सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट:- बिहार
सरकार के मुखिया नीतीश कुमार के केंद्रीय भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ पटना
में दो दिवसीय उपवास के समर्थन में आज पुरे सूबे के सभी जिले से लेकर
प्रखंडों में जदयू के नेता और कार्यकर्ता एक दिन के उपवास पर हैं.जाहिर सी
बात है की पार्टी के आका जब उपवास पर हों तो उनके समर्थक उनके साथ होंगे ही
और उनके फरमान को सौ फीसदी मानेंगे भी.लेकिन सहरसा टाईम्स आपको एक ऐसे सच से
रूबरू करा रहा है जिसे देखकर आपके पाँव के नीचे की जमीन ही खिसक
जायेगी.जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड स्तर पर आयोजित उपवास में शामिल
नेता--कार्यकर्ताओं को इस बिल को लेकर ना तो कोई पुख्ता जानकारी है और ना
ही यह पता है की केंद्र सरकार ने बिल में कुछ संसोधन भी किये हैं.
हम आपको कोसी प्रमंडलीय आयुक्त
कार्यालय के ठीक सामने का नजारा दिखा रहे हैं जहां जदयू के नेता और
कार्यकर्ता एक दिन के उपवास पर बैठे हैं.सहरसा टाईम्स ने यहां पर उपवास पर
बैठे लोगों से भूमि अधिग्रहण बिल की जानकारी का रियलिटी टेस्ट किया.यहां
धरने पर बैठे अधिकाँश लोगों को बिल में पहले क्या--क्या प्रावधान थे और
क्या--क्या उसमें बदलाव किये गए हैं,इसको लेकर कोई जानकारी नहीं थी.कई लोग
तो हमारे सवाल से इतने घबरा गए की उन्होनें कहा की वे बगल से गुजर रहे थे
और यहां आकर बस बैठ गए.मोदी सरकार द्वारा संसोधन की बात पर महिला नेत्री की
तो घिघ्घी बंध गयी.हांलांकि पुरुष कार्यकर्ता भी कहीं से काम नहीं थे और
उन्होनें हकलाते हुए जानकारी नहीं होने की बात आखिरकार स्वीकारी.इस अनशन से
यह साफ़ जाहिर हो रहा है की यह अनशन फारस का अनशन है जिसमें बिल से पूरी
तरह अनजान लोग बस लोगों की संख्यां बढ़ा रहे थे.
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