जनवरी 30, 2012

मूर्ति विसर्जन में खूनी खेल

बीते कल दोपहर बाद मूर्ति विसर्जन के दौरान नशे में धुत्त एक अन्नेलाल नाम के व्यक्ति ने देशी पिस्तौल से गोलीबारी कर दी जिसमें गोली जहां एक बच्ची के सीने के आरपार हो गयी और वह मौके प़र ही ढेर हो गयी वहीँ दो अन्य बच्चियों को भी गोली सर और चेहरे को खरोंचती निकल गयी.घटना सलखुआ थाना क्षेत्र के चिरैया ओ.पी अंतर्गत अलानी गाँव की है.इस घटना से जहां मृतका घर में कोहराम मचा है वहीँ पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी है.घटना के बाद अन्नेलाल फरार है.पुलिस ने काण्ड दर्ज कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है.इस गाँव में पूजा मातम की पूजा में तब्दील हो गयी.
दस वर्षीय रेशम कुमारी की लाश यहाँ प़र पोस्टमार्टम के लिए लायी गयी है.देखिये गोली इसके सीने के कैसे आरपार हुई है.विसर्जन के लिए मूर्ति गाँव के बाबा जय सिंह स्थान प़र मैदान में रखी हुई थी.महिलायें माँ सरस्वती का खोइंछा भर रही थी की अचानक गोली चली और रेशम धडाम से ज़मीन प़र गिर कर छटपटाने लगी और देखते ही देखते इस दुनिया से कूच कर गयी.इस गोलीबारी में सुप्रिया और नेहा नाम की दो लड़कियों को भी गोली सर और छाती को खरोंचती निकल गयी.भगवान् का शुक्र है की वह दोनों बच गयी है जिसका इलाज सिमरी बख्तियारपुर अस्पताल में किया जा रहा है.
पूजा शब्द ही आज बेमानी हो चला है.पढने वालों को तो पढने सी ही फुर्सत नहीं मिलती लेकिन निठल्लों की जमात चंदा इकट्ठे कर माँ सरस्वती की पूजा--अर्चना करते हैं.पूजा के दौरान भक्ति कम और शराब का दौड़ ज्यादा चलता है.पूजा के नाम प़र हो रहे मजाक का ही यह नतीजा है की एक बच्ची असमय इस दुनिया से विदा हो गयी.

जनवरी 26, 2012

भिखारिओं ने तिरंगे को दिया सलामी

६३ वां गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर पटुआहा के भिखारिओं ने तिरंगे को दिया सलामी और भ्रष्टाचार को ख़तम करने की खाई कसम इसका एक्सक्लुसिव तस्वीर केवल सहरसा टाइम्स पर



जनवरी 23, 2012

व्यवसायी के घर गोलीबारी

आज सुबह करीब नौ बजे मोटरसाईकिल प़र सवार दो बेख़ौफ़ अपराधियों ने नवहट्टा बाजार के हार्डवेयर व्यवसायी दिलीप चौधरी के घर कारबाईन से गोलीबारी की.किस्मत अच्छी थी की इस जानलेवा हमले में ना केवल व्यवसायी बाल बच गए बल्कि किसी तरह का बड़ा नुकशान नहीं हुआ.इस घटना को लेकर आंदोलित व्यवसायी और स्थानीय लोगों ने बाजार बन्द कराके मुख्य मार्ग को जाम कर दिया.लेकिन इस बार पिछली घटनाओं से सीख लेते हुए बिना समय गंवाए पहले पुलिस अधीक्षक दल--बल के साथ घटनास्थल प़र पहुँचे फिर सदर एस.डी.ओ पहुँचे.पुलिस अधीक्षक ने पीड़ित व्यवसायी और आंदोलित लोगों के गुस्से को शांत कराने के लिए तुरंत नवहट्टा थानाध्यक्ष डी.एन.रॉय को लाईन हाजिर कर दिया उसके बाद जिले की सीमा सील कर पुलिस की कई टुकड़ी बनाकर आरोपी अपराधी की गिरफ्तारी के लिए छापामारी शुरू करा दी.पुलिस अधीक्षक ने अपराधी की अतिशीघ्र गिरफ्तारी और पीड़ित व्यवसायी की सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाकर मामले को शांत कराया.इधर व्यवसायी का पूरा परिवा दहशत में है.बताना लाजिमी है की बीते वर्ष 23 जून को इसी व्यवसायी से रोहित झा नाम के अपराधी ने अपने बड़े भाई राहुल झा और दो अन्य अपराधियों के साथ मिलकर 2 लाख की रंगदारी मांगी थी.रंगदारी नहीं देने प़र अपराधियों ने ताबड़--तोड़ गोलियां बरसाई थी लेकिन यह व्यवसायी उस समय किसी तरह बच निकला था.उस काण्ड को लेकर पीड़ित व्यवसायी ने नवहट्टा थाना में काण्ड दर्ज करवाया था जिसमें रोहित झा का बड़ा भाई राहुल झा और एक अन्य अपराधी फिलवक्त अभी जेल में है.अपने भाई के जेल में रहने से खफा रोहित अक्सर दिलीप चौधरी को मुकदमा उठाने के लिए धमकी देता था.मुकदमा नहीं उठाने की वजह से आज रोहित झा ने व्यवसायी को ठिकाने लगाने की गरज से गोलीबारी की.अभी पुलिस के जवान व्यवसायी के घर तैनात कर पुलिस कारवाई में जुटी हुई है.



जनवरी 21, 2012

नहीं है इन अनाथों का कोई नाथ


आकांक्षा अनाथ आश्रम के प्यारे बच्चे को पढ़ाते शिक्षक
आकांक्षा अनाथ आश्रम के प्यारे बच्चे
2008 की कुसहा त्रासदी में अपने माँ--बाप,स्वजन--परिजन को गंवाकर पूरी तरह से अनाथ हुए मासूम नौनिहालों की सिसक--सिसक कर बामुश्किल रेंगती जिन्दगी को देखने खगड़िया के जदयू सांसद दिनेश चन्द्र यादव पहुँचे.जिला समाहरणालय के ठीक सामने बिना किसी सरकारी मदद के लोगों की रहम और भीख प़र चलने वाले आकांक्षा अनाथ आश्रम में सांसद ने करीब दो घंटे गुजारे और बच्चों की तकलीफ को निकट से देखा.सांसद ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस अनाथ आश्रम को विभिन्य सुविधाओं से लैस करने का भरोसा दिलाया.सांसद के भरोसे से इस अनाथ आश्रम के संचालक और अनाथ बच्चों के बीच ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है.उन्हें लगता है की अब उनके दिन बहुरेंगे.सांसद ने इस आश्रम को लेकर पूरी जानकारी इकट्ठी की और कहा की पहले तो इसके संचालक को उनके इस महान प्रयास के लिए धन्यवाद.फिर सांसद ने कहा की उन्हें इस आश्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.जिला पाषद प्रवीण आनंद के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली तो वे यहाँ आये हैं.वे इस आश्रम को लेकर मुख्यमंत्री से गंभीरता से बातचीत करेंगे और इस आश्रम को विभिन्य सुविधाओं से लैस करवायेगे. पेट की आग बुझानी यहाँ मुश्किल है तो भविष्य के रंगीन सपने आखिर कैसे पलेंगे.यहाँ सबकुछ फनां होते दिख रहे हैं.रब करे सांसद मजबूत प्रयास करें जिससे मुख्यमंत्री इन अनाथों के दिन फिरा सकें. सहरसा टाइम्स के सभी सदस्य और पाठक भी तहे दिल से इनके दिन बहुरने के लिए भगवान् से दुआ करता है.

जनवरी 20, 2012

भीतरखाने की बातें

                                                                       "भीड़ का गुस्सा"
मुकेश कुमार सिंह
(Editor In Chief)
Saharsa Times
आज हम आपसे भीड़ के गुस्से को लेकर चंद जरुरी बातें करना चाहते हैं.आखिर भीड़ को इतना गुस्सा क्यों आ रहा है और भीड़ यक ब यक इतनी बाबली होकर अप्रत्यासित और गंभीर घटनाओं को अंजाम क्यों दे रही है.भीड़ आज खुद कानून को हाथ में लेकर फैसला सुनाने लगी है.यह सिलसिला ना केवल दुखद भर है बल्कि इसपर गंभीर चिंता करने की जरुरत है.हमने सहरसा को बहुत करीब से देखा है.इस जिले के लोग काफी शांतिप्रिय और अमन पसंद हैं.दंड के रूप में सामने वाले को क्षमा करना यहाँ की मजबूत परंपरा रही है.लेकिन विगत के कुछ वर्षों में इस इलाके के लोगों की जीवनशैली में बड़े बदलाव आये हैं.बात--बात प़र लोग उलझने से लेकर बड़ी घटना तक को अंजाम देने से गुरेज नहीं करते.एक घटना के बाद पहले लोग एक जगह जरुरु जमा होते थे लेकिन तब उनका मकसद बड़ा साफ़ था की वे घटित घटना प़र अपना रोष तो जरुर जाहिर करते थे लेकिन घटना आगे फिर से घटित ना हो इसके लिए वे आपस में ही बहस--विमर्श करके हल निकाल लेते थे.लेकिन अब हालत पूरी तरह से बदले हुए हैं.अब छोटी सी घटना प़र भी लोग बड़ी तेजी से लामबंद होते हैं और बिना किसी बातचीत के बस वे हमलावर की शक्ल में आकर ना केवल तोड़फोड़ और आगजनी करते हैं बल्कि जमकर खूनी उत्पात भी मचाते हैं.यह विकट परिस्थिति है.सामाजिक चिंतकों,कार्यकर्ताओं,मनोंविशेषज्ञों से लेकर विभिन्य क्षेत्रो से जुड़े आमजन को चुनौती बन रही इस समस्या का हल निकालने की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए.बड़ा सवाल है की आम लोगों को आखिर किन बातों की वजह से इंतना क्रूर गुस्सा आ रहा है.सवाल बड़ा और गंभीर है.अमूमन मामलों में लोगों का ज्यादा गुस्सा पुलिस--प्रशासन को लेकर होता है.वैसे लोगों का गुस्सा चिकित्सक,विभिन्य वाहन चालक और मालिकों से लेकर दबंग और अपराधियों प़र भी फूटता है.सबसे पहले हम पुलिस--प्रशासन प़र लोगों को क्यों गुस्सा आता है इस बात की चर्चा करें.पहले पुलिस महकमे को लें.पुलिस के काम करने के तरीके में भारी बदलाव आये हैं.एक ज़माना था जब थानेदार से मिलना मील का पत्थर साबित होता था लेकिन आज के समय में एस.पी,डीआईजी,आईजी से लेकर डीजीपी तक सुलभ हैं जिनसे जनता सीधे रूबरू हो रही है.यह सरलीकरण जायज है लेकिन इसके बड़े नुकशान भी हुए हैं.पुलिस के निचले अधिकारी आज पूरा न्याय दे पाने में खुद को असहाय पा रहे हैं.जाहिर तौर प़र इनके ऊपर बड़े अधिकारियों का दबाब होता है.हद तो यह है की छोटी से छोटी बात के लिए भी बड़े अधिकारी अपने निचले अधिकारियों से जबाब-तलब करते रहते हैं.काम में पारदर्शिता आवश्यक है लेकिन अनावश्यक दबाब ठीक बात नहीं है.छोटे अधिकारी को लगता है की यह मामला बड़े अधिकारी तक जाएगा ही इसलिए वे पूरी निष्ठा से उक्त मामले में न्याय का पुनः स्थापन नहीं कर पाते हैं.अमूमन मामले में आम जनता को न्याय मिलने में ना केवल अनावश्यक देरी होती है बल्कि न्याय मिल भी नहीं पाता है.पूरी प्रक्रिया के दौरान पद,पैसा,रसूख और पैरवी भी न्याय को प्रभावित करता है.यह भी एक बड़ी वजह है लोगों के बीच गुस्सा पैदा करने के लिए.सड़क हादसे,डकैती,लूट,अपहरण और ह्त्या मामले में जब आक्रोशित लोग लामबन्द होकर सड़क जामकर आन्दोलन करते हैं तो पुलिस और प्रशासन यहाँ प़र साझा गलती करती है.जाम और आन्दोलन की सूचना प़र त्वरित कारवाई नहीं होती है.इससे मुट्ठी भर लोगों को जहां संगठित होने का भरपूर समय मिलता है वहीँ उस भीड़ में असामाजिक तत्वों को भी प्रवेश का सुनहरा मौका मिल जाता है.ऐसे में अधिकारियों के मौके प़र आने से पहले भीड़ खुद को इतना तैयार कर लेती है की फिर उन्हें आसानी से समझाना मुश्किल हो जाता है.हमने कई मामलों की तटस्थ पड़ताल की है जहां पुलिस--प्रशासन के अधिकारियों ने भीड़ को उग्र होने के लिए भरपूर समय दिए हैं.ऐसे मामलों में अधिकारियों को आनन्---फानन में घटनास्थल प़र पहुंचना चाहिए.एक सबसे अहम् बात यह की भीड़ से जो अधिकारी वादा करके आते हैं वे मामले को शांत कराने के बाद उन वायदों को पूरा कराना एक तरह से भूल जाते हैं.यह बड़ी गलती है जिसकी वजह से जनता का विश्वास अधिकारियों प़र से उठ रहा है.पुलिस की अपराध की फाईलें लगातार मोटी होती जा रही हैं लेकिन किसी भी मामले का पूरी तरह से पटाक्षेप नहीं हो पाता है.हाल के दिनों में जनता का पुलिस और प्रशासन प़र से एक तरह से भरोसा पूरी तरह से उठा दिख रहा है.पुलिस की कार्यशैली भी लगातार ऐसी रही है जो उसे कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है.आमलोगों के बीच अब पुलिस का कोई भय और खौफ नहीं है.जाहिर तौर प़र लोगों के बीच पुलिस का भय और खौफ होना आवश्यक है लेकिन यह भय और खौफ शोले के गब्बर वाला नहीं होना चाहिए बल्कि ये व्यापक मायने वाले होने चाहिए. प्रशासन के अधिकारियों प़र से भी लोगों का भरोसा हालिया समय में उठने लगा है.सरकारी योजना में लापरवाही से लेकर व्यापक पैमाने पर मची लूट की वजह से आम जनता आज खुद को ठगा महसूस रही है.ऐसे में उनका गुस्सा भी भीड़ का संबल बन जाता है.पुलिस--प्रशासन को नुक्ताचीनी की जगह आत्ममंथन करने की जरुरत है.समाज के सभी वर्गों के भले जनों से उनका लगातार संवाद होना चाहिए.जरुरतमंदों को समय प़र उचित न्याय दिलाना चाहिए.दबाब और प्रभाव के अंदर काम करने की कुंठा से उन्हें मुक्त होना चाहिए.वे जिस कुर्सी प़र बैठे हैं उन्हें उसके एवज में भरपूर वेतन और मान--सम्मान मिल रहे हैं.वे सामने वाले को कभी कमतर ना समझें और मन से यह भावना निकाल दें की वे किसी प़र तरस खा रहे है या किसी प़र कोई उपकार कर रहे हैं.अपनी ड्यूटी को बस निष्ठा से अपनी ड्यूटी समझें.खुद को समाज से ऊपर समझने खुशफहमी ना पालें.अपने भीतर की कमियों को चिन्हित कर उन्हें निकालने से बड़े वजूद की परिकल्पना और उसका स्थापन संभव है.पद के अंदर समाया व्यक्ति कभी भी अच्छा नहीं लगता है.जरुरत इस बात की है की व्यक्ति के अंदर बड़ा से बड़ा पद समाया हुआ हो.दूसरों की तकलीफों को खुद की तकलीफ समझकर समाधान करने की मंशा रखें और कोशिशें जारी रखें तो आक्रामक हो रही जनता को ठोक--बजाकर गलती करने से रोका जा सकता है.समय पूरी तरह से हाथ से नहीं निकला है.व्यक्ति बदलेगा तो जग बदलेगा.सिर्फ हमारे बदलने का इन्तजार ना करें.खुद को बदलने की दिशा में भी कदम बढाईये.हर समस्या का समाधान संभव है.जरुरत है सिद्दत के साथ समस्या को समझा जाए और पूर्वाग्रह से मुक्त होकर उसके समाधान का प्रयास किया जाए.कोई भी आसमान से नहीं टपके हैं.सभी ज़मीन के बन्दे हैं.कोई आगे निकल गया तो कोई पीछे छूट गया.अपनी कुर्सी का दंभ ना करें.भीड़ को आखिर गुस्सा क्यों आ रहा है और भीड़ क्यों बलबे प़र आमदा है इसके लिए उनकी तकलीफों को गंभीरता से जानिये और उसके समाधान का जतन कीजिये.थोथा,कुंद और मरियल कार्यशैली का नतीजा "भीड़ का गुस्सा" है.नौकरशाहों को सामंती होने से परहेज करते हुए नव विहान के लिए सार्थक कोशिशों से लैस होकर सामने आना होगा.शान्ति,अमन और ज्ञानियों के इस देश में फिर आगे देखिएगा व्यक्ति से लेकर भीड़ कभी भी कानून को अपने हाथ में नहीं लेगी.

गला रेतकर हत्या


बिहरा थाना क्षेत्र के आरण गाँव की एक खेत में 35 वर्षीय युवक की लाश मिली.धारदार हथियार से गर्दन रेतकर हत्या की इस घटना को अंजाम दिया गया था.मृतक डोमी राम सौर बाजार थाना के ईटहरा पंचायत के रामपुर गाँव का रहने वाला था.पुलिस ने जहां लाश का पोस्टमार्टम करवाकर लाश को परिजनों के सुपुर्द कर दिया है वहीँ मृतक की बेबा के फर्द बयान प़र बिहरा थाना में काण्ड दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है.मृतक के परजनों का कहना है की ईटहरा पंचायत के मुखिया संजय साह से मृतक डोमी राम की पिछले चार साल से जमीनी विवाद चल रहा था और संजय साह ने ही डोमी की हत्या की है.पुलिस अधीक्षक ने तत्काल संजय साह की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए हैं. डोमी के परिजन साफ़--साफ़ कह रहे हैं की ईटहरा के मुखिया संजय साह से डोमी की चार साल से रंजिश थी.कल डोमी साह केश के सिसिले में सहरसा कोर्ट आये थे लेकिन रात वे वापिस अपने गाँव नहीं लौटे और उनकी हत्या की खबर उनके गाँव पहुंची.मृतक का बेटा कह रहा है की संजय साह ने ही उसके पिता की गर्दन काटकर ह्त्या की है.

मोहम्मद रहमान,पुलिस अधीक्षक,सहरसा
इधर लगातार महादलितों की हो रही हत्या से दलित और महादलित समुदाय के लोग ना केवल खासे नाराज हैं बल्कि नीतीश सरकार की चूलें तक हिलाकर रखने की हुंकार भर रहे हैं.इनका कहना है की दलित और महादलित को सरकार ठगने में लगी हुई है.

इधर पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की जानकारी देते हुए कहा की घटनास्थल प़र शराब की बोतलें और गिलास भी रखे हुए थे.उनकी नजर में पहले शराब का दौर चला है फिर हत्या की घटना को अंजाम दिया गया है.बिहरा थाना में मृतक की पत्नी के बयान प़र काण्ड दर्ज का लिया गया है.उन्होनें संजय साह की गरफ्तारी का आदेश दे दिया है.

एक महादलित इस दुनिया को अलविदा कह चुका है.आगे देखने वाली बात यह होगी पुलिस इस मामले के पटाक्षेप में कितनी तेजी दिखाती है और आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर और कैसी--कैसी कारवाई करती है.जाहिर तौर प़र आगे इस मौत प़र सियासत के साथ--साथ रसूख और पैसों का भी बड़ा खेल होगा जो जांच को निश्चित रूप से प्रभावित करेगा.


जनवरी 19, 2012

खेत में फटा बम


सहरसा जिला मुख्यालय से ठीक सटे सदर थाना क्षेत्र के गोबरगढ़ा गाँव की एक खेत में एक देशी बम का जोरदार धमाका हुआ जिसमें एक 20 वर्षीय युवक गंभीर से जख्मी हो गया.हुआ यूँ की भैंस चराने गया ब्रजेश नाम का यह युवक खेतों के रास्ते अपने गाँव लौट रहा था की रास्ते में उसे एक लाल रंग का डिब्बा मिला.उसने जैसे ही उस डब्बे को उठाकर उसे देखना चाहा की एक जोरदार धमाका हुआ और वह वहीँ गंभीर रूप से जख्मी होकर गिर गया और छटपटाने लगा.धमाके की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े और इलाज के लिए उसे लेकर भागे. तुरंत सदर इन्स्पेक्टर सह सदर थानाध्यक्ष गणपति ठाकुर पहुंचे और जख्मी को अपनी बुलेरो गाड़ी पर लादकर अस्पताल ले गए.इस घटना से पुरे इलाए में सनसनी फ़ैल गयी है.पुलिस अधिकारियों के लिए यह पता लगाना एक बड़ी चुनौती है की बम आखिर खेत में आया कहाँ से.
घटना के सम्बन्ध में बताऊँ की ब्रजेश अपनी भैंस को मत्स्यगंधा की सूखी झील में चरने के लिए छोड़कर वापिस अपने गाँव लौट रहा था की उसकी नजर किनारे में रखे एक लाल डब्बे प़र पड़ी.उसे लगा की वह कोई मूल्यवान चीज है और उसने हाथ में उठाकर डब्बे से छेड़--छाड़ शुरू कर दी.इतने में बड़ा धमाका हुआ और वह खेत में गिरकर छटपटाने लगा. 
पुलिस लाख अनुसंधान की बात कर ले लेकिन खेत में बम मिलना कोई छोटी बात नहीं है.पुलिस के ना केवल पेशानी प़र बल पड़े हैं बल्कि उसके सामने एक बड़ी चुनौती है की बम खेत में कहाँ से आया और किसने उसे लाया उसका पता करे.फिलवक्त पूरे इलाके में सनसनी है और लोगों की निगाह पुलिस की अगली कारवाई प़र टिकी हुई है.


जनवरी 18, 2012

                                             सम्पादकीय


मुकेश कुमार सिंह
(Editor In Chief)
Saharsa Times 
 आपाधापी और अंधदौड़ में बहुत सारी चीजें पीछे छूटती जा रही हैं और व्यक्ति आगे निकलने की जुगात में जुटा हुआ है.सबसे पहले हम अपने कोसी की चीख साईट को देखने--समझने और गुनने वाले सुधि जनों को ह्रदय से नमन और कोटिशः उन्हें साधुवाद देते हैं.हमारे उदेश्य का कैनवास बड़ा है लेकिन अभी हम उसे थोड़े में जाहिर कर पाने में समर्थ हो पा रहे हैं.अभी हमने आपको महज सहरसा जिले की हर छोटी--बड़ी ऐसी खबर जो आमलोगों की सरोकार से जुडी हुयी हैं परोस पा रहे हैं.आगे हम चाहेंगे की कोसी प्रमंडल के दो और जिले मधेपुरा और सुपौल जिले की ख़बरों से आपको रूबरू करा सकें.हम यहीं पर थमने वाले नहीं हैं.आगे हम आपको यह भी बताना चाहते हैं की हमारे मन में पल रहा है की हम आपको बिहार के सभी 38 जिलों की ख़बरों से दो--चार करा सकें.हम अपनी ख़बरों के माध्यम से आप सभी को सिर्फ वक्ती जानकारी भर देना नहीं चाह रहे हैं बल्कि हमारा मकसद है की हम उन जरुरतजदा लोगों की आवाज बन सकें जो ना केवल अपने हक़ से महरूम हैं बल्कि जिनकी फ़रियाद नौकरशाहों से लेकर हुक्मरानों तक अनसुनी की जाती रही है.हम जज्बाती बनकर नहीं बल्कि सच का सिपहसालार बनकर लोगों के हक़ की आवाज बुलंद करने का पूरा माद्दा रखते हैं.खबर परोसने के दौरान हम ना तो सरकार पुलिस--प्रशासन या किसी सरकारी महकमे की कमियों को निकालकर उसकी नुक्ताचीनी करना चाहते हैं बल्कि हमारा मकसद है की पुरे तंत्र को उनकी कमियों से उन्हें परिचय कराकर उसका निदान ढूंढें--कराएं.हम पत्रकारिता धर्म की आंच में तपे हैं और मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ने की ठानी है.शहर से लेकर गाँव तक की वह सारी ख़बरें आपतक पहुंचाने का हम वायदा करते हैं जो किसी ना किसी तकलीफ,पीड़ा और जरुरत से सनी हों.हम भीड़ का हिस्सा भर बनना नहीं चाहते हैं.हमारी यह साबूत कोशिश है की अपनी खबर की धार से हम जिस मुद्दा को लेकर आवाज बुलंद करें,उसे अंजाम तक पहुंचा कर रहें.हम किसी की निंदा करने नहीं निकले हैं लेकिन आलोचना हम जरुर करेंगे.जिस महकमे और जिधर से हमें किसी भी तरह की गड़बड़ी की बू आएगी,वहाँ हम दृढ़ता से आवाज बुलंद करेंगे.हमने एक मुहीम की शरुआत करी है जिसमें आपसभी का सहयोग अपेक्षित है.आप सभी हमें अपने सुझाव भी समय-समय पर देते रहें जिससे,पहले तो हम खुद में अकूत ताकत भर सकें और फिर अपनी कोशिशों को आसमानी परचम दे सकें.आखिर में,पुरे राज्यवासियों और देशवासियों के लिए उनके सुघड़,नैसर्गिक,मूल्यसंचित और लोगों के काम आने वाले पुख्ता और साबूत वजूद की कामना है.खुशियों से सराबोर सभी का जीवन हो,इसके लिए मेरी ईमानदार दुआ.आज यहीं पर अर्धविराम,.................................

जनवरी 15, 2012

मर गयी इंसानियत

जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों.लेकिन यहाँ तो खुदा भी संगदिल और क्रूर बना तमाशबीन है.सदर अस्पताल में एक बेड प़र बीते कल शाम से ही एल महिला की लाश पड़ी हुई है लेकिन उसे वहाँ से अस्पताल प्रशासन ने हटाना मुनासिब नहीं समझा.हद की इन्तहा तो यह है की लाश के बगल में यानि उसी बेड प़र एक बीमार जिन्दा महिला भी पड़ी है जिसका इलाज करने वाला भी कोई नहीं है.एक बेड प़र दो महिलायें.एक मुर्दा और एक जिन्दा.मर गयी है इंसानियत.ये लावारिश महिलायें हैं.मर गयी तो मर गयी,जिन्दा है,तो है.इनकी मौत प़र तमाशा भी नहीं होता.इनकी मौत प़र छक के सियासत भी नहीं होती.मगरमच्छ के आंसू भी नहीं बहते.आज दोपहर बाद तक ना तो इस लाश को यहाँ से उठाया गया और ना ही दूसरी जिन्दा महिला का ढंग से इलाज ही शुरू हो सका.
कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले करीब सवा दो सौ बेड वाले सदर अस्पताल में आज इंसानियत कराह रही है.प्रेम,प्यार और भावनाओं का सीना यहाँ चाक हो रहा है.खुदगर्जी से सने समाज और अधिकारी--कर्मियों का काला चेहरा सामने दिख रहा है.इस अस्पताल के महिला वार्ड में एक ही बेड प़र एक महिला की लाश पड़ी हुई है तो उसी के बगल में एक बीमार जिन्दा महिला भी पड़ी हुई है.पिछले दस दिनों से इलाज के लिए इस वार्ड में भर्ती यह महिला इलाज के अभाव और वाजिब देखरेख के अभाव में कल शाम ही मर गयी.कल शाम से लेकर अभीतक इस लाश को यहाँ से उठाना अस्पताल प्रशासन ने मुनासिब नहीं समझा.हद बात तो यह है की इस बेड प़र एक बीमार जिन्दा महिला भी पड़ी हुई है जिसे इलाज की शख्त जरुरत है.लेकिन ये दोनों लावारिश महिलाएं हैं.इसकी लाश और इसकी जिन्दगी से किसी को कोई लेना--देना नहीं है.बगल के मरीज और उनके परिजन काफी परेशान हैं.कहते हैं की वे अस्पताल के कर्मचारियों कहते--कहते थक गए हैं लेकिन कोई उनकी नहीं सुन रहा है.लाश से बदबू आ रही है.वे अपने मरीज को लेकर बाहर में खड़े हैं.
कोई आंसू बहाने वाला नहीं.कोई तीमारदारी में नहीं.इस मौत प़र कोई मातम नहीं.इस लापरवाही और बदइन्तजामी को आखिर में कौन सा नाम दें.मर गयी है इंसानियत.सहरसा टाइम्स  ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को झंकझोड़ने की पुरजोर कोशिश की लेकिन नतीजा सिफर निकला.

जनवरी 13, 2012

मौत प़र घंटों हुआ बबाल

पुलिस अधीक्षक ने इस मामले क्या कहा आप खुद सुन ले
सुबह करीब दस बजे तेज रफ़्तार से सहरसा से सुपौल की तरफ जा रही एक जीप ने बनगांव थाना क्षेत्र के बरियाही बाजार में एक मोटर साईकिल सवार को रौंद डाला और मौके से जीप लेकर फरार हो गया.पहले तो लोग जख्मी युवक को बरियाही स्थित स्वास्थ्य केंद्र ले गए लेकिन वहाँ प़र चिकित्सक के नहीं होने से परेशानहाल लोगों ने थोड़े इन्तजार के बाद जख्मी को इलाज के लिए लेकर सदर अस्पताल आये.लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी.21 वर्षीय शेरू इस दुनिया को अलविदा कह परलोक सिधार चुका था.इस बात की जैसे ही बरियाही के लोगों को खबर लगी कोहराम मच गया.गुस्साए लोगों ने अपना आपा खोया और जबरदस्त तोड़फोड़ और आगजनी की.तीन घंटे तक बरियाही बाजार और बरियाही स्वास्थ्य केंद्र रणक्षेत्र बना रहा.काफी देरी से मौके प़र पूरे दल--बल के साथ जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक पहुँचे लेकिन तबतक सबकुछ एक तरह से शांत हो चुका था.
सहरसा को इनदिनों ना जाने किसी बुरी नजर लग गयी है.यह जिला बहुत शांत जिला रहा है.लेकिन बीते कुछ महीनों से इस जिले में पुलिस और प्रशासन के खिलाफ लोगों का गुस्सा काफी बुरी तरह से भड़का है.बताना लाजिमी है की बीते 29 दिसंबर 2011 को एक ग्यारहवीं के छात्र की ट्रक से कुचलकर हुई मौत प़र सहरसा जिला मुख्यालय में छात्रों ने ऐसा उत्पात मचाया था जिसकी याद भर से रूह थर्रा जाती है.उस घटना को शांत कराने में तीन जिले के पुलिस अधीक्षक,पाँच जिले के पुलिस जवान और दरभंगा रेंज के आईजी राकेश कुमार मिश्रा लगे हुए थे. उसके बाद एक जनवरी को एक मासूम फिर एक कार की चपेट में आकर मौत के घाट उतारा गया.जिसके बाद दो जनवरी को लोगों ने दिनभर सदर थाना क्षेत्र के पटुआहा गाँव के समीप NH--107 को जाम रखा.एक तो रफ़्तार प़र तुरंत लगाम और ट्रेफिक में सुधार करना आवश्यक है.उसके साथ--साथ लोगों में पुलिस-प्रशासन के प्रति भरोसा और विश्वास भी जगाना जरुरी है.कहीं ना कहीं लोगों की मानसिकता में कुछ और घर कर गया है.
आज जो बरियाही में घटना घटी उसकी Exclusive तस्वीर

जनवरी 11, 2012

आत्महत्या से हत्या का रहस्य Suicide, Murder Mystery Saharsa

पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की कमान खुद संभाल ली
बीते दो जनवरी को सहरसा के रिहायशी मोहल्ला गौतम नगर में एक बन्द कमरे में एक स्कूली छात्र की लाश रस्सी में लटकती मिली.हांलांकि पुलिस के मौके प़र पहुँचने से पहले ही लाश को टेम्पो प़र लादकर वहाँ से मृतक के गाँव जिले के सत्तर कटैया प्रखंड अंतर्गत बिहरा गाँव पहुंचा दिया गया.बताना लाजिमी है की यह सब बंटी झा नाम के एक युवक की अकेली कोशिश की वजह से संभव हुआ.मृतक बालक दशवी कक्षा का छात्र था जो इस साल बोर्ड की परीक्षा देने वाला था.,मृतक की माँ जहां सिहौल स्कूल में शिक्षिका के पद प़र कार्यरत है वहीँ पिता CISF में हवलदार के पद प़र फरक्का में तैनात हैं.मृतक की माँ स्कूल गयी थी.जब वह शाम में घर लौटी तो उसने घर का ग्रिल भीतर से बन्द पाया.बेटे को बहुतो आवाज लगाई लेकिन जब कोई आवाज नहीं आई तो उसने खिड़की से झांकर देखा तो उसने अपने कलेजे के टुकड़े को बिस्तर से थोड़ा ऊपर गर्दन में रस्सी के फंदे में लटका झूलता हुआ पाया.वह चीखने--चिल्लाने लगी.आसपास के लोग जमा हुए और ताला तोड़कर घर के भीतर प्रवेश किया.शुभम की गर्दन पंखे में रस्सी के फंदे में फंसी थी और वह बिस्तर से थोड़ा ऊपर झूल रहा था.जाहिर सी बात है घटना बहुत बड़ी थी और इसकी फ़ौरन सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए थी लेकिन मुहल्ले का ही एक युवक बंटी झा ने आनन्--फानन में एक टेम्पो प़र लाश और बेसुध पड़ी मृतक की माँ को लादकर बिहरा लेकर चला गया और बिहरा के पंचायत भवन के समीप टेम्पो को छोड़कर कहीं फरार हो गया.
शुभम के परिजन

बिहरा में प्रभावशाली और पैसे वाले परिवार का बंटी लाश को यह कहकर तुरंत जलवाने की जुगात में था की शुभम ने आत्महत्या कर ली है.देरी होने पर मृतक का पूरा परिवार फंस जायगा.बिहरा मृतक का नानी गाँव है.घर प़र कोहराम मचा था.पहले तो इस मामले को आत्महत्या का मामला साबित कर इसे रफा--दफा करने की पुरजोर कोशिश हुई लेकिन मृतक के मामा ने इसका पुरजोर विरोध किया फरक्का से मृतक के पिता ने भी पुलिस को फोन कर दिया.पुलिस हरकत में आई और लाश को अपने कब्जे में ले लिया.तीन जनवरी को लाश का पोस्टमार्टम कराकर लाश को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया.मीडिया में भी इस रहस्मय मौत को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी.पुलिस पूरे मामले को आत्महत्या करार देने प़र तुली हुई थी.विवश होकर खुद पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की ना केवल कमान थामी बल्कि घटनास्थल प़र जाकर छानबीन भी की.अब नतीजा सामने है की पुलिस अधीक्षक भी इस मामले को आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या का मामला बता रहे हैं.एक नामजद और तीन के खिलाफ सदर थाना में काण्ड दर्ज कर पुलिस ने अनुसंधान तेज कर दिया है.
पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की कमान खुद संभाल ली
 सहरसा के गौतमनगर में एक भाड़े के मकान में अपनी माँ के साथ रहकर पढाई करने वाला शुभम अब इस दुनिया में नहीं है.शुभम की मौत को पहले आत्महत्या का रंग देकर मामले को रफा--दफा करने की कोशिश की जा रही थी लेकिन अब जो सच सामने आ रहे हैं वे बेहद डरावने और चौंकाने वाले हैं.शुभम की माँ पहले बेहोशी की दशा में बेटा के आत्महत्या की बात कह रही थी लेकिन अब वह बिहरा के बंटी झा को हत्यारा बता रही है.मृतक के पिता भी शुभम का हत्यारा बंटी झा को ही बता रहे हैं.मृतक की माँ का कहना है की बंटी झा से उसकी अदावत थी.वह पहले भी उनके घर के लोगों को धमकी देता था और उसी ने कुछ लोगों की मदद से उसके बेटे की हत्या कर दी.शुभम काफी होनहार लड़का था.गौतमनगर के ट्यूशन ब्यूरो स्कूल का वह दशवीं कक्षा का छात्र था और इसी वर्ष बोर्ड का इम्तिहान देने वाला था.नारायणा कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिले के लिए छः लाख छात्र--छात्राओं ने परीक्षा दी थी जिसमें शुभम को 46 वाँ रेंक हासिल हुआ था.जाहिर तौर प़र वह मेधा का धनी था.
-बंटी की गिरफ्तारी के बाद शुभम की मौत प़र से तब पर्दा उठेगा जब पुलिस कडाई से उससे पूछताछ करेगी.वैसे घटना के पीछे जितने भी घिनौनें कारणों का खुलासा हो लेकिन शुभम अब वापिस होने वाला नहीं है.

जनवरी 10, 2012

स्वास्थ्य विभाग में चोरी Theft In The Department Of Health

कम्प्यूटर  सहित कई  सामानों की चोरी
 रात चोरों ने सिविल सर्जन कार्यालय के ठीक पीछे स्थित जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यालय की किवाड़ तोड़कर तीन कम्प्यूटर सेट,स्केनर,प्रिंटर सहित कई अन्य सामानों की चोरी कर ली.घटना की सूचना मिलते ही सिविल सर्जन मौका ए वारदात प़र पहुँचे और इस घटना के बाबत जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जानकारी दी.मौके प़र आलाधिकारियों ने भी पहुंचकर तहकीकात की.
डॉक्टर आजाद हिंद प्रसाद,सिविल सर्जन,सहरसा
जहां सिविल सर्जन ने चोरी गए कम्प्यूटर सेट में स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण डाटा लोड होने की बात कही वहीँ पुलिस अधीक्षक इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल विभाग के नाईट गार्ड और कुछ लोगों को गिरफ्त में लेकर पूछताछ करने में जुटे हैं.जाहिर तौर प़र यह प्रथम दृष्टया सिर्फ चोरी की घटना लगती है लेकिन चूँकि इन कम्प्यूटर सेटों में विभाग के महत्वपूर्ण डाटा लोड हैं इसलिए गहरे साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.बताना लाजिमी है की चोरी वाले कमरे में इसी विभाग के कई और कम्प्यूटर सेट यूँ ही पड़े हैं जिसे चोरों ने चुराना मुनासिब नहीं समझा.
अनगिनत कस्म्प्यूटर सेटों को छोड़कर चोर उन्हीं सेटों को चुरा ले गए जिसमें स्वास्थ्य विभाग के सभी डाटा लोड थे.पुलिस को जांच के दौरान इस बिंदु को कुछ ज्यादा ही ध्यान में रखना होगा.इस घटना का उदभेदन आखिर जैसे हो,इस चोरी की वारदात में अभी तो दाल में कुछ काला नहीं नीला,हरा,गुलाबी और बैगनी सहित कई रंग नजर आ रहे हैं.

कोशी नदी में नाव हादसा

मृत बच्चा
बीती रात कोसी नदी में क्षमता से अधिक लोगों से लदी एक नाव पलट गयी जिसमें सात बच्चों की डूबकर मौत हो गयी.जिला प्रशासन और ग्रामीण इस मौत की पुष्टि तो कर रहे हैं लेकिन संसाधन के अभाव में एक भी लाश को खबर पोस्ट किये जाने तक बरामद नहीं किया जा सका है.इस नाव प़र 40 से 45 लोग सवार थे लेकिन अधिकांश लोग तो तैर कर निकल गए लेकिन एक बच्ची सहित सात बच्चे जिनकी उम्र दस से बारह बरस के बीच की थी वे डूबकर परलोक सिधार गए.नवहट्टा प्रखंड के सत्तौर पंचायत अंतर्गत बिरजैन गाँव जो पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर कोसी नदी के बीच में बसा है घटना उसी गाँव की है.गाँव के लोग बगल के ही बिरजैन दक्षिणी टोले में श्राद्धकर्म का भोज खाने गए थे.आठ बजे रात में वे सभी नाव प़र लदकर अपने गाँव लौट रहे थे की नाव इस भीड़ का बोझ सहन नहीं कर सकी और बीच धार में ही पलट गयी. अफरातफरी मच गयी.लोग किसी तरह अपनी--अपनी जान बचाने में जुट गए.
मिसबाह बारी,जिलाधिकारी,सहरसा
हेमंत झा,अंचलाधिकारी,नवहट्टा
अधिकांश लोग तो निकल गए लेकिन सात बच्चे जिन्हें या तो तैरना नहीं आता था या फिर जिनकी किस्मत ने उनका साथ छोड़ दिया था वे डूब गए.पूरे गाँव में कोहराम मचा है.जिधर देखिये उधर बस रोने और सिसकने की ही आवाज आ रही है.जिला प्रशासन को इस घटना की सूचना अहले सुबह ही दी गयी थी लेकिन प्रशासन के हाकिम दोपहर बाद करीब डेढ़ बजे घटनास्थल प़र पहुँचे.हद की बात तो यह है की देरी से ही सही प्रशासन के अधिकारी मौके प़र तो पहुँचे लेकिन लाश निकालने के लिए ना तो गोताखोर उनके साथ थे और ना ही जाल.बस वे भी खानापूर्ति करते और कौन बच्चा किस परिवार का है इसकी जानकारी लेकर चलते बने.
कोसी नदी से घिरे इस इलाके में नाव हादसा कोई नयी बात नहीं है.यह वह इलाका है जिसको लेकर आजतक की कोई भी सरकार इमानदारी से गंभीर नहीं हुई है.रही बात बच्चों के शव के बरामदगी की तो यह कोसी नदी प़र ही निर्भर है की वह शव को जिधर ऊपर निकाल कर फेंक दे.इलाके के लोगों को शव के नदी के ऊपर बहकर निकलने का इन्तजार है.

जनवरी 09, 2012

तुम देह हो सबसे पहले

तुम देह हो सबसे पहले
और फिर मन या विचार
बनता है इससे फिर जीवन का सार...
आत्मा के बारे में पता नहीं मुझे,
शायद चेतन-अवचेतन को
तुम यूं ही समझती हो...
और प्रेम,
क्या है प्रेम?
शायद तलाश, खोज
मृगमरीचिका देह, मन, विचार
और जीवन के अतल गहराइयों के पार...
पता नहीं,
बस ऐसे ही सोच रहा हूं
हवा में मार रहा हूं तीर
अंधेरे में टटोल रहा हूं तुमको
तुम ही बताओ न कुछ
तुम्हें क्या लगता है,
यकीन मानों
मैं नहीं कर पाऊंगा
यह पता
कभी भी
अकेले ...
**************  देवाशीष प्रसून **************
    अह़ा ज़िन्दगी
वरिष्ठ कॉपी संपादक
जयपुर

जनवरी 08, 2012

प्यार के पंछी

बीते दस दिसंबर को दिल्ली के पटेल नगर से अपने प्रेमी राजू सोनी के साथ फरार हुई साहिना को दिल्ली पुलिस ने सहरसा पुलिस की मदद से सदर थाना क्षेत्र के सराही मुहल्ले से सकुशल बरामद किया था.साहिना के परिजनों ने दिल्ली के पटेल नगर थाना में राजू सोनी के खिलाफ साहिना के अपहरण का मामला दर्ज कराया था.दिल्ली पुलिस पिछले महीने भी सहरसा आकर साहिना की तलाश कर चुकी थी लेकिन तब ये प्रेमी जोड़ा कहीं और पनाह लिए हुए था इसलिए दिल्ली पुलिस खाली हाथ लौट गयी.लेकिन गुप्त सूचना प़र आज दिल्ली पुलिस ने सहरसा पुलिस की मदद से इन दोनों को आखिरकार दबोच ही लिया.हांलांकि दिल्ली में मामला अपहरण का दर्ज हुआ है लेकिन यह मामला प्रेम प्रसंग का निकला.दिल्ली पुलिस ने सहरसा अदालत में साहिना और राजू दोनों को प्रस्तुत किया जहां दोनों के धारा 164 के तहत अलग--अलग बयान दर्ज किये गए.साहिना ने अपने बयान में खुद की मर्जी से घर से भागने और राजू के साथ शादी करने की बात कही.उसका कहना है की वह जियेगी तो राजू के साथ और मरेगी तो राजू के साथ.और ठीक यही बयान राजू ने भी दिए हैं.बताना जरुरी है की राजू साहिना के दिल्ली के पटेल नगर स्थित उसके घर में एक कमरा भाड़े प़र लेकर रहता था.राजू एक फैक्ट्री में काम करता था.दोनों की आँखें चार हुई.प्रेम का ऐसा अगन लगा की दोनों प्रेम के मतवाले लोक--लाज की सारी दीवारें गिराकर फरार हो गए.दोनों ने शादी रचा ली है.साहिना ने तो अपना नाम बदलकर अब सोनम रख लिया है.अदालत में इनदोनों का बयान हो चुका है.पहले लड़की का मेडिकल कराया जाएगा फिर दिल्ली पुलिस उसे लेकर दिल्ली रवाना होगी.
छोड़ेंगे ना हम तेरा साथ वो साथी मरते दम तक.दोनों प्यार के पंछी यही तराने गा रहे हैं.लेकिन ये पुलिसवाले और कानून इन्हें अपनी जद में लेकर आगे ना जाने कौन सा फैसला सुनायेंगे.जब--जब प्यार प़र पहरा लगा है प्यार और भी गहरा,गहरा हुआ है.हम इस प्रेमी जोड़े की सलामती की दुआ अल्लाह से करते हैं. इस लिंक को क्लीक करे http://www.youtube.com/watch?v=VsBQA-ZvblQ

जनवरी 07, 2012

नेपाल से अगवा किशोर बरामद Kidnapped Teenager Recovered From Nepal

अस्मित देवकोटा
बीते 3 दिसंबर को नेपाल के भारदह से अपने मित्र के साथ अगवा हुआ अस्मित  किसी तरह अपहर्ताओं की चंगुल से भाग निकला और सहरसा पुलिस की शरण में आ गया.नेपाल के राजविराज का रहने वाला अस्मित देवकोटा है काठमांडू के कैम्ब्रिज कॉलेज के बारहवीं कक्षा का छात्र अस्मित अपने दोस्त प्रतीक की बहन की शादी में शामिल होने भारदह आया था.वहाँ से वे दोनों घुमने के लिए कोसी बराज की तरफ चले आये.वाकया बीते तीन दिसम्बर का है.अस्मित और प्रतीक को बुलेरो सवार अपराधियों ने हथियार की नोंक प़र अगवा कर लिया.अस्मित बताता है की अपहर्ताओं ने उनके परिजन से पचास लाख की फिरौती मांगी थी लेकिन उसके घरवालों को इतने पैसे नहीं थे.उसके पिता कुंदन प्रसाद देवकोटा बैंक ऑफिसर थे जिनकी छः साल पूर्व ही मौत हो गयी है.अपहर्ता उसकी माँ से फिरौती की रकम मांगते थे.ऐसे में अपहर्ता उसे इतने दिन तक इसलिए रखे हुए थे की उन्हें भरोसा था की उनको फिरौती की रकम मिल जायेगी.प्रतीक लामिछाने के पिता लक्ष्मण लामिछाने सेवानिवृत पासपोर्ट अधिकारी हैं.अस्मित बताता है की अपहर्ता उसे हर वक्त आँखों में पट्टी बांधकर रखते थे और उसके साथ मारपीट भी करते थे.ठीक से खाने भी नहीं देते थे.उसे अपहर्ता कहाँ--कहाँ लेकर गए और उसे कहाँ-कहाँ रखा,इसका उसे कुछ पता नहीं है.फारविशगंज से अपहर्ता उसे ट्रेन से सहरसा लाये थे जहां से वे उसे कहीं और ले जाते लेकिन ऊपर वाले के रहम से वह सहरसा कचहरी ढाला रेलवे हॉल्ट प़र अपहर्ताओं को चकमा देकर फरार हो गया.संयोग देखिये थोड़ी ही दूर प़र सदर थाना की पुलिस मौजूद थी,जिसे अस्मित ने अपना दुखड़ा सुनाया.सदर थाना की पुलिस ने इस बात की जानकारी तुरंत पुलिस अधीक्षक को दी.पुलिस अधीक्षक ने आनन्--फानन में एक टीम बनाकर अस्मित के साथ रेलवे स्टेशन,ट्रेनें सहित कई संभावित ठिकानों पर छापामारी करवाई लेकिन किसी भी अपहर्ता का कोई सुराग नहीं मिला.अस्मित का दोस्त प्रतीक अभी भी अपहर्ताओं की चंगुल में है.
मोहम्मद रहमान,पुलिस अधीक्षक,सहरसा
बताते चलें की अपहर्ताओं ने अस्मित के परिजन से पचास लाख की फिरौती मांगी थी लेकिन फिरौती नहीं मिलने की वजह से वे उसे अभीतक इसलिए रखे थे की फिरौती रकम उन्हें मिल जायेगी.लेकिन भगवान् का लाख--लाख शुक्र है की अस्मित बच निकला.पुलिस अधीक्षक ने इस बाबत नेपाल पुलिस को सूचना दे दी और नेपाल की पुलिस सहरसा आकर अस्मित को सकुशल लेकर नेपाल गई.पुलिस अधीक्षक मोहम्मद रहमान ने अस्मित की माँ से फोन प़र बातचीत की और घटना को लेकर पूरी जानकारी दी.उनके मुताबिक़ सहरसा पुलिस ने अपहर्ताओं को दबोचने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली.वैसे अगर अपराधी कोसी क्षेत्र के हुए तो उन्हें वे पकड़ने को पूरी कोशिश करेंगे

जनवरी 06, 2012

बाढ़ आश्रय स्थल के दो चेहरे Two faces of flood shelters

सहरसा का बदहाल बाढ़ आश्रय स्थल
दर्द एक जगह हो तो बताऊँ की दर्द यहाँ होता है.इधर तो जहां और जिधर दबाओ उधर मवाद ही मवाद हैं.अपनी सेवा यात्रा के दौरान नीतीश कुमार 13 दिसंबर को उड़न खटोला पर बैठकर सोनवर्षा राज प्रखंड के मलौधा गाँव गए जहां 80 लाख से अधिक की राशि खर्च करके बन रहे बाढ़ आश्रय स्थल का निरीक्षण किया.इस तरह के बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण करोड़ों खर्च करके जिले के कुल दस प्रखंडों में से आठ प्रखंडों के कई जगहों पर किये जा रहे हैं.बाढ़ आश्रय स्थल में पशु शरण स्थल को भी जोड़कर बनाया जा रहा है.जाहिर तौर पर बाढ़ आपदा के समय इंसानी जानों के साथ--साथ जानवरों की जिन्दगी को भी यहाँ रखकर बचाने की कोशिश की जायेगी.हमें इन निर्माणों को लेकर काफी ख़ुशी है और हम इसपर कोई सवाल खड़ा करना नहीं चाहते लेकिन हम सहरसा में बने उन तीन आश्रय स्थलों को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं जो कुसहा त्रासदी के बाद लाखों खर्च करके बनाए गए थे और बिना इस्तेमाल किये ही वे आज बर्बाद होकर हुक्मरानों को मुंह चिढ़ा रहे हैं.हम यहाँ जानना चाहते हैं की नए निर्माण को नीतीश ने देखने की जरुरत समझी लेकिन लाखों की इस बर्बादी को देखना आखिर उन्होनें क्यों मुनासिब नहीं समझा.
सहरसा के कुल दस प्रखंडों में से आठ प्रखंडों में कई स्थानों पर बाढ़ आश्रय स्थल के निर्माण कराये जा रहे हैं.एक बाढ़ आश्रय स्थल पर कम से कम 65 लाख और अधिकतम करीब डेढ़ करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं.नवहट्टा प्रखंड में सबसे अधिक 10 जगहों पर,बनमा इटहरी में 2,सलखुआ में 4,महिषी में 5,सिमरी बख्तियारपुर में 4,सोनवर्षा राज में 3,पतरघट में 1 और सौर बाजार प्रखंड में 4 बाढ़ आश्रय स्थल के निर्माण कराये जा रहे हैं.अब हम आपको कुछ और जानकारी देना चाहते हैं.महिषी प्रखंड के तेलवा गाँव में 1 करोड़ 40 लाख 85 हजार और झाड़ा गाँव में 1 करोड़ 34 लाख 72 हजार खर्च करके बाढ़ आश्रय स्थल बनाए जा रहे हैं.नवहट्टा प्रखंड के बरियाही गाँव में 1 करोड़ 09 लाख 82 हजार और रायपुर गाँव में 1 करोड़ 2 लाख 48 हजार खर्च करके बाढ़ आश्रय स्थल बना रहे हैं.सलखुआ प्रखंड के अलानी गाँव में 1 करोड़ 35 लाख 12 हजार खर्च करके बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण कराया जा रहा है.अब एक बड़ी बात की आपको जानकारी आपको दूँ.सलखुआ प्रखंड के चानन गाँव में बाढ़ आश्रय स्थल के निर्माण के लिए सम्बंधित विभाग के इंजीनियर ने 42 लाख 91 हजार रूपये की प्राक्कलित राशि दी लेकिन जिला प्रशासन की दिलेरी देखिये की उन्होनें इस राशि को बढ़ाकर 89 लाख 44 हजार करके स्वीकृति दी.
अब सहरसा की उन तीन जगहों के बारे में बताऊँ जहां करीब डेढ़ करोड़ की सरकारी राशि का बेजा दुरूपयोग हुआ है.कुसहा त्रासदी के बाद बाढ़ पीड़ितों को शरण देने के लिए सहरसा के बैजनाथपुर और जिला मुख्यालय की दो जगह कोसी प्रोजेक्ट और पटेल मैदान में डेढ़ करोड़ से ज्यादा खर्च करके एक साथ तीनों जगहों पर बाढ़ आश्रय स्थल के निर्माण कराये गए थे.लेकिन विडम्बना देखिये की उस आश्रय स्थल में आजतक एक भी पीड़ित आकर शरण नहीं ले सके और ये तीनों आश्रय स्थल पूरी तरह से बर्बाद हो गए.क्षेत्र के लोग या फिर विभागीय लोग यहाँ के चदरे और खम्भे तक नोंच के ले जा चुके हैं.अब इस जगह को स्थानीय लोग मवेशी बाँधने के काम में लाते हैं.यह जगह अपनी बदहाली के लिए आखिर किसे कोसे.
जाहिर तौर पर यह बाढ़ आश्रय स्थल के दो चेहरे हैं जो व्यवस्था से एक साथ कई सवाल कर रहे हैं.क्या नीतीश कुमार को अपनी सेवा यात्रा के दौरान इन जगहों पर नहीं जाना चाहिए था.आखिर इसकी ऐसी दुर्दशा क्यों,इसकी जबाबदेही कौन लेगा.सरकारी धन के बेजा दुरूपयोग की आखिर किसने इजाजत दी.सरकारी ज़मीन को कब तक ये बर्बाद शेड घेर कर रखेंगे.क्या आगे इन जमीनों का कोई सदुपयोग होग....

जनवरी 05, 2012

तबेले में स्कूल School In The Stable

तबेले में स्कूल

चलता--फिरता स्कूल
यूँ तो पूरे सूबे में लचर और बदहाल शिक्षा व्यवस्था बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की नयी ईबारत लिख रहा है लेकिन खासकर के सहरसा में शिक्षा की बदहाली सरकार की किरकिरी कराने के साथ--साथ शिक्षा इंतजामात की पोल भी खोल रहा है.गौरतलब है की  सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड अंतर्गत लक्ष्मीपुर गाँव के शर्मा टोला स्थित एक प्राथमिक विद्यालय ज़मीन और भवन के अभाव में एक तबेले में चल रहा है.भविष्य के सतरंगी सपने सहेजे मासूम बच्चे यहाँ जानवरों के शौच और विभिन्य तरह की नाफ फाडू गंदगी के बीच पढाई करने को विवश हैं.इस तबेले वाले स्कूल में बच्चे, शिक्षक और परिजन सब के सब मजबूर हैं.हद की इंतहा तो यह है यह स्कूल मौसम के मिजाज के अनुकूल जगह भी बदलता रहता है और तब इसके हालत इससे भी बदतर होते हैं.जाहिर तौर पर इसे चलता--फिरता स्कूल भी कह सकते है.ये भी कहने में हमे कतई गुरेज नहीं होगा की ये कही अधुकीकरण का प्रभाव तो नहीं है.
बदहाल शिक्षा और दफ़न होते भविष्य के सपने.यही है सहरसा की शिक्षा व्यवस्था का काला सच.परघट प्रखंड अंतर्गत शर्मा टोला स्थित उत्क्रमित प्राथमिक  इस विद्यालय को ना तो अपनी ज़मीन है और ना ही अपना भवन.यह लावारिश और खानाबदोस विद्यालय है.गाय---बछड़े,बकरी सहित कई और जानवर बांधे जाने वाले इस तबेले में स्कूल का संचालन हो रहा है.हर तरफ ना केवल गंदगी का अम्बार है बल्कि उससे बदबू भी आ रही है लेकिन मासूम नौनिहाल इसी जगह पर पढने को विवश हैं.स्कूल के शिक्षक का कहना है की चूँकि इस विद्यालय को अपनी ज़मीन और अपना भवन नहीं है तो इसी जगह पर विद्यालय संचालित करना उनकी मज़बूरी है.इस विद्यालय में पढाई का यह आलम है तो मिड डे मिल योजना किस तरह चल रही होगी,इसे समझा जा सकता है.बारिश होने पर यह विद्यालय इस जगह से भी हटा लिया जाता है.उस वक्त यह विद्यालय इस तबेले से भी बड़े तबेले में संचालित किया जाता है.उछल--कूद करने के बाद भी स्कूल के शिक्षक इसे चलता--फिरता विद्यालय नहीं मानते हैं.कहते हैं की सरकार द्वारा तय समय तक उन्हें रोज स्कूल में तो रहना ही पड़ेगा.
में आपको बताते चालू बिहार में विकास का मूल्यांकन सिर्फ  सूबे के इर्द गिर्द बन रहे रोड और नए नए योजनाओ का आगाज होना ही विकास है.बिहार में सुशासन में कुछ भी ही उसे जायज ही समझना होगा.सुशासन की जय हो का नारा बुलंद करना ही होगा. नहीं तो सूबे के मुखिया नीतीश जी बुरा मान..अरे भाई स्कूल खुले हैं तो भवन आज नहीं तो कल बन ही जायेंगे....कम से कम बच्चे अभी पढने का रियाज तो कर ही रहे हैं.आपको क्या आपति हो
रही है.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।