
दस वर्षीय रेशम कुमारी की लाश यहाँ प़र पोस्टमार्टम के लिए लायी गयी है.देखिये गोली इसके सीने के कैसे आरपार हुई है.विसर्जन के लिए मूर्ति गाँव के बाबा जय सिंह स्थान प़र मैदान में रखी हुई थी.महिलायें माँ सरस्वती का खोइंछा भर रही थी की अचानक गोली चली और रेशम धडाम से ज़मीन प़र गिर कर छटपटाने लगी और देखते ही देखते इस दुनिया से कूच कर गयी.इस गोलीबारी में सुप्रिया और नेहा नाम की दो लड़कियों को भी गोली सर और छाती को खरोंचती निकल गयी.भगवान् का शुक्र है की वह दोनों बच गयी है जिसका इलाज सिमरी बख्तियारपुर अस्पताल में किया जा रहा है.
पूजा शब्द ही आज बेमानी हो चला है.पढने वालों को तो पढने सी ही फुर्सत नहीं मिलती लेकिन निठल्लों की जमात चंदा इकट्ठे कर माँ सरस्वती की पूजा--अर्चना करते हैं.पूजा के दौरान भक्ति कम और शराब का दौड़ ज्यादा चलता है.पूजा के नाम प़र हो रहे मजाक का ही यह नतीजा है की एक बच्ची असमय इस दुनिया से विदा हो गयी.
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