अक्तूबर 22, 2013

सुशासन की शराब पीकर टल्ली हुयी महिलाएं

 जहां भूख,बेकारी,बीमारी और मज़बूरी कुलाचें भरती हैं वहाँ महिलायें शराब पीकर कर रही हैं तमाशा >>> मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट<<<<
कहते हैं की शराब पीनी ना केवल बुरी लत और बुरी बला है बल्कि एक बड़ा गुनाह भी है.लेकिन सहरसा का आलम कुछ और ही कह रहा है.यहाँ ना केवल पुरुष बल्कि महिलायें भी छंककर शराब पी रही हैं.हद की इन्तहा तो यह है की ये शराबी महिलायें नशे में धुत्त होकर नाच---गाने के साथ---साथ भरपूर तमाशे भी कर रही हैं.सदर अस्पताल सहरसा में घंटों तमाशा कर रही दो महिलाओं की बेशर्म और एक्सक्लूसिव तस्वीर और खबर लेकर सहरसा टाईम्स आज हाजिर है.
महानगर में महिलायें हाई प्रोफाईल बड़ी पार्टी अटेंड करने वाली होती हैं.सर्वे और जानकारी के मुताबिक़ बड़े शहरों में महिलाओं के शराब पीने को सोसल स्टेटस से जोड़कर देखा जाता है.लेकिन ऐसा इलाका जहां भूख,बेकारी,बीमारी और मज़बूरी कुलाचें भरती हैं वहाँ अगर महिलायें शराब पीकर तमाशा कर रही हैं तो आश्चर्य होना लाजिमी है.आज हम आपको सदर थाना के सराही मोहल्ले की रहने वाली दो महिलाओं की तस्वीर दिखा रहे हैं जो करीब चार घंटे तक नशे में धुत्त होकर सदर अस्पताल में ना केवल झूमती, नाचती--गाती रही बल्कि खूब तमाशे भी करती रही.जिस इलाके में एक रोटी के लिए जंग लड़ी जा रही हो वहाँ महिलायें हाथ में देशी शराब की पाउच लेकर अपनी अदाएं दिखा रही हैं.
हद तो यह है की महिला की इस दुर्दशा को लोग तमाशे की शक्ल में ना केवल देख रहे हैं बल्कि जमकर मजे भी ले रहे हैं.सहरसा टाईम्स ने ना केवल इन शराबी महिलाओं की बेशर्म और बेहया तस्वीरें उतारी बल्कि उन्हें शराब ना पीने के लिए उन्हें झंकझोड़ने का भागीरथ प्रयास भी किया.अपने सामाजिक दायित्व और कर्तव्य की वजह से सहरसा टाईम्स ने इन शराबी महिलाओं को भरपूर समझाने का जतन किया लेकिन उसका नतीजा फकत सिफर आया.इस पुरे प्रकरण में शराबी महिला ने सहरसा टाईम्स की ना केवल फजीहत की बल्कि सहरसा टाईम्स को शराब पीने के लिए मजबूर भी किया.चार घंटे तक चले इस शराब तमाशे में महिला ने ए राजा जी और मुझे पीने का शौक नहीं गीत गाये और खूब नाच किये.पूछने पर एक शराबी महिला कतिपय जोर देकर कहती रही की उसे शराब पीने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छूट दे रखी है और उन्होनें ने ही उसे पीने को कहा है.
हमारा मकसद शराब में धुत्त नशेड़ी महिलाओं की तस्वीर भर दिखाने का नहीं है.बिहार के गली--मोहल्ले से लेकर गाँव के चौपाल तक खुली शराब की दूकान के नतीजे अब हमारे सामने हैं.सुशासन बाबू इन जलती हुयी सच की तस्वीर को देखिये.महिलाओं को पुरुष के बराबर करने के लिए क्या ऐसे बदरंग हालात की जरुरत है.साहेब,भारत विश्व का ऐसा एकलौता देश है जहां नारी को पुरुष के बराबर नहीं बल्कि पुरुष से ऊपर और बहुत बड़ा दर्जा मिला हुआ है और जहां नारी की पूजा की जाती है.रब जाने यह कौन सा विकास है.

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