मई 31, 2013

दलाली पर उतरी खाकी

मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट: सहरसा में इनदिनों खाकी पूरी तरह से दलाली पर उतरी हुयी है। सात दिन पूर्व बिजली करेंट लगाकर एक महिला को जान से मारने मामले में पुलिस ने जहां थाने में मामला दर्ज नहीं किया है वहीँ पीड़ित महिला और उसके परिजनों को पुलिस तरह--तरह का प्रलोभन देने और डराने--धमकाने में जुटी हुयी है।जाहिर तौर पर इस मामले की तटस्थ पड़ताल की जगह पुलिस बीच का रास्ता निकालने में ज्यादा रूचि इसलिए दिखा रही है की इस बहाने उन्हें मोटी रकम मिलने की बेइन्तहा उम्मीद है।इधर पीड़ित महिला सदर अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जूझ रही है और साफ़-साफ़ कह रही है की वह शब्जी बेचकर गुजर करने वाली मामूली महिला है।उसे उसके बगल के ही एक दुकानदार ने बिजली का करेंट लगाकर मारने की कोशिश की है।इस घटना में उसके दो बच्चों को भी करेंट लगे थे लेकिन वे दोनों ठीक हैं।उसकी हालत काफी नाजुक है और उसे नहीं लगता की वह बच पाएगी।मामला अति गंभीर है इसमें पुलिस को त्वरित गति से मामले की सघन जांच कर सच को उकेरना चाहिए था लेकिन पुलिस तो आखिर पुलिस है साहेब।उसकी जो मर्जी होगी वह वही करने के लिए तयशुदा है।सहरसा पुलिस की दादागिरी और काली करतूत को बेनकाब करती घटना और उसकी साबूत तस्वीर लेकर आज सहरसा टाईम्स आपके सामने हाजिर हो रहा है।
सदर अस्पताल के महिला वार्ड में जिन्दगी और मौत से जूझ रही यह बबिता देवी है।सदर थाना के मुख्य द्वार के समीप यह शब्जी की दुकान चलाकर अपने परिवार की गाड़ी खींच रही थी।इसका शरीर बिजली करेंट की वजह से बेजान पड़ा है।शरीर के कई हिस्से काम नहीं कर रहे हैं।कुछ दिन पूर्व कुछ कारणों को लेकर इसका विवाद बगल के एक दुकानदार उमेश प्रसाद भगत से हुआ था।पीड़िता बबिता देवी कह रही है की उसी विवाद की वजह से उसके पड़ोसी दुकानदार ने सोच--समझकर उसकी जान लेने की नियात से उसे बिजली का करेंट लगा दिया।सात दिन पहले वह बिजली करेंट की चपेट में आई थी।इस करेंट की चपेट में उसके दो बच्चे भी आये थे लेकिन उन्हें मामूली जख्म थे और वे अभी ठीक हैं।उसे बिजली करेंट काफी जबरदस्त लगा जिस वजह से वह अधमरी है।पीडिता की माँ जईनी देवी बता रही है की एक तो उसकी बेटी की जान लेने की कोशिश हुयी अब पुलिस वाले आकर उनको और उनके दामाद को डराते हैं की केश मत करो।ग्यारह हजार रूपये आरोपी से लेकर मेल कर लो।उन्हें पुलिस वाले तरह--तरह की धमकी दे रहे हैं।समझ में नहीं आता की वे क्या करें। 
सहरसा टाईम्स की दखल के बाद सहरसा के मुख्यालय डी.एस.पी सह प्रभारी पुलिस अधीक्षक कैलाश प्रसाद ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सबसे पहले सदर थाना में मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।अधिकारी ने सहरसा टाईम्स से कहा की वे खुद इस मामले को देखेंगे और इस मामले में उचित कारवाई होकर रहेगी।अगर इस मामले में किसी पुलिस अधिकारी अथवा कर्मी दोषी पाए गए तो उनपर भी कारवाई होगी।
सहरसा पुलिस को किसी भी तरह की आंधी--तूफ़ान और बड़े--बड़े आदेश---निर्देश की परवाह नहीं है।यहाँ की पुलिस हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर काम करने की ना  केवल आदी है बल्कि वे वहीँ करेंगे जो उनकी मर्जी है।यहाँ दफा के लिए बोली लगती है और दफा बिकते हैं।यहाँ की खाकी इन्साफ के लिए नहीं बल्कि दलाली के लिए मशहूर है।

आनंद मोहन को न्याय दिलाने तीन पीढ़ी एक साथ जनता की अदालत में




मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट बहुचर्चित तत्कालीन गोपालगंज डी.एम जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन को न्याय दिलाने की मुहीम अब अपने परवान पर है।आनंद मोहन को न्याय दिलाने के लिए आगामी 16 जून को सहरसा के पटेल ग्राउंड में आहूत न्याय मार्च में भारी संख्यां में लोगों को पहुँचने के लिए आमसभा के माध्यम से आनंद मोहन की माँ,पत्नी और बेटा घूम--घूमकर लोगों को निमंत्रण दे रहे हैं।इसी कड़ी में जिले के सरडीहा गाँव में एक जनसभा का आयोजन हुआ जिसमें पहले तो आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को जहां ग्रामीणों ने सिक्के से तौला वहीँ माँ और पत्नी को फूलों से लाद दिया।सभा को संबोधित करते हुए आनंद मोहन की तीनों पीढ़ी ने समवेत स्वर में कहा की आनंद मोहन साजिश के शिकार होकर सजा काट रहे हैं।वे अब जनता की अदालत में न्याय के लिए आये हैं।बताना लाजिमी है की आनंद मोहन को न्याय दिलाने के लिए अभी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका,राज्यपाल और राष्ट्रपति के दरवाजे खुले हुए हैं।

हाथी पर बैठा आनंद मोहन का बेटा चेतन आनंद और गाडी पर बैठी माँ गीता देवी और पत्नी लवली आनंद पहले तो गाँव का भ्रमण किया फिर मंदिर में पूजा--अर्चना करते हुए सभा स्थल पहुंचे। सभा स्थल पर आनंद मोहन का जयकारा लग रहा था।आनंद मोहन के समर्थक जेल का फाटक टूटेगा और आनंद मोहन बाहर निकलेंगे के नारे से अघा नहीं रहे थे।सभा अन्य अतिथियों के साथ--साथ आनंद मोहन की माँ,पत्नी और बेटे ने भी बारी--बारी से संबोधित किया।इन तीनों का कहना था की आनंद मोहन हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे।सत्ता सुख के लिए उन्होनें कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्हें सुनियोजित साजिश के तहत फंसाकर आजीवन कारावास की सजा कराई गयी।निशाने पर मूल रूप से सुशासन बाबू नीतीश कुमार रहे।इन लोगों ने बड़े भावुक लहजे में कहा की वे जनता की अदालत जो सबसे बड़ी अदालत है वहाँ फ़रियाद लेकर पहुंचे हैं।आगामी 16 जून को सहरसा के पटेल ग्राउंड में आहूत न्याय मार्च में भारी संख्यां में लोगों को पहुँचने के लिए इनलोगों ने यहाँ की जनता से अपील की।
इस जनसभा और आगामी 16 जून को आहूत न्याय मार्च का फलाफल आखिर में जो भी निकले लेकिन अभी तो इतना साफ़ हो गया है की इन्साफ की इस लड़ाई के बहाने एक युवराज ने राजनीति में प्रवेश की घंटी बजा दी है।राजनीति के जानकारों के मुताबिक़ कभी राजपूतों के छत्रप माने जाने वाले आनंद मोहन की राजनीति का अब अवसान हो चुका है।चेतन के रूप में आनंद मोहन की सियासी पारी का यह आगाज है।देश के नामी शिक्षण संस्थानों से शिक्षा ग्रहण कर बेहतर भविष्य की तमाम संभावनाओं के बीच चेतन का पिता के लिए छेड़ी गयी यह मुहीम आगे क्या गुल खिलाएगा फिलवक्त इसपर कयास लगाना बेमानी है।अभी हम इतना जरुर कहेंगे की कोसी के इस छोरे में दम है।

रंगदारी दो फिर होगा गृह प्रवेश

मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट: सुशासन में गुंडों का राज है।आज सहरसा टाईम्स एक दंपत्ति की ऐसी दुखती--टीसती कहानी लेकर आपके सामने हाजिर है जिसमें सुशासन के तमाम दावों की हवा निकल रही है।बड़े अरमान के साथ जीवन के आखिरी पड़ाव पर सहरसा के एक प्रोफ़ेसर दंपत्ति ने अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई से पटना के पाटलिपुत्रा कोलोनी में करीब 40 लाख रूपये में एक फ्लैट खरीदा की जीवन के आखिरी दिन वहाँ सुकून से गुजारेंगे लेकिन वहाँ के रंगदार कह रहे हैं की पांच लाख रूपये रंगदारी दो तब होगा गृह प्रवेश।कॉलेज प्रोफ़ेसर इस दम्पति पर गम का पहाड़ टूटा है।आप खुद समझिये जिसने दिसंबर 2012 में फ्लैट खरीदा हो लेकिन अभीतक उसमें रह्बसर का उसे मौक़ा नहीं मिला हो तो उसपर क्या बीत रहा होगा।
 सहरसा के रमेश झा महिला कॉलेज में पदस्थापित प्रोफ़ेसर पति--पत्नी डॉक्टर एहसान शाम और डॉक्टर रेयाज बानो काफी डरे--सहमे हैं।सुशासन का राज समझकर इन्होनें पटना में यह सोचकर फ्लैट खरीदा की पटना में कानून का राज होगा उन्हें वहाँ अच्छे लोग मिलेंगे जिससे उनके जिन्दगी के आखिरी दिन अमन और सुकून में बीतेंगे। बड़े अरमान से घर खरीदा था।18 अप्रैल 2013 को वे अपने फ्लैट में गृह प्रवेश की तैयारी कर रहे थे की अचानक हथियार से लैस चार--पांच लोग घर के अन्दर घुस आये और गृह प्रवेश की प्रक्रिया को यह कहकर रोक दिया की इस फ्लैट में अगर रहना है तो पांच लाख रूपये रंगदारी दो।अचानक की इस विपत्ति से यह बुजुर्ग दंपत्ति घबरा गया।डॉक्टर एहसान शाम की पत्नी डॉक्टर रेयाज बानो जो हार्ट की पेशेंट हैं ने डर से तुरंत घर में रखे पचास हजार रूपये रंगदारों को यह कह कर दिए की अब वे उनकी जान छोड़ दें।पीड़ित दंपत्ति उसी रात पटना से सहरसा लौट आया।उसके बाद रंगदार इनलोगों को फोन पर बांकी रूपये के लिए धमकी देने लगे।इस दंपत्ति ने पटना के दो रंगदार रुपेश कुमार झा और नन्द कुमार झा के नाम बताये हैं जो उनसे रंगदारी मांग रहे हैं।ये बता रहे हैं की वे इस विपदा से निजात दिलाने के लिए सहरसा और पटना पुलिस दोनों से फ़रियाद की लेकिन किसी ने उनकी एक ना सुनी।बताना लाजिमी है की डॉक्टर एहसान शाम सहरसा के कोसी चौक के समीप एक भाड़े के मकान में रहते हैं।शाम साहब देश के जाने--माने शायर हैं और देश के ना केवल कई मंचों पर अपनी शायरी का लोहा मनवा चुके हैं बल्कि इनकी लिखी दर्जनों किताबें बाजार में उपलब्ध हैं।इन्होने खुद की लिखे शेर पढ़कर भी सहरसा टाईम्स से अपने दर्द का बयान किया।दुःख की इस घडी में सहरसा टाईम्स को अपने सामने पाकर वे सहरसा टाईम्स से ना केवल इन्साफ की गुहार लगा रहे हैं बल्कि सहरसा टाईम्स के लिए दुआ भी कर रहे हैं।
सहरसा टाईम्स ने इस मामले को काफी संजीदगी और गंभीरता से लिया और इस बाबत पुलिस अधिकारी से जबाब--तलब किया।सहरसा के पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी अभी अवकाश पर हैं।उनकी गैर मौजूदगी में हमने प्रभारी पुलिस अधीक्षक कैलाश प्रसाद से इस घटना को लेकर तल्ख़ बातचीत की।सहरसा टाईम्स की दखल के बाद इन्होनें सदर थाना में काण्ड दर्ज करने का निर्देश दिया।इनका कहना है की इस मामले में पटना पुलिस की जिम्मेवारी बनती है की वह इसमें उचित कारवाई करे।वे पटना पुलिस को इस मामले को रेफर करते हुए वहाँ के अधिकारियों से बात भी करेंगे।चलिए कम से कम सहरसा टाईम्स के प्रयास के एक झटके में सहरसा में मामला तो दर्ज हुआ। सुदूर ग्रामीण इलाके या फिर और जिलों के शहरों की बात छोडिये,राज्य मुख्यालय पटना में भी गुंडों का राज है।सहरसा टाईम्स इस पीड़ित दंपत्ति को हर हाल में इन्साफ दिलाकर रहेगा।सूबे के मुखिया को कानून के राज में खौफ के राज की इस तस्वीर को सिद्दत से देखना चाहिए।

मई 25, 2013

कम्पाउंडर और झोला छाप डॉक्टर ने मिलकर लुटी नाबालिग की अस्मत

मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट : छेड़छाड़,जोर--जबरदस्ती और दुष्कर्म की घटनाओं से आज पूरा देश ना केवल मर्माहत है बल्कि उबल और खौल रहा है।ऐसे में सहरसा जिले के बिहरा थाना के मोकना गाँव से अगवा कर एक पंद्रह वर्षीय महादलित बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटी घटना से मानवता, रिश्ते--नाते,मर्यादा और इंसानियत के एक बार फिर से चिथड़े उड़े हैं। इस बार झोला छाप डॉक्टर और कम्पाउंडर ने मिलकर नाबालिग की अस्मत लुटी है।जानकारी के मुताबिक़ घटना बीते 23 मई की देर रात की है। पहले तो झोला छाप डॉक्टर ने पीड़ित बच्ची को अगवा कर पहले खुद उसकी इज्जत लुटी फिर अपने कम्पाउंडर दोस्त के साथ मिलकर जमकर उसे नोंचा।
विजय साह जो उसके गाँव के बगल के गाँव बरुआरी का रहने वाला है 23 मई की शाम में उसके घर आया।विजय पीडिता के यहाँ ही रात का खाना खाया और उसी के यहाँ सो भी गया।लेकिन रात जब गहरी हुयी तो विजय घर में घुसकर जबरदस्ती पीड़िता को अपनी मोटरसाईकिल पर लेकर फरार हो गया।पहले विजय पीड़िता को अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।दुसरे दिन पीड़िता को लेकर वह सुपौल अपने कम्पाउंडर दोस्त शिव कुमार के घर पहुंचा।दिनभर विजय और शिव कुमार फिर भर दिन पीड़िता की अस्मत से छूटकर खेलते रहे। अस्मत को चाक करने के बाद इन दरिंदों ने बीती देर शाम पीड़िता को सुपौल बस स्टैंड पर यह कहकर छोड़ दिया की इस बात का किसी से जिक्र नहीं करना वर्ना मौत के घाट उतार दूंगा।सहरसा पुलिस को इस बात की भनक लगी उसने पहले तो लड़की को सकुशल बरामद किया फिर उसकी निशानदेही पर एक आरोपी शिव कुमार को सुपौल के चर्चित डॉक्टर बी.के.यादव के निजी क्लिनिक से दबोच लिया।लेकिन मुख्य आरोपी विजय साफ़ भागने में कामयाब हो गया।इस घटना के बाबत पीड़िता और उसके पिता सहरसा टाईम्स को जानकारी दिया। पिता तपेश्वर रामकहते हैं की उनकी पहचान पूर्व से ही विजय से थी लेकिन वह इतना बड़ा दरिंदा निकलेगा उन्हें इसका तनिक भी अहसास नहीं था।इन जालिमों को फांसी की सजा होनी चाहिए,इसकी वे मांग कर रहे हैं।
पुलिस पीड़िता के परिजन आवेदन पर कारवाई करते हुए एक आरोपी को दबोचने के बाद पीड़िता का मेडिकल चेकअप कराने में जुटी है।बिहरा थाना के एस.आई आर.भूषण का कहना है की इस मामले के एक अन्य आरोपी को गिरफ्त में लेने के लिए पुलिस संभावित ठिकानों पर छापामारी कर रही है।
आखिर क्या हो गया है इस समाज को।क्यों पापियों की संख्यां में बदस्तूर इजाफा हो रहा है।आखिर कब और कैसे महफूज रह सकेंगी हमारे घर की लाडलियां।कहते हैं की आप बदलेंगे तो जग बदलेगा।आखिर सुधार और बदलाव की लहर किधर से उठेगी।पल भर के जिश्मानी भूख मिटाने में आखिर क्यों ये दरिन्दे जीवन भर की टीस और मौत बाँट रहे हैं।

मई 24, 2013

फर्जी डॉक्टर बनकर कर रहा था छेड़छाड़

जिला परिषद् सदस्य गणेश मुखिया
सहरसा टाईम्स: छेड़छाड़ और जोर-जबरदस्ती के आपने अनेकों किस्से सुने और संभव है की बहुतेरी घटनाओं को अपनी नंगी आँखों से देखा भी होगा। लेकिन सहरसा टाईम्स आज छेड़छाड़ के एक ऐसे वाकये के साथ हाजिर है जिसे देख--पढ़कर ना केवल आपके पाँव के नीचे की जमीन खिसक जायेगी बल्कि आपका कलेजा भी मुंह को आ जाएगा।बीती रात सदर अस्पताल के महिला वार्ड में छेड़छाड़ की सुनामी आई।रात करीब दो बजे सदर अस्पताल के विभिन्य महिला वार्डों में सहरसा जिला के महिषी क्षेत्र के जिला परिषद् गणेश मुखिया फर्जी डॉक्टर बन महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे।जिला परिषद् महोदय खुद को महिला चिकित्सक बताकर महिलाओं और बच्चियों के बदन और गुप्तांगों को छेड़ने की कोशिश कर रहे थे।पहले तो इन पीड़ितों ने इन्हें सचमुच का डॉक्टर समझा लेकिन उनके उतालेपन को देखकर उन्हें दाल में कुछ काला नजर आया और उन्होनें शोर मचाना शुरू कर दिया।शोर सुनकर पीड़ित के परिजन और अस्पताल में मौजूद सुरक्षाकर्मी मौके पर आये और पहले तो उन्होनें जिला परिषद् को दबोचकर उनकी जमकर धुनाई फिर उन्हें सदर थाने की पुलिस के हवाले कर दिया।
सबसे पहले चलिए सदर अस्पताल जहां पहले हम आपको महिला वार्ड का नजारा दिखाते हैं और पीड़ितों से मिलवाते हैं।ये वे तमाम महिला कक्ष हैं जहां जिला परिषद् सदस्य गणेश मुखिया बीती रात फर्जी डॉक्टर बनकर घूम--घूमकर महिला और बच्चियों का चेकअप कर रहे थे।प्रसूता कक्ष,महिला सर्जिकल वार्ड और महिला जेनेरल वार्ड कोई भी वार्ड ऐसा नहीं बचा जहां जिला परिषद् महोदय ने पहुंचकर अपना जौहर दिखाने का प्रयास नहीं किया। पीड़ित के परिजन भी रात में घटी इस घटना के बारे में खुले सफे से जानकारी देते हुए कह रहे हैं की महिलाओं के द्वारा शोर मचाने पर वे बाहर से दौड़कर मौके पर पहुंचे और पहले तो उक्त फरेबी को दबोचकर उनकी जमकर धुनाई की फिर पुलिस के हवाले किया।
अन्य मामलों की तरह इस मामले में भी हवालात में बंद रसिया जिला परिषद् गणेश मुखिया खुद को बेकसूर बता रहे हैं।इनकी माने तो ये अपने एक रिश्तेदार मरीज को देखने सदर अस्पताल पहुंचे थे।इसी दौरान कुछ मरीजों का उन्होने कुशल--क्षेम भर पूछा।
डी.एस.पी कैलाश प्रसाद
इधर पुलिस के अधिकारी डी.एस.पी कैलाश प्रसाद भी इस घटना की ना केवल पुष्टि कर रहे हैं बल्कि पीड़िताओं के बयान पर सदर थाना में छेड़छाड़ का काण्ड अंकित करते हुए आरोपी को जेल भेजने की कवायद में भी जुटे हैं।पुलिस अधिकारी सदर अस्पताल के चिकित्सकों पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं की आखिर वे कहाँ रहते हैं की बाहर का कोई आदमी डॉक्टर का चोला पहनकर विभिन्य वार्डों में घुसकर ऐसी घटना को अंजाम दे देता है।इस घटना ने यह साबित कर दिया है की महिलायें और बच्चियां घर से लेकर सड़क तक ही नहीं जहां वे जिन्दगी से जंग लड़ती हैं वहाँ भी सुरक्षित नहीं हैं।
इस संसार में पापियों के पौ बारह हैं जिससे कुकृत्यों पर लगाम लग पाना मिल का पत्थर साबित हो रहा है।अब जनता द्वारा चुने गए उनके जनप्रतिनिधि भी अस्मत को चाक करने के लिए कमर कसे दिखने लगें तो औरों को लेकर क्या शब्द दें।

मई 21, 2013

पलायन एक्सप्रेस

सहरसा टाम्स::----  सरकार चाहे लाख दावे कर लें,लाख विकास के ढोल--ताशे पीट ले लेकिन कोसी क्षेत्र से गरीब तबके के लोगों का पलायन यहाँ की नियति बन चुकी है.घर का चूल्हा जलाना हो,अपनों के पेट की भूख मिटानी हो तो घर छोड़कर दूसरे प्रान्तों में रोजी--रोजकार के लिए जतन करने ही होंगे.कोसी कछार का यह इलाका भूख,बीमारी और बेकारी की नयी ईबारत लिख रहा है. केंद्र की मनरेगा योजना हो या फिर गरीबों के हितार्थ केंद्र अथवा राज्य की कोई भी सरकारी योजना हो उसका लाभ आजतक वाजिब लाभुकों तक नहीं पहुँच सका है. आखिर कमाएंगे नहीं तो खायेंगे क्या.बूढ़े माँ--बाप की जरूरतें और इलाज के साथ--साथ बीबी बच्चों की जिन्दगी का सवाल. पलायन इस इलाके के लोगों की जिन्दगी बन गयी है. सहरसा स्टेशन पर पलायन का जन सैलाब उमड़ा रहता है. हर किसी को जाना है लेकिन बस एक ट्रेन जनसेवा एक्सप्रेस है जो सहरसा से अमृतसर तक जाती है.इस ट्रेन को पलायन एक्सप्रेस भी कहते हैं.हद बात तो यह है की लोग इसी ख़ास ट्रेन पर भेड़--बकरी की तरह जान जोखिम में डालकर अपने घर आते भी हैं और यहाँ से पलायन करके जाते भी हैं. 
जब सवाल पेट का हो,अपनों को जिन्दगी देने--रखने का हो,तो कब आना और कब जाना.कहाँ आना और कहाँ जाना.कोई ठौर ठिकाना ही नहींअगर सरकारी योजनाओं का लाभ गरोबों को मिलता और इस इलाके में रोजगार के समुचित अवसर मिलते तो इस इलाके का नजारा ही कुछ और होता.लेकिन आलम यह है की घर का चूल्हा कहीं खामोश ना हो जाए यानि पेट की आग बुझाने और घर के लोगों की जिन्दगी चल सके इसके लिए इस इलाके के लोग परदेश जाकर कमाने को विवश रहते है.कोसी प्रमंडल के तीन जिले सहरसा, मधेपुरा और सुपौल इलाके के गरीब और कमजोर तबके के लोग इसी स्टेशन से परदेश का सफ़र तय करते हैं.. 
  आखिर में हम तो यही कहेंगे की दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा,जीवन हैं अगर जहर तो उसे पीना ही पड़ेगा.आखिर कब इन गरीब--मजलूमों पर अल्लाह मेहरबान होगा.दोजख में इनकी बेईमान बनी जिन्दगी कब खुशियों से सराबोर हो पाएंगी.आखिर कब बहुरेंगे इनके दिन. सत्तासीनों के दम पर कुछ भी उम्मीदें पालना अब सरासर जुल्म होगा.

मई 19, 2013

अंध विश्वास का घना कोहरा

कालाजार से पीड़ित बच्चे को तांत्रिक ने झाड़ -फूंक के दौरान उसके हाथ को जलाया/// मुकेश कुमार सिंह ///
विज्ञान के चमत्कार से आज आदमजात ना केवल पूरी तरह से भौचक है बल्कि आसमानी सत्ता की तरह विज्ञान को भी ताकतवर समझने को विवश भी है। समय के इस दौर में एक तरफ लोग आज चाँद पर ना केवल पहुँच चुके हैं बल्कि चाँद पर घनी आबादी बसाने की जुगात में भी हैं।ऐसे में कोसी इलाके में अंधविश्वास का घना कोहरा छाया हुआ है और इलाके के गरीब और अनपढ़ लोग अन्धविश्वास के मकड़जाल में फंसे अपनी और अपने परिजनों की जिन्दगी को दाँव पर लगा रहे हैं। ताजा वाकया सुपौल जिले के अमहा गाँव का है जहां एक बच्चे को कालाजार हो गया लेकिन उसके परिजन उसका इलाज कराने की जगह उसे एक तांत्रिक के पास लेकर चले गए।तांत्रिक ने उस बच्चे का पहले तो जमकर झाड़--फूंक किया और जब इससे बात नहीं बनी तो गर्म सलाख से बच्चे के हाथ को जलाया।लेकिन बच्चे का बुखार कम होने की जगह बढ़ता ही गया।
बच्चे की जिन्दगी फंसी देखकर बच्चे के परिजनों को तब होश आया और वे बच्चे को ओझा के चंगुल से निकालकर सदर अस्पताल सहरसा लाये जहां अभी बच्चे का इलाज हो रहा है।अस्पताल के डॉक्टर कह रहे हैं की कालाजार का इलाज सिर्फ और सिर्फ दवा से संभव है इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए सहरसा टाईम्स भी सिद्दत से आगे आये,ताकि लोग अंधविश्वास में फंसकर असमय अपनी और अपनों की जिन्दगी गंवाने से बच सकें।।  इधर बच्चे के साथ आई गाँव की एक महिला मदनी देवी भी झाड़--फूंक को बिल्कुल नाजायज करार देते हुए कह रही है जो भी हुआ वह पूरी तरह से गलत हुआ।तांत्रिक इस बच्चे की जान लेने पर तुला हुआ था लेकिन उनलोगों ने बच्चे को यहाँ लाने के लिए बच्चे के परिजनों को विवश किया। 
डॉक्टर विनय कुमार
इस पुरे मसले को लेकर कालाजार वार्ड के प्रभारी डॉक्टर विनय कुमार का कहना है की अशिक्षा की वजह से लोग अंधविश्वास में फंसे हुए हैं। कालाजार का उपचार सिर्फ दवा से संभव है।डॉक्टर ने सहरसा टाईम्स से अपील करते हुए कहा की सहरसा टाईम्स इस मसले को सिद्दत से उठाये जिससे लोगों में जागरूकता आये और लोग इस अंधविश्वास में फंसने से बच सकें।
सहरसा टाईम्स हमेशा की तरह इस बार भी अपने सामाजिक दायित्व के प्रति ना केवल सजग और ईमानदार है बल्कि सिद्दत से आवाज भी बुलंद कर रहा है की लोग किसी भी सूरत में तंत्र--मन्त्र के चक्कर में ना पड़ें और समय से डॉक्टर के पास पहुंचे ताकि समय पर सही मर्ज का पता चल सके और आगे उस मर्ज से निजात पाने के लिए उचित उपचार हो सके।

मई 18, 2013

कृषि विभाग में हंगामा और तालाबंदी लाईव

सहरसा टाईम्स: जिला कृषि विभाग में पिछले तीन वर्षों से विषय वस्तु विशेषज्ञ (SMS) पद पर कार्यरत दर्जनों युवकों का धैर्य आज एक साथ जबाब दे गया और इस वजह से उन्होनें ना केवल समवेत विभाग में हल्ला बोला बल्कि कृषि विभाग में हंगामा और तालाबंदी करके वहीँ पर अनिश्चितकालीन धरने पर भी बैठ गए।इन पीड़ितों का कहना है की एक तो सरकार पिछले तीन वर्षों से उन्हें दुह कर काम लिया अब सरकार की गलत नीतियों की वजह से माननीय सर्वोच्च न्यालय के आदेश पर इनकी सेवा को 15.05.2013 को खत्म कर दिया गया है।सरकार की श्री विधि योजना को सफल बनाने के लिए उन्होनें जमकर पसीना बहाया।इस विधि से एक तरफ जहां किसानों ने खूब तरक्की की वहीँ सरकार ने भी जमकर वाहवाही लुटी।सेहरा अपने सर बांधकर सरकार तो अपना ताजपोशी करवा रही है लेकिन वे सभी पल में सड़क पर आ गए हैं।इस अन्याय के खिलाफ आज उनलोगों ने लड़ाई का आगाज किया है और जबतक उन्हें पूरा न्याय नहीं मिल जाता है वे कृषि विभाग में एक भी काम नहीं होने देंगे। 
 तालाबंदी की सूचना पाकर सदर एस.डी.ओ शम्भुनाथ झा खुद मौके पर आये और उन्होने धरनार्थियों से वार्ता की।अगिया--बेताल हुए ये सभी SMS इन्हें अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा की वे लोग विभाग में काम--काज नहीं होने देंगे।कल तक वे इस विभाग के अंग थे और पल में सड़क पर आ गए हैं।एस.डी.ओ साहब का कहना है की यह मामला जिला स्तर का नहीं है।वे इनलोगों की मांग को सरकार तक पहुंचाएंगे और आगे जो भी फैसला होगा वह सरकार के स्तर पर ही संभव है। 
अब आगे इन पीड़ितों के साथ जैसा भी न्याय हो लेकिन अभी तो यह साफ़ हो गया है की सरकार की गलत नीति की वजह से ये लोग यक ब यक सड़क पर आ गए हैं।आखिर में हम इतना तो जरुर कहेंगे की सरकार की विविध विभागों में नियोजन की परिपाटी ने जहां एक तरफ काम--काज के तौर तरीकों को पूरी तरह से गडमड करके रख दिया है तो वहीँ दूसरी तरफ काम करने वालों को भी संसय में रखकर उन्हें स्थिरता से च्युत कर दिया है।

मई 14, 2013

मजलूमों का हल्ला बोल

मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट: सरकारी योजनाओं की बदरंग तस्वीर और थोक में उसके काले सच को हमने कई बार अपने दर्शकों के सामने परोसा है।लेकिन इस बार जो तस्वीर और आलम लेकर हम हाजिर हो रहे हैं वह सरकार के तमाम दावों की ना केवल पोल खोल रहा है बल्कि सरकार सहित उसके तमाम तंत्रों को सिद्दत से कटघरे में भी खड़े कर रहा है। सहरसा के नवहट्टा प्रखंड के विभिन्य पंचायतों के सैंकड़ों लोगों ने  प्रखंड कार्यालय पर ना केवल हल्ला बोलकर जमकर हंगामा और नारेबाजी की बल्कि प्रखंड कार्यालय परिसर में ही अनिश्चितकालीन धरना पर भी बैठ गए।ये वे तक़दीर के मारे लोग हैं जो एक तो हर साल बाढ़ और सुखाड़ का दंश झेलते हैं बल्कि वर्षों से सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए टकटकी लगाए हुए भी हैं लेकिन फटी तक़दीर इनकी,की आजतक इन्हें एक भी योजना का लाभ नहीं मिला ।
नवहट्टा प्रखंड कार्यालय
-यह नजारा है सहरसा के नवहट्टा प्रखंड कार्यालय का।इस प्रखंड में चौदह पंचायत हैं।इस प्रखंड का एक बड़ा हिस्सा पूर्वी और पश्चिमी कोसी तटबंध के भीतर बसता है।देखिये इस चिलचिलाती धुप और जानलेवा गर्मी में युवा--प्रौढ़ से लेकर बुजुर्गों का हुजूम यहाँ उमड़ा है।आज सहरसा टाईम्स   कंप्यूटर पर चमचमाती विकास की खुबसूरत तस्वीरों से इतर सच की ऐसी साबूत तस्वीरें दिखा रहा है जो सरकार से लेकर उनके मुलाजिमों की तमाम बेजा और छलावे की करतूतों को बेनकाब करने के लिए काफी हैं।ये सारे लोग पिछले पांच--छः वर्षों से विभिन्य तरह की सरकारी योजनाओं के लाभ लेने के  लिए पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय का ना केवल चक्कर लगा कर थक गए हैं बल्कि योजनाओं का लाभ उन्हें मिले इसके लिए हाकिम मुलाजिमों को बख्सीस और नजराने देकर भी परेशान हाल हैं।तमाम भागीरथी कोशिश के बाद भी उन्हें किसी भी योजना का लाभ आजतक मयस्सर नहीं हुआ। इनलोगों को ना तो वृद्धा पेंशन,ना तो लक्ष्मीबाई विधवा पेंशन,ना तो विकलांग पेंशन,ना इंदिरा आवास और ना ही कन्या विवाह योजना का लाभ यानि किसी भी सरकारी योजना का लाभः इन्हें नहीं मिला है।यही नहीं राशन और किरासन के लाभ से भी ये वंचित हैं।हद की इंतहा देखिये इनमें से बहुतो तो ऐसे हैं जिन्हें आजतक बीपीएल का दर्जा भी प्राप्त नहीं हो सका है।
नवहट्टा प्रखंड के बी.डी.ओ रामदेव ठाकुर
अगर बेशर्मी और बेहयाई की जिन्दा तस्वीर देखनी हो तो यह उसकी मिशाल होगी।बाहर पीड़ितों का हुजूम खडा है।लोग कहकर कह रहे हैं की उन्हें योजनाओं का लाभ अभीतक नहीं मिला है।लेकिन साहेब तो साहेब ठहरे।नवहट्टा प्रखंड के बी.डी.ओ रामदेव ठाकुर कह रहे हैं की सभी को लाभ मिल रहे हैं।  इलाके के जिला पार्षद प्रवीण आनंद भी इन पीड़ितों के साथ में आवाज बुलंद करते हुए कहते हैं की सरकार को इस सच को देखना होगा।यह प्रखंड दलालों के चंगुल में है।प्रखंड में जनहित के काम की जगह पर ऐसी दूकान चल रही है जहां योजनाओं के लिए सौदा होता है।जबतक इन पीड़ितों का हक़ इन्हें नहीं मिल जाता है तबतक वे भी इनके धरना में इनके साथ खड़े रहेंगे।
ए.सी कमरे में योजनायें बनती हैं जिसके लिए पहले से कोई होमवर्क नहीं होता है।बड़ी योजनायें जमीन पर उतरने से पहले ही काल--कलवित हो जाती हैं,इसका मुख्य कारण यही है।और हद तो यह है की सरकार इन सच की तस्वीरों को देखने से गुरेज-परहेज करती है जो बदरंग सच को और भयावह बना देती है।सरकार को कंप्यूटर में कैद विकास के कसीदे वाले आंकड़े और उसमें भरी विकास की नायाब तस्वीरों से इतर सही तस्वीर देखने की आदत डालनी होगी।जनता का भला करने के लिए आरोप-प्रत्यारोप और नुक्ताचीनी की जगह अब पूर्वाग्रह से मुक्त होकर सरकार को वाजिब में काम करना होगा।

दिनदहाड़े चाक़ू मारकर युवक से लूट

मुकेश कुमार सिंह: अपराध पर लगाम लगाने में पूरी तरह से विफल सहरसा पुलिस पर अपराधी न केवल पूरी तरह से भारी पर रहे हैं बल्कि पुलिस को वे लगातार चुनौती भी दे रहे हैं।जाहिर सी बात है की नतीजतन बेखौफ अपराधी दिन--दहाड़े बड़ी से बड़ी घटना को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं। दिन--दहाड़े सदर थाना के अति व्यस्ततम महावीर चौक स्थित पंजाब नेशनल बैंक अपने प्लाई की दूकान से रुपया जमा करने पहुंचे एक युवक को पहले से घात लगाए दो युवकों ने चाक़ू मारकर उससे 49 हजार रूपये छीन लिए और आराम से चलते बने। सुस्त और लापरवाह सहरसा पुलिस ने ड्यूटी बजाने के नाम पर पीड़ित युवक को सदर अस्पताल पहुंचाया है जहां उसका इलाज चल रहा है। पीड़ित युवक जिला मुख्यालय के सहरसा बस्ती का रहने वाला है। 
इधर मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी सदर इन्स्पेक्टर सूर्यकांत चौबे जहां बैंक के गार्ड को डांट पिला रहे हैं वहीँ जख्मी युवक को इलाज के लिए अस्पताल भी भेज रहे हैं।घटना लूट की है लेकिन इनकी नजर में यह पाकेटमारी है। पुलिस अधिकारी इस घटना में बैंक गार्ड की लापरवाही को भी एक बड़ी वजह बता रहे हैं।बैंक अधिकारी रौशन कुमार बड़े साफ़ लहजे में कह रहे हैं की यह घटना बैंक के अन्दर नहीं बल्कि बाहर घटी है और उनके बैंक में गार्ड मौजूद है।इनके बयान से लगता है की शायद इनकी कोई जिम्मेवारी नहीं है।
आखिर अपराधियों का मनोबल इतना हाई क्यों है जो वे दिन--दहाड़े हर तरह की घटना को अंजाम दे रहे हैं।आखिर हाईटेक पुलिस क्या कर रही है।हम तो यही कहेंगे की सहरसा जिले के लोगों की सुरक्षा पुलिस के नहीं बल्कि अपराधियों की रहमो--करम पर टिकी है।अगर आप सुरक्षित हैं तो समझिये अपराधियों की मेहरबानी आप पर बरस रही है।

कोर्ट हाजत से भाग रहे बंदी की पुलिस ने जमकर की धुनाई

सहरसा टाईम्स :  पेशी के लिए मंडल कारा से सहरसा व्यवहार न्यायालय लाये गए बंदियों में से आज एक बंदी कोर्ट हाजत से फरार हो गया।लेकिन इस बात की भनक तुरंत मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को लग गयी।इन्होनें घेराबंदी करके इस बंदी को ना केवल दबोच लिया बल्कि उसकी इस कदर धुनाई कर दी की अब उसकी जान पर बनी है।
देखिये सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष के बाहर स्ट्रेचर पर पडा यह विचाराधीन बंदी विद्या शर्मा है। मंडल कारा से इसे लाकर कोर्ट हाजत में रखा गया था।जैसे ही इसे कोर्ट हाजत से निकालकर पेशी के लिए कोर्ट ले जाया जाने लगा की सुरक्षाकर्मी के हाथ छुडाकर यह उड़न छू हो गया।लेकिन मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने हल्ला कर दिया।इतने में और सुरक्षाकर्मी जमा हो गए और भाग रहे इस बंदी को खदेड़ना शुरू कर दिया।करीब डेढ़ किलोमीटर खदेड़ने के बाद यह बंदी पुलिस की पकड़ में आया।इस बंदी ने पुलिस जवानों को खूब परेशान किया था जो पुलिस के लिए अपच करने वाली बात थी। क्रोध से अगिया--बेताल पुलिस जवानों ने इस बंदी की जमकर धुनाई की जिससे यह बंदी अधमरा हो गया। 
जेल अधीक्षक सत्यनारायण मंडल
इस बंदी को देखने पहुंचे जेल अधीक्षक सत्यनारायण मंडल से भी हमने तल्खी से सवाल किये।ये जनाब पुलिस और बंदी के बीच धक्का--मुक्की की बात कह रहे हैं।यानि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि हमें तो पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। भाग रहे बंदी को दबोचना पुलिस की बड़ी कामयाबी है लेकिन बेरहमी से उसकी पिटाई कहीं से भी जायज नहीं है।अभी यह बंदी इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती है।खुदा ना खास्ते अगर कोई अनहोनी हो गयी तो इसकी जबाबदेही कौन लेगा,सामने यक्ष प्रश्न खड़ा है।

मई 10, 2013

हवस के दरिंदों का खूनी खेल

चौथी कक्षा में पढने वाली महज दस वर्षीय मासूम बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म करके उसकी निर्मम ह्त्या /सोनवर्षा राज थाना के भादा गाँव की घटना /गाँव के ही चार युवकों के खिलाफ थाना में मामला दर्ज ///मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट//
पूरा देश आज बच्चियों पर हो रहे अत्याचार से ना केवल खौल और दहक रहा है बल्कि इसपर तल्खी से बहस और विमर्श का दौड़ भी बदस्तूर जारी है।इस मुद्दे को लेकर लोग कठोर से कठोर कानून बनाए जाने की पुरजोर जिद पर अड़े हैं।बाबजूद इसके बच्चियों पर जुल्मो--सितम कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। रूह को थर्रा देने और धमनियों में बहने वाले खून को जमा देने वाला ताजा वाकया जिले के सोनवर्षा राज थाना के भादा गाँव की है जहां एक मकई की खेत में महज दस वर्षीय एक मासून बच्ची के साथ गाँव के ही चार युवकों ने पहले तो बलात्कार किया फिर उसके गले में रस्सी का फंदा डालकर बेरहमी से उसकी ह्त्या कर दी।घटना आज सुबह करीब नौ बजे की है। पुलिस के आलाधिकारी मौके पर पहुंचकर तहकीकात में जुटे हुए हैं।मृत बच्ची की माँ के आवेदन पर चार युवकों को नामजद आरोपी बनाते हुए पुलिस ने जहां सोनवर्षा राज थाना में मामला दर्ज कर लिया है वहीँ लाश को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है।बच्ची के कपडे को फोरेंसिक जांच के लिए भी भेजा जा रहा है।
यह नजारा है सोनवर्षा राज थाना के भादा गाँव के उस घर का जहां मातम और दर्द की सुनामी आई है।मासूम बच्ची चौथी कक्षा में पढ़ती थी लेकिन आज वह स्कूल जाने की जगह सुबह आठ बजे अपने मकई की खेत में मकई के पत्ते काटने चली गयी।खेत के आसपास पहले से ही गाँव के चार युवक विक्कू यादव,पिंटू यादव,संजीव यादव और गजेन्द्र यादव खड़े थे।इन्हीं चारों ने पहले तो नन्ही सी जान को रौंदा फिर उसके गले में रस्सी का फंदा डाला और बेरहमी से उसका गला दबाकर उसकी निर्मम ह्त्या कर दी। घटना को अंजाम देकर ये चारों युवक वहाँ से फरार हो गए।करीब ग्यारह बजे गाँव के ही कुछ लोग खेत की तरफ गए थे जिन्होनें इस बच्ची की लाश को मकई की खेत में देखा। घटना की सुचना जैसे ही बच्ची के परिजनों की मिली की घर में कोहराम मच गया।देखिये इस घर का आलम।माँ ललिता देवी और बहन मनीषा भारती के साथ बच्ची के अन्य नजदीकी रिश्तेदार किस तरह से विलाप कर रहे हैं।मृत बच्ची के पिता अनिल यादव दिल्ली के एक कंपनी में मजदूरी करते हैं जो फिलवक्त गाँव में नहीं हैं। 
वक्त आंसू बहाने और मातम मनाने का था।समय की नजाकत को देखते हुए सीपीआई के नेता ओमप्रकाश नारायण भी अपनी सियासत चमकाने के लिए यहाँ पहुँच गए। बड़े दुखी लहजे में नेताजी जहां इस घटना को लेकर बता रहे हैं वहीँ समाज को कोसते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की मांग भी कर रहे हैं।
इस पूरी घटना को लेकर पुलिस फिलवक्त ह्त्या के मामले को गंभीरता से लेती हुयी दिख रही है लेकिन दुष्कर्म को लेकर अभी उसके मन में शंका बरकरार है।यूँ सिमरी बख्तियारपुर डी.एस.पी सत्यनारायण कुमार कह रहे हैं की पुलिस दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच में जुटी हुयी है।बच्ची के कपड़ों को जहां फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है वहीँ आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी की जा रही है।फिलवक्त सारे आरोपी घर छोड़कर फरार हो चुके हैं।
कुछ पल की नासमझी किसी के जीवन भर टीस और मौत का सबब बन जाती है।ऐसे निर्मम अपराध के लिए कड़े कानून की जरुरत तो है ही,जरुरत इस बात की भी है की वर्तमान पीढ़ी को नैतिक मूल्यों और सामाजिक संस्कारों के साथ--साथ मर्यादा और रिश्ते की गर्माहट और उसके मेड़ का भी गंभीरता से पाठ पढ़ाया जाए।व्यक्ति आगे निकलता जा रहा है और हमारे अनमोल संस्कार पीछे छुटते जा रहे हैं।

मई 09, 2013

बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को बनाया बंधक

सहरसा टाईम्स: आज सहरसा के बिजली विभाग में ना केवल जमकर हंगामा हुआ बल्कि विभाग के अधिकारी और कर्मियों को घंटों बंधक बनाकर भी रखा गया।बीते दो महीने से बिजली नहीं रहने से परेशान जिले के रकिया और पुरीख पंचायत के सैंकड़ों लोगों ने बिजली विभाग में ना केवल हंगामा किया बल्कि विभाग के अधिकारी और कर्मियों को घंटों बंधक बनाकर भी रखा।इस अफरातफरी के दौरान विभाग के सभी काम--काज ठप्प हो गए। दिन के साढ़े दस बजे से ही बिजली विभाग में हंगामा शुरू हुआ जो अनवरत घंटों चलता रहा। इस हल्ला बोल में जिले के महिषी विधान सभा के राजद विधायक अब्दुल गफूर भी ना केवल शामिल थे बल्कि अधिकारी की जमकर क्लास भी लगा रहे थे। आक्रोशित ग्रामीण बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता के कक्ष के बाहर बिजली विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे। बीते दो महीने से बिजली नहीं रहने की वजह से हलकान जिले के रकिया और पुरीख पंचायत के सैंकड़ों लोग यहाँ पर बबाल काटे। एक तो इस इलाके में दो किलोमीटर बिजली के तार काट लिए गये हैं दूजा ट्रान्सफार्मर भी जले हुए हैं।इस भीषण गर्मी में लोगों के जान पर बनी है।तमाम कोशिशों के बाद भी जब दो महीने तक बिजली सप्लाई शुरू नहीं हुयी तो थक---हारकर इन्हें आज ये कदम उठाना पड़ा।इनलोगों ने विभाग के तमाम अधिकारी से लेकर विभागीय मंत्री और राज्य मुख्यालय तक से बिजली चालू कराने का आग्रह किया लेकिन नतीजा सिफर निकला।लोगों का कहना है की सब से थेथ्थर विभाग बिजली विभाग है। इस विभाग के अधिकारी और कर्मी ही तार की चोरी करवाते हैं।बिना आन्दोलन के ये लोग कुछ भी नहीं सुनते हैं।इनलोगों को स्लाई रिंच से कसना होगा।आज ही देखिये जब इनको बंधक बनाया गया है तो वे लोगों की परेशानी को सुन और समझ रहे हैं।
बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता बेशर्मी भरे लहजे में कह रहे हैं की स्टीमेट बन गया है और तार की आपूर्ति की जा रही है।--------   सुनील कुमार,कार्यपालक अभियंता,बिजली विभाग,सहरसा।
सहरसा में बिजली विभाग के काम--काज का तरीका विगत कई वर्षों से ना केवल बिगडैल बल्कि पूरी तरह से लापरवाही भरा और अलमस्त है।इस विभाग के अफसर से लेकर मुलाजिम तक को जनता के हित से कोई सरोकार नहीं है।

सड़क हादसे में मौत

सहरसा टाईम्स: आज सुबह एक बार फिर रफ़्तार ने कहर बरपाया है।जिला मुख्यालय स्थित रेलवे कोलोनी में एक रेलवे गार्ड के.पी.कर्ण के यहाँ आयोजित शादी समारोह में शामिल होने के उपरान्त वापिस अपने घर समस्तीपुर लौट रहे एक परिवार पर आज सुबह हादसे की गाज गिरी।यह परिवार एक स्कार्पियो गाड़ी से वापिस लौट रहे थे की बिहरा थाना के बेला---बगरौली गाँव में तेज रफ़्तार की वजह से ड्राईवर ने अपना संतुलन खो दिया और गाड़ी बगल के एक गड्ढे में कई पलटी मारती हुयी गिर गयी।इस हादसे में जहां गाड़ी के ड्राईवर मुरारी चौधरी की मौके पर ही मौत हो गयी वहीँ 12 लोग जख्मी हुए।घायलों का इलाज सदर अस्पताल सहरसा में हो रहा है जिसमें से चार की हालत नाजुक है।इन चारों में एक महिला और तीन बच्चे शामिल हैं जिन्हें बेहतर इलाज के लिए PMCH रेफर किया गया है।इस मामले में पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर जहां उसे पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है वहीँ वह क्षतिग्रस्त स्कार्पिओ गाड़ी को थाना लाने की कवायद में भी जुटी है।बताते चलें की मृतक ड्राईवर मुजफ्फरपुर का रहने वाला था और जख्मी परिवार रेलवे गार्ड के.पी.कर्ण के नजदीकी रिस्तेदार थे।
लापरवाही ने जहां ड्राईवर को असमय मौत की नींद सुला दिया वहीँ एक परिवार के कई सदस्य जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।आखिर रफ़्तार पर कैसे और कौन लगाम लगाएगा जिससे इस तरह की बेजा जानलेवा घटना घटित ना हो।

मई 05, 2013

इस अस्पताल में जांच नहीं होती है साहेब

///सनसनीखेज खुलासा-- मुकेश  कुमार सिंह सहरसा टाईम्स///
कोसी इलाके के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल का हाल है बेहाल /इस अस्पताल में मरीजों की किसी भी तरह की जांच नहीं होती///
सिर्फ कोसी प्रमंडल नहीं बल्कि कोसी इलाके के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल सहरसा का हाल इनदिनों काफी बेहाल है।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की कोसी प्रमंडल के सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले के अलावे सीमावर्ती जिला खगड़िया के मरीजों के साथ--साथ नेपाल इलाके के मरीज भी यहाँ इलाज के लिए आते हैं  लेकिन इस अस्पताल में मरीजों की किसी तरह की भी जांच नहीं होती है।सदर अस्पताल में ना तो पैथोलोजी है और ना ही एक्स--रे की व्यवस्था।विगत कुछ वर्षों से मरीजों को बेहतर जांच सुविधा देने के नाम पर सरकार ने प्राईवेट साझीदार के साथ मिलकर क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर की शुरुआत की थी जिसमें 85 तरह के मुफ्त जांच की व्यवस्था थी लेकिन यह सेंटर को सरकार ने विगत एक अप्रैल को बंद कर दिया है।अब इस सेंटर में किसी भी तरह की जांच नहीं होती है।यानि इस अस्पताल में अब किसी भी तरह की कोई भी जांच नहीं होती है।जाहिर तौर पर पचास लाख से अधिक आबादी के लिए सबसे महत्वपूर्ण अस्पताल फिलवक्त फकत मजाक बनकर रह गया है।

करीब पचीस एकड़ में पसरे और आलिशान भवनों से सुसज्जित कोसी इलाके के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल सहरसा में मरीजों की किसी भी तरह की जांच की व्यवस्था नहीं है।अस्पताल का एक्स--रे और पैथोलोजी महीनों पहले से बंद पड़ा है।विगत कुछ वर्षों से अस्पताल परिसर के एक भवन में ही क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर चल रहा था जहां मरीजों के खून,पेसाब,पाखाना,अल्ट्रासाउंड,इसीजी,एक्स--रे सहित अलग--अलग 85 तरह की जांच की जाती थी।इस सेंटर के खुलने से गरीब--गुरबे मरीजों को काफी राहत और मदद मिलती थी।लेकिन विगत एक अप्रैल से सरकार ने इस सेंटर को बंद कर दिया है। अब मरीज दूर---दराज इलाके से इस अस्पताल में इलाज के लिए तो पहुँचते हैं लेकिन उनकी किसी भी तरह की जांच यहाँ पर नहीं हो रही है।मरीज और उनके परिजन त्राहिमाम कर रहे हैं।शकीना,जवाहर यादव,अमरेन्द्र कुमार रमण,कारी यादव,अनवर,ललित कुमार पासवान,संतोष कुमार सिंह आदि सभी-चीख-चिल्ला और तड़प रहे हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
इलाके के समाजसेवी प्रवीण आनंद और राजन सिंह जैसे कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अस्पताल में जांच नहीं होने और डायग्नोस्टिक सेंटर के बंद किये जाने से काफी खफा हैं और स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर सरकार तक को कोसने में लगे हैं।इनकी नजर में गरीब मरीजों के साथ बड़ा धोखा और मजाक हो रहा है।गरीब मरीज प्राईवेट जगहों पर जाकर विभिन्य तरह की जांच करवा रहे हैं जिसमें उनका खूब शोषण हो रहा है।इनका कहना है की जब डायग्नोस्टिक सेंटर बंद ही करना था तो सरकार ने इसे खोला क्यों था।ये कह रहे हैं की इस सेंटर के संचालक ने शायद समय पर राज्य स्वास्थ्य समिति को कमीशन नहीं दिया,इसी कारण से सेंटर को बंद किया गया है।येसहरसा टाईम्स से भी कह रहे हैं की सहरसा टाईम्स इस मुद्दे को सिद्दत से उठाये जिससे गरीबों का भला हो सके।ये यह प्रश्न भी खड़े कर रहे हैं की बिना जांच के इस अस्पताल में आखिर किस मर्ज का इलाज हो रहा है।सबकुछ मजाक और जानलेवा है।
सेंटर के संचालक का कहना है की सभी कुछ ठीक--ठाक चल रहा था लेकिन अचानक एक अप्रैल को सरकार ने सेंटर को बंद कर दिया।वे लोग रोज सेंटर आ रहे हैं लेकिन मरीजों की जांच नहीं कर पा रहे हैं।वे करें भी तो क्या।गरीब मरीज सेंटर पर आते हैं और हताशा लिए लौट जाते हैं।वे तरह--तरह की जांच यहाँ पर करते थे लेकिन अब सबकुछ बंद है।
गरीबों के साथ धोखा और ठगी अब रिवायत का शक्ल अख्तियार  कर चुका है।गरीब सिर्फ सियासत की वस्तु भर दिख रहे हैं।रब जाने कब इनके लिए ईमानदार कोशिश होगी और कब इनका सही से भला हो सके इसके लिए साबूत रास्ता तैयार होगा।

रेलकर्मियों से मारपीट,कई ट्रेनें बाधित

सहरसा टाईम्स: बीती रात करीब दो बजे 5209 जनसेवा एक्सप्रेस के टेक्नीशियन और ड्राईवर के साथ रेल पुलिस ने मारपीट की जिसके विरोध में आज सुबह से ही रेल यूनियन ना केवल आन्दोलन में उतरा है बल्कि स्टेशन पर हंगामा और नारेबाजी करते हुए  जनसेवा एक्सप्रेस और सहरसा से विभिन्य इलाके को जाने वाली तमाम गाड़ियों का परिचालन भी ठप्प कर दिया है।  बीच--बचाव करने आये ट्रेन के ड्राईवर जवाहर प्रसाद के साथ भी इनलोगों ने धक्का-मुक्की की।अमित कुमार को गंभीर चोट आई है।उनका एक हाथ जहां टूट गया है वहीँ सर में गंभीर चोट आई है।बेहतर इलाज के लिए उन्हें समस्तीपुर भेजा गया है।इस मारपीट की वजह का खुलासा नहीं हो पाया है।रेल सूत्रों के मुताबिक़ जैसे ही अमित कुमार अपना काम निपटाकर के ट्रेन के डब्बे से नीचे उतरे की रेल पुलिस उनपर टूट पड़ी।इस मारपीट की घटना से रेल यूनियन आज सुबह से ही रेल ट्रैक पर उतर आया और तमाम गाड़ियों का परिचालन ठप्प कर दिया।सभी रेलकर्मी सबसे अहम् गाड़ी जनसेवा एक्सप्रेस को पूरी तरह से कब्जे में लेकर घंटों आन्दोलन करते रहे। यूनियन के लोग जहां इस मामले में ठोस पहल और कारवाई की मांग पर अड़े थे वहीँ RPF के इन्स्पेक्टर और अन्य अधिकारी किसी तरह से वार्ता करके गाड़ी को प्रस्थान करवाने के लिए मशक्कत कर रहे थे। 
सहरसा टाईम्स की दखल और उसकी खबर के असर से GRP(राजकीय रेल पुलिस) द्वारा रेल कर्मी की इस पिटाई मामले में रेल SRP जीतेन्द्र मिश्रा ने रेल पुलिस के एक हवलदार विजय कुमार,दो सिपाही शिवदत्त यादव और भोला कुमार रंजन को निलंबित कर दिया।नतीजतन साढ़े बारह बजे दिन से रेल का परिचालन फिर से शुरू हो गया।रेल का परिचालन तो शुरू हो गया लेकिन कई घंटे तक सहरसा स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल रहा और घंटों रेल परिचालन बाधित रहा।बेबस यात्री बस तमाशबीन रहे।जनता की इस दिक्कत का खामियाजा आखिर कौन और किस तरह से देगा।

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।