मुकेश कुमार सिंह की कलम से-----सहरसा देश का पहला ऐसा जिला होगा जहां के डॉक्टर्स एक साथ हथियार की लायसेंस लेने की जिद पर अड़े हैं ।हद तो यह है की बेहतर सुरक्षा इंतजाम और हथियार के लायसेंस के लिए ये सभी डॉक्टर्स बीते 22 फ़रवरी से लगातार पांच दिनों तक हड़ताल पर भी थे।बताना लाजिमी है की इस हड़ताल के दौरान कोसी प्रमंडल के मरीज त्राहिमाम करते रहे।यह दीगर बात है की डॉक्टर्स की सुरक्षा एक अहम् मुद्दा है।लेकिन बड़ा सवाल यह है की कोसी इलाके में क्या आगे मरीजों का इलाज हथियारों की नोंक पर होगा ।क्या खौफ और संगिनियों के साये में होगा मरीजों का इलाज। पांच दिनों के सरकारी और गैर सरकारी डॉक्टर की हड़ताल ने कोसी इलाके में त्राहिमाम मचा दिया था।मरीज बिना इलाज के चीख--पुकार मचाये हुए थे।
हड़ताल के दौरान सभी नर्सिंग होम में अलीगढ़ के ताले लटक रहे थे।कोसी का पीएमसीएच कहा जाने वाला सदर अस्पताल बुरी तरह से प्रभावित था।हर तरफ मरीज परेशान हाल और बस ऊपर वाले की नियामत के भरोसे थे।सहरसा के डॉक्टर्स के समर्थन में सुपौल के सभी डॉक्टर्स और मधेपुरा और पूर्णिया के आंशिक रूप से डॉक्टर्स भई हड़ताल पर थे।आईएमए के बैनर तले यह हड़ताल चल रही थी।इन डॉक्टर्स को राज्य मुख्यालय संघ का आशीर्वाद भी प्राप्त था।जाहिर तौर पर ये डॉक्टर्स अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल पर थे।लेकिन अब इन डॉक्टर्स का भरोसा पुलिस और प्रशासन पर से पूरी तरह से उठ गया है।इनकी मांग है की एक साथ सभी डॉक्टर्स को हथियार के लायसेंस दिए जाएँ,जिससे वे अपनी सुरक्षा खुद कर सकें ।
हमारी जानकारी के मुताबिक़ पुराने और नए दो सौ से
ज्यादे डॉक्टर्स ने हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन दिए हैं ।धरती के भगवान् अब हथियार के दम पर लोगों की जान बचाने की कसम उठा चुके हैं ।हड़ताल के आखिरी दिन 26 फ़रवरी को कोसी रेंज के नवोदित डीआईजी चंद्रिका प्रसाद और सहरसा के डीएम विनोद सिंह गुंजियाल से डॉक्टर्स का एक प्रमंडलीय प्रतिनिधि मंडल मिला ।अधिकारियों के साथ हुयी वार्ता और हथियार लायसेंस की जिद को लेकर पूरी चर्चा और अधिकारियों के ठोस भरोसे के बाद यह हड़ताल खत्म हो सकी।
हमारी जानकारी के मुताबिक़ पुराने और नए दो सौ से
ज्यादे डॉक्टर्स ने हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन दिए हैं ।धरती के भगवान् अब हथियार के दम पर लोगों की जान बचाने की कसम उठा चुके हैं ।हड़ताल के आखिरी दिन 26 फ़रवरी को कोसी रेंज के नवोदित डीआईजी चंद्रिका प्रसाद और सहरसा के डीएम विनोद सिंह गुंजियाल से डॉक्टर्स का एक प्रमंडलीय प्रतिनिधि मंडल मिला ।अधिकारियों के साथ हुयी वार्ता और हथियार लायसेंस की जिद को लेकर पूरी चर्चा और अधिकारियों के ठोस भरोसे के बाद यह हड़ताल खत्म हो सकी।
देश के इस चौंकाने वाले वाकये की हथियार का लायसेंस दो,तब करेंगे मरीजों का इलाज को लेकर सहरसा टाईम्स ने सहरसा के डीएम विनोद सिंह गुंजियाल से एक्सक्लूसिव बातचीत की ।डीएम ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की लायसेंस देने की एक विधि सम्मत प्रक्रिया होती है ।किसी को भी हथियार के लायसेंस देने से पहले यह जानना भी जरुरी है की उन्हें किसी ने धमकी दी है या फिर उनकी जान को खतरा है ।यानि बिना प्रक्रिया के हथियार का लायसेंस नहीं दिया जा सकता है ।वैसे वे डॉक्टर्स की मांग पर कानून सम्मत विचार कर रहे हैं।
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