एक बेहद ख़ास और EXCLUSIVE रिपोर्ट
मुकेश सिंह,सहरसा टाइम्स |
कहते हैं की लूट की दरिया में डुबकियां लगाने से तिनके से लेकर पहाड़ तक के वजूद वाले बाज नहीं आते हैं.लेकिन अब तो अधिकारी और उनसे जुड़कर आमलोग भी थोक में जिंदगियां डुबोने की शर्तों पर लूट का खेल खेलने लगे हैं.ताजा वाकया दहशत से भरी कोसी नदी में आपदा विभाग द्वारा बनायी गयी नावों को नदी में उतारने का है.कोसी नदी जब अपन्बी तेज धार और उफान से पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर बसे लोगों को तबाह करने लगेगी तो इन नावों को नदी में चलाकर पीड़ित लोगों को सुरक्षित निकाला जाएगा.बताना लाजिमी है की बीते वर्ष आपदा विभाग डेढ़ करोड़ की लागत से सौ नावों का निर्माण करा रहा था.पहले फेज में करीब 75 लाख की लागत से 50 नावों का निर्माण भी करा लिया गया.लेकिन हद बात यह थी की अधिकारी और नाव निर्माता की मिली भगत से शीशम की लकड़ी की जगह
जामुन,जलेबी और पीपल की लकड़ी से अत्यंत घटिया और कमजोर नावों का निर्माण हुआ था.ये नावें जहां कोसी की उफनाती धारों को झेलने के बिल्कुल काबिल नहीं थी वहीँ ये लोगों की जिन्दगी बचाने की जगह लोगों की जिन्दगी लीलने वाली साबित होती.मिडिया ने इन घटिया नावों को लेकर पुरजोर तरीके से आवाज बुलंद की थी और सरकार तक इस बात को पहुंचाया था.हमारे प्रयास के दम प़र राज्य आपदा विभाग की नींद खुली और उसने पिछले साल ना केवल इन नावों के परिचालन प़र रोक लगा दिया बल्कि उस ठेके को ही रद्द कर दिया.अब उन्हीं नावों को पैसे के दम प़र जिला प्रशासन ने ना केवल बिल्कुल सही करार दिया है बल्कि उन्हें नदी में उतारने के लिए वह हरी झंडी भी दिखाने वाला है.सहरसा टाइम्स एक बार फिर से लूट के इस खेल का खुलासा करने जा रहा है.
बाढ़ प्रभावित इलाके के लिए आपदा विभाग द्वारा पिछले साल बनायी गयी ये नावें जांच के घेरे में थी लेकिन अब ये नावें पैसे के दम पर जाँच घेरे से बाहर निकल चुकी हैं.अब देखने वाली बात यह है की लोगों के विरोध और सहरसा टाइम्स की कोशिश इन नावों को नदी में उतरने से रोक पाती हैं या फिर इन्हें नदी में उतारा जाता है.जाहिर तौर पर यह देखना दिलचस्प होगा की इन लूट की नावों को कोसी नदी में कब उतारा जाता है.जानकारों की राय में ये लूट की नावें नदी में उतरते ही कभी भी डूब जायेंगी.ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है की ये नावें तारणहार बनती हैं या फिर लोगों को डुबोती हैं.
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