सरकारी योजनाओं का सच देखो सरकार
सिस्टम में आखिर कितने छेद ?
मुस्लिम हित की तरफदारी को करारा तमाचा
आखिर सरकारी योजनाओं के लुटेरों पर है किसका आशीर्वाद
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक------>>
आजादी के बाद से ही गरीबों के नाम पर योजनाओं की मूसलाधार बरसात हो रही है ।केंद्र और राज्य दोनों के सरकारी खजाने के मुंह खुले हुए हैं ।करोड़ों--अरबों रूपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं लेकिन गरीब अपनी बेबस जिंदगी के सँवरने की आस लिए,कई पीढ़ियां गंवाकर आज तक जस के तस मौजूं हैं ।आखिर गरीबों के लिए इतनी कल्याणकारी और कालजयी योजनाएं चलाई जा रही है,फिर भी गरीबी मिट क्यों नहीं रही है ।अरे जनाब गरीबों का असल हक नेता--मुल्ला,बाबू---हाकिम, अफसर,बिचौलिये और दलाल खा रहे हैं ।बेचारे गरीब दशकों से सरकारी जूठन चाट रहे हैं ।शायद ही कोई सरकारी विभाग ऐसा हो,जहां लूट ना मची हो ।हमारे ज्ञान चक्षु के मुताबिक़ सभी जगह लूट का खेल जादुई करतब के साथ खेले जा रहे हैं ।लेकिन इस विषय पर आप अगर किसी नेता--मंत्री,किसी विभाग के मुलाजिम और हाकिम से कुछ पूछें तो लगता है की वे हरिश्चंद्र के सगे औलाद हैं और मौक़ा मिला तो वे हमें कभी भी नाप लेंगे ।एक आलेख में हम सभी विभागों की गोलमाल की हकीकत से आपको रूबरू नहीं करा सकेंगे ।
आज हम अपने इस आलेख में पुर्णिया जिले के डगरुआ निवासी तनवीर आलम,पिता...खलील अंसारी की हकीकत लेकर हाजिर हो रहे हैं ।साक्ष्य के तौर पर हम अपने पाठकों को उनकी तस्वीर भी दिखा रहे हैं जिससे सच सिद्दत से बेपर्दा हो जाएगा ।।तनवीर आलम दोनों पाँव से विकलांग हैं । विगत डेढ़ दशक से ये पुर्णिया में सम्बद्ध विभाग के चक्कर लगा--लगाकर थक गए ।ना तो इनका विकलांग सर्टिफिकेट बना और ना ही इन्हें विकलांग का पेंशन मिला और ना ही हाथ गाड़ी । बेचारे वर्षों पुर्णिया में मशक्कत करते रहे और बाबूओं की जी हजूरी में कोई कोर--कसर नहीं छोड़ी ।लेकिन नतीजा सिफर निकला ।जाहिर तौर पर,तनवीर को कर्मी और बाबू लोगों को देने के लिए नजराना नहीं था और इसी वजह से उसे किसी योजना का लाभ नहीं मिला ।
तनवीर को तीन वर्ष पूर्व किसी ने कहा की सहरसा में दानवीरों का सम्मलेन लगता है ।विभिन्य विभाग के कर्मी और अधिकारी कर्मठ,परहित सेवा में सदैव तत्पर और और दान--पूण्य वाले हैं ।आप वहाँ जाइए ।वहाँ आपको,आपके हक़ से भी ज्यादा मिलेगा । तनवीर की हिम्मत देखिये की योजना का लाभ उसे सहरसा में मिलेगा,इसके लिए वह तीन वर्ष पूर्व बांस की बनी वैसाखी के सहारे पैदल ही पुर्णिया से सहरसा चला आया । जितनी मशक्कत तनवीर ने पुर्णिया में की थी,वही मशक्कत उसने यहां भी की ।लेकिन यहां जो उसे अनुभव प्राप्त हुए की,अब वह किसी योजना का लाभ लेने की फिर से हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है । तनवीर ने सहरसा की व्यवस्था देखकर अपनी सारी हिम्मत गंवा दी है । यहां के अधिकारियों ने तनवीर को फिर से पुर्णिया जाने की अनमोल सलाह दी और साथ में यह ताल ठोंककर कहा की उन्हें सारी योजनाओं का लाभ पुर्णिया में मिलकर रहेगा । सरकारी नियम है और यह उसका हक़ बनता है ।
बेचारे तनवीर को एक सज्जन ने मुझसे मिलवाया और उसे किसी तरह से न्याय मिले,इसके लिए कोई जुगत करने की हमसे गुजारिश की ।हमें बहुत दुःख हुआ और तनवीर पर दया भी आई ।हम उसे लेकर सामाजिक सुरक्षा विभाग गए लेकिन साहब अवकाश पर थे ।लेकिन वहाँ के मुलाजिम ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की इस पीड़ित को जो भी लाभ मिलना होगा,वह पुर्णिया में ही मिल पायेगा ।फिर हम डीएम विनोद सिंह गुंजियाल से मिले ।वे एक सुघड़ आईएएस अधिकारी हैं ।उन्होनें तुरंत सहरसा सिविल सर्जन को उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए पत्र लिखा ।हम सिविल सर्जन साहब डॉक्टर अशोक कुमार सिंह के पास पहुंचे । सिविल सर्जन साहब अपने चैम्बर में एक बड़े तांत्रिक से थोक में ईश्वरीय आशीर्वाद ग्रहण कर रहे थे ।थोड़ी देर हमें इन्तजार करना पड़ा,फिर उन्होनें हमारी विपत्ति को गौर से सूना ।डीएम के पत्र को कई बार पढ़ा,फिर उसपर पुर्णिया सिविल सर्जन को जांचपरांत उचित कार्रवाई की अनुशंसा उन्होने दिल खोलकर कर दी ।पत्र हमें पुर्णिया लेकर जाने की सर्वोत्तम सलाह देते हुए सिविल सर्जन साहब ने हमसे चाय लेने का आग्रह किया ।लेकिन मेरी भी थोड़ी हिम्मत टूटी थी,इसलिए फिर कभी,कहकर हम वहाँ से विदा हो गए ।
सरकारी पत्र तनवीर के हाथ में है लेकिन वे अब पुर्णिया जाने के नाम से कांपने लगते हैं ।सहरसा में अपनी जिंदगी तनवीर भीख मांगकर काट रहे हैं । आप तनवीर को देखिये की किस तरह से वे बांस को बैसाखी बनाकर अपना सफ़र तय कर रहे हैं ।
हमारे सुधि पाठकों,हम अपने दम से तनवीर की हाथ गाड़ी का इंतजाम करने जा रहे हैं,ताकि आगे उनकी जिंदगी में कुछ रंग भर सकें ।लेकिन बड़ा सवाल यह है की हम अपने बुते कितने तनवीर की दुनिया बदल सकेंगे ?और सबसे बड़ा सवाल यह की जिस काम के लिए सरकार और तंत्र है,वह ऐसी घृणित लापरवाही क्यों कर रहा है ।शायद वोट की राजनीति करने वाले को तनवीर का दर्द नहीं दिख रहा है ।अरे सियासतदां तनवीर मुस्लिम है ।और पुरे देश में सिर्फ मुस्लिम हित के लिए आपलोग गरजते हो ।आखिर फिर क्या वजह है की तनवीर आपको नहीं दिख रहे हैं ?जय हो सरकार की ।
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