मुकेश कुमार सिंह की कलम से---- जदयू से निष्काषित और विधायकी खत्म हुए विधायकों के पक्ष में माननीय उच्च न्यायालय का फैसला आते ही निष्कासित और विधायकी खत्म हुए विधायकों की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.राज्य मुख्यालय पटना में बागियों का जमकर जलसा हुआ. इसी कड़ी में छातापुर से जदयू के बागी बाहुबली विधायक नीरज कुमार बबलू के सहरसा स्थित आवास पर बबलू समर्थकों ने एक साथ ना केवल होली और दिवाली दोनों मनाई बल्कि छंककर मिठाईयां भी खाई. हद की इंतहा तो यह देखने को मिली की इस मौके पर बाबले हुए बबलू समर्थकों ने नीरज बबलू के सामने ही रायफल और पिस्टल से हवा में जमकर गोलियां दागी. नियम--कायदे, पुलिस और कानून अक्सर बाहुबलियों के सामने घुंटने टेक देते हैं, यह तस्वीर उसकी बानगी है.
नीरज बबलू के घर बधाई देने पहुंचे उनके समर्थक |
नीरज बबलू के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ था. लोग एक दूसरे
को अबीर लगाकर मिठाईयां खा रहे थे. हद तो यह है की नीरज बबलू के सामने ही
बबलू समर्थक उनके आवास से लेकर शहर भर में घूम--घूमकर पटाखे चलाने के
साथ---साथ रायफल और पिस्टल से जमकर गोलियां भी
छोड़े जा रहे थे. कानून को सिद्दत से ठेंगा दिखा रहे ये सारे समर्थक नीरज कुमार बबलू के "बाहुबल"
का खुलकर प्रदर्शन कर रहे थे. इस मौके पर नीरज बबलू ने सहरसा टाईम्स से कहा की
माननीय न्यायालय ने नीतीश कुमार पर कड़ा तमाचा जड़ा है. नीतीश कुमार
गलती पर गलती करते जा रहे हैं. उनका और उनके साथियों का एकमात्र मकसद है
जदयू और नीतीश का सफाया. जनता नीतीश कुमार की तमाम हरकतों को देख रही है और
बहुत जल्द नीतीश का सर्वनाश तय है.
नीतीश पर कई तरह के विष वाण छोड़ते हुए नीरज
बबलू ने कहा की सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता. माननीय
उच्च न्यायालय ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है. समर्थकों द्वारा गोलीबारी किये
जाने को लेकर नीरज बबलू ने कहा की देखिये कोई फायरिंग
नहीं हुयी है ये तो ख़ुशी का इजहार है. ऐसे भी अब रायफल, बन्दुक शोभा की वस्तु
है. इससे कोई शिकार भी नहीं कर सकता. उनके कैम्पस में लायसेंसी हथियार से फायरिंग
करना कोई अन्याय नहीं है. उनके समर्थकों का कहना है की माननीय न्यायालय के
सम्मान में उन्होनें फायरिंग की है, वह भी लायसेंसी हथियार से. इनकी नजर में
इन्होनें कोई गुनाह नहीं किया है. बाहुबल
के सामने कानून और पुलिस की नहीं चलती है. धुंआं उगलते बन्दुक ने बाहुबल की
एक नयी इबारत लिखी है. न्यायालय के फैसले पर खुश होना लाजिमी है लेकिन ख़ुशी
का इजहार, इस तरीके से करना, हमारी समझ से कहीं से भी जायज नहीं
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