विशेष रिपोर्ट :: मुकेश कुमार सिंह: सुदूर
ग्रामीण इलाके और कोसी तटबंध के भीतरी इलाके की बात तो छोड़िये साहेब,सहरसा जिला
मुख्यालय के शहरी क्षेत्र में चल रहे विभिन्य सरकारी
विद्यालय
अनियमितता,लापरवाही और विभिन्य तरह की कमियों की साबूत ईबारत लिख रहे
हैं.आज इसी कड़ी में हम बालिकाओं के एक ऐसे उच्च विद्यालय से आपको रूबरू
कराने जा रहे हैं जहां मासूम बच्चियों के स्वर्णिम सपनों की एक तरह से बलि
चढ़ाई जा रही है.
सहरसा जिला मुख्यालय के पूरब बाजार स्थित वर्ष 1994 से
संचालित हो रहा राजकीय कन्या उच्च विद्यालय (सरकारी मॉडल विद्यालय )सरकार के शिक्षा सम्बन्धी तमाम दावों को ना केवल
झूठा साबित कर रहा है बल्कि विभिन्य तरह की कमियों को लेकर एक साथ कई यक्ष
प्रश्न भी खड़े कर रहा है.वर्ष 1994 से संचालित हो रहे इस विद्यालय को आजतक
अपना बेहतर भवन तक नसीब नहीं हो सका है.सड़क किनारे बिल्कुल खुले में
संचालित हो रहे इस विद्यालय में 600 से ज्यादा बच्चियां पढ़ती हैं.
लेकिन हद
की इन्तहा तो यह है की
व्यस्क हो रही इन बच्चियों के इस स्कूल में ना
तो एक भी शौचालय है और ना ही पीने के पानी का कोई इंतजाम.विद्यालय में कॉमन
रूम और पुस्तकालय तो बस सपना सरीखा है.एक तरफ जहां विद्यालय के बगल में
गंदगी का अम्बार है वहीँ दूसरी तरफ महज टिन--कनस्तर के दो मामूली संज्ञा
भर के भवन में 600 से ज्यादा बच्चियों को शिक्षा दी जा रही है.अब आप खुद
से सोचिये की यह भविष्य संवारने
वाला स्कूल है या फिर कुछ और.आपको अंत में
दर्द में सनी एक दुखद सच्चाई सुनाते हैं.इसी साल जनवरी माह में नौवीं कक्षा
की छात्रा शिल्पी कुमारी यहाँ की गंदगी से पहले इन्फेक्शन का शिकार
हुयी और फिर बाद में उसे हेपेटायटिस बी हो गया जिससे उसकी मौत हो गयी. यहाँ
भविष्य को दाँव प़र लगाई
डरी--सहमी समृधि कुमारी,स्नेहा कुमारी,रेशम कुमारी,हेमा कुमारी और पूजा जैसी कई बच्चियां अब हमसे ही उनकी समस्या दूर करने की फ़रियाद
लगा रही है.
स्कूल के सभी शिक्षक भी काफी दुखी हैं.बच्चियों को हो रही
दिक्कतों को लेकर ये खुल कर बता रहे हैं.इनका शोभा रानी,प्रीति कुमारी,वंदना कुमारी और मोहम्मद मोइत्तुर रहमान आदि गुरुजनों का कहना है इस विद्यालय की
कमियों को लेकर उन्होनें ना केवल जिला के सभी वरीय अधिकारियों को कई बार
पत्र लिख
चुकी हैं बल्कि उनसे मिलकर कई बार गुहार भी लगा चुकी हैं.कई अधिकारी और स्थानीय विधायक इस स्कूल का कई बार दौरा भी कर चुके
हैं लेकिन उसका नतीजा आजतक सिफर ही निकला है.यानि उनकी
फ़रियाद आजतक नहीं सुनी जा सकी है.यह विद्यालय सिर्फ और सिर्फ समस्याओं से
भरा हुआ है.ये शिक्षक भी इस साल हुयी एक बच्ची की मौत को दुखी होकर बताते
हैं.
जिला शिक्षा पदाधिकारी रामनंदन प्रसाद |
अब बारी बड़बोले अधिकारी की है.हमने इस विद्यालय को लेकर जिला
शिक्षा पदाधिकारी रामनंदन प्रसाद से कई सवाल किये.इन्होनें इस विद्यालय की
तमाम कमियों को स्वीकारा और कहा की यह विद्यालय जल्दबाजी में जिला परिषद के
परिसर में खोल दिया गया था लेकिन इस विद्यालय को जमीन का स्वामित्व
प्राप्त नहीं हो सका.इसी वजह से आजतक यहाँ पर किसी तरह का निर्माण कार्य
शुरू नहीं किया जा सका है.जैसे ही जमीन की अधिप्राप्ति होगी,वैसे ही
प्राथमिकता के साथ इस विद्यालय के लिए निर्माण कार्य शुरू कराये
जायेंगे.
ऐसा
नहीं है की शिक्षा के क्षेत्र में सुधार नहीं हुए हैं.सुधार जरुर हुए हैं
लेकिन जिसतरह से दावों के ढोल पीटे जा रहे हैं वैसे सुधार बिल्कुल नहीं हुए
हैं.शिक्षा जैसे सबसे अहम् जरुरत में लफ्फाजी अच्छी बात नहीं है.यूँ
सियासतदारों का अपना चलन है.हमने बच्चियों के जिला के सबसे मुख्य विद्यालय
का नजारा दिखाया है.बांकी जगह की व्यवस्था कैसी होगी,इसका अंदाजा आप यहाँ
के हालत देखकर,बाखूबी लगा सकते हैं.नीतीश बाबू जुबानी दावे और ज़मीन सच्चाई
में बड़ा फासला होता है.इसे समझने और पाटने की जरुरत है.साथ ही बड़ी--बड़ी
यात्राओं की जगह ईमानदार तौर--तरीके अपनाने की और लफ्फाजी छोड़ सच्चाई को सिद्दत से समझने की भी महती जरुरत है.