अक्तूबर 29, 2016

फीकी दिख रही हैं दीप की दिपावली.....

दीप बेचने वालें हैं निराश....
कुछ ही लोगों के नजर में हैं दीप की अहमियत.... 
मो० अजहर उद्दीन की रिपोर्ट------ शुरू से ही दिपावली में दीप का जलाना शुभ माना जाता रहा है, लोग अपने घर और दुकान में ससम्मान दीप प्रज्वलित करके माँ लक्षमी की पूजा अर्चना करते हैं ।लेकिन धीरे--धीरे बदलते परिवेश और दुनियां के चकाचौन्द में लोग पूर्व की परम्परा को अपने जेहन से उतारते जा रहे है ।जिसका नतीजा त्यौहारों के इस मौसम में देखने को खूब मिल रहा हैं लोग रंग--बिरंगी रौशनी के चकाचौन्द में आकर चाईनीज लाईट का इस्तेमाल खूब करते दिख रहे हैं ।पिछले दिनों की ही बात है जब पूरा देश चाईनीज प्रोडक्ट का जम कर विरोध करते दिखा था ।लेकिन ऐसा नहीं हुआ लोग अपनी मरजी से खूब चाईनीज लाईट का इस्तेमाल कर रहे है।
जिसका आलम ये है की जिसकी ज़िन्दगी दीप बेच कर दिपावली मनाने की थी उनकी दिपावली फीकी रह गई । नहीं दिख रहा है दीयों के दुकान पर लोगों की भीड़ ।एक्का--दुक्का लोग ही कर रहे है इसकी खरीदारी ।बेसबरी से कर रहे है अपने ग्राहकों का इन्तेजार ।
एक दीप विक्रेता से बात करने पर उन्होंने बताया की जिस हिसाब से हमलोग बाजार में बिक्री का अनुमान लगाया थे उस हिसाब से अभी बिक्री नहीं हैं बचे हुए कुछ घंटों में बिक्री अच्छी होने की उम्मीद है। चलायें गरीब तो उम्मीद पर ही ठीके होते है ।खुदा तू इन सभी के घरों में दीप केवल दिपावली के लिए ही नहीं बल्कि उनकी ज़िन्दगी को रौशन करने के लिए जला दें ।         

अक्तूबर 28, 2016

गैर भी कई दफा खून के रिश्ते पर पड़े हैं भारी

रिश्ते निभाना बोझ नहीं जीवन का सर्वोत्तम लक्ष्य हर रिश्ते की होती है अपनी मर्यादा रिश्ते निभाने में दिल करता है कई समझौते 
खून के रिश्ते से ईतर गैर भी बन सकते हैं रिश्तेदार 
गैर कई दफा खून के रिश्ते पर पड़े हैं भारी
देश के जाने--माने वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह का रिश्ते पर दो टूक---->>

जीवन में रिश्ते की महानतम अहमियत है । ज्यादातर खून के रिश्ते होते हैं जो मेड़ और मर्यादा के दायरे में पुष्पित--प्लववित होते हैं । मानव सभ्यता के विकास के बाद रिश्ते का जन्म हुआ ।विश्व के लगभग सभी देशों में रिश्तों की फसल उगती है ।लेकिन विश्व में सबसे सारगर्भित,नियम,दायरा,रिवायत,विभिन्न तरह की बंदिशें और वर्जनाओं के साथ रिश्ते भारतीय संस्कृति के अंदर हैं ।माता--पिता से शुरू हुआ रिश्ता आगे "रिश्तों के संसार"की शक्ल ले लेता है ।मसलन एक ही माता--पिता को बानगी बनाएं तो वहाँ से बेटा--बेटी,पुतोहू--दामाद,नाना---नानी, मौसा--मौसी,बुआ--फूफा,चाचा---चाची,फिर उनके बच्चों से जुड़े रिश्ते ।यह सच है की खून के रिश्ते में अपेक्षाएं,उम्मीदें और गर्माहट के साथ--साथ फर्ज जुड़े होते हैं ।हर रिश्ता अपनी जगह पर ना केवल ओजवान होता है बल्कि मजबूत भी होता है ।
लेकिन तेजी से बदलते सामजिक परिवेश,जीवन की आपाधापी और अंधदौड़ में रिश्ते अपना अर्थ खोने से लगे हैं ।महानगर की चकाचौंध में रिश्ते बड़े बौने और अर्थहीन से हो गए हैं ।सगे रिस्तेदार एक दूसरे की जरूरत की घड़ी में मदद को तैयार नहीं मिलते हैं ।ज्यों--ज्यों समाज का विकास कोलतार की सड़कों,फ्लाई ओवर,बड़ी--बड़ी ईमारत,कीमती गाड़ी,हवाई जहाज और फाईव स्टार होटल से लेकर स्वीमिंग पुल के दायरे में होता गया है ।रिश्ता कहीं खोता चला गया है ।पहले संयुक्त परिवार हुआ करता था,जहां नियमों के मायने थे ।अब एकल परिवार होने लगे जिसमें बीबी भी नौकरी पेशा होती गयी और बच्चों का लालन--पालन आया करने लगी ।रिश्ता धीरे--धीरे व्यक्ति से दूर जाने लगा ।
ग्रामीण परिवेश को भी अब महानगर की हवा लग गयी है ।मुख़्तसर में कहूँ तो ईमानदारी से कोई भी रिश्ता अभी के दौर में पाक--साफ नहीं रह गया है ।मेरे कहने का यह अर्थ कतई नहीं है की आज के दौड़ में अच्छे लोग नहीं हैं और कुछ हद तक पाक--साफ़ रिश्ता नहीं जीया जा रहा है ।मुट्ठी भर ऐसे इंसान बचे हैं,जो सच्चे तौर--तरीके से रिश्ते को जी रहे हैं और सिद्दत से उसे निभा भी रहे हैं ।
आप कुछ दशकों का आपराधिक इतिहास उठाकर देखिये ।आपको पता चल जाएगा की रिश्ते के पाये किस कदर दरके हैं ।अब तो पिता--पुत्री,भाई--बहन के रिश्ते को भी लोग शक की निगाह से देखते हैं ।कुछ घटनाएं ऐसी घटित हुयी हैं,जो इस बात को पुरजोर हवा दे रही है । चचेरे,ममेरे,फुफेरे या अन्य दूर के रिश्ते तो बेहद दरक चुके हैं ।
महानगर का आलम तो इस कदर गिर चुका है की कुछ पुरुष दोस्त मिलकर टॉस करके रात भर के लिए अपनी बीबी बदल लेते हैं ।आप महानगर में गौर से देखें की बच्चों की परवरिश किस तरह से हो रही है ।अमीर लोग और पैसे कमाने की भूख में खुद को झोंके हुए हैं ।उन्हें पता ही नहीं चल पा रहा है की उनकी बीबी और बच्चे क्या गुल खिला रहे हैं ।आप गौड़ करें की महानगर में बच्चियां समय से पहले क्यों और कैसे जवान हो रही हैं ।आखिर क्या हो गया है हमारी सभ्यता और संस्कृति को ? आखिर इतना ओछा पतन हमारा क्यों हो रहा है ।
महानगर की तरह गाँव भी अब इस बीमारी की गिरफ्त में है ।कम उम्र में ही बच्चे वह कर गुजर रहे हैं जिसकी कल्पना भी मुश्किल है ।
जब खून के रिश्ते इतने दाग से पट गए हों तो और बांकि रिश्तों की बात हम बेहद हिम्मत जुटाकर और तटस्थ पड़ताल के आधार पर आगे करने की कोशिश कर रहे हैं ।
हमारे पास कई ऐसे उदाहरण हैं जिसमें हमने देखा है की एक गैर जिसकी जाति भी समान नहीं है,उसने किसी से रिश्ता बनाया है,तो,वह सगे से बढ़कर और बेहद डूबकर ।किसी की मदद की है तो बिना स्वार्थ के और बहुत कुछ लुटाकर ।हमने गैर के बच्चों को पढ़ा--लिखाकर आईएएस, आईपीएस,डॉक्टर,इंजीनियर सहित कई बड़े ओहदे पर पहुंचाने वाले शेर दिल गैर को देखा है । गैर रिश्ते की ताकत को कभी आंका ही नहीं गया है ।चूँकि इसके लिए कोई सामाजिक मानक नहीं बने हैं ।वर्ना हमने ऐसे गैर देखें हैं जिसने की अपनी जान दांव पर लगाकर औरों की ना केवल जान बचाई है बल्कि उनका मान और सम्मान भी बचाया है ।गैर रिश्ते में भी अकूत अपनापन, प्यार,मर्यादा और संचित संस्कार में डूबकर रिश्ता जीने का माद्दा होता है ।लेकिन ऐसे रिश्तों को सामाजिक स्वीकृति नहीं है ।समय के साथ जिस तरह से सामाजिक बदलाव हो रहे हैं और मान्यताओं के साथ--साथ रिवायतें बदल रही हैं, ठीक उसी तरह से गैर रिश्ते की गर्माहट और उसके अधिकार को भी स्वीकारना चाहिए ।खून के रिश्ते में हुए पाप को हम कभी पुण्य की संज्ञा नहीं दे सकते ।लेकिन अगर गैर रिश्ते में आसमानी वजूद कायम हो,तो उसे पुण्य के दर्जे के साथ--साथ नवाजा भी जाना चाहिए ।हमेशा याद रखिये जीवन के इस दौर में कई दफा गैर,अपनों यानि खून पर भारी रहे हैं ।गैर को छोटा समझने की आदत बदलिये ।कई खून के रिश्तेदारों ने अपनों को ठुकराया है,तो,गैर ने ना केवल पनाह दी है बल्कि उन्हें ईज्जत की जिंदगी जीने का संबल और हुनर भी दिया है ।हमने गैर को अपनों पर कई दफा भारी होते देखा है ।मेरी समझ से जो रिश्ते की गरिमा को समझे और फकत उसमें प्यार का भाफ दे ।जो दर्द,टीस, सीलन और चुभन से ईतर दिल में ख़ुशी और सुकून की दरिया बहाये,वह गैर ही सही,लेकिन असली रिस्तेदार पर ना केवल वह  भारी है बल्कि वही असली रिस्तेदार भी है ।

सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन के बाद रॉकी यादव की जमानत याचिका की खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन के बाद रॉकी यादव की जमानत याचिका की खारिज 
रॉकी यादव अब जाएंगे जेल 
अगली बारी रेप के आरोपी राजबल्लभ यादव की 

दिल्ली से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट----रोडवेज में आदित्य सचदेवा हत्याकांड में आरोपी रॉकी यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है ।सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए रॉकी की जमानत रद्द कर दी और तत्काल उन्हें  गिरफ्तार कर जेल भेजने का आदेश दिया है ।
गौरतलब है की राकेश रंजन यादव उर्फ रॉकी पर 19 वर्षीय आदित्य सचदेवा की हत्या का आरोप है ।गया में हुआ यह कत्ल देश भर में चर्चा का विषय बन गया था क्योंकि रॉकी यादव की मां जदयू की नेत्री हैं और उनके पिता बिंदी यादव का भी आपराधिक इतिहास रहा है ।कत्ल के वक्त आदित्य मारुति स्विफ्ट कार चला रहा था और रॉकी यादव अपनी लैंड रोवर गाड़ी पर सवार ठीक उसके पीछे था ।रॉकी ओवरटेक करना चाहता था मगर मारुति ने पास नहीं दिया ।इस पर रॉकी ने पीछे से गोली दाग कर पहले तो गाड़ी रोकने की धमकी दी और फिर जैसे ही मारुति रुकी,रॉकी ने आदित्य को गोली मार दी ।
इस हत्या से पूरा सूबा दहल उठा था ।रॉकी बाहुबली बिंदी यादव का बेटा भर नहीं था बल्कि उसकी माँ मनोरमा देवी जदयू में एमएलसी भी थी ।ह्त्या की गूंज सियासी गलियारे में भी धूम मचाने लगी ।हत्या के बाद रॉकी भूमिगत हो गया था ।ऐसे में उसकी मां मनोरमा देवी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया ।तब दो दिन बाद रॉकी एक फैक्ट्री से पकड़ा गया था ।बताना लाजिमी है की उस वक्त रॉकी के पास एक दस लाख रुपए कीमत की रिवाल्वर मौजूद थी ।
रॉकी को अक्टूबर में पटना हाइकोर्ट से जमानत मिल गई थी ।जमानत पर भी तरह-तरह की चर्चा हुई थी ।मृतक के पिता हाईकोर्ट से मिली जमानत को रद्द करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुके थे ।ठीक शहाबुद्दीन की तर्ज पर बेबस और लाचार होकर बिहार सरकार ने जमानत निरस्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था ।सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को याचिका स्वीकार कर ली थी और सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर का दिन मुकर्रर किया था ।और आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद जमानत को निरस्त कर दिया ।बिंदी यादव और मनोरमा देवी अभी हांलांकि जेल से बाहर हैं लेकिन उनकी दिवाली बिना रॉकी के फीकी ही रहेगी ।
हालिया घटनाक्रम पर तटस्थ ढंग से गौर फरमाएं तो हाईकोर्ट के फैसले से सुप्रीम कोर्ट खुश नहीं दिख रही है ।बिहार में अभी एक कद्दावर रेप का आरोपी राजबल्लभ यादव हाईकोर्ट से मिली जमानत के बाद ऐश कर रहा है ।सुप्रीम कोर्ट में उसकी जमानत पर भी सुनवाई चल रही है ।सुप्रीम कोर्ट के कड़े तेवर को देखकर लगता है की राजबल्लभ को भी शहाबुद्दीन और रॉकी की तरह जेल ही जाना पड़ेगा ।वैसे सबकुछ माननीय न्यायालय के फैसले पर टिका है ।

अक्तूबर 27, 2016

बिहार में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगोत्री


निगरानी ने एक साथ दबोची भ्रष्टाचारी दो मछलियाँ 
पटाखा बिक्री के लायसेंस के नाम पर डेढ़ लाख की ले रहे थे घुस 
जयनगर के एसडीओ और एसडीपीओ की दिवाली हुयी काली 
बिहार में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगोत्री 

मधुबनी से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट----
बिहार के मधुबनी में निगरानी की टीम ने एक बार फिर ना केवल बड़ी कार्रवाई की है बल्कि उसने भ्रष्टाचार के आरोप में दो मछली मधुबनी के जयनगर में पदस्थापित एसडीपीओ और एसडीओ को घुस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है ।
मिली जानकारी के मुताबिक़ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने आज सुबह मधुबनी के जयनगर के एसडीपीओ (अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी) चंदन पुरी व एसडीओ (अनुमंडलाधिकरी) गुलाम मुस्तफा अंसारी तथा उनके बॉडीगार्ड्स को गिरफ्तार कर लिया ।दोनों अधिकारियों को एक पटाखा व्यवसायी से डेढ़ लाख रूपये घुस लेने के आरोप में दबोचा गया है ।यहां दो तरह की बातें सामने आ रही हैं ।पहली यह की पटाखे से ट्रांसपोर्ट की गाड़ी को छुड़वाने की गरज से रकम की मांग की गयी थी ।दूसरी जानकारी यह की दिवाली में पटाखा बेचने को लेकर लाइसेंस देने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा गया है ।
बताते चलें की आज सुबह करीब 10.30 बजे पटना से पहुंची निगरानी की टीम ने जाल बिछाकर यह कार्रवाई की ।चर्चा है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ निगरानी विभाग को भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें मिली थीं ।इसके बाद टीम ने एक अधिकारी के बॉडीगार्ड को पटाखा व्यवसायिक रामवृक्ष से रिश्वत के लिए रुपयों के साथ पकड़ लिया ।
मोटे तौर पर दोनों अधिकारी दीपावली के अवसर पर पटाखा बेचने के लिए लाइसेंस निर्गत करने के बदले रिश्वत की मांग कर रहे थे ।इसकी सूचना व्यवसायी ने निगरानी को दी थी ।इसके बाद यह कार्रवाई की गई ।हमारे पास जो जानकारी है उस मुताबिक जहां एक लाख रूपये एसडीओ चंदन पुरी को लेने थे वहीं पचास हजार एसडीपीओ गुलाम मुस्तफा अंसारी को लेने थे ।
निगरानी की टीम ने घटना को अंजाम देकर तुरंत जयनगर से रवाना हो गयी ।किसी को कानोंकान खबर नहीं हो सकी ।मधुबनी एसपी दीपक बरनवाल से जब हमने बात की तो उन्होनें केवल इतना बताया कि किसी शिकायत के आलोक में दोनों अधिकारियों को निगरानी की टीम ने गिरफ्तार किया है ।अब उन्हें मुजफ्फरपुर स्थित निगरानी की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा ।
25 अक्टूबर को खगड़िया के उत्पाद निरीक्षक हैदर अली को निगरानी ने एक कारोबारी की केस डायरी कमजोर करने के लिए 31 हजार रूपये घुस लेते पकड़ा था ।यानि कह सकते हैं की सरकार के विभिन्य विभागों में घूसखोरी चरम पर है ।
भ्रष्टाचार की इन मछलियों के निगरानी की गिरफ्त में आने से इतना तो साफ़ हो गया है की बिहार में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है ।लेकिन बड़ा सवाल यह मौजूं है की क्या वजह की डीएम,एसपी,और बड़े अधिकारी,प्रधान सचिव, सचिव,मंत्री,बिचौलिए,ठेकेदार और नेता निगरानी की गिरफ्त में नहीं आ रहे हैं ।या तो सरकार की तरफ से निगरानी को सीमा के अनुकूल काम करने का निर्देश प्राप्त है,या फिर निगरानी अधिक ताकतवर नहीं है और बहुत कुछ उसकी कुब्बत से बाहर है ।

अक्तूबर 26, 2016

बदलता बिहार का नारा फर्जी


सड़कें और फ़्लाईओवर से सूरत बदलती है सीरत नहीं

बिहार में बदहाल शिक्षा को अभी भी लगाया जा रहा है घुन्न
प्राथमिक विद्यालय से लेकर पीजी तक हो रहा है मजाक
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर,
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी और सूबे के मुखिया नीतीश बाबू एसी कमरे से बाहर निकलें
शिक्षा में सुधार के लिए रियाज की है जरुरत
बड़े शिक्षाविदों और शिक्षा के जानकारों से बहस------विमर्श की है जरुरत
बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था की सर्जरी कर रहे हैं
देश के जाने--माने वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह---->>बिहार तपोभूमि और मनीषियों का गढ़ रहा है ।ज्ञान की अविरल नदियां यहां बहती रही हैं ।नालन्दा विश्वविद्यालय,पटना विश्व विद्यालय और मिथिला विश्वविद्यालय सहित तमाम विश्वविद्यालयों का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है ।गुरुकुल की यहां की परम्परा आज भी विश्व को गुदगुदा रहा है ।फिर क्या वजह है की प्राथमिक से लेकर उच्चतर शिक्षा में ना केवल हम फिसड्डी साबित हो रहे हैं बल्कि जिम्मेवार लोगों पर इतने दाग लग रहे हैं,जो कई जन्मों तक छूटने वाले नहीं है ।विषय बेहद गंभीर है इसलिए इसपर चर्चा पारदर्शी,तटस्थ होने के साथ गुणों से तर होने चाहिए ।

पहले हम प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालय की चर्चा कर रहे हैं । हम अपने इस आलेख में किसी भी चीज को बानगी या नजीर नहीं बना रहे हैं ।यह खुला श्वेत पत्र है जो सभी पर लागू होगा ।
आप बिहार की किसी भी जिले में चले जाएँ,वहाँ आपको थोक में ऐसे प्राथमिक विद्यालय मिलेंगे जो पेड़ के नीचे, किसी मवेशी घर या फिर किसी दालान पर संचालित होता मिल जाएगा ।इन विद्यालयों के लिए शिक्षक भी बहाल है लेकिन वे कैसी शिक्षा दे रहे होंगे,आप खुद से समझने की कोशिश करें ।यूँ भवन वाले प्राथमिक विद्यालय भी हैं ।गुरूजी वहाँ भी तैनात हैं ।अब यहां गरीबों का एमडीएम यानि भोज की भी व्यवस्था है ।अब देखिये एक जगह मस्तिष्क की खुराक के साथ--साथ भोजन की भी व्यवस्था है ।हांलांकि यहां सरकार ने थोड़ी चालाकी की है ।कुछ बिना भवन वाले विद्यालय को नजदीक के भवन वाले विद्यालय से सिर्फ खाने के लिए जोड़ दिया है । जो बच्चे अन्यत्र बेछप्पर पढ़ रहे हैं,उनका सारा ध्यान खाने पर है ।वे क्या ख़ाक पढ़ेंगे ?
सरकार की यह चालाकी बच्चों के भविष्य को रौंद रहा है ।यही नहीं कुछ प्राथमिक विद्यालय को मध्य और कुछ मध्य विद्यालय को सरकार ने उच्च विद्यालय में अपग्रेड किया है लेकिन किसी भी विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षक नहीं हैं ।यह शिक्षा का उपहास नहीं तो और क्या है ।आप सिर्फ  अमेरिका और ब्रिटेन की प्राथमिक और मध्य विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को देखें तो,वहाँ तराशे हुए शिक्षक उच्चतम पारिश्रमिक पर रखे गए हैं ।शिक्षा का एक व्यवस्थित रूटीन है ।वहाँ से बच्चे बहुत कुछ सीखकर निकलते हैं लेकिन हमारे यहां के बच्चे जो सामाजिक और सांस्कारिक मूल्य है उसे भी विद्यालय से गंवाकर निकलते हैं ।
मैट्रिक तक की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से गडमड है ।कई दशकों से नामचीन माध्यमिक अथवा उच्च विद्यालयों में कक्षाएं नहीं लगती हैं ।कम्प्यूटर और जिम के सामान के साथ--साथ संगीत के वाद्य यंत्र बिना इस्तेमाल के बर्बाद हो गए ।बस स्कूल में एडमिशन और परीक्षाएं होती हैं ।आप सर्वे करा लें किसी विषय में थोक में शिक्षक मिलेंगे,तो किसी विषय में वर्षों से शिक्षक नहीं हैं ।
अब आईये उच्चतर शिक्षा यानि इंटर से पीजी तक ।बिहार के नामी कॉलेज पटना कॉलेज, साइन्स कॉलेज,बीएन कॉलेज,मगध विश्विद्यालय के कई कॉलेज,भागलपुर,छपरा के कई कॉलेज,दरभंगा के थोक में कॉलेज और बीएन मंडल विश्विद्यालय के कॉलेज ।आप सर्वे करा लें की कॉलेज में विषयवार कितने प्रोफेसर,रीडर, लेक्चरर और डिमोस्ट्रेटर हैं ।रही बात प्रिंसिपल की तो वे तो हाकिम ठहरे ।कितनी बार ताल ठोंकें हम ।लेकिन रहा नहीं जाता है ।हम ताल ठोंककर कहते हैं की इन कॉलेजों में से अधिकांशतः कॉलेज में कभी भी विषय वार कक्षा नहीं लगती है ।सबसे बुरी स्थिति तो बी एन मंडल विश्वविद्यालय की है जहां के कॉलेज में जिस विषय के शिक्षक वर्षों से नहीं हैं वहाँ भी छात्र--छात्राएं उस विषय की डिग्री धड़ल्ले से ले रही हैं ।खासकर लड़कियों का कॉलेज तो पिकनिक स्पॉट में तब्दील है ।लड़कियों की सुविधाओं के लिए खरीदी गयी गाड़ी सड़ गयी ।लेकिन गाड़ी कॉलेज से कभी बाहर निकली ही नहीं ।आप अधिकाँश कॉलेज घूम जाएँ ।लगभग सभी कॉलेज में प्रयोगशाला है ।लेकिन वह प्रयोगशाला कभी खुलता ही नहीं है ।आखिर शिक्षा मद में पानी की तरह पैसे बहाये जा रहे हैं लेकिन ये पैसे बहकर किस समुद्र या नदी में मिल रहे है,इसे भी जानना होगा ।हंसी तो तब आती है और बेहद दुःख भी होता है की अंग्रेजी विषय की डिग्री भी बिना गुरु के यहां मिल रही है ।जिस कॉलेज में अंग्रेजी विषय के प्रोफ़ेसर नहीं हैं,उस कॉलेज में सैकड़ों बच्चे अंग्रेजी विषय से ऑनर्स की डिग्री ले रहे हैं ।

फिर मेडिकल,इंजिनियरिंग,एग्रीक्लचर सहित अन्य तकनीकी शिक्षा पर हम ज्यादा ऊँगली उठाना नहीं चाहते ।मसलन बीबीए,बीसीए और बीएड के एडमिशन में तो इधर--उधर है लेकिन यहां पर कमोबेस पढ़ाई होती है ।
समस्या तो रख दी हमने माननीय । लेकिन समाधान कैसे होगा ?देश और राज्य को बढ़िया शिक्षा मंत्री नहीं मिला ।योग्य राज्यस्तरीय शिक्षा अधिकारी नहीं मिले ।और मुख्यमंत्री,उप मुख्यमन्त्री बाप रे बाप ।
खैर आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे हुक्मरान और नौकरशाह का जमीर जाग जाए,तो अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ।जब जागो,तब सवेरा ।देश में एक से क्रांतिकारी  शिक्षाविद्,समाज के जानकार,नैतिक मूल्यों के पारखी,ज्ञानी न्यायाधीश,संविधान के विशेषज्ञ और चोटी के पत्रकार भी मौजूद हैं ।सरकार की अगर मंशा सही है तो ""शिक्षा में चिर सुधार""के लिए बिहार में सेमिनार कराये जाएँ जिसमें व्यापक बहस--विमर्श हो ।कोलतार से सड़कें चौड़ी करने,पुल--पुलिया बनाने,फ्लाईओवर और बड़ी--बड़ी इमारते खड़ी करने से सिर्फ दृस्टिगत विकास सम्भव है ।राज्य या देश असली विकास शिक्षा से ही संभव है ।जागो सरकार जागो ।



अक्तूबर 25, 2016

निगरानी की बलि चढ़ा घूसखोर बकरा

निगरानी की बलि चढ़ा घूसखोर बकरा 
एक मामले में डायरी कमजोर करने के लिए मांगी थी रकम 
हैदर अली की दिवाली अब बेऊर जेल में मनेगी
वैसे बड़े बकरे की जगह निगरानी अक्सर छोटे बकरे को करती है हलाल 
अरे जो पकड़ा गया वह चोर,वर्ना सन्यासी 
खगड़िया से मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट---->>आज निगरानी की टीम ने एक और मछली का शिकार किया ।उत्पाद अवर निरीक्षक हैदर अली के जय प्रकाश नगर स्थित आवास पर निगरानी की टीम ने छापा मारा और मौके पर रंगे हाथ 31 हजार रुपए घूस लेते हैदर अली को टीम ने दबोच लिया ।
मिली जानकारी के मुताबिक इसी महीने की 10 तारीख को उत्पाद अवर निरीक्षक हैदर अली एन्ड टीम ने शहर के नगर पालिका रोड स्थित गणेश साह के मकान से दो कार्टून शराब बरामद किया था ।उस समय गणेश साह ने बहुत आरजू--मिन्नत की थी की मामला किसी तरह घर पर ही निपटा दें ।लेकिन उस वक्त हैदर अली पर शराफत का भुत सवार था ।गणेश साह को आखिरकार जेल की हवा खानी पड़ी ।थोड़ा वक्त गुजरा की हैदर अली का पापी मन डोल गया और इसी मामले को कमजोर करने के उद्देश्य से इस अवर निरीक्षक ने गणेश साह से 51 हजार रुपए घूस की मांग की । लेकिन दोनो पक्षों की खींचतान में बात 31 हजार में बन गयी ।इसी बीच गणेश साह के पुत्र राजा ने इसकी शिकायत निगरानी पटना से कर दी और फिर तय वक्त पर निगरानी की टीम ने जाल बिछाया और अवर निरीक्षक हैदर अली निगरानी टीम के हत्थे चढ़ गए ।निगरानी के पुलिस उपाधीक्षक मुन्ना प्रसाद व अजय चौधरी के नेतृत्व में महेश प्रसाद,अवरल अहमद,अतनू दत्ता, भीम सिंह, संजय चतुर्वेदी व शैलेश कुमार ने इस छापेमारी में अपनी अहम भूमिका निभायी ।
काश ! हैदर अली की गिरफ्तारी से भ्रष्टाचार कम होता ।अरे साहब बड़ी मछलियाँ और बड़े बकरे लाखों,करोड़ों से लेकर अरबों का वारा--न्यारा कर रहे है लेकिन उनतक पहुंचना निगरानी के बुते की बात नहीं है ।निगरानी की टीम आसान शिकार को दबोच कर के अपने विभाग का नाक बचा रही है ।वैसे हमाम में सभी नंगे हैं ।

भाकपा माओवादी संघटन के लातेहार इलाके का सब जोनल कमांडर बालेश्वर ने किया आत्मसमर्पण

माओवादियों को भी प्यार की है भूख......

वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़कर राज्य का नाम करना चाहते हैं रौशन ......
भाकपा माओवादी संघटन के लातेहार इलाके का सब जोनल कमांडर बालेश्वर ने किया आत्मसमर्पण...
DGP के समक्ष किया आत्मसमर्पण .......
झारखंड में भाकपा माओवादी संघटन को लगा बड़ा झटका ....
लातेहार SP के प्रयास से हुआ सरेन्डर ......
झारखंड की बदल रही है आवो--हवा .......
हाल के दिनो मे कई नक्सलियों ने किया सरेन्डर झारखंड पुलिस का मनोबल सातवें आसमान पर

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह 

रांची से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट------भाकपा माओवादी संगठन का सब जोनल कमांडर बालेश्वर ने आज झारखण्ड पुलिस मुख्यालय में डीजीपी डी.के.पांडे के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया ।सरकार ने बालेश्वर पर 5 लाख के इनाम रखे थे और झारखंड पुलिस सरगर्मी से इसकी तलाश कर रही थी ।लेकिन पुलिस के लिए खासा सरदर्द बने बालेश्वर ने आज खुद आत्मसमर्पण कर दिया ।इसके आत्मसमर्पण करने से पुलिस ने राहत की लंबी सांस ली है । बताना लाजिमी है की लातेहार के कटिया में जवान के पेट मे बम लगाने मे भी यह शामिल रहा था ।यही नहीं इसपर दर्जनों संगीन नक्सली मामले हैं दर्ज हैं ।इसमें कोई शक नहीं है की बालेश्वर के इस आत्मसमर्पण से लातेहार के इलाके मे भाकपा माओवादी संघटन को बड़ा झटका लगा है और संगठन अब बैकफुट पर है ।हांलांकि इसे पहले भी लातेहार के कई हार्डकोर नक्सली ने सरेन्डर किया है ।

झारखंड पुलिस के ऑपरेशन में आये बदलाव से आत्मसमर्पण एक मुहीम की तर्ज पर रंग ला रहा है ।नक्सली अब बंदूक छोड़ मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं ।सब से अहम् बात यह निकलकर आ रही है की नक्सली संघटन मे शीर्ष नक्सलियों ने माना है की संघटन में अब कोई सिद्धांत नहीं रहा है ।कई नक्सलियों ने पूर्व मे किया आत्मसमर्पण किया है  और आगे भी कई नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे ।
लातेहार के एसपी अनूप बिरथरे कहते हैं की 
झारखंड पुलिस उन नक्सलियों का स्वागत करती हैं जो अब बंदूक छोड़ मुख्यधारा मे शामिल हो रहे हैं ।वे समझ रहे हैं की बंदूक से कुछ मिलने वाला नहीं हैं ।एसपी ने नक्सलियों से आह्वान करते हुए कहा जो अब भी बंदूक थामे हुए हैं वे मुख्यधारा में  शामिल हो जाएँ और झारखंड के विकास मे कदम  से कदम मिला कर साथ चलें ।हाल के दिनो में कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और कई नक्सली आत्मसमर्पण करने वाले हैं ।एसपी ने यह भी कहा की जो नक्सली बने हुए रहना चाहते हैं वे जल्द अपने विचार बदलते हुए आत्मसमर्पण करें नहीं तो वे सभी मारे जायेंगे ।
झारखंड के डीजीपी डी.के.पांडे ने कहा की 
झारखण्ड पुलिस का ऑपरेशन "नई दिशा" की कामयाबी अब 109 तक पहुँच गयी है ।झारखंड पुलिस का मिशन है राज्य से जल्द नक्सलियों का खात्मा हो ।उन्होनें आगे कहा की झारखंड के लातेहार SP अनूप बीरथरे के प्रयास अब तक काफी सफल रहा है और एसपी के प्रयास से ही बालेश्वर ने आज सरेन्डर किया है ।लातेहार मे दो दिन पहले ही बड़ी सफलता मिली थी ।भाकपा माओवादी संघटन के एक नक्सली कैम्प को ध्वस्त किया गया था,जहां से भारी मात्रा मे विस्फोट भी बरामद किये गए थे ।
उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से भरी जाती है ।इस कहावत को साबित कर दिखाया है लातेहार SP ने ।लातेहार एसपी की मानें तो रणनीति के तहत नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला कर और ग्रामीणों का दिल जीत कर नक्सलवाद के खात्मे का रोड मैप तैयार किया जा रहा है ।
झारखंड में भाकपा माओवादी संघटन को पहले से आदिवासी नेता की कमी थी अब बालेश्वर के आत्मसमर्पण कर देने से उसे और घोर किल्लत हो गयी है ।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) या भाकपा माओवादी झारखंड का प्रमुख सुधाकरण अभी भूमिगत हो गया हैं ।सुधाकरण  झारखण्ड पुलिस के मेन टार्गेट पर हैं । आत्मसमर्पण के बाद बालेश्वर ने कहा की सुधाकरण पार्टी को मजबूती देने आया था लेकिन उसके आने के बाद भी कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है ।वैसे झारखंड के नक्सली सुधाकरण को अपना नेता मानने तैयार नहीं हैं । अब हालात यह हो गयी है की झारखंड मे संघटन के शीर्ष नेता को विश्वास ही नहीं रहा इसलिए  झारखंड में संघटन मे दो गुट हो गए हैं ।
बालेश्वर उरांव ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की भाकपा माओवादी में अब कोई कोइ सिद्धांत नहीं रहा ।बाहर से आये नक्सली झारखंड के नक्सली के साथ नजरिया अच्छा नहीं रखते हैं ।बड़े नक्सली ऐश मौज की जिंदगी जी रहे हैं ।सुधाकरण के आने से झारखंड मे नक्सलियों का मनोबल टूटा है और गरीबों का खूब हो शोषण हो रहा है ।

बालेश्वर के आत्मसमर्पण से निश्चित रूप से झारखण्ड पुलिस की हौसला आफजाई हुयी है । लेकिन बालेश्वर ने नक्सलियों के बीच का जो सच उगला है,हमारी समझ से आने वाले दिनों में झारखंड पुलिस के लिए यह संजीवनी का काम करेगा ।

अक्तूबर 24, 2016

शिक्षा में सुधार के नारे सिर्फ दिखावा......

सही चीजों की अभी भी हो रही अनदेखी 
कई विद्यालयों और महाविद्यालयों का निबंधन रद्द करने के पीछे बड़ी राजनीति
अच्छे विद्यालय और महाविद्यालय के निबंधन भी हो रहे हैं रद्द 
बिहार में चल रहा तुगलकी फरमान
मधेपुरा से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट----बिहार में हुए टॉपर घोटाले से पुरे देश में बिहार की पूरी नाक कट गयी ।सरकार ने अपनी ईज्जत बचाने के लिए बड़े पैमाने पर विद्यालय और महाविद्यालयों की जांच शुरू करवाई ।लेकिन जिस तरह से जांच हुयी है और हो रही है,उसमें मनमाने तरीके से विद्यालय और महाविद्यालयों के निबंधन को रद्द किया गया है ।हम ताल ठोंक कहते हैं की इस जांच में भी ना केवल खूब उगाही हुयी है बल्कि राजनीति के मानक का भी ख्याल रखा गया है ।यूँ हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसे हम करीने से अपने पाठकों के सामने परोस सकते हैं ।लेकिन एक आलेख में सभी को समेटना नामुमकिन है ।इसलिए हम इस आलेख में महज एक मामले के सच से अपने पाठकों को रूबरू करा रहे हैं ।ये सरकारी पदाधिकारी जनता की सेवा के लिए हैं  या शोषण के लिए।।।।।।।।।।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का एक मामला जिसको हम तुगलकी फरमान कह सकते हैं ।ज्ञातव्य हो की बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा हाल ही में नव संबंधन प्राप्त महाविद्यालयों एवं विद्यालयों की जाँच पाँच सदस्यों की समिति द्वारा करायी गई थी ।इसी क्रम में मधेपुरा जिला के उदाकिशुनगंज अनुमंडल में अवस्थित उदयनाचार्य विद्याकार कवि महाविद्यालय करामा उदाकिशुनगंज की भी जाँच की गई ।इस महाविद्यालय की विधि व्यवस्था,भवन, पुस्तकालय,सेमिनार हॉल,परीक्षा भवन,शिक्षक, छात्र/छात्रा,प्रायोगिक कक्ष,स्मार्ट क्लास देख कर जाँच करने वाले भी यह बोलने से अपने आप को नहीं रोक सके की मधेपुरा जिला क्या पुरे कोसी में ऐसा सम्बन्धन एवं अनुदानित प्राप्त महाविद्यालय नहीं देखा। 
जांचोपरांत मधेपुरा के 10 महाविद्यालयों जिनको निलंबित किया गया उनसे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा स्पष्टीकरण पूछा गया लेकिन उदयनाचार्य विद्याकार कवि महाविद्यालय करामा उदाकिशुनगंज को ना तो निलंबित किया गया ना ही इसकी मान्यता ख़त्म की गई ।
हद तो इस बात की है की इस मुतल्लिक कोई स्पष्टीकरण तक नहीं पूछा गया और ना ही कोई पत्र दिया गया ।इंतहा तो तब हो गयी जब इस महाविद्यालय पर  केवल तुगलकी फरमान सुनाते हुए F.I.R दर्ज करने का आदेश सुना दिया गया ।आपको यह जानकार बेहद हैरानी होगी की FIR का कारण बताया गया कि ये महाविद्यालय बिना अनुमति के छात्रों का एडमिशन,पंजीयन,फॉर्म ,परीक्षा प्रपत्र भरवा रहे हैं ।जबकि सच्चाई यह है की इस महाविद्यालय को वर्ष 2008 में ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा पत्रांक BSEB(SS)PRE-CONF/1143/08 दिनांक 4/08/2008 द्वारा कोड 6331 निर्गत कर दिया गया है और पत्रांक BSEB/SS/COLL-ESTAB/508/D/08 दिनांक 23/07/2008 द्वारा स्थापना अनुज्ञा की कोटि में रखने की सहमति का आदेश पत्र प्राप्त है ।तो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने किस आधार पर इस महाविद्यालय पर FIR दर्ज करते हुए छात्र--छात्राओं का पंजीयन प्रपत्र भरवाने से रोकने का आदेश दिया है ।यह तो बिल्कुल समझ से परे है ।इस तुगलकी आदेश से क्या आनंद किशोर की जांच टीम टॉपर घोटाले में फंसी सरकार को बचाने की कोशिश कर रही है या जनता का ध्यान भटका रही है ।
अभीतक 77 विद्यालय और महाविद्यालयों पर निबंधन रद्द करने की की गाज गिरी है ।सरकार का यह फैसला की मानक पर खड़ा उतरने वाले विद्यालय और महाविद्यालयो का निबंधन बरकरार रहेगा और नए निबंधन भी होंगे ।लेकिन तमाशा तो कुछ और ही चल रहा है ।वैसे हर साल टॉपर घोटाला चलता रहा और सरकार चैन की बंसी बजाती रही ।इसमें कतई दो मत नहीं की यह सारा खेल या तो सरकारी जानकारी में या फिर सरकारी इशारे पर होता रहा ।अभी भी वक्त गुजरा नहीं है ।सम्भव है बहुत चीजों से आनंद किशोर अनभिज्ञ रह रहे हों ।इससे नामचीन विद्यालय और महाविद्यालय का बंटाधार हो जाएगा ।उदयनाचार्य विद्याकार कवि महाविद्यालय करामा उदाकिशुनगंज मामले को पुनः देखने और उसपर फिर से आदेश निर्गत करने की जरुरत है ।आनंद किशोर के साथ--साथ शिक्षा मंत्री सहित खुद नीतीश कुमार को जागना होगा ।आखिर गलती दर गलती...यह सिलसिला कब थमेगा....कब पूरी तरह से रुकेगा ।

अक्तूबर 21, 2016

अवैध टैम्पू स्टैंड का फैलता जा रहा है मकरजाल.....

सड़क के दोनों किनारे लगती है गाड़ियाँ.....  
जिला परिवहन विभाग के नियमों की खूब उर रही है धज्जियाँ.....
मो० अज़हर उद्दीन की रिपोर्ट-------तस्वीर में दिख रही टैम्पू की लम्बी कतार सहरसा के बस स्टैंड की नहीं बल्कि सहरसा शहर के बनगाँव रोड, मीर टोला वार्ड न०-07 के मुख्य मार्ग की है जहाँ तक़रीबन कई महीनों से अवैध स्टैंड केवल फल--फूल ही नहीं रहा है. आगे बताना लाजमी होगा की इससे पहले ये नज़ारा शहर के महावीर चौक रूपवती गर्ल्स स्कूल के पास दिखने को मिलती थी, अवैध स्टैंड होने से भीड़-भाड़ में जब  एक-दो हादसा हुआ तो स्थानीय लोगों के आक्रोश पर धीरे--धीरे स्टैंड को हटाया गया लेकिन अब फिर से यही तस्वीर बनगॉंव रोड मीर टोला में दिखने को मिल रही है। सिर्फ जगह बदला लेकिन तस्वीर वही है कही इस जगह को भी बड़े हादसे का इंतेजार तो नहीं।
इस सड़क से रोजाना प्रशासन की पेट्रोलिंग वाहन कई बार चक्कर काटती है लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। यहाँ तो सिर्फ जेब को भाड़ी करने का काम होता है। फिलवक्त ये कहना कतये गलत नहीं होगा की सड़क पर चल रहे लोगों की ज़िन्दगी भगवान भरोसे ।                

अक्तूबर 20, 2016

मधेपुरा में सोशल मीडिया पर लगाये गए प्रतिबन्ध पर नया शंसोधन.....

सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट ------ मधेपुरा जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया पर लगाये गए प्रितिबंध को वापस लेते हुए नए नियम लागु किया है जो की सराहनीये है और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी को जिन्दा रखने का नया मिसाल कायम किया है. इस पहल के लिए मधेपुरा जिलाधिकारी के साथ साथ मधेपुरा के जागरूक सोशल मीडिया कर्मियों को सहरसा टाईम्स की ओर से बहुत बहुत धन्यवाद. गौरतलब है कि बिहारीगंज में उत्पन्न तनाव में सोशल मीडिया द्वारा अफवाह फैलाए जाने की पुष्टि के बाद मधेपुरा प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इस तरह का एक्शन लिया था. पुराने आदेश को रद्द करते हुए नया निर्देश जारी किया गया है। 
सोशल मीडिया पर ग्रुप एडमिन को ही यह जिम्मेवारी दी गई है कि वे अपने ग्रुप में आने वाले गलत संदेश की सूचना सरकारी मोबाइल नंबर 9955948775 पर देंगे. मधेपुरा जिलाधिकारी मो. सोहैल और आरक्षी अधीक्षक ने गुरुवार को समाहरणालय में स्थानीय पत्रकारों, साइबर एक्सपर्ट एवं बुद्धिजीवियों के साथ वार्ता किया। इसी के साथ कई जिम्मेदारी ग्रुप एडमिन को दिया गया की वे अपने ग्रुप पर किसी उत्तेजक, भरकाऊ, धार्मिक उन्माद जैसे सामग्रियों का यदि अपलोड, शेयर या फारवर्ड होने वाले पोस्ट, कमेंट, फोटो या वीडियो आदि हो तो स्क्रीन शॉट लेकर विभाग द्वारा निर्धारित नंबर पर अविलंब सूचित करेंगे। अगर संबंधित एडमिन समय पर यह सूचना उपरोक्त नंबर पर नहीं दी जाती है तो ऐसे एडमिन के विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जायेगी। जारी पत्र के अनुसार प्रशासन एवं पुलिस की तकनीकी सेल और साइबर क्राइम या स्पेशल टीम इंटरनेट द्वारा जिले में क्रियाशील फेसबुक, वाट्सएप्प जैसे सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग कर रही है। 
जाहिरतौर से मधेपुरा जिला प्रशासन का यह स्वागत योग्य पहल है जिसे शोसल मीडिया से जुड़े तमाम सदस्यों को फोलो करना चाहिए. इस बैठक में कई पत्रकार के साथ साथ कोसी के चर्चित साइबर एक्सपर्ट संदीप शांडिल्य भी मौजूद थे।

अक्तूबर 19, 2016

झारखण्ड पुलिस की बेशर्म करतूत....


लड़कियों के साथ किया अमानवीय सलूक......
सड़क पर लड़कियों से करवाई उठक-बैठक.....
क्या बिहार की तरह झारखण्ड में भी वर्दी को गुंडागर्दी की मिली है आजादी.... 


जमेशदपुर (झारखंड) से मुकेश कुमार सिंह की बेहद खास रिपोर्ट--- आपने दिल्ली और यूपी पुलिस के साथ--साथ बिहार पुलिस की दादागिरी के कई अनोखे किस्से सुने होंगे लेकिन आज हम आपको झारखंड के जमशेदपुर में पुलिस किस तरह से पुरुषों को तो छोड़िये,लड़कियों के साथ किस बेशर्मी से पेश आ रही है,उसकी दास्तान सुनाने जा रहे हैं ।स्कूटी पर सवार तीन ऐसी लडकियां जिसने हेलमेट नहीं पहन रखा था,उसे पुलिस के एक पुलिस जवान ने पहले तो रोका फिर कानून की सारी आयतें पढ़ाई ।लेकिन इस बेशर्म पुलिस वाले का इससे भी जी नहीं भरा तो इसने बीच सड़क पर इन तीनों लड़कियों से तक़रीबन आधे घंटे तक उठक-बैठक करवाई ।नियमों की अनदेखी करने को हम कतई जायज नहीं ठहराते हैं लेकिन उस जवान ने लड़कियों के साथ ऐसा बर्ताव किया जिससे मानवता शर्मसार हो रही है ।हद बात तो यह जानिये की यह एक मामूली पुलिस जवान का करतब है ।इस जवान ने किसी सीनियर या कम से कम एएसआई लेवल के अफसर की मौजूदगी की भी जरुरत नहीं समझी और बीच सड़क पर ही लड़कियों से तमाशा कराना शुरू कर दिया ।हद तो यह भी है की वहाँ मौजूद लोगों का हुजूम लड़कियों के साथ हो रहे मजाक को रोकने की जगह,मजे और लुत्फ उठाते दिखे ।जाहिर सी बात है की लड़कियों को काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी ।
जानें क्या है पूरा मामला...
मिली जानकारी के मुताबिक, गुलमोहर स्कूल के पास स्कूटी पर सवार होकर तीन लड़कियां गुजर रही थीं ।पीसीआर वैन में बैठा पुलिस जवान लड़कियों को देखते ही बाहर निकला और उनकी स्कूटी को रुकवाकर उन्हें उतरने को कहा । पहले तो जवान ने हेलमेट और ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने की मांग की ।लेकिन लड़कियों ने बताया की घर नजदीक होने की वजह से वे हेलमेट लेकर नहीं निकली थीं । बस फिर क्या था ?वर्दी ने अपना रंग पकड़ा और इस पुलिस जवान ने काफी देर तक बीच सड़क पर लड़कियों को सजा के तौर पर उठक-बैठक करवाई ।
क्या है नियम ?
नियम के मुताबिक गाड़ियों की जांच कम से कम एएसआई लेवल के अफसर ही कर सकते हैं ।
एएसआई ऑफिसर की मौजूदगी में ही दूसरा कोई जवान गाडी ऑनर से पूछताछ तक कर सकता है ।
लड़कियों पर कार्रवाई करने वाले जवान ने गाड़ियों की जांच के दौरान नियमों की आखिर अनदेखी क्यों की ?
फिलवक्त वर्दी के नाम पर पुलिस के जवान की इस हरकत की काफी आलोचना हो रही है लेकिन बड़े अधिकारी इस जवान पर कार्रवाई के नाम पर या फिर इस घटना के बाबत कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं ।मुझे यह समझना बेहद कठिन हो रहा है की झारखंड की पुलिस अपराध पर नकेल कसने के लिए तैनात है या फिर उन्हें फ़िल्म की शूटिंग का जिम्मा मिला है ।लड़कियों के गुनाह को हम बेशक मानते हैं लेकिन इस जवान की ओछी हरकत पर कार्रवाई तो होनी ही चाहिए ।वैसे इस तरह की बातें,आई--गयी बातें भी बनकर रह जाती हैं ।

अक्तूबर 17, 2016

राजदेव मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट शख्त .....

कहा की जांच तीन महीने में हो पूरी..... 

नई दिल्ली से मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट---- बिहार के सीवान के हिन्दुस्तान अखबार के पत्रकार राजदेव हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आज शख्त निर्देश दिए हैं कि मामले की जांच हर हाल में तीन महीने में पूरी की जाए ।सुप्रीम कोर्ट बड़े तल्ख लहजे में कहा है कि इस ह्त्या मामले में जेल में बंद सभी छह आरोपियों को जमानत ना दी जाए । 
सुप्रीम कोर्ट ने सीवान के सत्र न्यायाधीश से मोहम्मद कैफ और जावेद पर भी रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि दोनों आरोपी भगोड़ा घोषित किए गए थे या नहीं ?अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 नवंबर तय की है ।इधर सरकार की तरफ से जानकारी मिल रही है,उस मुताबिक मोहम्मद कैफ और जावेद को अदालत ने भगोड़ा घोषित नहीं किया था । इस बीच इसी हत्या मामले में बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप ने कहा है कि जिस वक्त कैफ के साथ उनकी तस्वीर खिंची गयी थी उस समय कैफ भगौड़ा घोषित नहीं था ।तेज प्रताप यादव के वकील ने कहा है कि सीवान से गुजरते वक्त रास्ते में एक अधिकारी ने डिनर पर बुलाया था जहाँ कैफ ने उन्हें बुके भेंट किया,वह तस्वीर उसी वक्त की थी ।


राजदेव की ह्त्या के बाद जिस तरह से बिहार भर में पत्रकारों ने आंदोलन किये की सरकार को सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपना मज़बूरी बन गयी ।लेकिन बीच में जो घटनाक्रम हुआ की मोहम्मद शहाबुद्दीन हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा होकर बाहर आ गए ।उस समय कयास यह लगाया जाने लगा की इस राजदेव हत्याकांड के खुलासे में अब कोई नयी बाधा ना खड़ी हो जाए । लेकिन मोहम्मद शहाबुद्दीन पर सुप्रीम कोर्ट का डंडा चला और एक बार फिर वे सलाखों के पीछे धकेल दिए गए ।अब धुंध पूरी तरह से छंट चुका है और सीवान के लोगों के साथ--साथ दिवंगत राजदेव के परिजनों को भी यह उम्मीद है की राजदेव की पुनः वापसी तो नहीं होगी लेकिन उनके साथ पूरा का पूरा न्याय जरूर होगा ।

अक्तूबर 16, 2016

पाकिस्तान लगातार हासिल कर रहा खुफिया सैन्य जानकारियां......

शरहद पर निगेहबानी में हो रही है चूक.......
अपने देश के सेना अधिकारी और पुलिस अधिकारी पाकिस्तानी आकाओं के हैं करीबी .......
पकड़ा गया जम्मू-कश्मीर का भेदिया DSP .....
पाकिस्तानी सेना के लिए जासूसी करने पर गिरी गाज,हुआ सस्पेंड......
जिस पुलिस अफसर पर कंट्रोल रूम की सूचनाओं से देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, वह अफसर उन सूचनाओं को सीमा पार भेज पाक को कर रहा था अलर्ट .....
नई दिल्ली से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट-----जब अपने घर में ही सांप पल रहे हों,तो सुरक्षा में सेंधमारी तो होगी ही ।गृहमंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुलिस में जयचन्द का रोल अदा कर रहे एक पुलिस अधिकारी को आखिरकार ढूंढ निकाला है । पाकुस्तान के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे तनवीर अहमद नाम का यह डीएसपी जम्मू पुलिस और भारतीय सेना के हर कदम की जानकारी पाकिस्तानी सेना को पहुंचाता रहा है ।उसकी ड्यूटी श्रीनगर पुलिस कंट्रोल रूम में लगी थी । जिससे सभी सूचनाएं उस तक पहुंचती थी और तनवीर उन्हें पाकिस्तानी कमांडर तक पहुंचाता था ।

गृह मंत्रालय की सूझ--बुझ से हुआ खुलासा
गृह मंत्रालय को इस ऑफिसर पर किसी कारण से शंका हुयी और इनके मोबाइल को सर्विलांस पर रखा गया ।आखिरकार कॉल ट्रेस कर के यह बात सामने आ गयी की जनाब तनवीर देश के साथ गद्दारी और पाकिस्तान को नमक का शरीयत दे रहे थे ।
सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना को कुछ समय से महसूस हुआ कि गोपनीय सूचनाएं लीक हो रही हैं ।हर कदम की आहट पाकिस्तान भांप रहा है ।इस पर गृह मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई गई थी । जिस पर राजनाथ सिंह के गृह मंत्रालय ने खासकर के जम्मू-कश्मीर रीजन में तैनात सुरक्षाकर्मियों के फोन कॉल्स को सर्विलांस पर लगा दिया ।इस दौरान खुलासा हुआ कि डीएसपी तनवीर अहमद के पास खुद को पाकिस्तानी आर्मी का कमांडर बताने वाले व्यक्ति का फोन आया ।बस इसी कॉल ने तनवीर के चेहरे पर से पाकिस्तानी नकाब को उतार डाला ।कहां कितनी कंपनी फोर्स तैनात है,इसकी हर जानकारी अपने पाकिस्तानी आकाओं को तनवीर बदस्तूर देता था ।
अभीतक की जांच में हुए खुलासे के मुताबिक तनवीर ने पाकिस्तानी सेना के कथित कमांडर को श्रीनगर में तैनात सुरक्षाबलों और पुलिस की जानकारी दी थी ।तनवीर ने बताया की कहां पर कितनी कंपनी आर्मी और पुलिस की कंपनियां तैनात हैं ।जाहिर सी बात है की इतनी पुख्ता सूचना मिलने पर,पाकिस्तानी सेना की बांछें खिली रहती थीं और वे उसी हिसाब से अलर्ट रहती थी ।

*गृहमंत्रालय ने बैठाई जांच*
देश की सुरक्षा से खिलवाड़ से जुड़े इस मामले के बाद गृहमंत्रालय में हड़कंप मच गया है ।अब डीएसपी के खिलाफ सख्त जांच बैठा दी गई है । क्योंकि अब तक जो बातें सामने आई हैं, वह प्रथम दृष्टया फौरी जांच से निकली हैं ।अन्य कड़ियों का खुलासा करने की कोशिश अब की जा रही है ।आगे पता लगाया जाएगा कि कहीं और खाकीवाले तो देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं ।इस पूरे प्रकरण पर जम्मू-कश्मीर पुलिस कुछ खुलकर नहीं बता रहा है ।सिर्फ पुलिस अधिकारी इस निलंबन के पीछे सुरक्षा में अनदेखी को कारण बता रहे हैं ।चूँकि यह देश की सुरक्षा का मसला है,इसलिए हम भी इसे रबर की तरह ज्यादा खींचना नहीं चाहते हैं ।
अभी--अभी एक और खास जानकारी हमारे पास आई है की सेना ने जम्मू में जासूसी के आरोप में 3 कश्मीरियों को 153 कबूतरों के साथ गिरफ्तार किया है ।यही नहीं बीकानेर से 2 संदिग्धों को भी जासूसी करते पकड़ा गया है ।ये लोग गांव वालों को 25 लाख रूपये देकर सेना की जानकारी हासिल कर रहे थे ।
इतना तो साफ़ है की पाकिस्तान भारत के भीतर भी कहीं ना कहीं खुद को मजबूत पा रहा है । आतंकियों के साथ--साथ आम अवाम से भी वह सूचनाएं संग्रहित कर रहा है ।हमें अपनी आंतरिक गोपनीयता की सेंधमारी पर सबसे पहले रोक लगाने की जरुरत है ।पाकिस्तान सीधे हमले से कतराता है ।वह कई छदम् तरीके अपनाएगा, जिसके लिए हमें अलग से रणनीति बनानी होगी ।
पाकिस्तान कुचला हुआ सांप है ।वह अपनी घिनौनी हरकत से कभी बाज नहीं आएगा ।हमें मुस्लिम अफसरान पर कोई शक नहीं है ।सच्चे देशभक्तों की जमात है हमारे पास ।लेकिन वक्त बहुत नाजुक है,इसलिए महाभारत के संजय वाली दृष्टि रखने की जरूरत है ।साथ ही आंतरिक से लेकर बाह्य दोनों सुरक्षा के लिए अपने संचार तंत्र को मुकम्मिल तौर पर पुख्ता रखना होगा ।हम ताल ठोंककर कह रहे हैं की किसी भी विषम परिस्थिति में हम पाकिस्तान को ना केवल धूल चटा सकते हैं बल्कि उसकी मिट्टी पलीत कर सकते हैं ।युद्ध का विगुल पहले बजे तो........

अक्तूबर 15, 2016

संविधान और देश के कानून का कतई नहीं हो रहा सम्मान

इस देश और विभिन्य प्रांतों के नेता हैं देश के सम्मान और विकास के बाधक.....
यह देश चल रहा है भगवान् भरोसे......
देश के आचार्य,स्वामियों सहित मुल्ला और मौलवियों पर नकेल कसना जरुरी .......
बड़बोले नेताओं के मुंह पर जड़ने होंगे ताले.......
खबरिया चैनल,अखबार,सोसल साईट और अन्य संचार माध्यमों को बदलना होगा अपना रवैया .....
देश के नुकसान में संचार माध्यमों का भी हाथ......

मुकेश कुमार सिंह का पूर्वाग्रह से मुक्त होकर सपाट विश्लेषण------ आजादी के इतने दशकों बाद जहां हम खड़े हैं,लग रहा है पांच के नीचे बेईमानी की दलदल है  हमारे पुरखों की तमाम कोशिशों और बलिदानों को मुट्ठीभर लोग पलीता लगा रहे हैं । आजादी के बाद इस देश में सबसे ज्यादा विकास हुआ झूठ, बेईमानी,विश्वासघात,चुगलई,निंदा,नोंचा--नोची,दुराचार, व्याभिचार,पैरवी,पाप,कुकर्म और हर तरह की चरित्रहीनता का ।यह अपसंस्कृति आज पुरे देश में विकसित होकर आज अपनी पुरातन संस्कृति की तर्ज पर लहलहा रही है । 
 देश यूँ तो सदैव कठिन दौर से गुजरा है लेकिन अभी के दौर को हम अपनी नजर से बेहद कठिन और मुसीबतों से सराबोर देख रहे हैं । देश के सर्वोच्च शिक्षण संस्थान जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय में पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगते हैं और देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूंके जाते हैं ।

हमारे इस आलेख का सीधा और तल्ख़ मकसद है की खबरिया चैनल,अखबार,सोसल साईट और अन्य संचार माध्यमों को अपने रंग--ढंग और तेवर के साथ--साथ अपनी बुरी मानसिकता से सने रवैये को भी बदलना होगा ।देश के नुकसान में संचार माध्यमों का भी बड़ा हाथ है ।मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी आकाओं को संचार सेवाओं मसलन टीवी,अख़बार और सोसल साईट में जगह नहीं मिलनी चाहिए ।खबरिया चैनलों पर 

देश के आचार्य,स्वामियों सहित मुल्ला और मौलवियों को बैठाकर डिवेट नहीं कराना चाहिए । इनकी जुबां से आग बरसती है और ये शान्ति के नाम पर बलबे का सन्देश देते दीखते हैं । हम बड़े साफ़ लहजे से विषय की गंभीरता के दायरे में अपने विचार परोस रहे हैं । हमें टीवी,अखबार, पत्रिका,सोसल साईट और अन्य संचार माध्यमों से केवल उन चीजों को सामने लाना चाहिए जिससे हमारे मनोबल को चार चाँद लगे और देश का कैसे भला होगा और इसका रास्ता कैसे तैयार हो ? देश के नेताओं के मामले में यह देश बड़ा अभागा है ।अभी केजरीवाल,संजय निरुपम,आजम खान या फिर दिग्विजय सिंह सरीखे नेताओं के बयान को तवज्जो देने की क्या जरुरत है ।देश के कई नेता कुछ से कुछ बक रहे हैं और उनके बयानों का ना केवल प्रसारण हो रहा है बल्कि वे बयान अखबारों की सुर्खियां भी बन रहे हैं ।
आखिर ये सब क्यों हो रहा है ?इसपर कैसे लगाम लगेगा ?बहुत सारे खबरिया चैनल और अखबारों को विदेशों से भी धन मिलते हैं,जिसकी अपर्याप्त जानकारी हमारे पास है ।पूरी जानकारी इकट्ठी करने में हम जुटे हैं और संचार के काले कारोबार को हम बेपर्दा करेंगे । माननीय सर्वोच्च न्यायालय को अब ऐसे गंभीर मसलों पर स्वतः संज्ञान लेना होगा,वर्ना ये देश डूबता चला जाएगा ।

कुछ वर्ष पूर्व का एक वाकया मुझे याद आ रहा है ।पुणे में शिक्षा पर एक सेमीनार का आयोजन हो रहा था । विभिन्य देशों के शिक्षाविदों के साथ--साथ कुछ चुनिंदा पत्रकार उसमें शिरकत कर रहे थे ।मुझे भी उस सेमीनार में बतौर वक्ता मौक़ा मिला था ।सभी ने अपनी--अपनी बेबाक राय रखी, मैंने भी रखी ।मेरे भाषण पर तालियां भी खूब बजी जिसकी गूंज आजतक मैं महसूसता हूँ ।कार्यक्रम समाप्ति के बाद मैंने तत्काल मित्र बने अमेरिकन शिक्षाविद् से पूछा की अमेरिका इतना छोटा देश है लेकिन विश्व में सबसे ताकतवर देश है ।भारत में सभी कुछ है लेकिन हमलोग इतने पिछड़े क्यों हैं ।
नका जबाब कम में इतना ताकतवर था की लगा ""मेरे पाँव के नीचे की सारी जमीन यक ब यक खिसक गयी""उन्होनें कहा की अमेरिका "डिजर्वेशन" से चलता है और भारत "रिजर्वेशन" से ।उन्होनें इतना तक कहा के भारत के क्रीम तो अमेरिका सहित दूसरे देशों में हैं ।
सच में आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम आरक्षण को लेकर चीर--फार और वोट के लिए खूब तिकड़म करते हैं लेकिन आरक्षण का सही लाभ सही समय पर वांछितों तक पहुंचे,आजतक कभी भी इसकी ईमानदार कोशिश नहीं की गयी है ।
मुकेश कुमार सिंह 
खैर,  हमारा विषय संचार तंत्र से जुड़ा हुआ था और एक बार फिर हम उधर रुख कर रहे हैं । दलाल पत्रकारिता की नहीं आज देशभक्ति और देश के उत्थान से जुड़ी पत्रकारिता की जरुरत है । पत्रकारिता की आड़ में बहुतो धन कुबेर हो गए हैं । देश और राज्य हित से बड़ा कोई पूण्य का काम नहीं है ।अब कुछ पूण्य भी कमाओ मेरे अजीजों । एक तो इस देश सहित विभिन्य राज्यों का दुर्भाग्य है की सरकार में भी गिने--चुने लोग ही पढ़े--लिखे हैं ।अब समय आ गया है ।छल--प्रपंच की पत्रकारिता पर लगाम लगाना ही होगा ।पत्रकार मित्रों और मीडिया हॉउस वालों,देश से ऊपर कुछ नहीं होता है ।आप खुद इस बात को समझ जाइए तो बेहतर है,वर्ना जनता और सुप्रीम कोर्ट खुद आपको समझा देगी ।

अक्तूबर 14, 2016

स्कूल में गुंडाराज


स्कूल में गुंडाराज
सेंट्रल स्कूल हो या निजी स्कूल कारनामों की है लम्बी फेहरिस्त
अभिभावकों की कमजोरी और लचर स्कूल प्रबंधन की वजह से स्कूल में मच रहा ग़दर

मुजफ्फरपुर से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->>
आज हम बेहद गंभीर मसले को लेकर हाजिर हो रहे हैं ।हांलांकि घटना एक महीना पुरानी है लेकिन इस घटना का वीडियो 8 अक्टूबर को वायरल हुआ है ।घटना की मुकम्मिल तहकीकात के लिए हम खुद मुजफ्फरपुर पहुंचे और तमाम हकीकत से रूबरू हुए हैं ।

अब हम कहानी की शुरुआत करते हैं ।ऊपर की तस्वीर बिहार के मुजफ्फरपुर सेन्ट्रल स्कूल की है ।वर्ग कक्ष में किसी बात को लेकर एक छात्र की पिटाई हो रही है वह भी दो छात्रों के द्वारा जो की रिश्ते में सगे भाई हैं और ग्यारहवीं कक्षा के छात्र हैं ।बिल्कुल फ़िल्मी स्टाईल में सभी कुछ हो रहा है ।इस वीडियो के सामने आने पर अब खलबली मची है ।हम इस घटना की पुरजोर निंदा करते हैं । आखिर कहाँ है स्कूल प्रबंधन ?पुलिस और प्रशासन को तत्काल मुजफ्फरपुर के तथाकथित जितने नामी निजी स्कूल हैं उसके अंदर और बाहर भी नजर रखनी चाहिए ।हांलांकि इस वीडियो के वायरल होने और हमारे सहित अन्य मीडिया के हस्तक्षेप से मुजफ्फरपुर सेंट्रल स्कूल मामले में एसएसपी विवेक कुमार ने संज्ञान लिया है और आरोपी दोनों भाई विशाल कुमार और विक्की कुमार के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है ।हमारी बातचीत जिले के डीएम धर्मेन्द्र सिंह से हुयी ।उन्होनें इस घटना को बेहद दुःखद बताया और ऐसी घटना की कभी पुनरावृति ना हो,इसकी वे अपने स्तर से पुरजोर कोशिश करेंगे ।मुजफ्फरपुर सेन्ट्रल स्कूल की घटना तो महज एक बानगी है ।बिहार और झारखंड के लगभग सभी नामी गिरामी स्कूल में गुंडाराज कायम है ।बच्चे भविष्य संवारने की जगह लठैत बनने की ट्रेनिंग लेने स्कूल आते हैं ।इस घटना के बाबत हमने सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल राजीव कुमार से मिलना चाहा लेकिन उनकी व्यस्तता प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा थी और उन्होनें हमसे मिलना गंवारा नहीं किया ।अपने मोबाइल का स्विच भी अक्सर वे बंद ही रखते हैं ।मुजफ्फरपुर के इस सेन्ट्रल स्कूल में एक माह पूर्व विशाल और विक्की नाम के दो सगे भाईयों का उत्तम कुमार नाम के लड़के से किसी बात पर कहा--सुनी हुयी थी ।बस इसी बात पर वर्ग कक्ष में ही विशाल और बिक्की ने उत्तम की धुनाई फ़िल्मी स्टाईल में की ।हद की इंतहा है की वर्ग कक्ष में गुंडागर्दी चलती रही लेकिन स्कूल प्रबंधन कहीं नजर नहीं आया । जाहिर सी बात है की स्कूल प्रबंधन बेहद कमजोर है ।हम डीएम और एसपी से गुजारिश करेंगे की प्रिंसिपल राजीव कुमार पर भी कारवाई की जानी चाहिए ।इस घटना के परिपेक्ष्य में आवश्यक है की कुछ अन्य घटनाओं की भी चर्चा करें ।हम अपने पाठकों को बताना चाहते हैं की वर्ष 2013 में झारखण्ड के बरियातू स्थित हाई क्यू इंटरनेशनल स्कूल में विदिशा रॉय नाम की बच्ची की हत्या हुयी थी ।मृतका बच्ची के पिता विकास रॉय ने स्कूल के निदेशक पर बच्ची के साथ लगातार यौन शोषण के बाद ह्त्या का आरोप लगाया था ।यही नहीं झारखंड के रांची के सफायर इंटरनेशनल स्कूल में इसी वर्ष 7 फ़रवरी को विनय महतो नाम के छात्र की छत्रावास में हत्या हुयी थी ।आखिर ये सब क्या है ?शासन और प्रशासन दोनों को सेंट्रल स्कूल सहित तमाम निजी स्कूलों के प्रबंधन पर ना केवल नकेल कसना होगा बल्कि प्रबंधन का शख्त गाईड लाईन तैयार करना होगा ।एक तो निजी स्कूल प्रबंधन मोटी फ़ीस वसूल कर बच्चों के परिजनों को फ़क़ीर बना रहे हैं,वहीं दूसरी तरफ गुण्डागर्दी का अलग से पाठ पढ़ाया जा रहा है । सरकार के साथ--साथ स्थानीय पुलिस--प्रशासन को अब इन स्कूल संचालकों से मित्रता निभाने की जगह बड़ी कार्रवाई का फर्ज निभाना चाहिए । आखिर में हम यही कहेंगे की मुजफ्फरपुर सेंट्रल स्कूल के इस वीडियो से सभी स्कूल प्रबंधन को सीख लेनी चाहिए ।


अक्तूबर 13, 2016

जीतापुर में मुहर्रम के अवसर पर खेल प्रतियोगिता का आयोजन

जितापुर से पिंटू भगत की रिपोर्ट : मुरलीगंज प्रखंड के भैरोपट्टी रेनगाह मैदान पर मुहर्रम मेले के अवसर पर प्रखंड स्तरीय कब्बडी प्रतियोगिता का आयोजन मेला संचालक कमिटी के सदस्य द्वारा किया गया.
 जिसमे चार टीम मधेपुरा, सिंघेश्वर, भर्राही बाज़ार और जीतापुर ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. प्रथम ग्रुप में जितापुर और सिंघेश्वर के बीच खेला गया एक पॉइंट से जीतपुर को हरा कर सिंघेश्वर सेमी फाईनल में पंहुचा. मधेपुरा और भर्राही के बीच जो खेल हुआ उसमे भर्राही बाजार को दस अंक से मधेपुरा ने पछार दिया.  फाईनल मैच सिंघेश्वर और मधेपुरा के बीच हुआ जिसमे मधेपुरा ने नौ अंक से सिंघेश्वर को हरा कर जीत का ताज पहना. 
मधेपुरा टीम के संजीव कुमार (कप्तान ) को मैन आफ द मैच का पुरस्कार मिला. इस प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि जिला कब्बडी संघ के सचिव अरुण कुमार, विमल भारती, गोसाई ठाकुर, मो० सत्तर झुरुद्दीन इर्फल आलम, मोज्मिल आलम, नागेश्वर यादव, त्रिवेणी यादव, सहाबुद्दीन,मंजर आलम सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.

अक्तूबर 12, 2016

दो समुदाय के बीच बड़ी वारदात होने से टला..

ना हिन्दू हैं हम,ना सिख,ना ईसाई और ना ही  मुसलमान हैं हम
हमने पुरे विश्व में करा दी है मुनादी,की खालिस हिन्दुस्तान हैं हम
बाबजूद इस पैगाम के आपसी तनाव से मन होता है मैला
सब्र,एहतियात,प्रेम,भाईचारे और ख़ामोशी से संवरते हैं रिश्ते
दो समुदाय के बीच बड़ी वारदात होने से टला 

मधेपुरा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->> अभी पाकिस्तान की काली करतूतों से जहां पूरा देश उबल रहा है वहीं आपसी भाईचारा भी कुलाचें भर रहा है ।ऐसे में हिन्दू--मुस्लिम भाई की किसी बात पर टकराहट बड़े नुकसान की गवाह बन सकता है ।
मधेपुरा जिले के बिहारीगंज में माँ दुर्गे की मूर्ति  विसर्जन के दौरान दो समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई ।कल रात जहाँ आक्रोश में कुछ घंटे मूर्ति विसर्जन को रोक दिया गया और पुलिस--प्रशासन के खिलाफ लोगों ने जमकर नारेबाजी की ।यही नहीं एक समुदाय का आक्रोश इतना जबरदस्त था की स्थिति को सँभालने गए एसडीओ और एसडीपीओ के वाहन को भी उग्र भीड़ ने आग के हवाले कर दिया ।स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी ।जिस घटना से परहेज की पूरी तैयारी की गयी थी,उसपर पलीता लग रहा था ।स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए,बिना समय गंवाए मौके पर मधेपुरा डीएम, एसपी,सांसद और विधायक पहुंचे और बहुत मशक्कत के बाद उन्होनें लोगों को समझाने में कामयाबी पायी ।तब जाकर किसी तरह मूर्तियों का विसर्जन किया गया ।पुलिस--प्रशासन ने रात की घटना से सबक लिया है ।बिहारीगंज मार्केट में बड़ी संख्यां में पुलिस बल मौजूद है ।जाहिर सी बात है की यह आज मुहर्रम है और उसी को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है ।

मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए विवाद के पीछे आखिर वजह क्या थी ?इसे हमने जद से खंगालने की कोशिश की ।हमें जो जानकारी मिली उसके मुताबिक़ तनाव नवमी की रात ऑर्केस्ट्रा के दौरान शुरू हुआ जब बिहारीगंज के कुस्थन के रहने वाले एक युवक ने आर्केस्ट्रा कलाकार के साथ वहां ओछी हरकत शुरू कर दी ।लोगों ने पहले तो इसका विरोध किया लेकिन तनाव बढ़ने पर उक्त युवक के साथ जमकर मारपीट कर दी गई ।पुलिस ने उस युवक को अपने कब्जे में लिया और ईलाज करवाकर उसे छोड़ दिया ।बताया जाता है कि मार खाया युवक जख्मी शेर बन चुका था और उसने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर दूसरे पक्ष को धमकाना शुरू कर दिया और बीती रात दूसरे पक्ष के एक युवक के साथ उनलोगों ने मारपीट की घटना को अंजाम दे दिया ।उसके बाद तनाव काफी बढ़ गया और लोगों ने कुछ घंटे के लिए रेलवे दुर्गा पूजा समिति,बिहारीगंज और बड़ी दुर्गा स्थान बिहारीगंज की मूर्ति विसर्जन रोक दिया ।घटना बड़ी घट सकती थी ।लेकिन पुलिस--प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि की समय रहते मुस्तैदी ने एक काला इतिहास बनने से रोक दिया ।

 मूर्ति विसर्जन में विवाद और मुहर्रम को देखते हुए जब बड़े अधिकारी हंगामा शांत कराने मौके पर पहुंचे तो आक्रोशित भीड़ ने गांधी चौक पर एसडीओ औए सुभाष चौक पर एसडीपीओ की गाड़ी में आग लगा दी ।आनन-फानन में पहुंची दमकल की गाड़ी ने किसी तरह आग पर काबू पाया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी ।गाड़ी पूरी तरह जलकर बर्बाद हो चुकी थी ।जानकारी मिली की बिहारीगंज थानाध्यक्ष के रामपुर में दो पक्षों के बीच तनाव सुलझाने में व्यस्त रहने के कारण कनीय अधिकारी स्थिति को तुरंत सँभालने में असमर्थ रहे ।बाद में मधेपुरा डीएम मो० सोहैल, एसपी विकास कुमार, एएसपी राजेश कुमार, सांसद पप्पू यादव और स्थानीय विधायक निरंजन मेहता ने जाकर लोगों को समझाया तब जाकर किसी तरह मूर्तियों का विसर्जन किया गया ।हांलांकि फौरी कार्रवाई से तत्काल मामले को शांत करा किया गया है लेकिन इलाके में तनाव अभी भी व्याप्त है ।किसी भी नाजुक स्थिति से निपटने के लिए बड़ी संख्यां में पुलिस मौके पर कैम्प कर रही है ।
इस घटना को कहीं से भी छोटी घटना नहीं कहेंगे ।निश्चित रूप से पुलिस--प्रशासन की चूक इस घटना में झलक रही है ।ऐसे मौके पर महाभारत के संजय की तरह दृष्टि रखनी होगी ।वर्ना सतर्कता हटी और दुर्घटना घटी ।फिर उसका दंश लंबे समय तक झेलते रहिये ।कोशिश ऐसी होनी चाहिए की किसी भी सूरत में घटना घटे ही नहीं ।कोई भी पर्व और त्यौहार बिना प्रेम,भाईचारे,सहयोग, समर्पण और त्याग के सम्भव नहीं है ।ऐसे में थोड़ी सी नादानी नासूर ना बन जाए ।सबसे बड़ी जिम्मेवारी अवाम की है की वे अपने रिश्ते को मजबूत और प्रेम रस में डुबोकर रखें ।आपसी रिश्ता अपनेपन से लवरेज हो ।फिर पुलिस--प्रशासन के अधिकारियों को चाहिए की वे अपने कनीय कर्मियों से पल--पल संवाद बनाये रखें और कहीं भी विवाद को बढ़ने से पहले ही पाट लें ।यानि फुंसी को भगंदर ना बनने दें ।

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।