अप्रैल 24, 2012

सहरसा में डायरिया ने मचाया कोहराम

                                    EXCLUSIVE REPORT         

डायरिया से बदहाल मरीज सदर अस्पताल सहरसा

डायरिया के चपेट में बच्चे 
सहरसा में डायरिया का कहर अब सुरसा की तरह मुंह बाए महामारी का रूप लेने लगा है.जिले के सभी दस प्रखंड डायरिया से ना केवल आक्रान्त हैं बल्कि लोग इसकी चपेट में आकर त्राहिमाम कर रहे हैं.जाहिर सी बात है की प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों प़र डायरिया पीड़ितों का तांता लगा हुआ है.जहांतक सहरसा के सदर अस्पताल का सवाल है तो इस अस्पताल में डायरिया पीड़ितों की संख्यां सौ से भी ज्यादा हो गयी है और लगातार इस संख्यां में इजाफा ही होता जा रहा है.सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों में 15 मरीज की हालत काफी नाजुक है. अस्पताल के संक्रामक कक्ष के सभी बेड ना केवल भरे पड़े हैं बल्कि आपातकालीन कक्ष भी डायरिया मरीजों से लबालब है.बेड कम पड़ गए हैं और आलम यह है की मरीज बाहर में यत्र--तत्र फर्श प़र पड़े हुए इलाज कराने को मजबूर हैं.हलकान--परेशान मरीज और मरीज के परिजन एक तरफ जहां इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं वहीँ जिले के सिविल सर्जन को स्थिति की भयावहता से कोई सरोकार नहीं है.सिविल सर्जन साहब किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सकों की टीम तैयार रखने की बात कर,हमें रिझाने की जुगात करने की कोशिश करते दिखे .फिलवक्त सौ से ज्यादा मरीज इस अस्पताल में भर्ती हैं और इस संख्यां में लगातार इजाफा ही होता जा रहा है. इस अस्पताल में घोर
 लापरवाही का आलम है.मरीज के परिजन चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से मरीजों के इलाज में हो रही कोताही से खासे नाराज हैं.अस्पताल में आये समाजसेवी भी काफी खिन्न हैं और इस अस्पताल को खुद बीमार बता रहे हैं.इनकी मानें तो इस अस्पताल को खुद डायरिया हो गया है.यहाँ मरीज की चंगा होने की तो बात छोड़िये,यहाँ की बदइन्तजामी की वजह से मरीज के परिजन भी डायरिया या फिर किसी अन्य बीमारी के शिकार हो जायेंगे. हमाम में सारे नंगे हैं लेकिन यहाँ तो धरती के दूसरे भगवान् समझे जाने वाले डोक्टरों में भी सीनियर डॉक्टर साहब बिल्कुल नंगे नजर आ रहे हैं.डायरिया इस जिले में महामारी का रूप ले रहा है और स्वास्थ्य अधिकारियों को ठिठौली सूझ रही है.हम दावे के साथ कह सकते हैं की इन अधिकारियों को कुछ डायरिया पीड़ितों की मौत का इन्तजार है.पुराने आंकड़े गवाह हैं की बिना बड़ी घटना के इन्हें कुम्भ्करनी नींद से जागने की आदत नहीं है.लेकिन हम तो इन पीड़ितों के फिर से चंगे होने की ईमानदार दुआ अल्लाह से करते हैं.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।