मार्च 16, 2013

करोड़ों के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़


एम.डी के खिलाफ सदर थाना में करीब पचास करोड़ रुपया गबन करने का मामला दर्ज,एम.डी कल जायेंगे जेल /कोसी रेंज के डीआईजी के निर्देश पर हो रही है कारवाई///मुकेश कुमार सिंह///
सदर थाना के गांधी पथ स्थित दि कोसी सेन्ट्रल को ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायिटी लिमिटेड बैंक में बीते  दोपहर बाद खाताधारियों और बैंक एजेंटों ने ना केवल जमकर हंगामा किया बल्कि आक्रोशित लोगों ने बैंक के एम.डी सहित बैंक के अन्य कर्मचारियों को घंटों बंधक बनाकर भी रखा।सुचना मिलने पर मौके पर सदर थाना की पुलिस ने पहुंचकर बंधक बने एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा को पुलिस अभिरक्षा में सदर सदर थाना लाया।लेकिन थाना लाने के बाद देर शाम पुलिस के अधिकारियों ने किसी बड़े दबाब या फिर खाताधारियों के रोष को शांत करने के लिए खाताधारियों की सामूहिक लिखित शिकायत करने पर ना केवल थाना में मामला दर्ज किया बल्कि जितेंद्र मिश्रा को जेल भेजने की पूरी तरह से तैयारी भी कर ली। खाताधारियों का कहना है की सहरसा सदर इलाके के अलावे सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल सहित सहरसा के विभिन्य अलाके के लोगों का दस करोड़ से ज्यादा की राशि इस बैंक में जमा है।सभी की देय तिथि छः माह पूर्व ही थी लेकिन एम.डी उनके रूपये देने में लगातार टाल--मटोल कर रहे थे।इनकी मानें तो एम.डी इनके सारे रूपये को गबन करके यहाँ से रफू--चक्कर होने की तैयारी कर रहा था।आज उनका धैर्य जबाब दे गया इसलिए वे मरने--मारने पर उतारू हैं।

आरोपी एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा
इधर आरोपी एम.डी का कहना है की बीते कुछ महीनों से यह बैंक,बैंक के ऋण धारकों से ऋण वसूली के लिए जिले के विभिन्य थानों में मुकदमा दर्ज कराना शुरू किया था। जिसमें से एक ऋणधारक जेल भी जा चुका है।पहले चरण में नौ लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था जिसमें से आठ पर अभीतक वारंट जारी हैं लेकिन उनकी गिरफ्तारी अभीतक नहीं हो पायी है।आरोपी एम.डी का कहना है की द्वितीय चरण में उन्होनें 24 ऋणधारकों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज करने के लिए आवेदन दे रखा है।इस आवेदन पर अभीतक कोई कारवाई पुलिस ने शुरू नहीं की है। एम.डी का निचोड़ में यही कहना है की पुराने ऋणधारकों के षड्यंत्र और ताजा खाताधारियों के बकाये से उपजे रोष इस घटना की मूल वजह है। पुराने ऋणधारकों ने ऋण देने से बचने के लिए साजिश करके उन्हें फंसाया है।अगर ऋणधारक ऋण की वापसी समय से नहीं करेंगे तो आखिर वे खाताधारियों को उनकी जमा राशि कैसे और कहाँ से देंगे।
इधर पुलिस अधिकारी अब एम.डी के पुराने इतिहास को भी खंगालने में है जुटी हुयी है जिससे केश और मजबूत हो सके।सहरसा एस.पी अजित सत्यार्थी अभी अवकाश पर हैं।सहरसा टाईम्स ने कोसी रेंज के डी.आई.जी संजय कुमार सिंह से मोबाइल से बात की।उनका कहना है की खाताधारी आरोपयुक्त लिखित आवेदन दे रहे हैं इसीलिए एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा जेल जायेंगे।यहाँ बड़ा सवाल यह है की इसी एम.डी के निर्देश पर बैंक द्वारा चलाये जा रहे ऋण वसूली अभियान में ना केवल कई ऋणधारकों पर मुक़दमे दर्ज हुए हैं बल्कि एक ऋणधारक जेल भी जा चुका है। उसके बाद फिर से बैंक ने करीब चालीस ऋण धारकों के खिलाफ़ ऋण वसूली के लिए पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करने का आवेदन भी दे रखा है। हद बात जानिये की किसी की जान बचाने के लिए पहले पुलिस उसे बचाकर थाने लाती है फिर उसे जेल भेजने के लिए सामूहिक ढंग से आरोपयुक्त आवेदन खाताधारियों से थाने में लिखवाकर उसे जेल भेजने की पूरी तैयारी करती है। ऐसे में पुलिस की यह कार्यशैली जाहिर तौर पर उसे कटघरे में खड़ी कर रही है।
अब पुलिसिया कार्यशैली-- पहले तो ये भी स्वीकार रहे हैं की एम.डी को बचाने के लिए उन्हें लोगों के बीच से निकालकर थाना लाया गया था।लेकिन थाने में सारे रहस्य पर से पर्दा उठा की बैंक में करोड़ों रूपये का गबन हुआ है।ठगी सहित कई धाराओं में मामला दर्ज करते हुए कल एम.डी को न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा।सहरसा टाईम्स ने इस पुलिस अधिकारी से एक के बाद एक कई तल्ख़ सवाल किये।इस अद्धिकारी का कहना था की क्झाताधारियों ने एम डी के खिलाफ करोड़ों के गबन का लिखित आवेदन दिया है जो प्रथम दृष्टया सच प्रतीत होता है।यानी हर सूरत में एम डी अब जेल जायेंगे।हम आपको काण्ड दर्ज होने से पहले गिरफ्तारी के चमत्कार के सच से भी आपको रूबरू करा रहे हैं।वैसे बताना लाजिमी है की सदर थाना में इन्स्पेक्टर सूर्यकांत चौबे और एस.डी.पी.ओ अशोक दास खाताधारियों के सामूहिक आवेदन को खुद से ड्राफ्ट करवा रहे थे,जो कई तरह के प्रश्न खड़े कर रहा है।
सहरसा टाईम्स: बैंक में अगर गबन और फर्जीवाड़ा हुआ है तो शख्त से शख्त कारवाई के हम भी पक्षकार हैं लेकिन साजिश के सामने घुटने टेककर या फिर कोई और बड़ा लाभ लेकर इस खेल का ताना--बाना बुना गया है तो सच मानिए सहरसा टाईम्स आगे सच की साबूत तस्वीरों और खबर की तह में जाकर एक--एक सच को खोद--खोदकर बाहर निकालकर बहुत जल्द आपके सामने हाजिर होगा और शासन--प्रशासन की इंट से इंट बजा देगा।फिलवक्त पुलिस ने कारवाई की जो नायाब शैली का मुजायहरा किया है वह उसे कटघरे में खड़े करने के लिए काफी है।आखिर में हम एक सवाल आपके लिए छोड़े जा रहे हैं की अगर यह एम.डी रूपये डकार चुका था तो सहरसा से फरार क्यों नहीं हुआ।अपनी जमीन बेचकर भी लोगों के रूपये देने की बात उसने आखिर क्यों की।साथ ही अगर एम.डी जेल चला गया तो ऋणधारकों से ऋण की वसूली कौन करेगा और खाताधारियों को रूपये कौन देगा।

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