17 दिसंबर को महज 10
वर्षीय दलित बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद गर्दन मरोड़कर हुयी ह्त्या
मामले में अभीतक पुलिसिया जांच का नतीजा ढ़ाक के तीन पात ।।।।।।।।।।।
बीते
17 दिसंबर को कोसी दियारा इलाके के सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के
बेलवारा पुनर्वास गाँव में दस वर्षीय बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद
ह्त्या मामले में सहरसा पुलिस ना केवल हीला---हवाली करती दिख रही है बल्कि
इस मामले को पूरी तरह से दबाने और इन्साफ का सर कलम करने में जुटी हुयी
है।मृतक बच्ची के परिजन का कहना है की घटना में शामिल गांधी यादव,बालेश्वर
मुखिया और लखन मुखिया तीन लोगों का उनलोगों ने नाम भी दिया है लेकिन पुलिस
के बड़े अधिकारी पैसे खाकर आरोपियों को बचाने में जुटे हुए हैं।बीते
दिनों राज्य अनुसूचित जाति आयोग की टीम विभिन्य मामलों की तफ्तीश में सहरसा
पहुंची थी।टीम सहरसा परिसदन में ठहरी थी जहां पीड़ित परिवार ने पहुंचकर आयोग
के सामने अपनी पीड़ा से उन्हें अवगत कराया।आयोग ने संज्ञान लेते हुए पीड़ित
परिवार को इन्साफ दिलाने का भरोसा दिलाया है।
हम आपसे एक सवाल करना चाहते हैं।पुरे देश के साथ---साथ दिल्ली की दामिनी के साथ हमें भी सहानुभूति है लेकिन जिसतरह से पूरा देश उसके लिए खडा हो गया,आखिर सुधा के लिए बड़ी भीड़ की बात तो छोडिये, सहरसा टाइम्स को छोड़कर कोई भी सामने क्यों नहीं आया।क्या सुधा दलित परिवार की एक गरीब की बेटी है जहां से सियासतदान वोट दारु के एक बोतल में खरीद लेते हैं,इसलिए किसी के दिल में ना तो कोई हरकत हुयी और ना ही कहीं से कोई आवाज ही आई। मृतक बच्ची के परिजन का कहना है की घटना में शामिल गांधी यादव,बालेश्वर मुख्या और लखन मुखिया तीन लोगों का उनलोगों ने नाम भी दिया है लेकिन पुलिस के बड़े अधिकारी पैसे खाकर आरोपियों को बचाने में जुटे हुए हैं।जाहिर तौर पर परिजन पुलिस को मुकम्मिल कटघरे में खडा कर रहे हैं।
हम आपसे एक सवाल करना चाहते हैं।पुरे देश के साथ---साथ दिल्ली की दामिनी के साथ हमें भी सहानुभूति है लेकिन जिसतरह से पूरा देश उसके लिए खडा हो गया,आखिर सुधा के लिए बड़ी भीड़ की बात तो छोडिये, सहरसा टाइम्स को छोड़कर कोई भी सामने क्यों नहीं आया।क्या सुधा दलित परिवार की एक गरीब की बेटी है जहां से सियासतदान वोट दारु के एक बोतल में खरीद लेते हैं,इसलिए किसी के दिल में ना तो कोई हरकत हुयी और ना ही कहीं से कोई आवाज ही आई। मृतक बच्ची के परिजन का कहना है की घटना में शामिल गांधी यादव,बालेश्वर मुख्या और लखन मुखिया तीन लोगों का उनलोगों ने नाम भी दिया है लेकिन पुलिस के बड़े अधिकारी पैसे खाकर आरोपियों को बचाने में जुटे हुए हैं।जाहिर तौर पर परिजन पुलिस को मुकम्मिल कटघरे में खडा कर रहे हैं।
उपाध्यक्ष डॉक्टर योगेन्द्र पासवान |
हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर काम करने वाले सहरसा पुलिस अधिकारी के रवैये को लेकर कुछ भी मत पूछिये।इस गंभीर मामले को लेकर सिमरी बख्तियारपुर के एस.डी.पी.ओ सत्यनारायण प्रसाद कहते हैं की पीड़ित के परिजनों ने जिन लोगों के नाम दिए हैं,तफ्तीश में उनके विरुद्ध साक्ष्य नहीं मिल प् रहा है।वैसे वे गहन जांच में जुटे हैं।जल्द ही इस जघन्य मामले पर से पर्दा उठ जाएगा।
असमय परलोक पहुँच चुकी मासूम सुधा हुक्मरानों से लेकर समूचे तंत्र को ना केवल कटघरे में खड़ा कर रही है बल्कि यह सवाल भी करती नजर आ रही है की आखिर उसे मौत की नींद क्यों सुला दिया गया और अब आखिर उसे इन्साफ कौन,कब और कैसे दिलाएगा।सहरसा टाईम्स ने उसे इन्साफ दिलाने की कोशिश शुरू की है।आगे रब जाने।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.