मई 31, 2013

आनंद मोहन को न्याय दिलाने तीन पीढ़ी एक साथ जनता की अदालत में




मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट बहुचर्चित तत्कालीन गोपालगंज डी.एम जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन को न्याय दिलाने की मुहीम अब अपने परवान पर है।आनंद मोहन को न्याय दिलाने के लिए आगामी 16 जून को सहरसा के पटेल ग्राउंड में आहूत न्याय मार्च में भारी संख्यां में लोगों को पहुँचने के लिए आमसभा के माध्यम से आनंद मोहन की माँ,पत्नी और बेटा घूम--घूमकर लोगों को निमंत्रण दे रहे हैं।इसी कड़ी में जिले के सरडीहा गाँव में एक जनसभा का आयोजन हुआ जिसमें पहले तो आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को जहां ग्रामीणों ने सिक्के से तौला वहीँ माँ और पत्नी को फूलों से लाद दिया।सभा को संबोधित करते हुए आनंद मोहन की तीनों पीढ़ी ने समवेत स्वर में कहा की आनंद मोहन साजिश के शिकार होकर सजा काट रहे हैं।वे अब जनता की अदालत में न्याय के लिए आये हैं।बताना लाजिमी है की आनंद मोहन को न्याय दिलाने के लिए अभी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका,राज्यपाल और राष्ट्रपति के दरवाजे खुले हुए हैं।

हाथी पर बैठा आनंद मोहन का बेटा चेतन आनंद और गाडी पर बैठी माँ गीता देवी और पत्नी लवली आनंद पहले तो गाँव का भ्रमण किया फिर मंदिर में पूजा--अर्चना करते हुए सभा स्थल पहुंचे। सभा स्थल पर आनंद मोहन का जयकारा लग रहा था।आनंद मोहन के समर्थक जेल का फाटक टूटेगा और आनंद मोहन बाहर निकलेंगे के नारे से अघा नहीं रहे थे।सभा अन्य अतिथियों के साथ--साथ आनंद मोहन की माँ,पत्नी और बेटे ने भी बारी--बारी से संबोधित किया।इन तीनों का कहना था की आनंद मोहन हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे।सत्ता सुख के लिए उन्होनें कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्हें सुनियोजित साजिश के तहत फंसाकर आजीवन कारावास की सजा कराई गयी।निशाने पर मूल रूप से सुशासन बाबू नीतीश कुमार रहे।इन लोगों ने बड़े भावुक लहजे में कहा की वे जनता की अदालत जो सबसे बड़ी अदालत है वहाँ फ़रियाद लेकर पहुंचे हैं।आगामी 16 जून को सहरसा के पटेल ग्राउंड में आहूत न्याय मार्च में भारी संख्यां में लोगों को पहुँचने के लिए इनलोगों ने यहाँ की जनता से अपील की।
इस जनसभा और आगामी 16 जून को आहूत न्याय मार्च का फलाफल आखिर में जो भी निकले लेकिन अभी तो इतना साफ़ हो गया है की इन्साफ की इस लड़ाई के बहाने एक युवराज ने राजनीति में प्रवेश की घंटी बजा दी है।राजनीति के जानकारों के मुताबिक़ कभी राजपूतों के छत्रप माने जाने वाले आनंद मोहन की राजनीति का अब अवसान हो चुका है।चेतन के रूप में आनंद मोहन की सियासी पारी का यह आगाज है।देश के नामी शिक्षण संस्थानों से शिक्षा ग्रहण कर बेहतर भविष्य की तमाम संभावनाओं के बीच चेतन का पिता के लिए छेड़ी गयी यह मुहीम आगे क्या गुल खिलाएगा फिलवक्त इसपर कयास लगाना बेमानी है।अभी हम इतना जरुर कहेंगे की कोसी के इस छोरे में दम है।

1 टिप्पणी:

  1. जेल का फाटक टूटेगा और आनंद मोहन बाहर निकलेंगे

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