मार्च 13, 2013

मर गयी इंसानियत लाईव

 ।।।।।।समाज में दुसरे के दुःख में आंसू बहाने वालों का पड़ा अकाल।।।।।।।
सहरसा टाईम्स एक्सक्लूसिव------- 
सहरसा टाईम्स: यूँ तो देश का कोई कोना ऐसा नहीं बचा है जहां मर रही इंसानियत के हालात चस्पां नहीं हों।ताजा मामला हम सहरसा जिला मुख्यालय के अति व्यस्ततम गांधी पथ का लेकर हाजिर हैं जहां घरवालों के द्वारा पीट--पीट कर अधमरा की गयी एक महिला घंटों बीच सड़क पर पड़ी रही लेकिन किसी ने उसे उठाना मुनासिब नहीं समझा। महिला के बगल से छोटी--बड़ी गाड़ियों से लेकर पैदल लोगों का हुजूम गुजरता रहा लेकिन किसी ने यह जानने की भी कोशिश नहीं की आखिर यह महिला बीच सड़क पर क्यों पड़ी है और इसे कैसी मदद की दरकार है।घंटों सड़क पर कराहती यह महिला समाज में कुंद पड़ चुकी संवेदना को ललकारती रही लेकिन दूसरों के दुखों में रोने तक से परहेज करने वाले आज के आधुनिक लोग इस महिला की पीड़ा से तनिक भी नहीं सिहरे।
 मर चुकी इंसानियत और खुदगर्जी की आपने एक से बढ़कर एक दिल को छलनी करने वाली तस्वीर देखी होगी।उसी कड़ी में हम एक और बदरंग तस्वीर लेकर हाजिर हैं। यह अभागी बिमला देवी है जो बगल के ही मोहल्ले की रहने वाली है।इसके पति और इसके बेटों ने इसे मार---मार कर अधमरा कर डाला है।इसके शरीर पर चोट के कई दिखने वाले और कुछ अनकहे जख्म हैं।अगर अपने आज जालिम और दरिन्दे हो गए हैं तो आमलोग आज कितने खुदगर्ज हो गए हैं यह तस्वीर उसी सच को शक्ल दे रही है।घरवालों के जुल्म ने इसे बीच सड़क पर ला फेंका है।देखिये बेजान बना जिश्म किसतरह से सड़क के बीचो--बीच पड़ा है।हद की इंतहा देखिये की इस महिला के बगल से हर तरह की छोटी---बड़ी गाड़ी,रिक्सा,साईकिल और पैदल लोगों का जत्था गुजर रहा है लेकिन कोई भी इस महिला के पास ठहरकर इसकी पीड़ा जानने और सुनने को उत्सुक नहीं है।जाहिर तौर पर दुसरे की तकलीफ को लोग खुद के गले की हड्डी समझने लगे हैं,यह उसी की बानगी है।कुछ लोगों ने पुलिस को इस स्थिति की सुचना देकर जरुर अपने कर्तव्य को निभाया लेकिन निकम्मी और वसूली में खुद को झोंके रखने वाली बेशर्म सहरसा पुलिस सुचना के घंटो बाद भी मौके पर पहुंचकर छानबीन करना मुनासिब नहीं समझी।इस घटना की सुचना जैसे ही सहरसा टाईम्स को लगी तो वह फ़ौरन मौके पर पहुंचा।हमारे वहाँ पहुँचने के बाद एकतरफ जहां लोगों की मरी इंसानियत से हमें रूबरू होना पड़ा वहीँ हम लोगों की बेशर्मी से भी दो--चार हुए।हमें देखकर लोगों की भीड़ तमाशे देखने की गरज से वहाँ जमा हुयी जिसमें अधिकाँश के चेहरे पर दुःख और दर्द की जगह हंसी नजर आ रही थी।
सहरसा टाईम्स ने खुद के प्रयास से इस महिला को सदर अस्पताल पहुंचाया,जहां अभी उसका इलाज चल रहा है।बताते चलें सरोकार की पत्रकारिता और अपने सामाजिक कर्तव्यों की वजह से हमने पीड़ित महिला के घर के लोगों से भी मुलाक़ात की और उन्हें उनकी गलतियों को लेकर खूब लताड़ा।बताते चलें की सहरसा टाईम्स इस महिला को बिना पुलिस--प्रशासन की मदद लिए ना केवल उसे वाजिब हक़ दिलाएगा बल्कि वह सम्मान के साथ अपने घर में रह सके इसका पूरा इंतजाम भी कराएगा।भीड़ की शक्ल में खड़े और आते--जाते लोगों से भी हमने उनकी मरी संवेदना को लेकर उन्हें टटोलने की कोशिश की लेकिन किसी ने भी हमारे सामने अपना मुंह खोलना गंवारा नहीं किया।
सहरसा टाईम्स सिर्फ ख़बरें नहीं लिखता---दिखाता बल्कि जिनके साथ शासन--प्रशासन और आमलोग अन्याय करते हैं और जिन्हें इन्साफ और न्याय की दरकार है उसके साथ सिद्दत से खड़ा भी होता है।यही नहीं जबतक पीड़ित को पूरा का पूरा न्याय नहीं मिल जाता है तबतक हम उसके साथ उसके साए की तरह खड़े और लगे रहते हैं।इस पीड़िता को जबतक पूरा इन्साफ नहीं मिल जाएगा तबतक हम उसके हक़ के लिए लड़ेंगे,यह हमारा एलान है।

1 टिप्पणी:

  1. MANNIYE MUKSEH G
    kya aap Saharsa Times ke jarye ye batayenge ki is baar ke koshi mahotsav main hue sabhi game ka
    final result Suna hai is bar bamintion main ek 10/11 saal ka ladka ulatfer karte hue mains champion hua hai kya aap ise parkasit kar is ubharte national khiladi ko prothsahan karenge.
    Dhanyabad

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।