अमित अमर की रिपोर्ट-------
17 अगस्त की सुबह सहरसा वासियों के लिए दहशत भरी एक काली सुबह
बनकर आई थी.16 अगस्त की रात में सदर थाना के बेंगहा गाँव के एक आवसीय परिसर
में दो दोस्तों की बेरहमी से गर्दन रेतकर ह्त्या कर दी गयी थी.पौ फटते ही
जब इस बात की भनक आसपास के लोगों लगी तो लगा की आसमान फट पडेगा.धीरे---धीरे
इस नृशंस ह्त्या की खबर जंगल में आग की तरह इलाके में फ़ैल गयी.फिर
हत्यास्थल के आसपास हजारों की भीड़ जमा हो गयी जो अपने---अपने तरीके से घटना
की भर्त्सना और घटना के कारणों को लेकर कयासबाजी करने लगी.लोगों ने इस बड़ी
वारदात की सूचना पुलिस को दी.मौके पर पुलिस के अधिकारी पुरे आव--लस्कर के
साथ पहुंचे और दोनों लाश को अपने कब्जे में लेकर तफ्तीश की शुरुआत
की.ह्त्या दो दोस्तों की हुयी थी.मरनेवालों में एक विष्णु प्रभाकर उर्फ़
युगल किशोर यादव सहरसा जिले के सलखुआ थाना क्षेत्र के अफजलपुर गाँव का रहने
वाला था जबकि दुसरा शम्भू साह बेंगहा गाँव का ही रहने वाला था.घटना की
शुरूआती जानकारी के मुताबिक़ मृतक युगल किशोर यादव मैकनिकल इंजीनियर था
लेकिन उसने नौकरी नहीं की.जिले के बसौना गाँव में मृतक युगल की इंट भट्ठे
की चिमनी है.इसके अलावा वह करोड़ों के ठेके का काम भी करता था.यही नहीं उसे
प्रापर्टी डीलिंग का भी शौक था और वह जमीन खरीद--बिक्री का भी धंधा करता
था.दूसरा मृतक शम्भू साह बेंगहा गाँव का रहने वाला था और उसे भी जमीन--खरीद
बिक्री का चस्का लगा हुआ था.लेकिन शम्भू की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और
यही वजह थी की युगल से उसकी मित्रता हुयी.युगल की एक बहन की शादी बेंगहा
गाँव हुयी है जिस कारण युगल अक्सर बेगहा गाँव आता था.अब जबकी मौत हो चुकी
थी तो सबसे पहले थाने में मामला दर्ज करना आवश्यक था.मृतक युगल के पिता
रामदेव यादव के लिखित बयान पर सदर थाना में कमलेश यादव,किशोर शर्मा,मदन
शर्मा,मोहम्मद वासिम,रामचंद्र यादव और उमेश साह कुल 6 लोगों के खिलाफ नामजद
काण्ड अंकित किया गया.पुलिस ने इन आरोपियों में से दो कमलेश यादव और किशोर
शर्मा को घटनास्थल पर से ही गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया जबकि मोहम्मद
वासिम की गिरफ्तारी बाद में हुयी.बांकी के तीन आरोपी अभीतक फरार
हैं.पुरे घटनाक्रम की तटस्थ पड़ताल में सबसे पहले दोनों मृतकों की पारिवारिक
पृष्ठभूमि को जान लेना आवश्यक है.जिले के अफजलपुर गाँव का रहने वाला
विष्णु प्रभाकर उर्फ़ युगल किशोर यादव की शादी करीब डेढ़ वर्ष पूर्व खगड़िया
जिले के चौथम थाना अंतर्गत सिसवार गाँव में दिवंगत विजय यादव की पुत्री
निधि कुमारी से हुयी थी.निधि से युगल को आठ माह की एक बच्ची भी है.
युगल के
स्वसुर विजय यादव अपने इलाके के दबंद माने जाते थे.वर्ष 2007 में जिला
पुलिस और एस.टी.एफ के संयुक्त इनकाउंटर में विजय यादव मारे गए थे.मृतक विजय
यादव पूर्व में मुखिया थे और अभी उनकी बेबा लीला देवी मुखिया हैं.युगल
किसान परिवार से आता है और वह दो भाई था.उसके बड़े भाई खेतीबाड़ी करते
हैं.बेंगहा का रहने वाला शम्भू साह साधारण परिवार का था.उसे छः बेटियाँ हैं
जो अभीतक क्वांरी हैं.शम्भू इलाके में बिक्री की जमीं तलाशता था और उस
जमीन को सहरसा के प्रापर्टी डीलरों के माध्यम से बिक्री करवाता था.इस धंधे
में उसे जीने लायक कमीशन मिल जाता था.हालिया दिनों में वह जो बिक्री की
जमीन तलाशता था उसकी खरीददारी में युगल पैसे लगाता था.सूत्र बताते हैं की
इस जमीन बिक्री में शम्भू की सक्रियता की वजह से इलाके की जमीन की कीमत भी
आसमान छूने लगी थी जिससे बहुतों को चिढ थी.इधर जिस आवासीय परिसर में दोनों
दोस्तों की ह्त्या हुयी है वह आवासीय परिसर मुंगेर के एस.पी नवीन चन्द्र
झा की है.नवीन चन्द्र झा जिले के दिघिया गाँव के रहने वाले हैं.बताना
लाजिमी है की उस आवासीय परिसर को लेकर भी बड़ा विवाद था लेकिन कुछ माह पूर्व
सहरसा पुलिस की भागीरथी मदद और उसकी मौजूदगी में उस विवादित जमीन की
चाहरदीवारी डाली गयी थी और उसके भीतर दो छोटे--छोटे कमरे बनाए गए थे.यहाँ
आपको यह भी बताना जरुरी है की इस आवासीय परिसर का मृतक शम्भू साह केयर टेकर
भी था.
सुस्त पुलिस पानी पर मार रही है डंडे
विभिन्य
मामलों में लकीर का फ़क़ीर बनी और हवा में तीर मारने वाली सहरसा पुलिस की
कारस्तानी की लम्बी फेहरिस्त है.सहरसा पुलिस के बारे में कहा जाता है की वह
सनसनीखेज हत्याकांडों की फायलों को ठन्डे बसते में डालने में माहिर
है.बेंगहा के दोहरे हत्याकांड मामले में वक्त बीतते चले जा रहे हैं लेकिन
पुलिस की जांच दो कदम भी आगे नहीं बढ़ पायी है.पुलिस ने अभीतक ना तो शम्भू
साह की बेबा और उनकी बेटियों के बयान लिए हैं और ना ही अफजलपुर गाँव जाकर
मृतक युगल की बेबा निधि,युगल के बड़े भाई और अगल--बगल के लोगों का बयान लेना
ही मुनासिब समझा है.खासकर के युगल का पूरा परिवार अभी तक सदमे में और
असुरक्षित है लेकिन उसकी सुरक्षा को लेकर भी पुलिस कहीं से भी गंभीर नहीं
है.पुलिस इस मामले में कितना गंभीर और मुस्तैद है यह इस बात से जाहिर हो
जाता है की अभीतक इस मामले में महज तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हो पायी है
लेकिन तीन अन्य आरोपी अभीतक फरार हैं.गौरतलब है की पुलिस की गिरफ्त में आये
तीन आरोपियों में से दो आरोपी पुलिस की गिरफ्त में घटना के के दुसरे दिन
ही आये हैं वे
घटना की सुबह मौके पर ही मिल गए थे.पुलिस की जांच की रफ़्तार ना केवल
अत्यंत धीमी है बल्कि पुलिस इस मामले के पटाक्षेप में उदासीन बनी दिख रही
है.
काहिल पुलिस की अलमस्त तफ्तीश
पुलिस
ने अभीतक इस हत्याकांड में इस्तेमाल हथियार को बरामद करने में भी सफलता
नहीं पायी है.ह्त्या की रात हत्यास्थल से महज कुछ फलांग पर और्केस्टा का
आयोजन किया गया था.और्केस्टा के आयोजन के पीछे किसका हाथ था.कहीं और्केस्टा
का आयोजन इसलिए तो नहीं किया गया था की अपराधी शोर के बीच आसानी से ह्त्या
की इस घटना को अंजाम दे सकें.मृतक युगल के पिता रामदेव यादव कहते हैं की
पुलिस की कार्यशैली से वे हैरान--परेशान हैं.अगर पुलिस फरार तीन आरोपियों
को गिरफ्त में ले पाती तो उनसे पूछताछ के बाद ह्त्या का खुलासा हो
जाता.लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है.पुलिस पर से उनका भरोसा उठता जा रहा
है.बेटे की ह्त्या से पूरी तरह से टूट चुके रामदेव यादव यह भी बताते हैं की
मृतक युगल बसौना के पास चिमनी चलाता था.युगल का कई लोगों के पास करीब
पंद्रह लाख इंट का बकाया भी था.
कुछ बिंदु जिसपर पुलिस की तफ्तीश जरुरी
इस
दोहरे हत्याकांड में पुलिस को कुछ खास विन्दुओं पर भी गौर करने चाहिए।
(पहला)----युगल के द्वारा इंट की उधारी देना कहीं ह्त्या की वजह तो नहीं ?
(दूसरा)----इस ह्त्या के पीछ प्रेम--प्रसंग या नारी देह तो नहीं ?
(तीसरा)-----जमीन खरीद--बिक्री में इलाके की जमीन की अप्रत्यासित बढ़ रही कीमत कहीं ह्त्या की वजह तो नहीं ?
(चौथा)------रूपये का उलट--फेर,लेन--देन कहीं हत्या की वजह तो नहीं ?
(पांचवां)----युगल के ससुराल पक्ष की विरासत और युगल की पारिवारिक पृष्ठभूमि कहीं इस ह्त्या की वजह तो नहीं ?
(छठा)-----मुंगेर एस.पी का विवादित आवासीय परिसर कहीं ह्त्या की वजह तो नहीं ?
जाहिर तौर पर दो दोस्तों की ह्त्या अचानक आक्रोश का प्रतिफल नहीं है.इस
ह्त्या के पीछे जमा हुआ आक्रोश है.इस ह्त्या के तरीके से यह साफ़ जाहिर हो
रहा है की इस ह्त्या की तैयारी पहले से थी और ह्त्या के लिए बस बेहतर मौके
का इन्तजार था.ह्त्या के कई दिन बीत जाने बाद भी पुलिस के हाथ अभीतक खाली
हैं.पुलिस की जांच पूरी तह से मंथर और सुस्त है.आखिर यहाँ की पुलिस को
कितनी बड़ी घटना का इन्तजार है जिसमें उसकी जांच त्वरित गति से वह भी
पारदर्शिता के साथ होगी.इस घटना के बाबत सहरसा के पुलिस अधीक्षक अजीत
सत्यार्थी का कहना है की इस हत्याकांड के पटाक्षेप के लिए अनुसंधान की दिशा
में काम हो रहा है.पटना से आई ए.एफ़.एस.एल की टीम घटनास्थल से फिंगर प्रिंट
लेकर गयी है.वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ स्थानीय पुलिस भी इस हत्याकांड की
गुत्थी सुलझाने में जुटी हुयी है.बहुत जल्द हत्याकांड के रहस्य पर से पर्दा
उठ जाएगा.
लोगों का भरोसा खोकर,कटघरे में खड़ी पुलिस
लगातार
कई सनसनीखेज ह्त्या मामलों की फाईलों को ठंडे बस्ते में डालकर जम्हाई लेने
में माहिर सहरसा पुलिस पर अब लोगों को मुकम्मिल तौर पर भरोसा कर पाना लगभग
नामुमकिन हो गया है.आगे हम इस खबर के माध्यम से कुछ हत्याकांड का जिक्र कर
रहे हैं जिस मामले में पुलिस आजतक ना केवल बस हवा में तीर मार रही है
बल्कि मामले का पटाक्षेप करने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हुयी है.
(पहला)----25 दिसम्बर 2011 की रात अगवा करके पान व्यवसायी शम्भू
चौरसिया की ह्त्या.इस मामले में नो क्लू करके पुलिस ने अपनी जांच पूरी
करके अपराध फाईल को बंद कर दिया है.
(दूसरा)----21 दिसंबर
2012 को महिषी थाना के बेलवारा गाँव की बारह वर्षीय सुधा की सामूहिक
दुष्कर्म के बाद गर्दन मरोड़कर निर्शंस ह्त्या।.इस मामले में आजतक किसी भी
आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
(तीसरा)----21 जून 2012 को डॉक्टर संतोष भगत को अगवा कर उसकी
ह्त्या कर लाश को मानसी के रेलवे ट्रैक पर फेंकने मामले में आज तक किसी भी
दोषी को चिन्हित करने तक में भी यहाँ की पुलिस कामयाब नहीं हुयी.
(चौथा)-----6
फ़रवरी 2013 को सदर थाना के महावीर चौक स्थित एक घर में करोडपति विधवा सहनी
देवी की गर्दन में फंदा लगाकर बेरहमी से ह्त्या मामले में अपराधियों को
आजतक ढूंढ पाने में पुलिस कामयाब नहीं हो सकी.
(पांचवां)----5 जून 2013 को सदर थाना के हक़पाड़ा गाँव के रहने
वाले तीस वर्षीय अनिल यादव की बेरहमी से ह्त्या कर लाश को रेलवे ट्रैक के
समीप फेंकने मामले में भी पुलिस ने आजतक किसी की भी गिरास्फ्तारी नहीं की
है.
बानगी के तौर पर पुलिस की सुस्ती के ये कुछ उदाहरण भर हैं.यूँ पुलिस
की सुस्ती की मोटी फाईल है जो पुलिस को नकारा और बेजा साबित करने के लिए
काफी हैं.इतने के बाद भी हम पुलिस से ये उम्मीद कर रहे हैं की पिछली
नाकामियों से पुलिस सबक और सीख लेते हुए आगे त्वरित जांच और उचित कारवाई की
नयी पटकथा लिखेगी जिसमें उसकी उपयोगिता पर कम से कम प्रश्न खड़े होंगे.