मुकेश कुमार सिंह : --- भूख से जंग
लड़ते--लड़ते नाथो
स्वर्णकार तो आखिरकार तड़प--तड़प कर मर गए लेकिन अब भूख से तड़प--तड़प के मरने
के कगार पर है अस्सी वर्षीय भोला मिंयाँ।महीनों से अनाज के लिए तरसते इस
बुजुर्ग का कोई अपना सगा नहीं है।पेट भीतर धंसा हुआ और जिश्म बेजान सुखी
लकड़ी में तब्दील है।जाहिर तौर पर अकेला अपनी जिन्दगी से लड़ता हुआ अब यह
दुनिया को अलविदा
कहने वाला है।शासन और प्रशासन को सहरसा टाईम्स एक बड़े सच से आज रूबरू करा रहा
है। नाथो स्वर्णकार की भूख
से हुयी मौत पर पर्दा डालने में एड़ी चोटी का जोर लगाने वाले ये सरकारी लोग
सरकारी योजनाओं के लाभ से महरूम नाथो के ही गाँव बैजनाथपुर के रहने वाले
भोला मियाँ के मामले में कैसे संजीदगी दिखाते हैं और भोला मियाँ बच पाते है
की नहीं यह आगे देखना बड़ा दिलचस्प होगा।
हम आपको वही बैजनाथपुर गाँव लेकर आये हैं जहां बीते चौबीस
सितम्बर को भूख से तड़प--तड़प पचपन वर्षीय नाथो स्वर्णकार की मौत हुयी
थी।गाँव वही है लेकिन तस्वीर आज हम बिल्कुल उलट लेकर हाजिर हुए हैं।आज हम
अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन की ज़िंदा तस्वीर लेकर हाजिर हो रहे हैं।आज
हम आपको एक ऐसे बुजुर्ग के दर्द से रूबरू करा रहे हैं जो सरकारी योजनाओं
के लाभ से ना केवल महरूम हैं बल्कि कई महीनों से दाने--दाने को तरसते हुए
मौत के मुहाने पर खड़े हैं।देखिये अस्सी वर्षीय भोला मियाँ को।इनका पूरा
शरीर सुखी लकड़ी की तरह हो गया है।पेट पूरी तरह से भीतर धंसा हुआ
है।पत्नी,बेटा और पुतोहू सभी की मौत हो चुकी है।अकेले जीवन के बचे दिन को
किसी तरह से खींच रहे हैं।घर में महीनों से अनाज नहीं है।नाम का एक घर है
जिसके भीतर अनाज रखने के लिए एक कोठी भी है लेकिन उसमें अनाज नहीं है।एक
चुल्हा भी जो जलने की बजाय अक्सर खामोश ही रहता है।घर में कुछ बर्तन भी हैं
जो बिना इस्तेमाल के भोला की बेबसी पर मायूस दिख रहे हैं।भोला बता रहे हैं
की महीनों से उनके पास अनाज नहीं है।कहीं से मांग कर कुछ मिला तो खाते हैं
वर्ना भूखे ही सो जाते हैं।भूख की वजह से उनका पेट मरोड़ता हैं।लगता है की
वे बच नहीं पायेंगे।आँख दर्द के आंसूओं से तर और कलेजा मुंह को आ रहा
है।
पड़ोस के लोगों का कहना है:
पड़ोस के लोगों का कहना है:
पड़ोस
के लोग खुलकर बता रहे हैं की भोला मियाँ का कोई अपना सगा नहीं है।इनके घर
में महीनों से अनाज नहीं है।कभी किसी का दिल दरिया हुआ तो लोग उनको कुछ
खाने के लिए दे दते हैं.लेकिन कई दिनों से ये अक्सर भूखे ही सो रहे
हैं।भोला मियाँ के पास पैसे भी नहीं हैं।पड़ोसियों का कहना है की इन्हें कोई
सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है।लगता है की ये ज्यादे दिनों तक जी नहीं
सकेंगे।
बीडीओ का कहना है:
मौत के मुहाने पर खड़े इस बुजुर्ग को लेकर हमने सौर बाजार प्रखंड के बीडीओ जगदीश झा से जबाब--तलब किया।उनको सहरसा टाईम्स से ही जानकारी मिल रही थी।उनका कहना है की भोला को अनाज के साथ--साथ और मदद पहुंचाई जायेगी,उन्हें मरने नहीं दिया जाएगा।हमने बीडीओ साहेब से यह भी पूछा की कहीं प्रशासन भोला की मदद की जगह उसके दाह--संस्कार की तैयारी में तो नहीं जुट जाएगा।
नाथो की मौत भूख से हो चुकी है लेकिन इस मामले की प्रशासन ने एक तरह से लीपा--पोती में भगीरथी चतुराई और कोशिशें की है।लेकिन इस बार हम अपने सामाजिक सरोकार और सामाजिक दायित्व को निभाते हुए एक बुजुर्ग की वेदना दिखा रहे हैं की भूख से वे किस तरह से लड़ रहे हैं।हम इस खबर के माध्यम से शासन--प्रशासन को खबरदार कर रहे हैं की समय रहते वह जागें और भोला को बचाने लिए आगे आयें।डर बना हुआ है की कहीं भोला मियाँ,नाथो की तरह भूख से तड़प--तड़प कर इस दुनिया को अलविदा ना कह दे।
मौत के मुहाने पर खड़े इस बुजुर्ग को लेकर हमने सौर बाजार प्रखंड के बीडीओ जगदीश झा से जबाब--तलब किया।उनको सहरसा टाईम्स से ही जानकारी मिल रही थी।उनका कहना है की भोला को अनाज के साथ--साथ और मदद पहुंचाई जायेगी,उन्हें मरने नहीं दिया जाएगा।हमने बीडीओ साहेब से यह भी पूछा की कहीं प्रशासन भोला की मदद की जगह उसके दाह--संस्कार की तैयारी में तो नहीं जुट जाएगा।
नाथो की मौत भूख से हो चुकी है लेकिन इस मामले की प्रशासन ने एक तरह से लीपा--पोती में भगीरथी चतुराई और कोशिशें की है।लेकिन इस बार हम अपने सामाजिक सरोकार और सामाजिक दायित्व को निभाते हुए एक बुजुर्ग की वेदना दिखा रहे हैं की भूख से वे किस तरह से लड़ रहे हैं।हम इस खबर के माध्यम से शासन--प्रशासन को खबरदार कर रहे हैं की समय रहते वह जागें और भोला को बचाने लिए आगे आयें।डर बना हुआ है की कहीं भोला मियाँ,नाथो की तरह भूख से तड़प--तड़प कर इस दुनिया को अलविदा ना कह दे।
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