///सनसनीखेज खुलासा-- मुकेश कुमार सिंह सहरसा टाईम्स///
कोसी इलाके के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल का हाल है बेहाल /इस अस्पताल में मरीजों की किसी भी तरह की जांच नहीं होती///
कोसी इलाके के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल का हाल है बेहाल /इस अस्पताल में मरीजों की किसी भी तरह की जांच नहीं होती///
सिर्फ कोसी
प्रमंडल नहीं बल्कि कोसी इलाके के PMCH कहे जाने
वाले सदर अस्पताल सहरसा का हाल इनदिनों काफी बेहाल है।आप यह जानकार हैरान
हो जायेंगे की कोसी प्रमंडल के सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले के अलावे
सीमावर्ती जिला खगड़िया के मरीजों के साथ--साथ नेपाल इलाके के मरीज भी यहाँ
इलाज के लिए आते हैं लेकिन इस अस्पताल में मरीजों की किसी तरह की भी जांच
नहीं होती है।सदर अस्पताल में ना तो पैथोलोजी है और ना ही एक्स--रे की
व्यवस्था।विगत कुछ वर्षों से मरीजों को बेहतर जांच सुविधा देने के नाम पर
सरकार ने प्राईवेट साझीदार के साथ मिलकर क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर की
शुरुआत की थी जिसमें 85 तरह के मुफ्त जांच की व्यवस्था थी लेकिन यह सेंटर
को सरकार ने विगत एक अप्रैल को बंद कर दिया है।अब इस सेंटर में किसी भी तरह
की जांच नहीं होती है।यानि इस अस्पताल में अब किसी भी तरह की कोई भी जांच
नहीं होती है।जाहिर तौर पर पचास लाख से अधिक आबादी के लिए सबसे महत्वपूर्ण
अस्पताल फिलवक्त फकत मजाक बनकर रह गया है।
करीब पचीस एकड़ में पसरे और आलिशान भवनों से सुसज्जित कोसी इलाके
के PMCH कहे जाने
वाले सदर अस्पताल सहरसा में मरीजों की किसी भी तरह की जांच की व्यवस्था
नहीं है।अस्पताल का एक्स--रे और पैथोलोजी महीनों पहले से बंद पड़ा है।विगत
कुछ वर्षों से अस्पताल परिसर के एक भवन में ही क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक
सेंटर चल रहा था जहां मरीजों के खून,पेसाब,पाखाना,अल्ट्रासाउंड, इसीजी,एक्स--रे
सहित अलग--अलग 85 तरह की जांच की जाती थी।इस सेंटर के खुलने से
गरीब--गुरबे मरीजों को काफी राहत और मदद मिलती थी।लेकिन विगत एक अप्रैल से
सरकार ने इस सेंटर को बंद कर दिया है। अब मरीज दूर---दराज इलाके से इस
अस्पताल में इलाज के लिए तो पहुँचते हैं लेकिन उनकी किसी भी तरह की जांच
यहाँ पर नहीं हो रही है।मरीज और उनके परिजन त्राहिमाम कर रहे
हैं।शकीना,जवाहर यादव,अमरेन्द्र कुमार रमण,कारी यादव,अनवर,ललित कुमार
पासवान,संतोष
कुमार सिंह आदि सभी-चीख-चिल्ला और तड़प रहे हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई
नहीं है।
इलाके के समाजसेवी प्रवीण आनंद और राजन
सिंह जैसे कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अस्पताल में जांच नहीं
होने और डायग्नोस्टिक सेंटर के बंद किये जाने से काफी खफा हैं
और स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर सरकार तक को कोसने में लगे हैं।इनकी नजर में
गरीब मरीजों के साथ बड़ा धोखा और मजाक हो रहा है।गरीब मरीज प्राईवेट जगहों
पर जाकर विभिन्य तरह की जांच करवा रहे हैं जिसमें उनका खूब शोषण हो रहा
है।इनका कहना है की जब डायग्नोस्टिक सेंटर बंद ही करना था तो सरकार ने इसे
खोला क्यों था।ये कह रहे हैं की इस सेंटर के संचालक ने शायद समय पर राज्य
स्वास्थ्य समिति को कमीशन नहीं दिया,इसी कारण से सेंटर को बंद किया गया
है।येसहरसा टाईम्स से भी कह रहे हैं की सहरसा टाईम्स इस मुद्दे को सिद्दत से
उठाये जिससे गरीबों का भला हो सके।ये यह प्रश्न भी खड़े कर रहे हैं की बिना
जांच के इस अस्पताल में आखिर किस मर्ज का इलाज हो रहा है।सबकुछ मजाक और
जानलेवा है।
सेंटर के संचालक का कहना है की सभी कुछ ठीक--ठाक चल रहा था लेकिन अचानक एक अप्रैल को सरकार ने सेंटर को बंद कर दिया।वे लोग रोज सेंटर आ रहे हैं लेकिन मरीजों की जांच नहीं कर पा रहे हैं।वे करें भी तो क्या।गरीब मरीज सेंटर पर आते हैं और हताशा लिए लौट जाते हैं।वे तरह--तरह की जांच यहाँ पर करते थे लेकिन अब सबकुछ बंद है।
गरीबों के साथ धोखा और ठगी अब रिवायत का शक्ल अख्तियार कर चुका है।गरीब सिर्फ सियासत की वस्तु भर दिख रहे हैं।रब जाने कब इनके लिए ईमानदार कोशिश होगी और कब इनका सही से भला हो सके इसके लिए साबूत रास्ता तैयार होगा।
सेंटर के संचालक का कहना है की सभी कुछ ठीक--ठाक चल रहा था लेकिन अचानक एक अप्रैल को सरकार ने सेंटर को बंद कर दिया।वे लोग रोज सेंटर आ रहे हैं लेकिन मरीजों की जांच नहीं कर पा रहे हैं।वे करें भी तो क्या।गरीब मरीज सेंटर पर आते हैं और हताशा लिए लौट जाते हैं।वे तरह--तरह की जांच यहाँ पर करते थे लेकिन अब सबकुछ बंद है।
गरीबों के साथ धोखा और ठगी अब रिवायत का शक्ल अख्तियार कर चुका है।गरीब सिर्फ सियासत की वस्तु भर दिख रहे हैं।रब जाने कब इनके लिए ईमानदार कोशिश होगी और कब इनका सही से भला हो सके इसके लिए साबूत रास्ता तैयार होगा।
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