जून 30, 2012

कोसी का कहर जारी

रिपोर्ट चन्दन सिंह : वीरपुर बैराज से लगातार थोक में पानी छोड़े जाने से एक तरफ जहां कोसी के जलस्तर में अप्रत्यासित वृद्धि हुई है वहीँ दूसरी और कोसी अपनी तेज धार से विभिन्य महत्वपूर्ण स्परों के आसपास तेजी से कटाव करने के साथ--साथ पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर बसे गाँवों में भी कहर बरपाते हुए थोक में घरों को लीलना शुरू कर दिया है.सैंकड़ों लोग अभीतक बेघर हो चुके हैं.अभी बरसात ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू भी नहीं किया है लेकिन इससे बेखबर बौरायी कोसी बर्बादी का विगुल फूंक चुकी है.इस बार शुरूआती समय में ही कोसी तटबंध के लगभग करीब आकर बह रही है लेकिन सम्बद्ध विभाग और जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ निरोधात्मक काम में कहीं से कोई तेजी नहीं दिखाई जा रही है.यह एक बड़ी लापरवाही है जो किसी बड़े खतरे को खुला निमंत्रण दे रहा है. 
अभी शुरूआती समय है जब कोसी महज अंगडाई लेती है.लेकिन इस बार शुरू में ही कोसी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है.सनद रहे की कोसी की लपलपाती और नाग की तरह फन काढ़े रहने वाली धार को हमें आगे झेलना है.अभी कोसी ने पूर्वी तटबंध के भीतर नवहट्टा प्रखंड के नारायणपुर और बिरजाईन गाँव के साथ--साथ महिषी प्रखंड के बघौर और बलथखा गाँव में कहर बरपाना शुरू किया है.कोसी ने जहां नवहट्टा प्रखंड के नारायणपुर और बिरजाईन गाँव के ढाई दर्जन गाँव को अपने में समा लिया है वहीँ महिषी प्रखंड के बघौर और बलथखा गाँव में भी करीब ढाई दर्जन घरों को लीला है.सैंकड़ों लोग माल--मवेशी को लेकर सुरक्षित ठिकानों की तरफ गाँव से बेघर होकर भाग चुके हैं.अभी तो कोसी ने महज सरगोशी की है.आगे कोसी की मजबूत दस्तक फिर उसके बाद उसकी फुंफकार का वक्त आएगा.आप खुद अंदाजा लगाईये की तबाही का वह कितना खौफनाक मंजर होगा.

जून 26, 2012

हड़ताल से मची रही अफरातफरी

रिपोर्ट चन्दन सिंह: IMA के आह्वान प़र चिकित्सकों की हड़ताल से सदर अस्पताल सहरसा में अफरातफरी का माहौल रहा .खासकर के गरीब मरीजों प़र आई इस आफत ने उनकी जिन्दगी बच पाएगी की नहीं यह सवाल पैदा करके रख दिया है.कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले इस अस्पताल में आउट डोर सेवा के साथ--साथ आपातकालीन सेवा भी बाधित रहा .आलम यह है की दूर--दराज इलाके से इलाज कराने आये मरीज बिना इलाज के वापिस लौटने को विवश  थे .यही नहीं पहले से भर्ती मरीजों का भी यहाँ इलाज नहीं हो रहा था .हद की इंतहा तो यह है की इलाज के अभाव में गर्भवती महिलाओं के सामने जीने--मरने की नौबत आ गयी.सिविल सर्जन साहब की दलील है की मरीजों को दिक्कत तो जरुर हो रही है लेकिन आपातकालीन सेवा बहाल है.सबकुछ ठीक हो जाएगा.लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं की पहले से ही लापरवाही के लिए मशहूर इस अस्पताल की आज पूरी--की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है. गरीबों पर आफत कोई नयी बात नहीं है.सियासत भी गरीबों पर जुल्मो--सितम भी गरीब पर.ये गरीब तो इस देश में महज खेलने की चीज भर बनकर रह गए हैं.

जून 25, 2012

लूट की नाव से जान लेने की तैयारी

एक बेहद ख़ास और EXCLUSIVE रिपोर्ट

मुकेश सिंह,सहरसा टाइम्स 
कहते हैं की लूट की दरिया में डुबकियां लगाने से तिनके से लेकर पहाड़ तक के वजूद वाले बाज नहीं आते हैं.लेकिन अब तो अधिकारी और उनसे जुड़कर आमलोग भी थोक में जिंदगियां डुबोने की शर्तों पर लूट का खेल खेलने लगे हैं.ताजा वाकया दहशत से भरी कोसी नदी में आपदा विभाग द्वारा बनायी गयी नावों को नदी में उतारने का है.कोसी नदी जब अपन्बी तेज धार और उफान से पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर बसे लोगों को तबाह करने लगेगी तो इन नावों को नदी में चलाकर पीड़ित लोगों को सुरक्षित निकाला जाएगा.बताना लाजिमी है की बीते वर्ष आपदा विभाग डेढ़ करोड़ की लागत से सौ नावों का निर्माण करा रहा था.पहले फेज में करीब 75 लाख की लागत से 50 नावों का निर्माण भी करा लिया गया.लेकिन हद बात यह थी की अधिकारी और नाव निर्माता की मिली भगत से शीशम की लकड़ी की जगह 
जामुन,जलेबी और पीपल की लकड़ी से अत्यंत घटिया और कमजोर नावों का निर्माण हुआ था.ये नावें जहां कोसी की उफनाती धारों को झेलने के बिल्कुल काबिल नहीं थी वहीँ ये लोगों की जिन्दगी बचाने की जगह लोगों की जिन्दगी लीलने वाली साबित होती.मिडिया ने इन घटिया नावों को लेकर पुरजोर तरीके से आवाज बुलंद की थी और सरकार तक इस बात को पहुंचाया था.हमारे प्रयास के दम प़र राज्य आपदा विभाग की नींद खुली और उसने पिछले साल ना केवल इन नावों के परिचालन प़र रोक लगा दिया बल्कि उस ठेके को ही रद्द कर दिया.अब उन्हीं नावों को पैसे के दम प़र जिला प्रशासन ने ना केवल बिल्कुल सही करार दिया है बल्कि उन्हें नदी में उतारने के लिए वह हरी झंडी भी दिखाने वाला है.सहरसा टाइम्स एक बार फिर से लूट के इस खेल का खुलासा करने जा रहा है.
बाढ़ प्रभावित इलाके के लिए आपदा विभाग द्वारा पिछले साल बनायी गयी ये नावें जांच के घेरे में थी लेकिन अब ये नावें पैसे के दम पर जाँच घेरे से बाहर निकल चुकी हैं.अब देखने वाली बात यह है की लोगों के विरोध और सहरसा टाइम्स की कोशिश इन नावों को नदी में उतरने से रोक पाती हैं या फिर इन्हें नदी में उतारा जाता है.जाहिर तौर पर यह देखना दिलचस्प होगा की इन लूट की नावों को कोसी नदी में कब उतारा जाता है.जानकारों की राय में ये लूट की नावें नदी में उतरते ही कभी भी डूब जायेंगी.ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है की ये नावें तारणहार बनती हैं या फिर लोगों को डुबोती हैं.

UGC NET HISTORY HINDI MASS COMMUNICATION GEO Answer Key dec 2012

UGC NET HISTORY HINDI MASS COMMUNICATION GEO Answer Key dec 2012


Official website : http://www.ugcnetonline.in/Answer_keys_dec2012.php

जून 24, 2012

UGC NET Answer Key Dec 2012

University Grants Comission (UGC) Conducted National Eligibility Test (NET) 2012 Indian nationals order to ensure minimum standards entrants in teaching research & profession.

coming post   Official website :http://www.ugcnetonline.in/Answer_keys_dec2012.php 

जून 23, 2012

रिपोर्ट : चन्दन सिंह: कल चमन था आज एक सहरा हुआ.बीती रात सदर थाना क्षेत्र के गंगजला चौक प़र पहले कबाड़ी की दूकान जलकर ख़ाक हुई.फिर उसी की आग ने बगल के सात अन्य घरों को अपनी जद में लेकरपूरी तरह से जलाकर ख़ाक कर दिया.जिन्दगी भर की कुल जमापूंजी पलक झपकते ही ख़ाक में तब्दील हो गयी.सारे लरजते सपने आग में धू--धू कर जल गए.आग रात के बारह बजे के बाद सबसे पहले कबाड़ी की दूकान में लगी और वह आग इतनी भयानक थी की उसने बगल के सात अन्य घरों को भी अपनी चपेट में ले लिया.रात में ही अग्निशमन की दो गाड़ियों ने भारी मशक्कत के बाद आग प़र काबू पाया.इस भीषण आगजनी में पच्चीस लाख से अधिक की संपत्ति के जलकर ख़ाक होने का अनुमान है.अभीतक आग लगने की वजह क्या थी इसका खुलासा नहीं हो सका है.आग ने ऐसा कहर बरपाया है की कई जिंदगियां एक साथ सड़क पर आ गयी हैं.इस सदमे और दर्द से उबरने में इन्हें आगे ना जाने कितने वक्त लगेंगे और इनकी जिन्दगी कितनी मुश्किलों से दो--चार होंगी,इसका कयास लगाना मुश्किल है.हम तो दुआ करेंगे की जल्द से जल्द इनकी जिन्दगी पटरी पर लौट आये.
रिपोर्ट - चन्दन सिंह : बीते देर शाम सदर थाना के काफी भीड़--भाड़ वाले इलाके गंगजला चौक प़र एक मनचले ने ट्यूशन पढ़कर घर लौट रही एक कॉलेज छात्रा के बदन प़र पीछे से कोई जहरीला पदार्थ डाल दिया.जहरीले पदार्थ के असर से लड़की के बदन में जलन होने लगी और वह छटपटाने लगी.लेकिन इस लड़की की हिम्मत देखिये की इसने उस मनचले को खदेड़ कर ना केवल दबोच लिया बल्कि उसकी जमकर धुनायी भी कर दी.सबकुछ फ़िल्मी स्टाईल में हो रहा था.फिर क्या था स्थानीय लोग भी लड़की की मदद में आगे आये और उन्होनें भी मनचले की जमकर धुनायी कर डाली.इस बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी.पुलिस फ़ौरन मौके प़र पहुंची और आरोपी मनचले को अपने कब्जे में लेकर सदर थाना चली आई.अधर लड़की को सदर अस्पताल ले जाया गया जहां उसका इलाज हो रहा है.चिकित्सक उसकी स्थिति खतरे से बाहर बता रहे हैं.छेड़छाड़ की इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है.छेड़छाड़ के इस बेहद खतरनाक तरीके से पूरे इलाके में ना केवल सनसनी फैल गयी है बल्कि लोग हैरत में किंकर्तव्यविमूढ़ भी हैं. एक उम्र दराज आदमी आखिर ऐसी ओछी हरकत करके क्या हासिल करना चाहता था,एक बड़ा सवाल सामने खड़ा है.

लुटेरे की जमकर हुई धुनाई

रिपोर्ट - चन्दन सिंह: दिन दहाड़े महिला के झोले को काटकर तीस हजार रूपये लेकर भाग रहे बाईक सवार तीन लुटेरे में से एक लुटेरे को लोगों ने दबोचकर ना केवल जमकर उसकी धुनायी की बल्कि गंभीर रूप से जख्मी लुटेरे को पुलिस के हवाले भी कर दिया.सदर थाना के डी.बी.रोड स्थित स्टेट बैंक से रूपये निकाल कर अपने घर वापिस लौट रही महिला के साथ लुटेरों ने लूटपाट की इस घटना को अंजाम दिया.इस घटना में जहां एक लुटेरा दबोचा गया वहीँ बाईक सवार दो लुटेरे तीस हजार रूपये लेकर चम्पत हो गए.इधर पुलिस ने गंभीर रूप से जख्मी अली नाम के लुटेरे को सदर अस्पताल में भर्ती कराया है जहां उसकी स्थिति नाजुक है.पुलिस पीड़ित महिला के बयान प़र सदर थाना में मामला दर्ज कर तहकीकात में जुट चुकी है.एक लुटेरा दबोचा गया है जबकि रूपये लेकर दो लुटेरे चम्पत हो गए हैं.अब इस महिला के लूटे गए रूपये की वापसी कैसे और कब होगी कहना नामुमकिन है.महिला की बेटी की शादी सामने हैं और रूपये गायब.ऐसे में बेटी की शादी कैसे होगी यह बड़ा और यक्ष सवाल सामने खड़ा है.





जून 22, 2012

सहरसा सदर अस्पताल में दवा के लिए घमाशान

रिपोर्ट : चन्दन सिंह :   कोसी प्रमंडल के PMCH कहा जाने वाला सहरसा सदर अस्पताल इनदिनों बेइंतहा लापरवाही और बदइन्तजामी के अलावे तरह--तरह के जौहरनुमा क्रिया--कलापों की नयी ईबारत लिख रहा है.आलम यह है की महिला दवा काउंटर प़र पुरुष और महिलायें दोनों एक साथ भीड़ की शक्ल में जमा होकर दवा लेने की खातिर मरने--मारने प़र उतारू हैं.दवा काउंटर मेला स्थल में तब्दील है जहां बीमार मरीज के लिए दवा लेने के लिए कई घंटों से खड़े मरीज के महिला और पुरुष परिजन खुद बीमार होने के कगार प़र खड़े हैं.सदर अस्पताल में दवा के लिए मचे घमाशान प़र आज हम आपको सहरसा सदर अस्पताल में मची अंधेरगर्दी की बेहद ख़ास तस्वीर दिखाने जा रहे हैं. 
महिला दवा काउंटर
सदर अस्पताल का महिला दवा काउंटर लेकिन यह सिर्फ दिखावे का महिला काउंटर है.महिला,पुरुष,बच्चे--बूढ़े और लड़कियाँ,जिन्हें दवा की दरकार है उन सभी को रेलम--पेलम के साथ यहाँ प़र दवा लेने की जुगात करनी है.आप तस्वीरें देखें और खुद अंदाजा लगाएं की यहाँ प़र क्या सही और क्या गलत हो रहा है.हम अपनी तरफ से कुछ भी कहेंगे तो सुशासन बाबू नीतीश जी बुरा मान जायेंगे.यह भीड़ महज थोड़ी देर की भीड़ नहीं है.यहाँ प़र यह मजमा पिछले चार घंटों से लगा हुआ है.खासकर के बुजुर्ग महिलायें,लड़कियों और छोटी बच्चियों को यहाँ प़र खासी मुश्किलों का सामना करना प़र रहा है.बच्चियों का तो यहाँ तक कहना है की उन्हें लग रहा है की दवा लेने से पहले वह खुद बीमार हो जायेगी.सदर अस्पताल सहरसा खुद बिल्कुल बीमार है जिसे शख्त इलाज की जरुरत है.इस अस्पताल में बेजा हरकतें परवान प़र है लेकिन उसपर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है.इस अस्पताल में लोगों की जान बच रही है तो समझिए अल्लाह की ख़ास मेहरबानी है.

भूख हड़ताल और दिन भर का जाम

जूही कुमारी
प्रदर्शनकारी  
रिपोर्ट - चन्दन सिंह:  दबंगों के कहर से घर और ज़मीन से बेदखल एक परिवार पिछले तीन दिनों से बिहरा थाना के पुरीख चौक प़र भूख हड़ताल प़र बैठा हुआ है.अनशन के तीसरे दिन बीते कल ग्रामीणों का धैर्य जबाब दे गया और वे इन अनशनकारी पीड़ितों के पक्ष में ना केवल लामबंद हो गए बल्कि सहरसा--सुपौल मुख्य मार्ग NH--107 को अहले सुबह सात बजे से ही जाम कर यातायात को पूरी तरह से ठप्प कर दिया.दिन के करीब ग्यारह बजे मौके प़र पहुँचे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को समझा--बुझाकर जाम को खत्म कराना चाहा लेकिन प्रदर्शनकारी पीड़ितों को तुरंत न्याय मिले प़र अड़े रहे.बाद में स्थिति ऐसी हो गयी की जिला से एक के बाद एक अधिकारी प्रदर्शनकारियों को समझाने के लिए पहुँचते रहे और उन्हें ज़मीन सम्बन्धी नियमों का हवाला देकर कुछ मोहलत मांगते रहे लेकिन प्रदर्शनकारियों ने ऑन स्पॉट फैसला करवाने का पक्का फैसला कर लिया था,इसलिए वे कुछ भी मानने को तैयार नहीं थे.नतीजा यह हुआ की शाम सात बजे तक जाम को हटाना मुमकिन नहीं हो पाया.इधर अनशनकारी परिवार में से दो सदस्यों की हालत बिगड़ने लगी है जिसे डॉक्टर स्लाईन चढ़ा रहे हैं.यानि घंटों लगे जाम और अनशन दोनों को तुडवाने में पुलिस---प्रशासन के अधिकारी खबर भेजे जाने तक विफल साबित हुए.
दबंगों के कहर से एक परिवार बर्बादी के मुहाने प़र खड़ा है.पुलिस--प्रशासन भी तुरंत न्याय दिलाने में सक्षम साबित नहीं हुआ.यह वाकया यह जाहिर करने के लिए काफी है की गरीबों को तुरंत या समय प़र न्याय मिल पाना मुमकिन नहीं है.खबर भेजे जाने तक जाम जारी था.रब जाने इस पीड़ित परिवार का क्या होगा

जून 21, 2012

लूट का शौचालय


लूट का शौचालय
रिपोर्ट चन्दन सिंह : जिले में PHED द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान और लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत गरीब-मजलूमों के साथ जरुरतमंदों के लिए बनाये गए शौचालय ना केवल लूट-खसोट के  जिंदा मिसाल हैं बल्कि सरकारी योजनाओं के साथ हो रहे भद्दे मजाक का बेजोड़ नमूना भी हैं.यूँ तो पुरे जिले में BPL परिवार के लिए 1 लाख 14 हजार 40,APL परिवार के लिए 1 लाख 39 हजार और महादलित परिवारों के लिए 33 हजार शौचालय बनाने की योजना थी.लेकिन अभीतक BPL परिवार के लिए 68 हजार 500,APL परिवार के लिए 12 हजार 400 और महादलितों के लिए 20 हजार के करीब  शौचालय बनाए गए हैं.यह योजना वितीय वर्ष 2005--06 की है लेकिन इसपर काम 2007 में शुरू किये गए.एक तो निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ और जब शुरू हुआ तो लूट की दरिया बह निकली.ये बेहया और बेशर्म शौचालय कहीं खेतों में यायावर की तरह बनाये गए हैं तो कहीं रसोई के चूल्हे के बगल में.यही नहीं गुणवत्ता के मानक को ताक पर रखकर बेछप्पड़ इन शौचालयों के लिए टेंक भी नहीं बनाये गए हैं.हद बात तो यह है कि ये सारे अधकचरे मगर विभाग द्वारा पूर्ण निर्मित दिखाए गए वे शौचालय हैं जो दिख रहे हैं.बहुतों शौचालय तो कागजों पर ही बनाये गए हैं.
गौरतलब है की जिले में PHED द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान और लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत अभीतक हजारों शौचालय का निर्माण कराया गया है लेकिन करीब--करीब ये सभी शौचालय पुरे जिले में खून के आंसू रो रहे हैं.एक शौचालय के निर्माण में 2500 रूपये खर्च आता है.APL परिवार को 500 रूपये खुद देने पड़ते हैं जबकि शेष 2000 रूपये विभाग देता है.BPL परिवार को 300 रूपये खुद देने पड़ते हैं जबकि शेष 2200 रूपये विभाग देता है.महादलितों के लिए विभाग पुरे के पुरे 2500 रूपये देकर निर्माण कराता है.यह एक बेहतर सरकारी योजना साबित होती लेकिन योजना का टार्गेट और उसे पूरा करने की जल्दी के बीच खाऊ-पकाऊ कुनीति ने इसे बेमकसद बनाकर रख दिया है.गौरतलब है की इस जिले में शौचालय निर्माण के टारगेट को तो पूरा नहीं ही किया जा सका लेकिन जितने निर्माण हुए वे ना केवल लूट की नयी इबारत लिख रहे हैं बल्कि लूट का परचम भी लहरा रहे हैं.सरकारी योजनाओं का बुरा हस्र कोई नयी बात नहीं है.लेकिन योजनाओं को इसतरह मजाक बनाकर उसके साथ खिलवाड़ करना गिरावट का अति जरुर है.सत्तासीनों के साथ-साथ विरोधी दलों और अवाम को भी इस मुतल्लिक विमर्श और आत्ममंथन की जरुरत है.सुशासन बाबू को हम तो बस कुछ कालिख पुती तस्वीरें दिखा रहे हैं जो जमीनी सच की तासीर हैं.

जून 15, 2012

आंगनबाड़ी का खेल

विशेष रिपोर्ट  
चन्दन सिंह : कुछ तुम खाओ और कुछ हम खाएं की तर्ज पर सहरसा जिले में संचालित होने वाले आंगनबाड़ी केंद्र अब पूरी तरह से आनंदबाड़ी केंद्र में तब्दील हो चुके हैं.2005 से इस जिले में 1464 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किये जा रहे हैं लेकिन अभी उन केन्द्रों में से कुछ केंद्र विभिन्य कारणों से बन्द करा दिए गए हैं.विभागीय आंकड़ों के मुताबिक़ फिलवक्त इस जिले में 1440 केंद्र संचालित किये जा रहे हैं.बताना लाजिमी है की अपवाद स्वरुप कुछ केन्द्रों को छोड़ दें तो ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र खाओ-पकाओ केंद्र बनकर रह गए हैं.
बदहाल आंगनवाडी केंद्र 
इस जिले में बहुत सारे केंद्र कहाँ चल रहे हैं इसका पता किसी को नहीं है.जाहिर तौर पर ऐसे केंद्र महज कागजों पर ही संचालित किये जा रहे हैं.बहुत सारे केंद्र तो ऐसे हैं जो किसी ख़ास मौके पर ही खोले जाते हैं.पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर संचालित होने वाले 440 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे केंद्र हैं जिसको देखने--सुनने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है.आसानी से समझा जा सकता है की वहाँ ये केंद्र महज सरकारी योजनाओं को पूरा करने के लिए खोले गए हैं,जो पूरी तरह से लूट के पर्याय हैं.बहुत सारे केंद्र तो ऐसे हैं जो भाड़े के भुगतान नहीं किये जाने की वजह से बन्द पड़े हैं,जिसका खुलासा विभाग नहीं करना चाहता है.
बिना सेविका बिना बच्चे का संचालित आंगनवाडी केंद्र 
शहरी क्षेत्र के लिए पहले 750 रूपये और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 200 रूपये प्रति केंद्र,भाड़े के रूप में दिए जाने का प्रावधान था.लेकिन अप्रैल 2011 से इसमें बढ़ोतरी की गयी है.अब शहरी क्षेत्र के लिए 800 रूपये और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 400 रूपये प्रति केंद्र दिए जायेंगे.हद तो यह है की यह राशि बाल विकास परियोजना पदाधिकारी किसी सेविका को आजतक देती ही नहीं थी.अब इसमें थोड़ी सी कडाई हुई है तो कुछ अधिकारी संभले हैं और कुछ केन्द्रों के हालत भी सुधरे हैं.जहां तक सेविका के मानदेय का सवाल है तो उसे तीन हजार और सहायिका को 15 सौ रूपये माहवार दिए जाते हैं.हम तमाम बातों के अलावे सहरसा के एक प्रखंड सत्तर कटैया से भी आपको रूबरू करायेंगे जहां पिछले तीन महीने से पोषाहार की राशि नहीं दी गयी है जिस कारण से इस प्रखंड के सभी 128 केंद्र बन्द पड़े हैं.हद तो इस प्रखंड में यह भी है की यहाँ प़र 10 महीने से सहायिका--सेविकाओं को मानदेय भी नहीं मिले हैं.आप यह जानकार भी हैरान हो जायेंगे की इस जिले में प्रति माह एक हजार रूपये सेविका को अपने बड़े अधिकारियों को बतौर नजराना देना पड़ता है.गरीब बच्चों के लिए चलाई जा रही एक बेहद कल्याणकारी योजना इस जिले में एक तरफ जहां दम तोड़ रही है वहीँ दूसरी तरफ इस योजना के संचालन में जुटे छोटे कर्मी से लेकर बाबू--हाकिम मालामाल हो रहे हैं.माल महाजन का मिर्जा खेले होली.
सरकार की यह एक अति महत्वाकांशी योजना सरजमीन प़र लूट की दरिया बहा रही है.बड़ा सवाल है की लूट की टकसाल बने इन केन्द्रों का क्या होगा.कहते हैं की एक बार खून चाट लेने के बाद चरित्र को बदल पाना मुश्किल है.जिसने ना केवल खाने के सारे रास्ते देखे हों बल्कि खाने-खिलाने की आदत भी डाल ली हो वहाँ कितने और कैसे सुधार हो पायेंगे और यह योजना किस हद तक जरूरतमंद बच्चों के हितार्थ काम कर पाएगी,इसको लेकर कम से कम अभी हम तो कुछ भी कहने से रहे.मंत्री साहिबा के दावे और फतवे प़र तुरंत कुछ कयास लगाना जल्दबाजी होगी.हाँ!आखिर में हम इतना तो जरुर कह सकते हैं की आसान नहीं है डगर पनघट की.

जून 13, 2012

सहरसा में बेलगाम अपराधी गिरफ्तार

रिपोर्ट 
चन्दन सिंह, सहरसा, बीती रात सहरसा जिले के बसनही थाना पुलिस ने गुप्त सूचना प़र दो शातिर लुटेरों को 2 पिस्तौल और 6 जिन्दा कारतूस के साथ बसनही थाना के बरसम गाँव से गिरफ्तार कर लिया.गिरफ्तार दोनों अपराधी सुधीर यादव और मनीष यादव लूट के कई मामलों में जिले के विभिन्य थाने में वांछित थे.पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी से राहत की सांस ली है. यूँ तो इनदोनों ने अभीतक लूट की कई घटनाओं को अंजाम दिया है लेकिन इनकी गिरफ्तारी के पीछे हाल की एक लूट की घटना है.बीते 10 जून को रंजीत मंडल नाम के एक युवक से चार अपराधियों ने दिन के ग्यारह बजे बसनही थाना क्षेत्र में ही 45 हजार नकद, दो मोबाइल सेट और एक मोटरसाईकिल लूट ली थी.पुलिस ने इस घटना को चुनौती के रूप में लिया और घटना के चौबीस घंटे के भीतर चार में से दो अपराधियों को दबोच लिया.हांलांकि गिरोह का सरगना दीपक यादव लूट के सारे माल और अपने एक साथी के साथ अभीतक फरार है.पुलिस अधीक्षक ने कहा की वे 24 घंटे के भीतर इस काण्ड की फाईनल चार्जसीट कोर्ट में दाखिल करेंगे और स्पीडी ट्रायल के द्वारा इन्हें सजा दिलवाएंगे. अपनी नाकामयाबियों की लम्बी फेहरिस्त लिए सहरसा पुलिस ने दो अपराधियों को दबोचा है.पुलिस की यह उपलब्धि भी कम चौंकाने वाली नहीं है.कुछ नहीं से तो कुछ अच्छा है.

पोल--खोल यात्रा सहरसा

 रिपोर्ट 
चौधरी महबूब अली कैसर,प्रदेश अध्यक्ष,कॉंग्रेस,बिहार
चन्दन सिंह, सहरसा : आज सहरसा के सुपर बाजार स्थित कला भवन में बिहार प्रदेश कॉँग्रेस कमिटी के बैनर तले कोंग्रेसियों ने नीतीश सरकार पर ना केवल जमकर भड़ास निकाली बल्कि उनकी नाकामियों और गलतियों का काला चिटठा भी खोला.इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय कॉंग्रेस कमिटी के महासचिव सह बिहार प्रभारी गुलचैन सिंह चारक और कॉंग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी महबूब अली कैसर भी मौजूद थे.दिन ग्यारह बजे शुरू हुआ यह कार्यक्रम चार बजे शाम तक चला. यहाँ उमड़ी भीड़ नीतीश सरकार को ललकारने के लिए जमा हुयी थी. फुंफकार मारते कोंग्रेसियों का कहना है की एसी--बीसी बिल में घोटाला,विभिन्य योजनाओं में लूट और केंद्र प्रायोजित सभी 18 योजनाओं में बिहार सरकार द्वारा व्यापक लूट मचाई गयी है. बिहार में हासिये पर खड़ी और अपनी राजनीतिक ज़मीन फिर से तलाशती कॉँग्रेस को आगे इस यात्रा से क्या फायदा होगा इसपर पुख्ता तौर प़र भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.लेकिन इस यात्रा के बहाने कॉंग्रेसी जनता के बीच पहुंचकर जहां वर्तमान सरकार की विफलताओं को गिना रही है वहीँ अब उसे मौका मिले की अर्जी भी लगा रहे हैं.

जून 11, 2012

बम मिलने से दहशत

रिपोर्ट  
चदन सिंह, सहरसा:
आज अहले सुबह सहरसा जिला के बिहरा थाना अंतर्गत पटोरी बाजार स्थित एक टेंट हॉउस में जेनेरेटर सेट के समीप शक्तिशाली बम मिलने से पुरे इलाके में दहशत फ़ैल गया है.आलम यह था की खौफजदा लोग हुजूम बनाकर बम को देखने के लिए पहुँच रहे थे लेकिन सुस्त और मनमौजी पुलिस वहाँ किसी तरह की अनहोनी ना हो इसे रोकने के लिए मौजूद नहीं थी.पुलिस को छः बजे सुबह में सूचना दी गयी लेकिन वह सज--संवारकर ग्यारह बजे दिन के बाद मौके पर पहुंची.दस किलो से अधिक वजन वाले इस बम को विस्फोट कराने के लिए उसके अन्दर अगरबत्ती जलाकर रखी गयी थी जिससे अगरबत्ती के अंतिम शिरा तक आग पहुँचते ही विस्फोट होता.लेकिन इलाके के लोगों की किस्मत अच्छी थी की अगरबत्ती बीच में ही बुझ गयी और बड़ा से बड़ा हादसा होते--होते टल गया.इधर मौके पर बिहरा पुलिस के अधिकारी ने पहुँचते ही आलाधिकारी को इसकी सूचना दी.बम को डिफ्यूज करने के लिए पुरनिया से बम निरोधक दस्ता को बुलाया जा रहा है.अब जबतक बम निरोधक दस्ता यहाँ पहुँच नहीं जाता है और पूरी तस्वीर साफ़ नहीं हो जाती है तबतक लोगों का डर सातवें आसमान पर रहेगा.फिलवक्त पुलिस बम को सुरक्षित रखने के दावे भी कर रही है.
यह इलाका यूँ अति नक्सल प्राभावित इलाका नहीं माना जाता है लेकिन सूत्रों की माने तो नक्सली कोसी के इस इलाके में महीनों पनाह लेते हैं.वैसे नक्सली इस इलाके में ह्त्या सहित कई और बड़ी घटनाओं को कई दफा अंजाम भी दे चुके हैं.पड़ोसी देश नेपाल पानी के रास्ते काफी निकट है.जाहिर तौर पर नेपाली माओवादियों का भी आना--जाना इस इलाके में होता रहता है.ऐसे में बम का इस तरह मिलना किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है.पुलिस महकमा और खुफिया तंत्र को खबरदार रहने के साथ--साथ इस तरह से बम मिलने को गंभीरता से लेना चाहिए और क्या सच है इसे शीघ्रता से उकेरना चाहिए.

मासूम की गोली मारकर ह्त्या

मासूम आँचल रानी की गोली मारकर ह्त्या
चन्दन सिंह, सहरसा  : बीती रात करीब दो बजे अज्ञात अपराधियों ने सदर थाना के पोलिटेकनिक मोहल्ला स्थित CISF जवान के घर की छत प़र चढ़कर गोलीबारी की.इस घटना में 10 वर्षीय बच्ची आँचल रानी के सीने में गोली लगी.आनन्--फानन में मुहल्ले और घर के लोगों ने घायल बच्ची को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया लेकिन बच्ची रास्ते में ही काल के गाल में समा गयी.बच्ची के पिता अरुण कुमार CISF में हैं और फिलवक्त बेंगलौर में तैनात हैं.जहां तक घटना के कारण का सवाल है तो घर के लोग तत्काल कोई भी वजह बताने में असमर्थ हैं.पुलिस ने सदर थाना में ह्त्या का मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया है.पुलिस के अधिकारी गोली से हुयी ह्त्या की बात बता रहे हैं लेकिन घटना की वजह क्या हो सकती है इसको लेकर ये भी पेशोपेश में हैं.इनकी मानें तो घर के किसी व्यक्ति ने गोली चलाने वाले को नहीं देखा है.अब पुलिस थाना में काण्ड अंकित कर तहकीकात कर रही है और कातिल जो भी होगा उसे दबोच कर सलाखों के पीछे धकेला जाएगा.
जिन्दगी कब साथ छोड़ जाए कहना नामुमकिन है.मासूम आँचल ने इस दुनिया से जाकर कई बड़े सवाल खड़े किये हैं.लोभ--लालच,प्रपंच और दुनियावी किसी भी गिरावट का दंश ना केवल मासूम नौनिहाल भी झेलते हैं बल्कि मासूम अपनी जान तक गंवा बैठते हैं----यह घटना उसी की बानगी है.

जबरदस्त हंगामा तोड़फोड़

सहरसा रेलवे स्टेशन प़र यात्रियों ने ना केवल जमकर बबाल काटे बल्कि जमकर तोड़फोड़ और पत्थरबाजी भी की.इस दौरान गुस्साए यात्रियों ने तीन ट्रेनों को चार घंटों से ज्यादा स्टेशन प़र रोके रखा.हजारों की तायदाद में यात्रियों का हुजूम घंटों बबाल करते रहे लेकिन इस दौरान रेल पुलिस RPF या सहरसा जिला पुलिस ने इन्हें शांत करने की कोशिश नहीं की.हद की इंतहा तो यह थी की रेलवे टिकट कौंटर प़र यात्रियों ने जबरदस्त तोड़फोड़ की जहां लाखों की संपत्ति का नुकशान बस देखते ही हो गया.यात्रियों का गुस्सा यक--ब यक नहीं फूटा है.यात्रियों का कहना है की वे पिछले एक सप्ताह से स्टेशन प़र बैठे हैं लेकिन ट्रेन की कमी की वजह से उन्हें ट्रेन में जगह नहीं मिलती है.वे रोज टिकट लेते और फिर वापिस करते हैं.एक तो टिकट में उनसे ज्यादा पैसे लिए जाते हैं और जब वे टिकट वापिस करते हैं तो टिकट वापसी में भी उनसे अधिक रूपये काटे जाते हैं.वे परेशान--परेशान हैं.यही नहीं रेल पुलिस उन्हें अलग से तंग करती है.सहरसा स्टेशन प़र नौ बजे सुबह से डेढ़ बजे दिन तक अफरातफरी और भागम--भाग की स्थिति बनी रही.एस.डी.ओ,सदर राजेश कुमार डी.एस.पी कैलाश प्रसाद,RPF और रेल पुलिस अधिकारियों की लाख मशक्कत के बाद ट्रेन का परिचालन डेढ़ बजे दिन से शुरू किया जा सका.

जून 06, 2012

जल्लाद बाप की दरिंदगी

विशेष रिपोर्ट  
 
Mukesh Singh
Editor In Chief
Saharsa Times 
जब आदमी इंसान से हैवान और दरिंदा हो जाए तो वह किस हद की बदजाती करेगा,सच मानिए कयास लगाना बेमानी है.एक जन्म देने वाला बाप अपना पेट काटकर,रातों की नींद और दिन का चैन गंवाकर,यूँ कहिये अपने सपनों को बेचकर अपनी संतान में साँसे भरता है.लेकिन सहरसा जिले के सौर बाजार थाने के बेलहा गाँव के भगवानपुर टोले का रहने वाला एक बाप दरिंदगी की सारी हदें पार कर पहले तो अपनी दस वर्षीय मासूम बच्ची की ह्त्या कर दी,फिर उसकी लाश को कब्र खोदकर दफना दिया.हद की इंतहा देखिये इस जालिम बाप ने घटना को तीन दिन पहले ही अंजाम दिया था और घटना को अंजाम देकर अपने रोजमर्रा के काम में यूँ जुटा था जैसे की कुछ हुआ ही नहीं है.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की सिकंदर यादव  खून चटोरा अपनी पत्नी,माँ और दो बच्चियों को पिछले चार महीने से मारपीट के घर से भगाए हुए था.माँ कहीं रह रही थी तो पत्नी और बच्चे कहीं और.नेहा तीन दिन पहले इस दरिन्दे के हाथ लग गयी थी जिसे अपने रौद्र क्रोध की आग में इस पापी बाप ने झोंककर मार डाला.गाँव वालों ने तीन दिन पहले मृत बच्ची की कराहने की आवाज इस दरिन्दे के घर से आती हुई सुनी थी.
हत्यारा बाप 
इस दरिन्दे ने दूसरे के घर में भागकर रह रही बच्ची को तीन दिन पहले पकड़कर लाया था और उसकी धुनायी कर उसकी जान ले ली. गाँव वालों को पूरा शक हो गया की इस दरिन्दे ने बच्ची का काम तमाम
कर दिया है.मृतका बच्ची की दादी जो अन्यत्र कहीं छुपी हुई थी उसको इस बात की जानकारी आज सुबह जब लोगों ने दी तो उसने साफ़ लहजे में कहा की उसकी पोती को उसके दरिन्दे बेटे ने मारकर कहीं छुपा दिया है.दादी ने सौर बाजार थाना जाकर उधर इस घटना के बाबत रपट लिखायी इधर गाँव वालों ने लाश को खोज निकाला.अभी वो दरिंदा बाप पुलिस के द्वारा दबोचा जा चुका है और सलाखों के पीछे धकेला जाने वाला है. .गाँव के लोग इस दरिदे की कहानी सुनाते हैं और इसे फांसी हो इसकी मांग कर रहे हैं.इस खौफनाक दरिन्दे का इतना आतंक है की घर के लोगों के साथ--साथ गाँव वालों को भी इसका डर सता रहा है की अगर कहीं यह छूटा तो कितनी और जिंदगियों को लील लेगा.
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान्,कितना बदल गया इंसान.सूरज ना बदला,चाँद ना बदला ना बदला रे आसमान, कितना बदल गया इंसान.ऐसी दरिंदगी पर जबाब--तलब मेरी समझ से सीधे भगवान् से ही किया जाना चाहिए.

सहरसा में तेज रफ़्तार ने मचाया कोहराम

तेज रफ़्तार से सहरसा से सुपौल जा रही जानकी ट्रेवल्स बस बनगांव के समीप एक ठेले को बचाने के चक्कर में पलट गयी.इस हादसे में करीब 35 लोग जख्मी हुए जिसमें से चार की हालत नाजुक है.आधे से अधिक जख्मियों का इलाज जहां बरियाही स्वास्थ्य केंद्र में हो रहा है वहीँ बांकी जख्मियों का इलाज सदर अस्पताल सहरसा में हो रहा है.गंभीर रूप से एक जख्मी को PMCH रेफर किया गया है. सदर अस्पताल सहरसा में अफरातफरी का माहौल था.बस हादसे के शिकार जख्मियों का हुजूम यहाँ पहुँच रहा था .घटना के बाबत जख्मियों के परिजन का कहना है की इस घटना में 35 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिसमें आठ--दस की हालत काफी नाजुक है.
वही सहरसा जिले के सौर बाजार थाना के भपटिया चौक के समीप सुधा दूध की गाड़ी ने पिता पुत्र को रौंदा.12 वर्षीय पुत्र मनसुख कुमार की घटनास्थल प़र हुई मौत.40 वर्षीय पिता घनश्याम साह की स्थिति नाजुक,PMCH रेफर.हादसे के शिकार पिता--पुत्र सुहथ पंचायत के अर्रहा गाँव क्र रहने वाले.ग्रामीणों ने गाड़ी के चालक और खलासी को दबोचकर जमकर की धुनायी.पुलिस ने गाड़ी को बरामद कर चालक--खलासी को लिया कब्जे में.
रफ़्तार के कहर ने एक साथ कई जिंदगियों को आफत में धकेल दिया है.रब जाने इनका क्या होगा.वाहन चालक अगर थोड़ी सी सावधानी बरतें तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है.

जून 03, 2012

महिला थाना है या मजाक

खाली पड़ा महिला थाना
बड़े तामझाम और नाजो--नखरे से इसी साल 26 जनवरी को सहरसा में खोला गया महिला थाना अपने शुरूआती वर्ष में ही दम तोड़ता और अपने उद्देश्यों के चिथड़े उड़ाता प्रतीत हो रहा है.पूरे जिले की पीड़ित महिलाओं को कहीं भटकना नहीं पड़ेगा और उन्हें त्वरित गति से न्याय मिलेगा का शब्जबाग दिखाकर इस महिला थाने का उद्दघाटन और शुरुआत तो कर दिया गया लेकिन यह थाना शुरू में ही पटरी से उतरकर ढाक के तीन पात साबित हो रहा है.इस थाने में फरियादी पीड़ित महिलायें रोजाना आ रही हैं लेकिन उनकी फ़रियाद सुनने वाला यहाँ कोई नहीं है.थाने की कुर्सियां और बेंच पूरी तरह से खाली रहते हैं जो फरियादी महिलाओं को बस मुंह चिढाते रहता हैं.दिनभर पीड़ित महिलायें इस थाने का चक्कर लगाती हैं और शाम होते बिना अपनी फ़रियाद सुनाये अपने घर वापिस लौट जाती हैं.थानाध्यक्षा से लेकर संतरी तक अगर कोई इस थाने में भूले--भटके मिल गए तो समझिए आपकी किस्मत अच्छी है.
 
 तामझाम से इस थाने का उद्दघाटन
खबर में और दम भर सके इसके लिए हम आपको 26 जनवरी 2012 का वह नजारा भी दिखा रहे हैं जब बड़े तामझाम से इस थाने का उद्दघाटन हुआ था.उस समय थानाध्यक्षा की कुर्सी संभालने वाली महिला थानाध्यक्षा प्रमिला ने इस थाने के मकसद को लेकर काफी ऊँची--ऊँची बातें की थी लेकिन थोड़े वक्त में ही सबकुछ टाँय--टाँय फिस्स हो गया.
जाहिर तौर पर महिला थाना का काऊंसेप्ट बेहद बढ़िया और मकसद से भरा है.लेकिन सहरसा का महिला थाना बेमकसद और बेमानी साबित हो रहा है.पुलिस के बड़े अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए.थाने में फूल टायमर अधिकारी को बिठाया जाना चाहिए.ऐसे अधिकारी को यहाँ पर बिठाना कहीं से भी जायज नहीं हैं जिन्हें बार--बार ट्रेनिंग अथवा किसी और काम से अन्यत्र जाना पड़े.

जून 02, 2012

रौता खेम गाँव में घर के नीचे दबकर हुई दो मौत

इंसानी करतूत और तांडव से इतर कुदरत भी अब कहर बरपाने से बाज नहीं आ रहा है.बीती रात भीषण आंधी--तूफ़ान ने दो लोगों की इहलीला बस चुटकी में खत्म कर दी.सौर बाजार थाना के रौता खेम गाँव में बीती रात करीब दो बजे आई तेज आंधी और तूफ़ान में एक फूस का घर ना केवल धराशायी हो गया बल्कि घर के पाए और दीवार भी भड़--भड़ा कर गिर गए.बदकिस्मती देखिये उसके नीचे रिस्ते के देवर और भाभी भी दब गए.जबतक आस--पास के लोग आकर बचाव के लिए कुछ भी करते तब तक दोनों के प्राण पखेरू उड़ चुके थे.बड़ी मशक्कत से क्षतिग्रस्त घर के नीचे दबे इन दोनों को निकाला तो गया लेकिन जिन्दा नहीं बल्कि मुर्दा.आसमानी कहर ने देखते ही देखते एक परिवार की हंसती--खेलती दुनिया को उजाड़ कर रख दिया.
पुलिस के लिए यह कोई अपराधिक वारदात का नहीं था इसलिए उसने निश्चिंतता से लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सहरसा सदर अस्पताल भेज दिया.यूँ सौर बाजार थाने में इस मौत के बाबत यूडी काण्ड दर्ज कर लिया गया है. असमय एक परिवार पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा है.ऐसी मौत पर सरकार की तरफ से मुआवजे का प्रावधान है लेकिन इस मामले में पुलिस--प्रशासन की संजीदगी और गंभीरता फिलवक्त कहीं से भी नहीं झलक रही है.यूँ जाने वाले जा चुके हैं.आगे यह देखना जरुरी होगा की इस असमय की मौत पर सरकारी अमला कैसा रुख अपनाता है और सरकार तक इस मौत की खबर को किस तरह से पहुंचाता है.

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http://www.youtube.com/watch?v=4tGSNjqgw6o&feature=share

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।