"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।"
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (23 जनवरी 1897–18 अगस्त 1945)
गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुये भारत को आजाद कराने के लिये अनेक देशभक्तों ने अपने-अपने तरीकों से भारत को आजाद कराने की कोशिश की। किसी ने क्रान्ति के मार्ग को अपनाया तो किसी ने अहिंसा और शान्ति के मार्ग को, पर दोनों मार्गों के समर्थकों के संयुक्त प्रयासों से ही भारत की आजादी का मार्ग निर्धारित हुआ। जब भारत स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत था और नेताजी आज़ाद हिंद फ़ौज के लिए सक्रिय थे तब आज़ाद हिंद फ़ौज में भरती होने आए सभी युवक-युवतियों को संबोधित करते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा,"तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा"
सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट -------- आज नेता जी की 120 वीं जयंती सहरसा के कई जगहों पर हर्षौल्लास से मनाया गया. शहर के रिफ्फुजी कालोनी चौक जो की सुभाष बोस के नाम से प्रसिद्द हो चूका है आज उनकी जयंती पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस विचार मंच के तहत कई कार्यक्रम किया गया. जिसमे शहर के कद्दावरों का जमावरा लगा रहा. इस आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप सहरसा सदर के अनुमंडल पदाधिकारी मो० जहागीर आलम, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव श्री ओम प्रकाश नारायण के अलावे कई नामचीन हस्तियों ने सिरकत की.
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