मार्च 31, 2013

नर्स के साथ गैंगरेप

रिपोर्ट सहरसा टाइम्स:  एक तरफ जहां रेप और गैंगरेप के मामले को लेकर पुरे देश में ना केवल खलबली मची हुयी है बल्कि लोग इसके लिए कठोरतम दंड के कानून बनाए जाने की जिद पर भी अड़े हैं।लेकिन सहरसा में रेप और गैंगरेप के मामले में कमी होने की जगह ईजाफा होता ही दिख रहा है।बीती रात सदर थाना के हटिया गाछी स्थित एक निजी नर्सिंग होम जनता पॉली क्लिनिक में कार्यरत प्राईवेट नर्स ----- क्लिनिक से फकीर टोला स्थित अपने घर लौट रही थी।उसी दौरान पहले से घात लगाए तीन लोगों ने उसे दबोच लिया और बगल के ही एक बगान में ले जाकर बारी---बारी से उसके साथ गैंगरेप किया। गंभीर स्थिति में पीड़िता को रात में ही सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसका ईलाज चल रहा है।पैसे की खातिर एक तरफ जहां पीड़िता के पति जयपुर में नौकरी कर रहे हैं वहीँ उसके दो मासूम बच्चे नाना---नानी के यहाँ पल रहे हैं।दो पैसे की जुगात में .....प्राईवेट नर्स की नौकरी कर रही थी।रो--रोकर वह अपने साथ घटी घटना को तफसील से बता रही है।उसके साथ गैंगरेप करने वाले तीनों आरोपी क्लिनिक के आसपास के ही रहने वाले हैं।...... बता रही है की रात में मेडिकल जांच के लिए उसका पेटीकोट महिला पुलिस ने लिया था लेकिन अभीतक उसे दुसरा पेटीकोट नहीं दिया गया है।वह रात से सिर्फ साड़ी में है।पीड़िता यह भी बता रही है की रात में जिस शख्स ने उसे ईलाज के लिए सदर अस्पताल लाया था,पुलिस ने उसे भी थाने में बंद कर दिया है। 
पुलिस के अधिकारी बता रहे हैं की पीड़िता के बयान पर तत्काल आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन पुलिस ने इस घटना के सूचक फिरोज को भी थाने में बिठा रखा है।पुलिस सूत्रों के मुताबिक़ फिरोज और घटना के आरोपियों के बीच पुराना जमीनी विवाद है।पुलिस इस मामले को किसी षड्यंत्र का हिस्सा मानने से भी परहेज नहीं कर रही है।आपको बता दें की पुलिस पीड़िता के पुराने इतिहास को भी खंगाल रही है।जाहिर तौर पर इस मामले में पुलिस फूंक--फूंककर कदम रख रही है।थानाध्यक्ष सह इन्स्पेक्टर सदर सूर्यकांत चौबे को श्वेता के चरित्र पर भी शक है।यानि इस मामले बहुत रहस्य ऐसे हैं हैं जिसपर पर्दा गिरा हुआ है।
मामला बेहद संवेदनशील और बड़ा है।पुलिस अधिकारियों के लिए मामले की तह तक जाकर मामले का पटाक्षेप करना आगे आसान नहीं होगा।यूँ बताते चलें की सहरसा जिले में इस घटना से पूर्व अभीतक रेप और गैंगरेप की सात घटना घट चुकी थी यह आठवीं घटना है वह भी गैंगरेप की।

मार्च 30, 2013

बनगांव की बेमिशाल घुमौर होली

सहरसा टाइम्स:  आपने ब्रज,वृन्दावन और बरसाने की मनोरंजक और यादगार होली तो जरुर देखी होगी लेकिन हम आपको सहरसा जिले के बनगांव में सत्रहवीं शताब्दी से मनाई जाने वाली सामूहिक हुडदंगी घुमौर होली का अदभुत नजारा दिखाने जा रहे हैं जहां हजारों की तायदाद में विभिन्य गाँवों के लोग एक जगह जमा होकर रंगों में डुबकियां लगाते हैं.हिन्दू--मुस्लिम और विभिन्य वर्ण--जातियों के लोगों का हुजूम किसी किवदंती की तरह एक जगह जमा होकर आपसी भाईचारे और मैत्री का ऐसा परचम लहराते हैं जिसे देखकर पूरे भारतवर्ष को गर्व होगा.इस होली की एक ख़ास बात यह है की यह होली से एक दिन पूर्व ही मनाई जाती है.बरसाने और नन्द गाँव जहां लठमार होली संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है वहीँ बनगांव की घुमौर होली की परम्परा आज भी कायम है.इस विशिष्ट होली में लोग एक दुसरे के काँधे पर सवार होकर,लिपट-चिपट और उठा--पटक करके रंग खेलते और होली मनाते हैं.बनगांव के विभिन्य टोलों से होली खेलने वालों की टोली सुबह ग्यारह बजे तक माँ भगवती के मंदिर में जमा होती है और फिर यहाँ पर होली का हुड्दंग शुरू होता है जो शाम करीब चार बजे तक चलता है. इस होली में यहाँ MLA,MP,मंत्री सहित देश के विभिन्य क्षेत्रों में ऊँचे पदों पर पदस्थापित क्षेत्रीय लोग भी आते हैं.
देश के स्वाभिमान और समरसता का ऐसा नजारा कहीं भी देखने को नहीं मिल सकता है जहां हिन्दू--मुस्लिम और सभी जातियों के लोग इस तरह मिलकर पर्व का आनंद एक साथ उठा रहे हों. प्रेम,भाईचारे और आपसी द्वेष को खत्म कर जिन्दगी की नयी शुरुआत करने का सन्देश देने वाले इस महान पर्व होली के सार्थक और आदर्श रूप सहरसा के बनगांव में निसंदेह आज भी सिद्दत से मौजूद हैं जिससे पुरे देश को सीख लेनी चाहिए.सहरसा टाईम्स की तरफ से पूरे देशवासियों को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं.

मार्च 25, 2013

अस्पताल में बेइंतहा लापरवाही एक्सक्लूसिव

बीते 20 मार्च को ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथ और एक पाँव गंवा चुकी गंभीर रूप से जख्मी अज्ञात महिला का नहीं हो रहा इलाज///मुकेश कुमार सिंह///
सदर अस्पताल सहरसा इनदिनों लापरवाही और बदइन्तजामी के अपने सारे पुराने रिकॉर्ड्स को ध्वस्त करने पर न केवल आमदा दिख रहा है बल्कि लापरवाही और बदइन्तजामी की नयी और भयानक ईबारत भी लिख रहा है।बीते 20 मार्च को ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथ और एक पाँव गंवा चुकी गंभीर रूप से जख्मी एक अज्ञात महिला आपातकालीन कक्ष के एक कोने में पड़ी न केवल तड़प रही है बल्कि मौत के मुहाने पर खड़ी है।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की उसके पुरे शरीर पर मख्खियाँ भिनभिना रही है और उसके शरीर से नाक फाड़ू बदबू निकल रहे हैं लेकिन उसका इलाज नहीं हो रहा है।सहरसा टाईम्स की दखल के बाद ना केवल विरोधी दलों के नेताओं ने इस पीडिता के लिए पुरजोर आवाज उठायी बल्कि हमारी दखल के बाद मौके पर तुरंत सिविल सर्जन पहुंचे और आनन---फानन उसका ईलाज शुरू हुआ।
सहरसा टाईम्स, सिविल सर्जन और राजद नेता  मोहम्मद ताहिर 
सहरसा टाईम्स की पुरजोर दखल के बाद विरोधी दलों के नेताओं का अस्पताल में जमावाडा लगने लगा।राजद के जिलाध्यक्ष मोहम्मद ताहिर पहले तो अस्पताल प्रशासन पर जमकर बरसे और फिर कहा की वे राजद के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद से तुरंत बात करके इस वीभत्स स्थिति से ना केवल उन्हें अवगत करायेंगे बल्कि इसको लेकर वे उग्र आन्दोलन भी करेंगे।इन्होने सहरसा टाईम्स को इस मानवीय दखल के लिए धन्यवाद भी दिया। इन्होनें कहा की सहरसा टाईम्स के दखल के बाद ही उन्हें इस घटना के बारे में जानकारी मिल पायी।
सहरसा टाईम्स के लगातार फोन से परेशान सिविल सर्जन डॉक्टर भोला नाथ झा डेढ़ घंटे के बाद सदर अस्पताल पहुंचे।सच की एक्सक्लूसिव तस्वीर  देखिये हमारे कैमरे के सामने और हमारी मौजूदगी में विरोधी दल के नेता उनका किस तरह से क्लास लगा रहे हैं।हमने भी कई सवाल उनसे किये।देखिये सच की इस नंगी तस्वीर को।हमारे सामने इस पीडिता की मरहम---पट्टी और इलाज किस तरह से शुरू हुआ है।इस तमाम कवायद के बाद भी सिविल सर्जन खुद को या फिर स्वास्थ्य महकमा को कहीं से भी लापरवाह मानने को तैयार नहीं हैं। इस करमजली महिला की जिन्दगी आगे बच सकेगी की नहीं इसपर तो हम कोई शब्द फिलवक्त नहीं दे पायेंगे लेकिन एक बार सहरसा टाईम्स ने फिर से सामाजिक सरोकार के अपने दायित्व का निर्वहन किया,हम यह जरुर कहेंगे। मरीज की जान बची वह भी ठीक चली गयी वह भी ठीक।यहाँ हम नहीं सुधरेंगे,चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाए।तमाम बदरंग आलम के बाबजूद सहरसा टाईम्स सच की मुखालफत करते हुए बार--बार ऐसी तस्वीरों के साथ आपके सामने आता रहेगा।हम अपना प्रयास तबतक जारी रखें जबतक सिस्टम के तमाम वाहियात छेद बंद नहीं हो जाते।

मार्च 22, 2013

स्कूल से खींचकर दो भाईयों को मारी चाक़ू

पुलिस और कानून का कोई डर नहीं,बेख़ौफ़ अपराधी जहां चाहें वहाँ घटना को दे रहे अंजाम........

सहरसा टाइम्स: जब पुलिस और कानून का खौफ कम हो जाए तो अपराध का सर चढ़कर बोलना लाजिमी है। आज दिन--दहाड़े सदर थाना के तिवारी टोला स्थित मध्य विद्यालय से दो सगे भाईयों को खींचकर अपराधियों ने पहले तो लाठी---डंडे से पीटकर अधमरा कर दिया और जब उससे भी बात नहीं बनी तो उनदोनों को चाक़ू भी मार दी।छोटा भाई सौरभ इस घटना में गंभीर रूप से जख्मी हुआ है।दोनों जख्मियों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनदोनों का इलाज चल रहा है।एक तरफ जहां पीड़ित दोनों भाई इस घटना को बेवजह अंजाम देने की बात कर रहे हैं तो वहीँ दूसरी तरफ पुलिस अधिकारी पीड़ित के बयान पर मामला दर्ज कर कारवाई करने की बात कर रहे हैं।
सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में सदर थाना के डूमरैल गाँव के रहने वाले दोनों जख्मी भाईयों का इलाज किया जा रहा है।सुमित अपने छोटे भाई की वार्षिक परीक्षा दिलाने के लिए उसे स्कूल लेकर गया था।एक पारी की परीक्षा जैसे ही खत्म हुयी वैसे ही तीन युवकों ने दोनों भाईयों को स्कूल से खींचकर बाहर निकाला और लाठी से उनकी पिटाई शुरू कर दी।यही नहीं इन दोनों पर चाक़ू से भी हमले किये गए।देखिये सौरभ के चेहरे और सुमित की ऊँगली को।सौरभ को गंभीर चोटें आई हैं।ये दोनों पीड़ित भाई घटना में संलिप्त एक युवक को पहचाने की बात कर रहे हैं लेकिन घटना के कारण को लेकर वे पूरी तरह से अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं।
पुलिस के अधिकारी सूर्यकांत चौबे,थानाध्यक्ष सह इन्स्पेक्टर सदर का कहना है की घटना घटी है।पीड़ित के बयान पर मामला दर्ज किया जा रहा है।जिनके नाम इस मामले में आ रहे हैं उनके विरुद्ध छापामारी करके उनकी शीघ्रता से गिरफ्तारी की जायेगी।अब इस जिले में आमलोगों का अमन--चैन और जिन्दगी किसी भी सूरत में सुरक्षित नहीं है।पुलिस का कहीं कोई भय या खौफ नहीं है और यही वजह है की अपराधी बेलगाम हैं।यह पूरी तरह से साफ़--साफ़ दिख रहा है की दिन और रात का अंतर खत्म करते हुए अपराधी घटना दर घटना को अंजाम दे रहे हैं।

घंटों लगा रहा जाम

 एक मोहल्ले की जानलेवा सड़क को लेकर लोगों का फूटा गुस्सा
रिपोर्ट सहरसा टाइम्स: बीते दस वर्षों से एक अदद बेहतर सड़क के लिए तरसते और जानलेवा बनी सड़क से लगातार हादसों के शिकार होते रहने वाले सदर थाना के अनुराग गली के सैंकड़ों परिवारों ने एक साथ हल्ला बोला और जिला मुख्यालय के सबसे महत्वपूर्ण डी.बी.रोड को बांस की टाटी और बांस--बल्ले से घेराबंदी करके जाम लगा दिया। इस जाम से यातायात पूरी तरह से ना केवल बाधित हो गया बल्कि आमलोगों के जीवन की रफ़्तार एक तरह से थक सी गयी।सहरसा के डी.एम सतीश चन्द्र झा किसी मीटिंग में व्यस्त थे और सुचना के बाबजूद वे तत्क्षण मौके पर नहीं पहुँच सके।
डी.बी.रोड और गांधी पथ को जोड़ने वाली इस अनुराग गली से गुजरें,ज़रा संभल के।क्योंकि ना जाने कितने अपने हाथ--पांव तुड्वा चुके हैं।नोट में लिखा हुआ है की रात में ना ही गुजरें।निवेदक में पीड़ित संघ का जिक्र है।यह सारा ताम--झाम यह जाहिर करने के लिए काफी है की लोग लम्बे समय से पीड़ित और परेशान हैं।इस गली में सैकड़ों रसूखदारों के परिवार बसते हैं जिन्हें मुक्ति की दरकार है।इस मोहल्ले के लोग बताते हैं की अबतक इस गली में सैंकड़ों लोग दुर्घटना ग्रस्त होकर अपना हाथ--पैर तुड्वा चुके हैं।अब वे आजिज आ चुके हैं।जब कोई रास्ता नहीं बचा तो आज इनलोगों ने जाम किया।आप भी देखिये इस गली की सड़क का नजारा।देखिये नाला के मेनहोल के लगभग सारे चेंबर या तो खुले हैं या फिर क्षतिग्रस्त हैं।रात की बात तो छोडिये यहाँ दिन में सुरक्षित गुजरना मुमकिन नहीं है।
दोपहर बाद करीब तीन बजे डी.एम सतीश चन्द्र झा जाम स्थल पर पहुंचे और खुद से उस जानलेवा गली का मुआयना किया।डी.एम इस गली का नजारा देखकर ना केवल भौचक हुए बल्कि नगर परिषद् पर कई सवाल भी खड़े किये।डी.एम ने गली से गुजरने वाले परिवारों को आश्वस्त किया की अतिशीघ्र ना केवल गली की सड़क को दुरुस्त किया जाएगा बल्कि गली का नाला जो बीच सड़क होकर गुजरती है उसके लिए तकनीकी इंतजाम भी किये जायेंगे। आखिरकार यह जाम साढ़े तीन बजे दिन में खत्म कराया जा सका। इनके भरोसे के बाद लोगों ने जाम को खत्म किया।लोगों के आक्रोश को इन्होनें बिल्कुल जायज ठहराया।
 इस गली की सड़क महज एक बानगी है।जिला मुख्यालय में ऐसी कई सड़कें हैं जो विगत कई वर्षों से जानलेवा बनी लोगों को लीलने का न्योता दे रही है।

मार्च 21, 2013

आखिर नीतीश बाबू किसे देंगे बकरी और मुर्गी

मुफलिसी और फटेहाली में जार--जार जिन्दगी को बकरी और मुर्गी के पैबंद लगाएगी सरकार//मुकेश कुमार सिंह की कलम से--
इनदिनों बिहार सरकार खुद को गरीबों का तारणहार साबित करने के किसी हद तक जाने को तैयार दिख रही है। इसी कड़ी में सूबे के हाकिम नीतीश बाबू गरीबी दूर भगाने का एक नया नुख्सा लेकर हाजिर हुए हैं। कई लाख गरीब परिवारों को एक साथ सरकार बकरी और मुर्गी देने जा रही है जिसको पालकर गरीब आर्थिक समृधि लाने का नया इतिहास गढ़ेंगे।जाहिर तौर पर मुफलिसी और फटेहाली में जार--जार जिन्दगी को अब बकरी और मुर्गी के पैबंद लगाएगी सरकार।लेकिन इस नयी सरकारी कोशिश को लेकर निरीह गरीबों का कहना है की जहां उनके और उनके बच्चों को रहने और खाने का कोई इंतजाम नहीं है वहाँ वे इन सरकारी बकरियों और मुर्गियों को कहाँ रखेंगे।इन गरीबों की मानें तो ये सरकारी बकरी और मुर्गी उनके लिए आगे नयी मुसीबत साबित होगी।यही नहीं ये गरीब साफ़ लहजे में सरकार की इस पहल को फुसलाने की कोशिश भी बता रहे हैं।
कोसी का यह इलाका हर साल कोसी की बाढ़ और सुखाड़ दोनों को एक साथ झेलता है।एक तरफ कोसी तबाही लाती है तो दूसरी तरफ सुखा सुख--चैन को डंसता है।हम आपको कोसी नदी द्वारा हर साल लायी जाने वाले तबाही की कुछ तस्वीरों से पहले आपको रूबरू करा रहे हैं।आप को यह जानकार कतिपय हैरानी होगी की पूर्वी और पश्चिमी कोसी तटबंध के भीतर सहरसा जिले की साढ़े चार लाख से ज्यादे की आबादी बसती है।यह वह आबादी है जो हर साल कोसी की विभीषिका झेलती है।बसना और उजाड़ना इस इलाके की सालाना नियति बनकर रह गयी है।
हम आपको नवहट्टा प्रखंड के पहाड़पुर के समीप कोसी रिंग बाँध पर पिछले तीन वर्षों से बसे बाढ़ विस्थापितों के बदरंग और मुश्किलों से भरे जीवन की तस्वीर दिखा रहे हैं।देखिये इनके तंग जीवन को।नाम के घर में यहाँ जिन्दगी किसी तरह बस रेंग रही है।सरकार की बड़ी और कालजयी योजनाओं का लाभ इन जरुरतमंदों तक आजतक नहीं पहुंचा है।देखिये इनके बेजार जीवन को।इनके जीवन कर हर रंग उतरा हुआ है।बाढ़ के समय कैसे लोग ऊँची जगहों पर आकर सर छुपाने के लिए कवायद करते हैं।कैसे मुसीबत में फंसे परिवार नाम का ही सही एक घर बनाने की कवायद करते हैं,हम उसकी तस्वीर भी आपको दिखा रहे हैं।हम बाढ़ जब आती है उस वक्त का मंजर कैसा होता है,उसका नजारा भी दिखा रहे हैं।हम महज कुछ तस्वीरें महज बानगी के तौर पर आपको दिखा रहे हैं।हजारों बाढ़ विस्थापित परिवार नवहट्टा प्रखंड अन्य जगहों पर,सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड,सलखुआ और बनमा इटहरी प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के आसपास ऊँची जगह पर यत्र---तत्र आज तक पड़े हुए हैं।कोई भी उनकी सुधि लेने वाला नहीं है।अब सरकार गरीबों के दिन फिराने की जुगात में बकरी औरे मुर्गी लेकर आई है।जहां खुद की और बच्चों की जिन्दगी बचानी पहाड़ खोदकर दूध निकालने के सामान हो वहाँ ये मुर्गिया और बकरी कितनी कारगर होंगी।ये गरीब और निरीह लोग बड़े साफ़ लहजे में कह रहे हैं की उन्हें खुद के रहने का तो कोई इंतजाम ही नहीं है वे बकरी और मुर्गियों को रखेंगे कहाँ और खिलाएंगे क्या। उर्मिला देवी,बुचनी देवी,नाथो देवी और जनार्दन पासवान जैसे कई गरीब ऐसे हैं जिनकी नजर में सरकार उन्हें फुसला रही है।
आजादी के तुरंत बाद से गरीबों पर जो शोध शुरू हुआ वह आज तक अनवरत जारी है।सियासतदान इन गरोबों के दम से आजतक ना केवल अपनी सियासत चमकाते रहे हैं बल्कि सत्ता की सीढियां चढ़---चदकर शीर्ष तक भी पहुंचे हैं।बकरी और मुर्गी से इन गरीबों का कहीं से भी भला होता नहीं दिख रहा है।गरीब इसे आगे अपने जी का जंजाल और गले में लगी घंटी की नजर से देख रहे हैं।जाहिर तौर पर एक बड़ी लूट की योजना की पृष्ठभूमि लगभग तैयार है आगे इसकी पटकथा लिखी जायेगी।अभी से भय और संसय काबिज है की आगे यह बकरी और मुर्गी डकार योजना साबित होगी।

मार्च 20, 2013

बिटिया की अस्मत के उड़े चिथड़े

स्कूली छात्रा के साथ तीन युवकों ने किया मुंह काला / तीनों आरोपी गिरफ्तार
सहरसा टाइम्स:  एक बार फिर एक बिटिया की अस्मत के चिथड़े उड़े जिसने ना केवल पुरे सहरसा को बल्कि पूरी इंसानियत को शर्मसार करके रख दिया।  सौर बाजार थाना के भुलिया गाँव की रहने वाली यह बच्ची बीते कल दस बजे दिन में अजगैबा मध्य विद्यालय अपना वार्षिक इम्तिहान देने जा रही थी।बगल के गाँव भेलवा के नहर के समीप यह जैसे ही पहुंची की भेलवा गाँव के ही तीन युवक ओमन यादव,दीपक यादव और संजीत यादव ने उसे दबोच लिया और जबरन उसे उठाकर बगल के गेंहूँ की खेत में लेकर चले गए।फिर इंसानियत और मानवता के सारे मजबूत पाए एक साथ भरभरा कर गिर गए।मासूम बच्ची चीखती--चिल्लाती रही लेकिन जिश्म के ये भूखे भेड़िये बेफिक्र होकर उसे नोचते रहे।अस्मत लुटाई यह बच्ची किसी तरह वहाँ से निकली और रास्ते में मिली चार लड़कियों से अपनी आपबीती सुनाई।उन लड़कियों ने इस घटना की सुचना बबली के परिजनों को दिया।परिजन आये और जीवन भर के लिए जख्म खायी अपनी बच्ची को लेकर सीधे थाना पहुंचे।थानाध्यक्ष ने बिना वक्त गंवाए भेलवा गाँव को पूरी तरह से घेराबंदी करके तीनों आरोपी युवकों को दबोच लिया। पीड़िता बता रही है की उसके साथ ओमन ने पहले दुष्कर्म किया,फिर दीपक ने उसकी अस्मत के चिथड़े उड़ाये। तीसरा युवक संजीत यादव वहाँ खडा था और अपने साथियों के सहयोग में जुटा हुआ था। बबली को सदर अस्पताल लाया गया है जहां पहले उसका मेडिकल परिक्षण कराया जाएगा उसके बाद न्यायालय में उसका 164 के तहत बयान कराया जाएगा।
मुख्य विलेन ओमन यादव
इस घटना का षड्यंत्र और उसको अंजाम देने वाला मुख्य विलेन ओमन यादव है जिसने अपने दोस्तों के सहयोग से इस घटना को अंजाम देने का पहले प्लानिंग किया,फिर बेरहमी से इस घटना को अंजाम दिया।दुष्कर्मी ओमन बताता है की उसने और दीपक ने उसके साथ गेंहूँ की खेत में बलात्कार किये।सहरसा के पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी ने इस घटना के बाबत पूरी जानकारी देते हुए कहा की दो दुष्कर्मियों ने इस घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकारी है।सौर बाजार थाना में काण्ड अंकित है।जल्द ही इस काण्ड का पुलिस चार्जसीट अदालत को समर्पित करेगी और स्पीडी ट्रायल करवाकर इन्हें जल्द से जल्द सजा कराएगी।
19 दिसंबर 2012 को सहरसा के बेलवारा गाँव में दस वर्षीय दलित बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हुयी उसकी निर्मम ह्त्या के दुःख से अभी सहरसावासी उबरे भी नहीं थे की एक गहरा सदमा फिर आ लगा।आखिर पल भर की जिश्मानी भूख मिटाने लिए लोग दुसरे को जिन्दगी भर का दर्द और मातम क्यों देते हैं।यह ऐसा अपराध है जिसमें मुकम्मिल जिश्म अपराधी होता है,इस अपराध को रोकने के लिए कठोर कानून के साथ--साथ  अन्तः मन में विराट परिवर्तन की जरुरत है।

मार्च 19, 2013

हम तो लुट गए

 डी.एम सतीश चन्द्र झा
रिपोर्ट सहरसा टाईम्स: मैट्रिक की होने वाली गणित परीक्षा के प्रश्न--पत्र लिक हो चुके हैं की अफवाह फैलाकर फर्जी प्रश्न--पत्र और उसके उत्तर तैयार कर पांच हजार में शिक्षा माफियाओं द्वारा बेचे गए।हांलांकि बिक्री की यह मोटी कीमत  गिरकर दो सौ रूपये तक आ गयी।अपने बच्चों का रिजल्ट हर हाल में अच्छा करवाने की फिराक में जुटे बच्चों के परिजनों ने लिक प्रश्न--पत्र बड़ी उम्मीद से खरीदे थे। सहरसा जिला मुख्यालय का हर चौक--चौराहा काफी गर्म था और छुप--छुपके प्रश्न--पत्र बेचे जा रहे थे। सहरसा टाईम्स ने इस गोरखधंधे की जानकारी सुबह साढ़े आठ बजे सहरसा के डी.एम सतीश चन्द्र झा को दी। सहरसा टाईम्स के साथ वे खुद परीक्षा केंद्र पर पहुंचे और लिक प्रश्न--पत्र का मिलान परीक्षार्थियों के बीच वितरित प्रश्न--पत्र से किया। एक भी प्रश्न का मिलान नहीं हुआ और लोग बड़ी बेरहमी से ठगे गए।लोगों को जब इस ठगी का पता चला तो उनके हाथ--पाँव फुल गए और वे बस अपनी किस्मत को कोसने लगे।लोगों के लाखों रूपये शिक्षा माफिया एक झटके में चट कर गए।
सहरसा टाईम्स के साथ परिजन
बताते चलें की तक़रीबन हर परीक्षा में बीते दस वर्षों से यह खेल चल रहा है लेकिन सहरसा का जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन इस धंधे को रोकने और धंधेबाजों को गिरफ्त में लेने में कामयाब नहीं हो सका है।लोगों का तो अब यहाँ तक कहना है की ऐसे खेल में पुलिस--प्रशासन के लोग खुद शामिल हैं।सहरसा में शिक्षा माफियाओं का एकछत्र राज है।पिछले एक दशक से यह गोरखधंधा यहाँ चल रहा है लेकिन पुलिस---प्रशासन इसपर लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकामयाब है। शिक्षक पात्रता परीक्षा और नवोदय के प्रश्न पत्र बीते वर्ष लिक हुए हुए थे जिसके सच होने के प्रमाण भी जिला प्रशासन को मिले थे लेकिन फिर भी किसी तरह की कारवाई कराने में जिला प्रशासन सक्षम साबित नहीं हुआ।जाहिर सी बात है की शिक्षा माफिया पुलिस--प्रशासन पर पूरी तरह से भारी हैं।

मार्च 18, 2013

रंजिश में गिरी लाश

 रिपोर्ट सहरसा टाइम्स:  बीती रात सहरसा के सौर बाजार थाना के अर्राहा नहर के समीप पहले से घात लगाए अपराधियों ने एक मोटरसाईकिल से अपने दो बच्चे और पत्नी के साथ घर लौट रहे एक युवक पर ताबड़--तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी।इस गोलीबारी में 30 वर्षीय रिंकू देवी और उनका आठ वर्षीय मासूम बेटा प्रांजल कुमार दोनों गोली लगने से मौके पर ही मारे गए जबकि रिंकू के पति अरविन्द यादव उर्फ़ बौआ यादव गंभीर रूप से जख्मी हो गए जिन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।इस भीषण खूनी हादसे में छः वर्षीय मासूम प्रांशु कुमार बाल--बाल बच गया है जिसे किसी तरह की चोट तक नहीं आई है।घटना के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ आपसी पुरानी रंजिश में खून के इतने गहरे छींटे उड़े जिसमें दो इंसानी जान देखते ही देखते इस दुनिया को अलविदा कह गए।
जख्मी अरविन्द यादव अपने बेटे का मधेपुरा से इलाज करवा के अपने गाँव सौर बाजार थाना के अर्राहा गाँव लौट रहे थे की यह खूनी वारदात हुयी।अरविन्द के बयान पर गाँव के ही तीन लोगों पर नामजद प्राथमिकी सौर बाजार थाना में दर्ज की गयी है जिसमें से दो की गिरफ्तारी कर ली गयी है।घटना का मुख्य आरोपी सिंटू यादव फरार है।एएक साथ--ठिठौली करके माँ--बेटे कभी बिस्तर पर चैन की नींद सोया करते थे।लेकिन देखिये आज ये दोनों आसपास ही सोये हुए हैं लेकिन उनके जिश्म बेजान हैं।रिंकू और प्रांजल रंजिश की बलि चढ़ चुके हैं।यह वह मोटरसाईकिल है जिसपर सवार होकर ये सभी गाँव लौट रहे थे लेकिन अब ये कभी अपने गाँव नहीं जा सकेंगे।सदर अस्पताल में जख्मी अरविन्द का इलाज चल रहा है।उसे बांह में गोली लगी है। जाहिर तौर पर एक परिवार की सारी खुशियाँ,सारे सपने एक साथ फना हो गए।पुरानी रंजिश और जमीनी विवाद में दो जानें चली गयी।आफत में डूबे इस परिवार के लोग घटना के बाबत जानकारी देते हैं।
इस घटना को लेकर पुलिस के अधिकारी अशोक कुमार दास,एस.डी.पी.ओ,सदर,सहरसा भी साफ़ लहजे में घटना की वजह पुरानी रंजिश और जमीनी विवाद बता रहे हैं।इनकी मानें तो जख्मी अरविन्द यादव के बयान पर तीन लोगों को नामजद आरोपी बनाते हुए सौर बाजार थाना में मामला दर्ज कर लिया गया है।दो आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली गयी है,एक के लिए छापामारी जारी है।मुख्य आरोपी सिंटू यादव फरार है।सभी आरोपी पीड़ित के गोतिया---रिश्तेदार और उसी गाँव के रहने वाले हैं।
कहते हैं की जमीन,घर--मकान और सारा वैभव यहीं रह जाता है और लोग दुनिया से कूच कर जाते हैं।आखिर फिर क्यों लोग इस दुनियावी सामानों के लिए लहू के छींटे उड़ाते रहते हैं।

मार्च 17, 2013

ये शिकंजा ठगी का है या फिर साजिश का


सहरसा टाईम्स : दि कोसी सेन्ट्रल को ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाईटी लिमिटेड में करोड़ों के हेराफेरी मामले में एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा पर आनन--फानन में सदर थाना में काण्ड दर्ज करते हुए जेल भेजने में जो तेजी दिखाई गयी है उससे कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।सबसे पहले हम यह बताना चाहते हैं की इस हेराहेरी मामले में सदर थाना में एम.डी जितेन्द्र मिश्रा सहित सोसाईटी के अध्यक्ष जागो प्रसाद मंडल,बैंक के ऋण प्रबंधक अनुज कुमार सिंह और बैंक प्रबंधक अजय कुमार झा पर धारा 420 और 406 के तहत सदर थाना में मामला हुआ दर्ज है।एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा तो जेल भेज दिए गए हैं लेकिन तीन आरोपी फिलवक्त फरार हैं।इस मामले में जिस तरह से कारवाई चली है उससे उहापोह की स्थिति बन गयी है।साफ़--साफ़ यह समझ पाना मुश्किल है की दि कोसी सेन्ट्रल को ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाईटी लिमिटेड पर ये शिकंजा ठगी का है या फिर साजिश का।एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा सहित तीनों आरोपी इस पुरे मामले को ऋणधारकों की लामबंदी कर गढ़ी गयी साजिश का नतीजा बता रहे हैं।
हवालात में मुख्य आरोपी  जीतेन्द्र मिश्रा
हवालात में फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा एक बार ये फिर से इन्होनें सहरसा टाईम्स के सामने बहुत सारी बातें कही।इनका कहना है की सोसाईटी के ऋण धारकों ने साजिश करके उन्हें जेल भेजने की योजना बनायी और वे ताकतवर निकले और वे जेल जा रहे हैं।उनके जेल जाने से एक तरफ जहां ऋणधारकों से ऋण वसूली में दिक्कत होगी वहीँ खाताधारियों को उनके पैसे चुकाना भी मिल का पत्थर साबित होगा। उन्होने स्थानीय भाजपा  विधायक आलोक रंजन जिन्होनें बीते बृहस्पतिवार को सदन में मामला उठाया था पर आरोप लगाते हुए कहा की वे राजनितिक द्वेष से इस साजिश में शामिल हैं। इन्होने सहकारिता मंत्री के बयान को उनकी विवशता बताते हुए जदयू के सचेतक श्रवण कुमार के द्वारा उनपर लगाए तमाम आरोपों को ना केवल निराधार बताया बल्कि इसको लेकर कहा की वे किसी भी न्यायालय में जाकर खुद को प्रस्तुत करने को तैयार हैं।अगर वे निर्दोष हैं तो भगवान उनकी मदद करेंगे।इन्होनें श्रवण कुमार को पहचानने तक से इनकार किया।बताना लाजिमी है की श्रवण कुमार ने जितेन्द्र मिश्रा पर आरोप लगाते हुए पटना में मीडिया के सामने कहा था की जितेन्द्र मिश्रा बहुत बड़े ठग हैं जिसके तार बिहार और झारखण्ड के कई जिलों तक फैले हुए हैं।यही नहीं इन्होनें मिश्रा पर कई थानों में मुकदमा दर्ज होने की भी बात कही थी।इन तमाम आरोपों को जितेन्द्र मिश्रा ने ना केवल खारिज किया बल्कि तमाम आरोप के लिए वे किसी भी तरह की जांच के लिए खुद को तैयार भी बताया।
सोसाईटी अध्यक्ष जागो प्रसाद मंडल
अब हम आपको करोड़ों के फर्जीवाड़े के दो अन्य आरोपियों से भी मिलवाते हैं।ये दोनों हैं सोसाईटी के अध्यक्ष जागो प्रसाद मंडल और बैंक के ऋण प्रबंधक अनुज कुमार सिंह।सोसाईटी के अध्यक्ष जागो प्रसाद मंडल कह रहे हैं की उनकी सोसाईटी 2004 से निबंधित है।उनके यहाँ कई कार्यक्रम आयोजित हुए जिसमें विधायक,नेता,डी.आई.जी और कमिश्नर तक ना केवल शामिल हुए बल्कि सोसाईटी के द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया।अगर उनकी सोसाईटी फर्जी थी तो उस समय उनपर ऊँगली क्यों नहीं उठाई गयी।जाहिर सी बात है की यह सब साजिश है।बैंक के ऋण प्रबंधक अनुज कुमार सिंह खुलकर बता रहे हैं की उनलोगों ने ऋण धारकों से ऋण वसूलने के लिए शख्ती बरतनी शुरू की और उनपर मुकदमा दायर करना शुरू किया। ऋणधारकों में कई पत्रकार और कई उनके रिश्तेदार,कई नेता और उनके रिश्तेदार के साथ--साथ समाज के रसूखदार शामिल हैं। ऋण देने से वे किसी तरह बच सकें इसके लिए इन्हीं लोगों ने साजिश करके सारा तमाशा किया है।
ऋण प्रबंधक अनुज कुमार सिंह
ऋण प्रबंधक अनुज कुमार सिंह के द्वारा कुल 33 ऋणधारकों पर सदर थाना में अभीतक मामला दर्ज हुआ है।कई लोग कतार में हैं जिनपर मुकदमा दर्ज होना अभी बांकी है।50 करोड़ से ज्यादा का फर्जीवाड़ा का यह मामला बना है।जाहिर सी बात है की मामला काफी बड़ा है।          हम इसे बड़ा से ज्यादा चौंकानेवाला मामला कहेंगे चूँकि इसके पर्दाफ़ाश करने वाले विरोधी दल के नेता--मुल्ला नहीं बल्कि सत्ताधारी जदयू और भाजपा दोनों दल के विधायक और मंत्री हैं। करोड़ों के फर्जीवाड़े का मामला है।इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और इस सोसाईटी के जितने लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं सभी पर कड़ी कारवाई होनी चाहिए।लेकिन सहरसा टाईम्स एक बड़ा सवाल खडा कर रहा है जिसका जबाब सरकार को देना होगा।यह सोसाईटी 2004 से चल रहा था।जब यह सोसाईटी फर्जी था तो आखिर किस-किस के आशीर्वाद से यह बीते नौ वर्षों से फल--फुल रहा था,इसे भी जानना जरुरी है।अचानक इस सोसाईटी में कोई ठगी या बुराई नहीं आई होगी।इस मामले को हल्के में लेना अब कहीं से भी मुनासिब नहीं होगा।जनता को पूरा सच देखना है और सरकार की जिम्मेवारी है की वह पुरे सच को सामने लाये।

मार्च 16, 2013

करोड़ों के फर्जीवाड़े से सम्बन्धित खास जानकारी

करोड़ों के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ से सम्बन्धित खास जानकारी -------------

सहरसा टाईम्स : दि कोसी सेन्ट्रल को ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायिटी लिमिटेड में करोड़ों के गबन---फर्जीवाड़े मामले में आर्थिक अनुसंधान और सहकारिता विभाग की दो अलग---अलग टीम पटना से सहरसा के लिए रवाना।यूँ मिली जानकारी के मुताबिक़ सरकार के निर्देश पर बीते बुधवार से सहरसा सहकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक जवाहर प्रसाद सिंह ने एक टीम बनाकर पहले से सोसाईटी की जांच शुरू करा रखी है। जानकारी के मुताबिक़ कोसी प्रमंडल के सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले में दि कोसी सेन्ट्रल को ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायिटी लिमिटेड की पहले से ही कई शाखाएं हैं कार्यरत।सहरसा में प्रधान शाखा के अलावे सोनवर्षा,नवहट्टा और सिमरी बख्तियारपुर में हैं सोसाईटी की शाखाएं।इस सोसायटी ने जहां मध्रेपुरा में जिला मुख्यालय सहित मुरलीगंज,उदा किशुनगंज,आलम नगर,पुरैनी और बिहारीगंज वहीँ सुपौल में जिला मुख्यालय के अलावे सिमराही,वीरपुर, त्रिवेणीगंज, निर्मली,और कुनौली में शाखाएं खोल रखे हैं।अभीतक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ कोसी प्रमंडल के तीनों जिलों की बात करें तो लोगों की 50 करोड़ से ज्यादा की राशि इस सोसाईटी में जमा हैं।विश्वस्त सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ गिरफ्तार एम डी जीतेन्द्र मिश्रा पर बिहार के बेगुसराय,दरभंगा और खगड़िया सहित झारखण्ड के जमशेदपुर में फर्जीवाड़े के अलावे कई अन्य गंभीर आरोप में मामले दर्ज हैं।कोसी रेंज के डी.आई.जी संजय कुमार सिंह के निर्देश पर विभिन्य मुद्दों पर पुलिस की जांच हुयी तेज।एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा की पूरी कुंडली निकालने में जुटे पुलिस के अधिकारी सम्बद्ध थानों से संपर्क कर एम.डी पर दर्ज मामलों की जानकारी लेने में जुटे हुए हैं।वर्ष 2004 में इस सोसाईटी का निबंधन कराया गया,तबसे इसका खेल बदस्तूर जारी है।
बड़ा सवाल यह है की अभीतक इस सोसाईटी के फर्जीवाड़े पर किसी की नजर क्यों नहीं गयी और आज अगर गयी है तो किस परिस्थिति और किन--किन की कद्दावर शख्स की वजह से,इस सच को भी आगे जानना जरुरी है।सहरसा टाईम्स तमाम काले सच को आगे क्रमवार बेपर्दा करेगा।सच मानिए सहरसा के कई रसूखदारों की पोल--पट्टी खुलनी लगभग तय है।

करोड़ों के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़


एम.डी के खिलाफ सदर थाना में करीब पचास करोड़ रुपया गबन करने का मामला दर्ज,एम.डी कल जायेंगे जेल /कोसी रेंज के डीआईजी के निर्देश पर हो रही है कारवाई///मुकेश कुमार सिंह///
सदर थाना के गांधी पथ स्थित दि कोसी सेन्ट्रल को ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायिटी लिमिटेड बैंक में बीते  दोपहर बाद खाताधारियों और बैंक एजेंटों ने ना केवल जमकर हंगामा किया बल्कि आक्रोशित लोगों ने बैंक के एम.डी सहित बैंक के अन्य कर्मचारियों को घंटों बंधक बनाकर भी रखा।सुचना मिलने पर मौके पर सदर थाना की पुलिस ने पहुंचकर बंधक बने एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा को पुलिस अभिरक्षा में सदर सदर थाना लाया।लेकिन थाना लाने के बाद देर शाम पुलिस के अधिकारियों ने किसी बड़े दबाब या फिर खाताधारियों के रोष को शांत करने के लिए खाताधारियों की सामूहिक लिखित शिकायत करने पर ना केवल थाना में मामला दर्ज किया बल्कि जितेंद्र मिश्रा को जेल भेजने की पूरी तरह से तैयारी भी कर ली। खाताधारियों का कहना है की सहरसा सदर इलाके के अलावे सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल सहित सहरसा के विभिन्य अलाके के लोगों का दस करोड़ से ज्यादा की राशि इस बैंक में जमा है।सभी की देय तिथि छः माह पूर्व ही थी लेकिन एम.डी उनके रूपये देने में लगातार टाल--मटोल कर रहे थे।इनकी मानें तो एम.डी इनके सारे रूपये को गबन करके यहाँ से रफू--चक्कर होने की तैयारी कर रहा था।आज उनका धैर्य जबाब दे गया इसलिए वे मरने--मारने पर उतारू हैं।

आरोपी एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा
इधर आरोपी एम.डी का कहना है की बीते कुछ महीनों से यह बैंक,बैंक के ऋण धारकों से ऋण वसूली के लिए जिले के विभिन्य थानों में मुकदमा दर्ज कराना शुरू किया था। जिसमें से एक ऋणधारक जेल भी जा चुका है।पहले चरण में नौ लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था जिसमें से आठ पर अभीतक वारंट जारी हैं लेकिन उनकी गिरफ्तारी अभीतक नहीं हो पायी है।आरोपी एम.डी का कहना है की द्वितीय चरण में उन्होनें 24 ऋणधारकों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज करने के लिए आवेदन दे रखा है।इस आवेदन पर अभीतक कोई कारवाई पुलिस ने शुरू नहीं की है। एम.डी का निचोड़ में यही कहना है की पुराने ऋणधारकों के षड्यंत्र और ताजा खाताधारियों के बकाये से उपजे रोष इस घटना की मूल वजह है। पुराने ऋणधारकों ने ऋण देने से बचने के लिए साजिश करके उन्हें फंसाया है।अगर ऋणधारक ऋण की वापसी समय से नहीं करेंगे तो आखिर वे खाताधारियों को उनकी जमा राशि कैसे और कहाँ से देंगे।
इधर पुलिस अधिकारी अब एम.डी के पुराने इतिहास को भी खंगालने में है जुटी हुयी है जिससे केश और मजबूत हो सके।सहरसा एस.पी अजित सत्यार्थी अभी अवकाश पर हैं।सहरसा टाईम्स ने कोसी रेंज के डी.आई.जी संजय कुमार सिंह से मोबाइल से बात की।उनका कहना है की खाताधारी आरोपयुक्त लिखित आवेदन दे रहे हैं इसीलिए एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा जेल जायेंगे।यहाँ बड़ा सवाल यह है की इसी एम.डी के निर्देश पर बैंक द्वारा चलाये जा रहे ऋण वसूली अभियान में ना केवल कई ऋणधारकों पर मुक़दमे दर्ज हुए हैं बल्कि एक ऋणधारक जेल भी जा चुका है। उसके बाद फिर से बैंक ने करीब चालीस ऋण धारकों के खिलाफ़ ऋण वसूली के लिए पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करने का आवेदन भी दे रखा है। हद बात जानिये की किसी की जान बचाने के लिए पहले पुलिस उसे बचाकर थाने लाती है फिर उसे जेल भेजने के लिए सामूहिक ढंग से आरोपयुक्त आवेदन खाताधारियों से थाने में लिखवाकर उसे जेल भेजने की पूरी तैयारी करती है। ऐसे में पुलिस की यह कार्यशैली जाहिर तौर पर उसे कटघरे में खड़ी कर रही है।
अब पुलिसिया कार्यशैली-- पहले तो ये भी स्वीकार रहे हैं की एम.डी को बचाने के लिए उन्हें लोगों के बीच से निकालकर थाना लाया गया था।लेकिन थाने में सारे रहस्य पर से पर्दा उठा की बैंक में करोड़ों रूपये का गबन हुआ है।ठगी सहित कई धाराओं में मामला दर्ज करते हुए कल एम.डी को न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा।सहरसा टाईम्स ने इस पुलिस अधिकारी से एक के बाद एक कई तल्ख़ सवाल किये।इस अद्धिकारी का कहना था की क्झाताधारियों ने एम डी के खिलाफ करोड़ों के गबन का लिखित आवेदन दिया है जो प्रथम दृष्टया सच प्रतीत होता है।यानी हर सूरत में एम डी अब जेल जायेंगे।हम आपको काण्ड दर्ज होने से पहले गिरफ्तारी के चमत्कार के सच से भी आपको रूबरू करा रहे हैं।वैसे बताना लाजिमी है की सदर थाना में इन्स्पेक्टर सूर्यकांत चौबे और एस.डी.पी.ओ अशोक दास खाताधारियों के सामूहिक आवेदन को खुद से ड्राफ्ट करवा रहे थे,जो कई तरह के प्रश्न खड़े कर रहा है।
सहरसा टाईम्स: बैंक में अगर गबन और फर्जीवाड़ा हुआ है तो शख्त से शख्त कारवाई के हम भी पक्षकार हैं लेकिन साजिश के सामने घुटने टेककर या फिर कोई और बड़ा लाभ लेकर इस खेल का ताना--बाना बुना गया है तो सच मानिए सहरसा टाईम्स आगे सच की साबूत तस्वीरों और खबर की तह में जाकर एक--एक सच को खोद--खोदकर बाहर निकालकर बहुत जल्द आपके सामने हाजिर होगा और शासन--प्रशासन की इंट से इंट बजा देगा।फिलवक्त पुलिस ने कारवाई की जो नायाब शैली का मुजायहरा किया है वह उसे कटघरे में खड़े करने के लिए काफी है।आखिर में हम एक सवाल आपके लिए छोड़े जा रहे हैं की अगर यह एम.डी रूपये डकार चुका था तो सहरसा से फरार क्यों नहीं हुआ।अपनी जमीन बेचकर भी लोगों के रूपये देने की बात उसने आखिर क्यों की।साथ ही अगर एम.डी जेल चला गया तो ऋणधारकों से ऋण की वसूली कौन करेगा और खाताधारियों को रूपये कौन देगा।

मार्च 15, 2013

बेशर्म पुलिस की बेहया हरकत

 सहरसा पुलिस की बेदर्दी की ज़िंदा मिशाल को आज करेंगे हम बेपर्दा///मुकेश कुमार सिंह///
सहरसा पुलिस की बेशर्मी,बेदर्दी और उसकी बेहयाई की एक से बढ़कर एक छीछालेदार कहानी को लेकर हम लगातार आपके सामने आते रहे हैं। आज हम जिस बेशर्मी की कहानी आपको बताने जा रहे हैं,उसे देखकर आप यह जरुर समझ जायेंगे की सरकार या फिर राज्य मुख्यालय में बैठे बड़े पुलिस अफसरानों के फरमान से सहरसा पुलिस को एक तो कोई लेना--देना नहीं है दूजा इनको किसी का डर--भय भी नहीं है। यहाँ की अलमस्त पुलिस अपनी बिगडैल कार्यशैली को किसी भी सूरत में छोड़ने को तैयार नहीं है।एटीएम कार्ड बदल कर फर्जीवाड़ा करके 77 हजार रूपये किसी ने निकाल लिए हों तो सोचिये आपकी क्या दशा होगी।एक शख्स के साथ यह घटना घटी और वह फ़रियाद लेकर सदर थाना गया लेकिन उसकी फ़रियाद सुनने की जगह थाने  के हाकिमों ने इस पीड़ित को यह कहकर चलता कर दिया या यूँ कहें भगा दिया की आखिर आप किस पर मुकदमा करेंगे।थक--हारकर पीड़ित सहरसा टाईम्स के पास पहुंचा फिर हमारी दखल के बाद थाने में घटना के मुतल्लिक पीड़ित से आवेदन लिया गया लेकिन आगे उसपर कारवाई क्या और कैसी होगी इसपर संसय बरकरार है। 
इनसे मिलिए यह है सदर थाना क्षेत्र के रिहायशी शिवपुरी मोहल्ले के रहने वाले लक्ष्मण यादव।जनाब लुट चुके हैं।बीते 23 फरवरी को ये पंजाब नॅशनल बैक के एटीएम में अपना एटीएम कार्ड लेकर गए थे।इन्हें दस हजार रूपये की जरुरत थी।दस हजार के लिए इन्होने एटीएम में बटन दबाया लेकिन शायद एक शून्य कम दबा जिस वजह से उन्हें महज एक हजार रूपये ही मिल पाए।इन्होनें इसके बाद कई बार फिर से रूपये निकालने की कोशिश की लेकिन रूपये नहीं निकले।तभी पीछे से एक शख्स उनकी मदद के लिए आगे आया और उनका एटीएम कार्ड लेकर रूपये निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन रूपये फिर भी नहीं निकले।थक--हारकर ये अपने घर लौट आये।आज ये अपने पासबुक को अप टू डेट कराने बैंक गए थे।इन्होने जब अपने पासबुक को अप टू डेट कराया तो इनके के पाँव के नीचे की जमीन ही खिसक गयी।इनके खाते से 77 हजार रूपये किसी ने निकाल लिए थे।ये तो पागल हो उठे। इन्होनें एटीएम कार्ड भी निकाला और उसकी तहकीकात शुरू की।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इनके पास पंजाब नेशनल बैंक का ही एटीएम कार्ड मौजूद था लेकिन वह भी उनका नहीं था बल्कि वह किसी और का था।यानि 23 फरवरी को जब ये एटीएम से रूपये निकाल रहे थे उसी वक्त उनका एटीएम कार्ड भी बदल लिया गया था।पूरा माजरा समझकर इन्होने अपने कुछ रिश्तेदारों को साथ लिया और सदर थाना पहुंचे।लेकिन यहाँ उनकी फ़रियाद सुनने और इनकी मदद करने की जगह पुलिसवालों ने इनको यहाँ से यह कहकर भगा दिया की आखिर आप किसपर मुकदमा करेंगे।यानि थाने में उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं है।परेशान--हाल यह पीड़ित फिर ढूंढते --ढूंढते अपनी फ़रियाद लेकर सहरसा टाईम्स के पास आया और पूरी घटना को तफसील से बताया।हमने इस मामले में पुरजोर दखल दी और पीड़ित को लेकर सदर थाना पहुंचे।हमारी दखल के बाद पीड़ित को थाने में बैठने के लिए ना केवल कुर्सी मिली बल्कि उनके साथ घटी घटना को लेकर आवेदन देने की इजाजत भी मिली। 
हमारी दखल के बाद थाने में पुलिसवालों ने ना केवल पीड़ित बल्कि उनके रिश्तेदारों को पहले तो इज्जत से कुर्सी पर बिठाया फिर क्या घटना घटी है उसको लेकर आवेदन देने को कहा।देखिये किस तरह से पीड़ित के रिश्तेदार थाने में बैठकर आवेदन लिख रहे हैं।आवेदन लिख रहे पीड़ित के रिश्तेदार अनिल कुमार यादव साफ़--साफ़ लहजे में कह रहे हैं की सहरसा टाईम्स की वजह से उन्हें थाने में आवेदन देने की इजाजत मिली है लेकिन आगे इसपर क्या और कैसी कारवाई होगी,इसपर अभी कुछ भी कहना नामुमकिन है।
पुलिस की बेजा हरकत से उसे कठघरे में खडा करने वाली इस घटना को लेकर हमने पुलिस अधिकारियों से जबाब--तलब करना चाहा लेकिन इस बाबत निचले स्तर के पुलिस वालों ने हाथ जोड़कर हमसे कुछ भी ना बोलवाने की हमसे मिन्नतें की।हमने इन बेबस पुलिस वालों पर तरस खाते हुए बड़े अधिकारियों का रुख किया।
लेकिन देखिये सदर थानाध्यक्ष सह सदर इन्स्पेक्टर सूर्यकांत चौबे का कक्ष किस तरह से खाली पड़ा हुआ है।हमने बहुत कोशिश की उनका कम से कम दीदार हो जाए लेकिन वे हमारे दो घंटे तक इन्तजार करने के बाद भी वे थाना नहीं आये।सूत्रों की माने तो हमारी मौजूदगी की वजह से वे यहाँ नहीं आये।यूँ बताते चलें की बीते पांच दिनों से सहरसा के पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी अवकाश पर है और जिले से फिलवक्त बाहर हैं।
पुलिस सदैव आपकी सेवा के लिए तत्पर है।पुलिस आपके सहयोग के लिए है।किसी भी तरह की गड़बड़ी की सुचना फ़ौरन पुलिस को दें। पुलिस और पब्लिक मैत्री और आपस के मधुर सम्बन्ध से ही अपराध नियंत्रण संभव है।यह सारे स्लोगन सहरसा में बेमानी साबित हो रहे हैं।सहरसा में अगर आप के साथ कोई घटना घट गयी है तो आप या तो उसे किसी तरह से भूलने की कोशिश कीजिये या फिर उसके समाधान के लिए खुद से कोई पहल और प्रयास कीजिये। सहरसा पुलिस के लिए पीड़ित के दर्द,उनकी मुसीबत और उनकी तकलीफों का कोई मोल नहीं है। सच मानिए,यहाँ के पुलिसवालों को पीड़ितों से कोई लेना--देना नहीं है। वैसे भी जिस घटना में अपराधियों के नाम जाहिर हैं उसपर तो पुलिस कारवाई कर पाने में सक्षम साबित हो ही नहीं पा रही है तो जिस घटना में किसी का नाम बेपर्दा करने की बात हो उसमें पुलिस के हाथ--पाँव फूलने लाजिमी है।जाहिर सी बात है की यही वजह रही होगी जिस कारण से लक्ष्मण यादव को पुलिस ने थाने से टरकाने--भगाने का प्रयास किया।

मार्च 13, 2013

मर गयी इंसानियत लाईव

 ।।।।।।समाज में दुसरे के दुःख में आंसू बहाने वालों का पड़ा अकाल।।।।।।।
सहरसा टाईम्स एक्सक्लूसिव------- 
सहरसा टाईम्स: यूँ तो देश का कोई कोना ऐसा नहीं बचा है जहां मर रही इंसानियत के हालात चस्पां नहीं हों।ताजा मामला हम सहरसा जिला मुख्यालय के अति व्यस्ततम गांधी पथ का लेकर हाजिर हैं जहां घरवालों के द्वारा पीट--पीट कर अधमरा की गयी एक महिला घंटों बीच सड़क पर पड़ी रही लेकिन किसी ने उसे उठाना मुनासिब नहीं समझा। महिला के बगल से छोटी--बड़ी गाड़ियों से लेकर पैदल लोगों का हुजूम गुजरता रहा लेकिन किसी ने यह जानने की भी कोशिश नहीं की आखिर यह महिला बीच सड़क पर क्यों पड़ी है और इसे कैसी मदद की दरकार है।घंटों सड़क पर कराहती यह महिला समाज में कुंद पड़ चुकी संवेदना को ललकारती रही लेकिन दूसरों के दुखों में रोने तक से परहेज करने वाले आज के आधुनिक लोग इस महिला की पीड़ा से तनिक भी नहीं सिहरे।
 मर चुकी इंसानियत और खुदगर्जी की आपने एक से बढ़कर एक दिल को छलनी करने वाली तस्वीर देखी होगी।उसी कड़ी में हम एक और बदरंग तस्वीर लेकर हाजिर हैं। यह अभागी बिमला देवी है जो बगल के ही मोहल्ले की रहने वाली है।इसके पति और इसके बेटों ने इसे मार---मार कर अधमरा कर डाला है।इसके शरीर पर चोट के कई दिखने वाले और कुछ अनकहे जख्म हैं।अगर अपने आज जालिम और दरिन्दे हो गए हैं तो आमलोग आज कितने खुदगर्ज हो गए हैं यह तस्वीर उसी सच को शक्ल दे रही है।घरवालों के जुल्म ने इसे बीच सड़क पर ला फेंका है।देखिये बेजान बना जिश्म किसतरह से सड़क के बीचो--बीच पड़ा है।हद की इंतहा देखिये की इस महिला के बगल से हर तरह की छोटी---बड़ी गाड़ी,रिक्सा,साईकिल और पैदल लोगों का जत्था गुजर रहा है लेकिन कोई भी इस महिला के पास ठहरकर इसकी पीड़ा जानने और सुनने को उत्सुक नहीं है।जाहिर तौर पर दुसरे की तकलीफ को लोग खुद के गले की हड्डी समझने लगे हैं,यह उसी की बानगी है।कुछ लोगों ने पुलिस को इस स्थिति की सुचना देकर जरुर अपने कर्तव्य को निभाया लेकिन निकम्मी और वसूली में खुद को झोंके रखने वाली बेशर्म सहरसा पुलिस सुचना के घंटो बाद भी मौके पर पहुंचकर छानबीन करना मुनासिब नहीं समझी।इस घटना की सुचना जैसे ही सहरसा टाईम्स को लगी तो वह फ़ौरन मौके पर पहुंचा।हमारे वहाँ पहुँचने के बाद एकतरफ जहां लोगों की मरी इंसानियत से हमें रूबरू होना पड़ा वहीँ हम लोगों की बेशर्मी से भी दो--चार हुए।हमें देखकर लोगों की भीड़ तमाशे देखने की गरज से वहाँ जमा हुयी जिसमें अधिकाँश के चेहरे पर दुःख और दर्द की जगह हंसी नजर आ रही थी।
सहरसा टाईम्स ने खुद के प्रयास से इस महिला को सदर अस्पताल पहुंचाया,जहां अभी उसका इलाज चल रहा है।बताते चलें सरोकार की पत्रकारिता और अपने सामाजिक कर्तव्यों की वजह से हमने पीड़ित महिला के घर के लोगों से भी मुलाक़ात की और उन्हें उनकी गलतियों को लेकर खूब लताड़ा।बताते चलें की सहरसा टाईम्स इस महिला को बिना पुलिस--प्रशासन की मदद लिए ना केवल उसे वाजिब हक़ दिलाएगा बल्कि वह सम्मान के साथ अपने घर में रह सके इसका पूरा इंतजाम भी कराएगा।भीड़ की शक्ल में खड़े और आते--जाते लोगों से भी हमने उनकी मरी संवेदना को लेकर उन्हें टटोलने की कोशिश की लेकिन किसी ने भी हमारे सामने अपना मुंह खोलना गंवारा नहीं किया।
सहरसा टाईम्स सिर्फ ख़बरें नहीं लिखता---दिखाता बल्कि जिनके साथ शासन--प्रशासन और आमलोग अन्याय करते हैं और जिन्हें इन्साफ और न्याय की दरकार है उसके साथ सिद्दत से खड़ा भी होता है।यही नहीं जबतक पीड़ित को पूरा का पूरा न्याय नहीं मिल जाता है तबतक हम उसके साथ उसके साए की तरह खड़े और लगे रहते हैं।इस पीड़िता को जबतक पूरा इन्साफ नहीं मिल जाएगा तबतक हम उसके हक़ के लिए लड़ेंगे,यह हमारा एलान है।

मार्च 11, 2013

लूट की दरिया में लग रहे गोते

सहरसा टाईम्स एक्सक्लूसिव////मुकेश कुमार सिंह ////
सरकार की बड़ी से बड़ी योजना या तो कागजों में सिमट कर रह जाती है या फिर वह महज खाऊ--पकाऊ बनकर व्यवस्था को साबूत तरीके से मुंह चिढाती रहती है.ऐसा नहीं है की योजना को लेकर सरकार या उसका पूरा तंत्र चिंतित और गंभीर नहीं है.असल मसला यह है की उनकी चिंता और गंभीरता आमलोगों के भले से इतर उनके अपने भले से ज्यादा मतलब रखता है.
सहरसा का PHED विभाग इनदिनों  बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना की बलि चढाने में नयी ईबारत लिख रहा है.PHED द्वारा करोड़ों की लागत से ग्रामीण इलाकों में IRP(आयरन रिमूवर प्लांट)के साथ चापाकल लगाने की योजना पूरी तरह से ना केवल फ्लॉप साबित हो रही है बल्कि अधिकांश चापाकल बिना पानी टपकाए या तो चुरा लिये गए हैं या फिर वे ढह--ढनमना कर ज़मीनदोज हो रहे हैं.कोसी का यह इलाका यूँ ही दूषित पानी को लेकर रेडजोन के रूप में चिन्हित है.कोसी क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में लौह युक्त पानी वह भी पीला पानी निकलता है जिसे इलाके के लोग पीने को विवश हैं.ऐसे में विभाग की यह लापरवाही लोगों के जीवन से खूब खिलवाड़ भी कर रहा है.सुशासन का दम भरने वाले नीतीश बाबू को अपने निजाम में चल रहे इस काले खेल को देखने की या तो फुरसत नहीं या फिर जरुरत नहीं है.
आज हम सुशासन की सरकार की पोल--पट्टी खोलने के लिए सहरसा के PHED विभाग की काली करतूत दिखाने जा रहे हैं.सुशासन सरकार के फेज वन के दौरान वर्ष 2008--09 में ग्रामीण सह शहरी इलाके में आमलोगों को शुद्ध और आयरन मुक्त पानी उपलब्ध कराने की गरज से IRP(आयरन रिमूवर प्लांट)के साथ चापाकल लगाने की योजना की शुरुआत हुई.इस योजना के तहत आयरन रिमूवर प्लांट के लिए 26,500 और चापाकल के लिए 6,500 रूपये खर्च करने का प्रावधान किया गया.यानि एक चापाकल प़र 33 हजार रूपये खर्च की व्यवस्था की गयी.वर्ष 2010---11 तक सहरसा जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में PHED द्वारा 3218 चापाकल और नगर परिषद द्वारा शहरी विकास योजना के तहत शहरी क्षेत्र में 125 चापाकल लगाए जाने थे.इस योजना के तहत PHED ने ग्रामीण क्षेत्रों में अभीतक जहां 2309 लगाए हैं वहीँ 909 चापाकल उसे और लगाने हैं. नगर परिषद् द्वारा शहरी क्षेत्र के लिए तय 125 चापाकल लगाए जा चुके हैं.अब सच्चाई जानिये PHED द्वारा लगाए गए 2309 और नगर परिषद् द्वारा लगाए गए 125 IRP(आयरन रिमूवर प्लांट)के साथ लगे चापाकलों में से अधिकाँश बिना एक बूंद पानी टपकाए या तो बर्बाद हो चुके हैं या फिर बर्बाद हो रहे है.
इन रोते-बिलखते चापाकलों में से ज्यादातर के सामान रख--रखाव के अभाव में या तो चुरा लिए गए हैं या फिर वे वहीँ प़र ढह--ढनमना कर ज़मीनदोज हो रहे हैं.बानगी के तौर प़र हम कहरा प्रखंड के नरियार और महिषी प्रखंड के उतरी पंचायत का नजारा दिखा रहे हैं.इस इलाके के लोगों को कहना है की चापाकल तो लगा दिया गया लेकिन उन्हें आजतक इस चापाकल से एक बूंद पानी नसीब नहीं हुआ.इनका कहना है की इन चापाकलों के पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी.यमुना देवी,सदानंद ठाकुर,जय बहादुर ठाकुर,मोहम्मद मुस्तकीम,बच्चू साह,भूमि मंडल जैसे इलाके के लोग सहरसा टाईम्स से चीख--चीख कर कह रहे हैं की इन चापाकलों को मनमाने तरीके से बस लगा भर दिया गया.यह काम कर रहा है की नहीं,इसे देखने वाला कोई नहीं.लोग साफ़ तौर प़र स्वीकार कर रहे हैं की सरकार का पैसा बिना पानी बहाए,पानी में बह गया.
कार्यपालक अभियंता राजेश प्रसाद सिन्हा
अब बारी है विभाग के हाकिम की.सहरसा PHED के कार्यपालक अभियंता राजेश प्रसाद सिन्हा की नजर में यह योजना जिले भर में मिला--जुलाकर ठीक--ठाक चल रही है.इनकी नजर में कुछ जगहों प़र जल--निकासी की वजह से चापाकल नहीं चलने की सूचना उन्हें मिली है.सहरसा टाईम्स द्वारा बार--बार झंक--झोड़ने प़र अधिकारी ने यह जरुर स्वीकार किया की उनके पास कनीय अभियंताओं की घोर कमी है जिस कारण से चापाकलों के मेंटेनेंस यानि रख--रखाव में उन्हें दिक्कत होती है.जनाब का यह जबाब स्थिति का खुलासा करने के लिए काफी है.
नीतीश बाबू करोड़ों के फ्लॉप शो का यह नजारा लालू के जंगलराज का नहीं है,यह नजारा आपकी सुशासन की सरकार के कार्यकाल का है.ए.सी युक्त कमरे में योजनाओं के ताने--बाने और हवाई उड़ान से जनता का भला होने वाला नहीं है.अगर जनता की सही चिंता करनी है तो नौकरशाहों का लगाया चश्मा अपनी आँखों से उतारिये और किसी मजलूम की आँखों का चश्मा पहनिए.आप जान जायेंगे की आपके कार्यकाल में सब कुछ ठीक--ठाक नहीं चल रहा है.हम डंके की चोट प़र कहते हैं की आप यह भी जान जायेंगे की सुशासन की सरकार का तमगा महज लफ्फाजी है.जागिये नीतीश बाबू जागिये.

मार्च 10, 2013

कोसी महोत्सव में हंगामा

मुकेश कुमार सिंह  रिपोर्ट:   दो दिवसीय कोसी महोत्सव के दुसरे और अंतिम दिन दोपहर में महोत्सव स्थल सहरसा स्टेडियम में जिले के तमाम जनप्रतिनिधियों की एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था।इस कार्यशाला में शामिल होने आये जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन पर उन्हें सम्मान देने में कमी,उनके साथ भेदभाव,मनमानी और महोत्सव के आयोजन में लूट करने सहित विभिन्य तरह के गंभीर लगाए। महोत्सव को लेकर उनसे किसी भी तरह का विमर्श जिला प्रशासन द्वारा नहीं किये जाने से बिफरे इन जनप्रतिनिधियों ने महोत्सव स्थल पर जमकर हंगामा किया और करीब दो घंटे तक बबाल काटे। जनप्रतिनिधियों ने कई तरह के गंभीर आरोप जिला प्रशासन पर लगाते हुए पहले तो यह कहा की एक तो उन्हें महोत्सव के दिन महोत्सव को लेकर जानकारी दी गयी,दूजा जब वे यहाँ पहुंचे तो महोत्सव के मंच पर कुछ चुनिन्दा जनप्रतिनिधियों को बुला कर बिठाया गया जो कहीं से भी उचित नहीं था। सभी जनप्रतिनिधियों का मान बराबर है।जनप्रतिनधियों ने कुछ बड़े सवाल जिला प्रशासन पर खड़े करते हुए कहा की कोसी महोत्सव का अभिप्राय कोसी क्षेत्र की सांस्कृतिक,आध्यात्मिक,पौराणिक और एतिहासिक पूंजी को टटोलना और उसे सहेज कर रखने की जुगात है।
लेकिन हद की इंतहा देखिये की कोसी प्रमंडल में सहरसा,मधेपुरा और सुपौल तीन जिले आते हैं लेकिन इस महोत्सव में सहरसा जिला प्रशासन की मनमानी की वजह से सुपौल और मधेपुरा जिले के ना तो कोई अधिकारी शामिल हुए और ना ही वहाँ के एक भी जनप्रतिनिधि ही आये।अब आप ही सोचिये की यह कैसा महोत्सव है।इन जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाते हुए कहा की इस महोत्सव का प्रचार--प्रसार तक नहीं किया गया। सहरसा जिले के ग्रामीण इलाके के लोगों को भी इस महोत्सव की कोई जानकारी नहीं थी। इनकी मानें तो एक तो जिला प्रशासन ने उनकी उपेक्षा की ही दुसरा क्षेत्र की जनता का भी घोर अपमान किया है।ये जनप्रतिनिधि सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए कहते हैं की महोत्सव के आयोजन के नाम पर जमकर गबन और लूट का खेल खेला गया है। बताना लाजिमी है की सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ इस महोत्सव पर सत्रह लाख से ज्यादा के खर्च आये हैं। इस महोत्सव को लेकर हम भी एक जानकारी लगे हाथ आपको दे दें।हर साल महोत्सव में लाखों खर्च करके विभिन्य तरह के खेलकूद,नौका रेस और घुडदौड़ का आयोजन होता था जिसमें प्रमंडल के तीनों जिले के प्रतिभागी शामिल होते थे लेकिन इस बार सुपौल और मधेपुरा जिले से किसी भी विधा से जुडे एक भी खिलाड़ी तक शामिल नहीं हुए।यानि कोई भी खेल करीने और ढंग से नहीं हुआ।अब भगवान जाने कौन से खेल में जिला प्रशासन ने खर्चे किये होंगे।जनप्रतिनिधियों के हंगामे को सहरसा के डी.एम सतीश चन्द्र झा,एस.डी.ओ राजेश कुमार,उप विकास आयुक्त योगेंद्र राम सहित जिले के तमाम वरीय अधिकारियों ने मिलकर शांत कराया।हद और अजूबी बात तो यह भी थी की डी.एम सतीश चन्द्र झा ने जनप्रतिनिधियों के सामने घुटने टेकते हुए उनसे माफ़ी मांगी और महोत्सव को सफल बनाने की अपील की। 
सहरसा टाईम्स का कैमरा जबतक महोत्सव स्थल पर पहुंचता तबतक उग्र हंगामे का माहौल खत्म हो चुका था लेकिन फिर भी हमने हंगामे और बहस की कुछ तस्वीरें कैद कर ही ली। यहाँ तक की सहरसा टाईम्स के खुले कैमरे को देखकर डी.एम सतीश चन्द्र झा आनन--फानन में महोत्सव स्थल से भाग खड़े हुए। हमने इस हंगामे को लेकर डी.एम सहित कई अधिकारियों से पूछताछ करनी चाही लेकिन सभी ने हाथ जोड़कर कुछ ना पूछने का हमसे तत्काल ना केवल आग्रह किया बल्कि आखिरकार वे इतना भर बोले की जनप्रतिनिधियों की कुछ शिकायतें थी जिसे उनलोगों वार्ता कर के खत्म करा डाला।फिर सबकुछ सामान्य और ठीक---ठाक हो गया।हांलांकि चलते--चलते हमने इंदु भूषण सिंह,प्रवीण आनंद दोनों जिला परिषद् सदस्य और सरपंच मंटू सिंह जैसे कई जनप्रतिनिधियों से हंगामे के बाबत जानकारी ले ही ली। 
इस कोसी महोत्सव को समग्र में समेटकर देखें तो जरुर गड़बड़झाला हुआ है।कोसी महोत्सव आखिर सहरसा महोत्सव में क्यों और कैसे तब्दील हुआ इसे जांचने--परखने और सच को बेपर्दा करने की जरुरत है।राज्य मुख्यालय में बैठे आका--सूरमाओं को सहरसा टाईम्स इतल्ला कर रहा है की इस कोसी महोत्सव की आड़ में जरुर बड़ा खेल हुआ है जिसकी बू जनता को आ रही है।सरकार इसे अपने स्तर से ना केवल अपने तकिया कलाम जांच और दोषी पाए जाने पर कारवाई होगी के तर्ज पर ले बल्कि पारदर्शिता से सच को सामने लाये।

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।