पूर्व सैनिक की आत्महत्या बेहद दुःखद
लेकिन राजनीतिक तमाशा होने से बचा
मौका देखकर मगरमच्छी आंसू बहाना बंद करें राजनेता
खून की दलाली से भी बाज नहीं आते ये नेता
दिल्ली से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->>
हरियाणा के रहने वाले पूर्व सैनिक राम किशन ने वन रैंक वन पेंशन के मामले पर नाराज़ हो कर जान दे दी ।जहर खाकर उन्होने अपनी ईहलीला खत्म कर ली ।यह सारा कुछ हुआ देश की राजधानी दिल्ली में ।वह भी इंडिया गेट पर ।अपने और अपने साथियों के हक़ और हकूक के लिए रामकिशन ने सल्फास की गोली खा ली ।
फिलवक्त भारत के सम्बन्ध पाकिस्तान से बेहद खराब हैं ।एक तरह से भारत अभी युद्ध के मुहाने पर खड़ा है ।ऐसे नाजुक समय में देश के एक पूर्व सैनिक का यूँ जान गंवा देना देशवासियों के साथ--साथ मोर्चे पर डटे हमारे वीर जवानों को भी जद से हिलाकर रख दिया है ।सच में यह घटना देश के सैनिकों का मनोबल तोड़ने वाली घटना है ।सबसे मजाकिया और हास्यास्पद यह बात है की इस देश के बड़े--बड़े नेता राम किशन को इंसाफ़ दिलाने के लिए फ़ौरन अस्पताल के बाहरी दरवाज़े से ही लाइनें लगा कर खड़े हो गए ।हांलांकि राहुल गांधी,मनीष सिसोदिया सरीखे और कई कद्दावर नेता को सेना और पुलिस ने भीतर दाखिल नहीं होने दिया ।इतना ही नहीं एक तरह से इन्हें हिरासत में ले लिया ।इन नेताओं ने सोचा चलो लोहा गर्म है,इसपर जमकर सियासी रोटी सेंक लें । लेकिन हुआ ठीक इसका उलटा ।अब लगे हाथ ये नेता लोग देश के प्रधानमन्त्री को गाली दे रहे हैं । शुरूआती समय में आप और कांग्रेस के नेता ही अस्पताल पहुंचे थे लेकिन उनका जो स्वागत वहाँ हुआ,उसे देखकर किसी दल के नेता ने वहाँ जाना गंवारा नहीं किया ।या यूँ कहें की मुनासिब नहीं समझा ।
बहुत दिन नहीं हुए ।हम हालिया दिनों की ही बात करते हैं ।कुरूक्षेत्र के अंटेहड़ी गांव के रहने वाले मंदीप के शरीर को पाकिस्तानी फौज ने गोलियों से क्षत--विक्षप्त कर दिया था ।तिरंगे में लपेट कर मंदीप का शव उसके गांव लाया गया था ।जो बड़े नेता अस्पताल के बाहर लाईन लगा कर आज रामकिशन की आत्महत्या पर शोक जता रहे हैं और जिन्हें बेहद दुःख भी हो रहा है ।उनमें से एक नेता को भी मंदीप के घर जाने की फुर्सत नहीं मिली थी ।तभी किसी ने वहाँ जाकर मातमपुर्सी की जरुरत नहीं समझी थी ।
पिछले कुछ दिनों की बात करें तो,एक के बाद एक शहीद सैनिक के पार्थिव शरीर,ऐसे ही तिरंगे में लपेट कर उनके घर भेजे गए हैं ।राजकीय सम्मान के साथ अंतिम उनका संस्कार किया गया है ।हो सकता है की किसी के यहां गाहे--बगाहे कोई सांसद या मंत्री पहुंच गए हों लेकिन जहां तक हमें याद है एक भी नाम वाला नेता वहां नहीं पहुंचा । अपने वीर लाडले को गंवाकर गांव वालों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे दी ।गौरतलब और बड़ी सच्चाई है को जो बड़े नेता लाईन लगा कर राम किशन की आत्महत्या पर गुस्सा दिखा रहे हैं, उनमें से एक को भी किसी सैनिक के अंतिम संस्कार में जाने का समय आजतक नहीं मिला ।
राम किशन ग्रेवाल का अंतिम संस्कार हो चुका है ।अंतिम संस्कार में अरविंद केजरीवाल,राहुल गांधी सहित कई नामी-गिरामी नेता शामिल हुए ।अरविन्द केजरीवाल ने मृतक के परिजनों को दिल्ली सरकार की तरफ से एक करोड़ रूपये आर्थिक मदद की घोषणा की है ।काश !ऐसा कुछ पहले हुआ होता ।
आखिर घटनास्थल पर राम किशन को बचाने की कोशिश क्यों नहीं हुयी ?
रामकिशन जी के बेटे के साथ फोन पर उनकी आखरी बातचीत टीवी चैनलों पर चल रही थी ।क्या रामकिशन जी के साथ एक भी ऐसा आदमी नहीं था जो उन्हें जहर खाने से रोक लेता ?क्यों उनमें से किसी ने इतना अपनापन नहीं दिखाया कि समय रहते उनको अस्पताल ही पहुंचा देता ? क्या ये सारे लोग एक जगह इकट्टा हुए थे की आज राम किशन का मरना जरुरी है ?शायद उनकी तैनाती ही इस लिए हुई थी कि आत्महत्या ‘सक्सेसफुल’ हो जाए ?हमारी समझ से यह भी एक बेहद गंभीर पहलू है और इसकी जांच भी हाई लेवल से होनी चाहिए ।
दिल्ली के बाहर राजनीतिक ज़मीन तलाश रहे अरविंद केजरीवाल की बेसब्री समझ में आती है । उनकी पार्टी के बड़े--बड़े नेताओं के सामने गजेंद्र सिंह ने खुद को फांसी लगा ली और भाषण चलते रहे थे ।लेकिन कांग्रेस ? वो क्या लोगों को ये समझाने के लिए मैदान में कूद पड़ी कि ‘खून की दलाली’ असल में क्या होती है ?आजादी के बाद से अपनी अलग राजनीतिक बिरादरी बनाकर देश को हांकने का कांग्रेसियों का अपना तरीका रहा है ।देश के लोग धीरे---धीरे जाग रहे हैं ।वे नरेंद्र मोदी से लेकर किसी घराने को बख्सने वाले नहीं है । शायद भारत पहला देश है जहां के कई बड़े नेता आतंकी की भाषा बोलते हैं और हर बड़े और गंभीर मामले में इनको सर्टिफिकेट की तलाश रहती है । सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर सिमी के आतंकियों के एनकाउंटर तक और ऐसे सभी मामले में ये बड़े नेता भौंक--भौंक कर साक्ष्य मांगते है ।आखिर इस देश में कहाँ के लोग आकर बस गए हैं ।ऐसे नेताओं पर नकेल कसना जरुरी है जो देश में रहकर विदेशी आत्मा और दिमाग रखते हैं ।
लेकिन राजनीतिक तमाशा होने से बचा
मौका देखकर मगरमच्छी आंसू बहाना बंद करें राजनेता
खून की दलाली से भी बाज नहीं आते ये नेता
दिल्ली से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->>
हरियाणा के रहने वाले पूर्व सैनिक राम किशन ने वन रैंक वन पेंशन के मामले पर नाराज़ हो कर जान दे दी ।जहर खाकर उन्होने अपनी ईहलीला खत्म कर ली ।यह सारा कुछ हुआ देश की राजधानी दिल्ली में ।वह भी इंडिया गेट पर ।अपने और अपने साथियों के हक़ और हकूक के लिए रामकिशन ने सल्फास की गोली खा ली ।
फिलवक्त भारत के सम्बन्ध पाकिस्तान से बेहद खराब हैं ।एक तरह से भारत अभी युद्ध के मुहाने पर खड़ा है ।ऐसे नाजुक समय में देश के एक पूर्व सैनिक का यूँ जान गंवा देना देशवासियों के साथ--साथ मोर्चे पर डटे हमारे वीर जवानों को भी जद से हिलाकर रख दिया है ।सच में यह घटना देश के सैनिकों का मनोबल तोड़ने वाली घटना है ।सबसे मजाकिया और हास्यास्पद यह बात है की इस देश के बड़े--बड़े नेता राम किशन को इंसाफ़ दिलाने के लिए फ़ौरन अस्पताल के बाहरी दरवाज़े से ही लाइनें लगा कर खड़े हो गए ।हांलांकि राहुल गांधी,मनीष सिसोदिया सरीखे और कई कद्दावर नेता को सेना और पुलिस ने भीतर दाखिल नहीं होने दिया ।इतना ही नहीं एक तरह से इन्हें हिरासत में ले लिया ।इन नेताओं ने सोचा चलो लोहा गर्म है,इसपर जमकर सियासी रोटी सेंक लें । लेकिन हुआ ठीक इसका उलटा ।अब लगे हाथ ये नेता लोग देश के प्रधानमन्त्री को गाली दे रहे हैं । शुरूआती समय में आप और कांग्रेस के नेता ही अस्पताल पहुंचे थे लेकिन उनका जो स्वागत वहाँ हुआ,उसे देखकर किसी दल के नेता ने वहाँ जाना गंवारा नहीं किया ।या यूँ कहें की मुनासिब नहीं समझा ।
बहुत दिन नहीं हुए ।हम हालिया दिनों की ही बात करते हैं ।कुरूक्षेत्र के अंटेहड़ी गांव के रहने वाले मंदीप के शरीर को पाकिस्तानी फौज ने गोलियों से क्षत--विक्षप्त कर दिया था ।तिरंगे में लपेट कर मंदीप का शव उसके गांव लाया गया था ।जो बड़े नेता अस्पताल के बाहर लाईन लगा कर आज रामकिशन की आत्महत्या पर शोक जता रहे हैं और जिन्हें बेहद दुःख भी हो रहा है ।उनमें से एक नेता को भी मंदीप के घर जाने की फुर्सत नहीं मिली थी ।तभी किसी ने वहाँ जाकर मातमपुर्सी की जरुरत नहीं समझी थी ।
पिछले कुछ दिनों की बात करें तो,एक के बाद एक शहीद सैनिक के पार्थिव शरीर,ऐसे ही तिरंगे में लपेट कर उनके घर भेजे गए हैं ।राजकीय सम्मान के साथ अंतिम उनका संस्कार किया गया है ।हो सकता है की किसी के यहां गाहे--बगाहे कोई सांसद या मंत्री पहुंच गए हों लेकिन जहां तक हमें याद है एक भी नाम वाला नेता वहां नहीं पहुंचा । अपने वीर लाडले को गंवाकर गांव वालों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे दी ।गौरतलब और बड़ी सच्चाई है को जो बड़े नेता लाईन लगा कर राम किशन की आत्महत्या पर गुस्सा दिखा रहे हैं, उनमें से एक को भी किसी सैनिक के अंतिम संस्कार में जाने का समय आजतक नहीं मिला ।
राम किशन ग्रेवाल का अंतिम संस्कार हो चुका है ।अंतिम संस्कार में अरविंद केजरीवाल,राहुल गांधी सहित कई नामी-गिरामी नेता शामिल हुए ।अरविन्द केजरीवाल ने मृतक के परिजनों को दिल्ली सरकार की तरफ से एक करोड़ रूपये आर्थिक मदद की घोषणा की है ।काश !ऐसा कुछ पहले हुआ होता ।
आखिर घटनास्थल पर राम किशन को बचाने की कोशिश क्यों नहीं हुयी ?
रामकिशन जी के बेटे के साथ फोन पर उनकी आखरी बातचीत टीवी चैनलों पर चल रही थी ।क्या रामकिशन जी के साथ एक भी ऐसा आदमी नहीं था जो उन्हें जहर खाने से रोक लेता ?क्यों उनमें से किसी ने इतना अपनापन नहीं दिखाया कि समय रहते उनको अस्पताल ही पहुंचा देता ? क्या ये सारे लोग एक जगह इकट्टा हुए थे की आज राम किशन का मरना जरुरी है ?शायद उनकी तैनाती ही इस लिए हुई थी कि आत्महत्या ‘सक्सेसफुल’ हो जाए ?हमारी समझ से यह भी एक बेहद गंभीर पहलू है और इसकी जांच भी हाई लेवल से होनी चाहिए ।
दिल्ली के बाहर राजनीतिक ज़मीन तलाश रहे अरविंद केजरीवाल की बेसब्री समझ में आती है । उनकी पार्टी के बड़े--बड़े नेताओं के सामने गजेंद्र सिंह ने खुद को फांसी लगा ली और भाषण चलते रहे थे ।लेकिन कांग्रेस ? वो क्या लोगों को ये समझाने के लिए मैदान में कूद पड़ी कि ‘खून की दलाली’ असल में क्या होती है ?आजादी के बाद से अपनी अलग राजनीतिक बिरादरी बनाकर देश को हांकने का कांग्रेसियों का अपना तरीका रहा है ।देश के लोग धीरे---धीरे जाग रहे हैं ।वे नरेंद्र मोदी से लेकर किसी घराने को बख्सने वाले नहीं है । शायद भारत पहला देश है जहां के कई बड़े नेता आतंकी की भाषा बोलते हैं और हर बड़े और गंभीर मामले में इनको सर्टिफिकेट की तलाश रहती है । सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर सिमी के आतंकियों के एनकाउंटर तक और ऐसे सभी मामले में ये बड़े नेता भौंक--भौंक कर साक्ष्य मांगते है ।आखिर इस देश में कहाँ के लोग आकर बस गए हैं ।ऐसे नेताओं पर नकेल कसना जरुरी है जो देश में रहकर विदेशी आत्मा और दिमाग रखते हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.