवी,बुचनी देवी,नाथो देवी और जनार्दन पासवान जैसे कई गरीब ऐसे हैं जिनकी नजर में सरकार उन्हें फुसला रही है।
आजादी के तुरंत बाद से गरीबों पर जो शोध शुरू हुआ वह आज तक अनवरत जारी है।सियासतदान इन गरोबों के दम से आजतक ना केवल अपनी सियासत चमकाते रहे हैं बल्कि सत्ता की सीढियां चढ़---चदकर शीर्ष तक भी पहुंचे हैं।बकरी और मुर्गी से इन गरीबों का कहीं से भी भला होता नहीं दिख रहा है।गरीब इसे आगे अपने जी का जंजाल और गले में लगी घंटी की नजर से देख रहे हैं।जाहिर तौर पर एक बड़ी लूट की योजना की पृष्ठभूमि लगभग तैयार है आगे इसकी पटकथा लिखी जायेगी।अभी से भय और संसय काबिज है की आगे यह बकरी और मुर्गी डकार योजना साबित होगी।

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