अप्रैल 22, 2012

सहरसा में डायरिया का कहर




सहरसा में डायरिया के कहर ने लोगों को ना केवल हलकान--परेशान कर के रख दिया है बल्कि उनकी आँखों की नींद उड़ा के रख दी है.कोसी के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल में डायरिया के रोगियों का तांता लग रहा है जो किसी संभावित बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है.नाम बड़े और दर्शन छोटे के सूरते हाल वाले इस सदर अस्पताल में डायरिया से ग्रसित मरीजों का इलाज बेड की जगह फर्श प़र हो रहा है.मरीजों के रख--रखाव और संजीदगी से होने वाले इलाज में घोर लापरवाही बरतने का आरोप ना केवल मरीजों के परिजन बल्कि खुद मरीज भी लगा रहे हैं.जब इतने बड़े अस्पताल में आलम ऐसा है तो सुदूर ग्रामीण इलाकों में क्या चल रहा होगा,इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है.डायरिया इस इलाके में महामारी का रूप लेता दिख रहा है लेकिन स्वास्थ्य इंतजामात नाकाफी और सिफर दिख रहे हैं.ढाई दर्जन से ज्यादा मरीज यहाँ भर्ती हैं और मरीजों के आने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.ऐसे प़र मौके प़र मौजूद चिकित्सक को संजीदा और गंभीर होना चाहिए.लेकिन आकस्मिक सेवा के लिए मौके प़र मौजूद चिकित्सक डायरिया मरीज के बाबत पहले तो कुछ भी बताना नहीं चाहते लेकिन हमारे बार--बार कुरेदने प़र पहले तो कहते हैं की सिविल सर्जन से पूछिये.  बर्बादे गुलिस्तां को एक ही उल्लू काफी है.जहां हर शाख प़र उल्लू बैठा हो,अंजामें गुलिस्तां क्या होगा.इस अस्पताल से तो भगवान ही बचाए.यहाँ अगर मरीज की जान बच गयी तो समझिए अल्लाह मेहरबान है.वैसे हम आपको बता दें की यहाँ भगवान से ज्यादा यमराज की चलती है.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।