दिसंबर 28, 2012

एक उद्योगपति का दर्द

 सहरसा टाईम्स की एक EXCLUSIVE रिपोर्ट---
मुकेश कुमार सिंह : आज हम आपको एक ऐसे एक उद्योगपति के दर्द से रूबरू कराने जा रहे हैं जो मुम्बई से आकर कोसी इलाके में उद्योग लगाना चाहते हैं लेकिन यह उद्योगपति प्रमंडल के अधिकारियों के रवैये से अब उद्योग लगाने के पहले ही यहाँ से भागने के मुड में है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आग्रह पर  400 करोड़ की लागत से मक्का आधारित उद्योग लगाने आये यह उद्योगपति यहाँ के अधिकारियों के रवैये से आजिज आ चुके हैं।
प्रशांत कुमार सिन्हा उद्योगपति
इनसे मिलिए : ये जनाब हैं प्रशांत कुमार सिन्हा। पेशे से इस इंजीनियर उद्योगपति को 35 साल का तजुर्बा है जिसके दम पर ये यहाँ उद्योग लगाने आये हैं।बिहार के मधेपुरा जिले के पुरैनी गाँव के ये रहने वाले हैं लेकिन तीन दशक से ज्यादा हो गए इनका पूरा परिवार मुम्बई में ही बस गया है।दो वर्ष पूर्व मुम्बई में इनकी मुलाक़ात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुयी थी।नीतीश जी ने इनसे बिहार में उद्योग लगाने का आग्रह किया था।इनको भी अपने गृह क्षेत्र की याद आई और इन्होनें कोसी में उद्योग लगाने का मन बना लिया।  400 करोड़ की लागत से मक्का आधारित उद्योग लगाने के लिए इन्हें बिहार सरकार के संबध विभाग से तमाम तरह की स्वीकृति मिल चुकी है। 95 एकड़ भूमि भी इन्हें आवंटित करने की राज्य सरकार ने अनुशंसा कर दी है।
आयुक्त कार्यालय में मुरघटी सन्नाटा छाया
लेकिन ये बीते आठ दिसंबर से कोसी प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय का चक्कर लगाकर अब उब से गए हैं।इन्हें एक तो यहाँ कोई अधिकारी नहीं मिलते दूजा कोई कर्मी इनसे भर मुंह बात भी करना मुनासिब नहीं समझता। इनकी नजर में आयुक्त कार्यालय में मुरघटी सन्नाटा छाया रहता है और एक भी अधिकारी और कर्मी यहाँ कभी भी समय से अपने कार्यालय नहीं आते। इन्हें इस कार्यालय से अब डर लगता है।ये इतने परेशान हो चुके हैं की कहते हैं की अब वे वापिस मुम्बई लौट जाना चाहते हैं।यहाँ पर उद्योग लगा पाना कतई मुमकिन नहीं है।ये दो टूक लहजे में कहते हैं की बिहार को चाहे विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए या फिर केंद्र रूपये की बारिश कर दे,इस राज्य में उद्योग लगाना मुमकिन नहीं है। यहाँ नौकरशाह कुछ भी नहीं होने देंगे। खिन्न होकर उद्योगपति कह रहे हैं की चाहे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए और केंद्र इसे लाख पैसा दे दे लेकिन नौकरशाहों की वजह से बिहार में उद्योग लगाना नामुमकिन है। पूरी तरह से तंत्र की कार्य संस्कृति से ऊबे ये उद्योगपति अब उद्योग लगाने की अपनी इच्छा को दफ़न करके बिना उद्योग लगाए ही यहाँ से वापिस मुम्बई लौट जाना चाहते हैं।  
CPI नेता ओमप्रकाश ना 0 के साथ  उद्योगपति
जिस वक्त उद्योगपति बेचैन थे उसी समय वहाँ CPI के कद्दावर नेता ओमप्रकाश नारायण पहुँच गए। उद्योगपति ने इन्हें भी ना केवल खुलकर अपना दुखड़ा सुनाया बल्कि उद्योगपतियों को यहाँ ना आने की नेक सलाह भी दे डाली। नेताजी भौचक होकर इनकी पीड़ा सुनते रहे और इनके लिए आन्दोलन तक करने की बात कह डाली। सहरसा टाईम्स ने घूम---घूमकर आयुक्त के इस पुरे आलिशान भवन को खंगाल डाला।लेकिन हद की इंतहा देखिये की दिन के एक बजे हमें एक भी अधिकारी नहीं मिले।आयुक्त गायब,आयुक्त के सचिव गायब।सब के सब गायब।बड़ी मुश्किल से हमने एक कर्मी आयुक्त के प्रधान आप्त सचिव महेश चन्द्र चौधरी को ढूंढ़ निकाला।इनसे हमने यह जानने की बड़ी कोशिश की,की आखिर सारे अधिकारी गए कहाँ।लेकिन चौधरी जी ने कसम खा ली थी की वे कुछ भी नहीं बतायेंगे सो वे कुछ नहीं ही बताये।वे बोले की हम कुछ भी नहीं बोलेंगे। 

 एडिटर इन चीफ के साथ उद्योगपति
नौकरशाहों की ऐसी बदमिजाजी से आखिर क्या होगा इस सूबे का।नीतीश बाबू ये हाकिम बड़े बेलगाम हो गए हैं।बिहार का भला इन अधिकारियों के दम से कहीं भी होता नहीं दिख रहा है।अच्छी सोच और  अच्छी पहल के लिए बेहतर कार्य संस्कृति की दरकार है जो इस सूबे में फिलवक्त दूर--दूर तक नजर नहीं आ रहा है।जाहिर तौर पर अगर कुछ भी  बेहतर की गुंजाइश बनेगी तो वह अल्लाह  के फजल से ही संभव है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. bahut badhia bihar me ek nitish ji badle hain...par kahi na kahi bihari ka kamkaji culture waisa hi hai.......is liye waqti taur par sab kuchha badlna aasan nahi.....par koshish phir bhi karna chahiye.....

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  2. Kyon na bihar men gujraat jaise rajyon se kuchh adhikari aayaat kar liya jaaye

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  3. Ek officer to kya ek peon bhi apne aap ko bihar ka cm samajhta...yahi to problem hai......public problem me rahe aur sarkar maje kare....sarkar ko ye maloom hai hi nahi ki....pehle wo bhi ek public tha...isi public se wo bana hai..etc.. Abhi bhi bihari ko other state main gandi nigaah se dekhte hai....shame on it.cm nitish

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  4. Ab isse hum kosi kshetra ke log apni badnaseebi nahi to aur kya samjhe !!!

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।