मार्च 20, 2013

बिटिया की अस्मत के उड़े चिथड़े

स्कूली छात्रा के साथ तीन युवकों ने किया मुंह काला / तीनों आरोपी गिरफ्तार
सहरसा टाइम्स:  एक बार फिर एक बिटिया की अस्मत के चिथड़े उड़े जिसने ना केवल पुरे सहरसा को बल्कि पूरी इंसानियत को शर्मसार करके रख दिया।  सौर बाजार थाना के भुलिया गाँव की रहने वाली यह बच्ची बीते कल दस बजे दिन में अजगैबा मध्य विद्यालय अपना वार्षिक इम्तिहान देने जा रही थी।बगल के गाँव भेलवा के नहर के समीप यह जैसे ही पहुंची की भेलवा गाँव के ही तीन युवक ओमन यादव,दीपक यादव और संजीत यादव ने उसे दबोच लिया और जबरन उसे उठाकर बगल के गेंहूँ की खेत में लेकर चले गए।फिर इंसानियत और मानवता के सारे मजबूत पाए एक साथ भरभरा कर गिर गए।मासूम बच्ची चीखती--चिल्लाती रही लेकिन जिश्म के ये भूखे भेड़िये बेफिक्र होकर उसे नोचते रहे।अस्मत लुटाई यह बच्ची किसी तरह वहाँ से निकली और रास्ते में मिली चार लड़कियों से अपनी आपबीती सुनाई।उन लड़कियों ने इस घटना की सुचना बबली के परिजनों को दिया।परिजन आये और जीवन भर के लिए जख्म खायी अपनी बच्ची को लेकर सीधे थाना पहुंचे।थानाध्यक्ष ने बिना वक्त गंवाए भेलवा गाँव को पूरी तरह से घेराबंदी करके तीनों आरोपी युवकों को दबोच लिया। पीड़िता बता रही है की उसके साथ ओमन ने पहले दुष्कर्म किया,फिर दीपक ने उसकी अस्मत के चिथड़े उड़ाये। तीसरा युवक संजीत यादव वहाँ खडा था और अपने साथियों के सहयोग में जुटा हुआ था। बबली को सदर अस्पताल लाया गया है जहां पहले उसका मेडिकल परिक्षण कराया जाएगा उसके बाद न्यायालय में उसका 164 के तहत बयान कराया जाएगा।
मुख्य विलेन ओमन यादव
इस घटना का षड्यंत्र और उसको अंजाम देने वाला मुख्य विलेन ओमन यादव है जिसने अपने दोस्तों के सहयोग से इस घटना को अंजाम देने का पहले प्लानिंग किया,फिर बेरहमी से इस घटना को अंजाम दिया।दुष्कर्मी ओमन बताता है की उसने और दीपक ने उसके साथ गेंहूँ की खेत में बलात्कार किये।सहरसा के पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी ने इस घटना के बाबत पूरी जानकारी देते हुए कहा की दो दुष्कर्मियों ने इस घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकारी है।सौर बाजार थाना में काण्ड अंकित है।जल्द ही इस काण्ड का पुलिस चार्जसीट अदालत को समर्पित करेगी और स्पीडी ट्रायल करवाकर इन्हें जल्द से जल्द सजा कराएगी।
19 दिसंबर 2012 को सहरसा के बेलवारा गाँव में दस वर्षीय दलित बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हुयी उसकी निर्मम ह्त्या के दुःख से अभी सहरसावासी उबरे भी नहीं थे की एक गहरा सदमा फिर आ लगा।आखिर पल भर की जिश्मानी भूख मिटाने लिए लोग दुसरे को जिन्दगी भर का दर्द और मातम क्यों देते हैं।यह ऐसा अपराध है जिसमें मुकम्मिल जिश्म अपराधी होता है,इस अपराध को रोकने के लिए कठोर कानून के साथ--साथ  अन्तः मन में विराट परिवर्तन की जरुरत है।

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