मार्च 30, 2012

सुशासन का बेशर्म बालिका विद्यालय

अन्य पिछड़ा वर्ग बालिका आवासीय विद्यालय सहरसा
 सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और बेहतर इंतजाम के लाख दावे कर ले लेकिन सहरसा जिले की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल भगवान् भरोसे है.कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा में अन्य पिछड़ा वर्ग बालिका आवासीय विद्यालय एक ऐसा विद्यालय है जो सरकार के शिक्षा इंतजामात की बखिया उधेड़ कर,सरकार के मुंह पर कालिख पोत रहा है.वर्ष 2004 से संचालित हो रहे इस बालिका आवासीय विद्यालय में शिक्षा के नाम पर बस खेल--तमाशा किया जा रहा है.इस विद्यालय में कक्षा छः से लेकर टेन प्लस टू तक की पढाई की व्यवस्था है.प्रति वर्ष कक्षा छः में 40 बच्चियों के नामांकन का प्रावधान है.यही बच्चियां टेन प्लस टू तक का सफ़र तय करती हैं.विभागीय लापरवाही की वजह से 2007 और 2008 में बचियों के नामांकन नहीं किये गए.अभी कक्षा छः,सात और आठ में कुल 120 बच्चियां नामांकित हैं.यह आवासीय विद्यालय जिला गर्ल्स स्कूल के भवन में से कुछ कमरे हड़प कर संचालित किये जा रहे हैं.यह विद्यालय कुल मिलाकर सात कमरे का है जिसमें एक रसोई घर है और एक शिक्षक और प्रिंसिपल के बैठने का कक्ष.शेष पाँच कमरों में एक कमरा बिल्कुल क्षतिग्रस्त है.यानि चार कमरे में 120 बच्चियां भेड़-बकरी की तरह रहती हैं.एक कमरे में ही बचियाँ ना केवल सोती और खाती हैं बल्कि उनकी कक्षा भी उसी कमरे में लगती है.भवन दरके हुए हैं तो खिडकियों के पल्ले गायब हैं.सुरक्षा के नाम पर मजाक बनी बांस की टाटी खड़ी है.इस अजूबे स्कूल में पुरुष शिक्षकों का ही बोलबाला है.छात्रावास अधीक्षक तक पुरुष हैं.स्नानगृह खुले में है जो कुछ अलग कहानी ही बयाँ कर रहा है.जिला कल्याण विभाग के मातहत चलने वाला यह विद्यालय बच्चियों के भविष्य संवारने की बजाय उनके ना केवल भविष्य  बल्कि उनकी जिन्दगी से भी खिलवाड़ करने वाला प्रतीत हो रहा है. इस विद्यालय में कहने के लिए सात विषयों की पढाई होती है.शिक्षक केवल छः हैं.जिसमें एक प्रिंसिपल हैं जिनका अधिकांश समय स्कूल के कागजात सँभालने और विभागीय मीटिंग में चला जाता है.यहाँ कम्प्यूटर शिक्षा की भी व्यवस्था है लेकिन कम्प्यूटर जिला कल्याण विभाग में ही रखे हुए हैं.विद्यालय उसे आजतक नहीं लाया जा सका.हर साल कम्प्यूटर प्रशिक्षण के नाम पर पैसा आता है लेकिन विभाग उसे खा जाता है.इस विद्यालय में विज्ञान के लिए कोई प्रयोगशाला भी नहीं है.दो शिक्षिकाएं हैं जो अपनी मर्जी से कभी--कभार आकर बस हाजिरी बना जाती हैं.
सतरगी सपनों को बेहतर मुकाम देने की जगह इस स्कूल में बच्चियों की अस्मत और जिन्दगी दोनों दाँव पर लगी हुई है रहती है .यह हम नहीं कह रहे बल्कि राज्य सरकार के नुमाईंदे ही कह रहे हैं.हम इतना जरुर कह रहे हैं की बच्चियों के भविष्य के साथ यहाँ खिलवाड़ के साथ--साथ बच्चियों के मद की राशि का जमके बन्दर बाँट भी हो रहा है.

मार्च 27, 2012

डायग्नोस्टिक सेंटर खुलवाने के लिए भूख हड़ताल

डायग्नोस्टिक सेंटर खुलवाने के लिए भूख हड़ताल
पिछले एक साल से बन्द पड़े सहरसा के डायग्नोस्टिक सेंटर को खुलवाने के लिए अब बड़े आन्दोलन का शंखनाद हो चुका है.आज डायग्नोस्टिक सेंटर को खुलवाने के लिए पूर्वांचल युवा मंच के बैनर तले जिला पार्षद प्रवीण आनंद सहित चार लोगों ने प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के ठीक सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की शुरुआत की जिसके समर्थन में सैंकड़ों की तायदाद में महिलाओं के साथ--साथ आमलोग भी धरने प़र बैठे.गरीब मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए राज्य सरकार ने राज्य के कुल नौ प्रमंडल के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर खोलने का प्रावधान किया जहां गरीब मरीजों के लिए हर तरह की जांच मुफ्त में किया जा सके.राज्य के आठ प्रमंडलीय मुख्यालय में डायग्नोस्टिक सेंटर बेहतर तरीके से संचालित हो रहे हैं लेकिन विडंबना और दुर्भाग्य की जिस प्रमंडलीय मुख्यालय को सबसे अधिक दरकार इस सेंटर की है वहाँ इस सेंटर को आजतक नियमित रूप से शुरू नहीं किया जा सका है.निजी साझेदारी के दम से चलने वाले इस सेंटर का ना केवल संचालक तमाम मशीने खरीदकर सेंटर चालू करने के लिए तैयार बैठा है बल्कि राज्य मुख्यालाय सहित प्रमंडलीय स्वास्थ्य अधिकारियों के तमाम आदेश--निर्देश भी इसे प्राप्त है लेकिन सहरसा के सिविल सर्जन की मनमानी की वजह से इस सेंटर को ग्रहण लगा हुआ है.आलम यह है की गरीब मरीज प्राईवेट स्वास्थ्य संस्थानों में अपना सबकुछ दाँव प़र लगाकर विभिन्य तरह की जांच करवाने को विवश हैं.अब इसी संस्थान को चालू करवाने के लिए भूख हड़ताल की शुरुआत हुई है.रब जाने की आगे क्या होगा

दुकानें बन्द रख पुतले फूंके


वित्त मंत्री के द्वारा एक्साईज ड्यूटी में बढ़ोतरी की घोषणा किये जाने से बौखलाए सहरसा के स्वर्ण व्यवसायियों ने दो दिनों तक ना केवल अपनी दुकाने बन्द रखने का एलान किया बल्कि आक्रोश में पी.एम और फिनांस मिनिस्टर के पुतले भी फूंके.कोशी क्षेत्रीय स्वर्णकार वैश्य कल्याण समिति के बैनर तले आयोजित इस विरोध कार्यक्रम में जिले भर के तमाम स्वर्ण व्यवसायी अपनी--अपनी दूकान बन्द कर पहले मुख्यालाय के महावीर चौक प़र लामबंद होकर ना केवल धरना दिया बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.फिर आक्रोशित व्यवसायी जुलूस की शक्ल में पी.एम और फिनांस मिनिस्टर के पुतले को छीछालेदार नारेबाजी के साथ पूरा बाजार घुमाते हुए शंकर चौक पहुँचे जहां पी.एम और फिनांस मिनिस्टर के पुतले फूंके गए.व्यवसायियों ने फिनांस मिनिस्टर के इस फैसले प़र कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा की यह फैसला उनके कुटीर उद्योग प़र हमला है जिससे ना केवल वे आहत होंगे बल्कि आम जनता को भी इससे परेशानी झेलनी होगी.व्यवसायियों ने यह एलान किया की अगर सरकार ने अपना फैसला वापिस नहीं लिया तो वे किसी हद तक जाकर बड़ा से बड़ा आन्दोलन करेंगे और सरकार की चूलें हिला कर रख देंगे.इस आन्दोलन में कोसी प्रमंडल के सहरसा सहित सुपौल और मधेपुरा जिले के स्वर्ण व्यवसायी भी पूरी तरह से शामिल हैं जिन्होनें अपने जिला में अपनी--अपनी दुकानें आज बन्द रखी और कल भी बन्द रखेंगे.

सरकार के इस वज्रपात से आहत स्वर्ण व्यवसायियों के गुस्से का आज महज ट्रेलर दिखा है,उनकी मानें तो आगे अभी पूरी फिल्म बांकी है जिसमें वे सरकार की चूलें हिला कर रख देंगे.ये वक्त सरकार के लिए आत्ममंथन और फैसले प़र पुनःविचार का है.देखतें हैं की आगे ऊंट आखिर किस करवट बैठता है.

मार्च 26, 2012

kumar sanu.mpg

KUMAR SANU VIDEO IN SAHARSA

सहरसा के स्टेडियम परिसर में 17 और 18 मार्च दो दिवसीय कोसी महोत्सव के दूसरे दिन फिल्म इंडस्ट्री के नेम--फेम गायक कुमार शानू और उनके साथी कलाकारों ने सुरों का ऐसा जलवा बिखेड़ा जिसमें लोग आधी रात तक ना केवल झूमते रहे बल्कि मदहोश होते रहे थे .लगातार छः बार फिल्म फेयर एवार्ड से नवाजे जाने वाले और एक दिन में 28 गाने गाकर रिकॉर्ड कराने का कीर्तिमान स्थापित करने वाले शानू ने अपने कार्यक्रम के दौरान एक से बढ़कर एक गीत गाये.कोसी महोत्सव का यह कार्यक्रम लोगों के लिए एक यादगार सांस्कृतिक कार्यक्रम था जिसे लोग वर्षों सिद्दत के साथ याद करेंगे.
कुमार सानु का विडियो आप इस लिंक पर देखे

मार्च 24, 2012

कोसी महोत्सव के जलवे

कोसी महोत्सव के दौरान भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें क्षेत्रीय कलाकार,आकाशवाणी दरभंगा के कलाकार और सुप्रसिद्ध लोक सह पार्श्व गायिका रंजना झा ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी जिसमें लोग बस झूमते--नाचते और मदहोश होते रहे. इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रंजना झा थीं जिन्होनें अपनी नायाब गायकी के फन से लोगों को विभोर करके रख दिया.यूँ तो सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज शाम पाँच बजे ही हुआ था लेकिन रंजना झा मंच प़र रात साढ़े दस बजे आयीं.उसके बाद सूरों की ऐसी महफ़िल जमी की लोग बस झूमते चले गए.कार्यक्रम करीब डेढ़ बजे रात तक चला.रंजना झा ने गजल--गीत से लेकर लोकगीत और भजन तो गाये ही कुछ फ़िल्मी गीत गाकर भी लोगों का मन मोह लिया.बताना लाजिमी है की रंजना झा कोसी इलाके की ही रहने वाली है आप भी रंजना की नायाब गायकी को सुनें.गजब की कशिश और ताजगी है रंजना की गायकी में.रंजना झा के गाये कुछ गीतों के अलावे मैंने कोसी प्रमंडल के मधेपुरा की उभरती कत्थक नृत्यांगना श्वेता के नृत्य के विजल्स पोस्ट किये है..
                                                       इस लिंक पर क्लिक करे 
                      http://www.youtube.com/watch?v=Iq-ILD3daM4&feature=youtu.be

मार्च 23, 2012

जिला प्रशासन की किरकिरी

कोसी महोत्सव के दौरान विभिन्य खेलों का आयोजन किया गया.खेल के दौरान खिलाड़ियों ने अपना बेस्ट परफौरमेंस तो जरुर दिया लेकिन इससे इतर प्रशासनिक इंतजामात टाँय--टाँय फिस्स रहा.विभिन्य खेलों के खिलाड़ी और कोचों ने प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी को लेकर ना केवल जमकर उन्हें कोसा बल्कि कई तरह के सवाल भी खड़े किये.लाखों खर्च करके आयोजित हुए दो दिवसीय कोसी महोत्सव में विभिन्य तरह के खेलों का भी आयोजन किया गया था जिसमें कोसी प्रमंडल के सुपौल,मधेपुरा और सहरसा जिले के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था.खेल के इस आयोजन में प्रशासन के अधिकारियों ने खिलाड़ियों और उनके कोचों का कोई ख्याल और मान नहीं रखा.उन्हें ना तो खाना मिला और ना ही पीने का पानी.हद की इंतहा तो यह थी की उनके बैठने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किये गए थे.खेल के लिए चयनित पटेल मैदान में एक एम्बुलेंस जरुर खड़ी थी लेकिन वहाँ ना तो कोई चिकित्सक मौजूद थे और ना ही कोई आवश्यक दवा ही वहाँ थी.यही नहीं खिलाड़ियों और उनके कोचों के साथ दुर्व्यवहार भी किये गए.यानि इस आयोजन में घोर मनमानी और अन्याय किये गए.ये सब हम नहीं कह रहे बल्कि ये सारे आरोप विभिन्य खेलों के खिलाड़ी और उनके कोच लगा रहे हैं.इन आरोपों से इतना तो साफ़ है की जिला प्रशासन की यह करतूत उन्हें कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी हैं.

कोसी महोत्सव में बबाल क्यों

दो दिवसीय कोसी महोत्सव के दूसरे दिन 18 मार्च की रात में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध पार्श्व गायक कुमार शानू और उनके साथ आये बाली ब्रम्हभट्ट थे.शाम आठ बजे जैसे की कार्यक्रम का आगाज हुआ की लोग बाबले हो गए.कार्यक्रम की शुरुआत शानू के म्यूजिकल टीम की गायिका अनुराधा ने अपनी मदहोश आवाज से की.थोड़ी देर के बाद जैसे ही कुमार शानू मंच प़र आये और गाना शुरू किया की लोग झुमने और थिरकने लगे.एक से बढ़कर एक गीतों की बारिश होने लगी और लोग अपना आपा खोते गए.20 से 25 हजार की तायदाद में उमड़ी भीड़ धीरे--धीरे अनियंत्रित होने लगी.जाहिर सी बात है की स्थिति हाथों से निकल जाए यानि भीड़ पूरी तरह बेकाबू हो जाए इससे पहले ही प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने थोक में तैनात पुलिस जवानों के बूते खूब ग़दर मचाया.लोगों को दौड़ा--दौड़ा प़र पिटाई की गयी.पुलिस बल प्रयोग कर रही थी तो लोग भी अपने तरीके से जबाबी कारवाई कर रहे थे.लोगों ने कार्यक्रम के दौरान ना केवल सैंकड़ों कुर्सियां तोड़ीं बल्कि मरकरी भी खूब फोड़े.स्टेडियम परिसर और परिसर के बाहर बने कई तोरण द्वार को लोगों ने तोड़ डाला.यही नहीं पांडाल को भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया.इधर शानू जलवे बिखेड़ते रहे उधर भगदड़ मची रही.कहना लाजिमी है की पुलिस की मनमानी और खूब गुंडागर्दी हुई लेकिन मीडिया का कैमरा इस दौरान पूरी तरह से खामोश रहा.मीडिया की खामोसी की वजह यह थी एक तो अनियंत्रित भीड़ को पीछे के हिस्से से खदेड़ा जा रहा था जहां मीडिया का आसानी से पहुंचना नामुमकिन था तो दूसरा मीडिया के लोग कुमार शानू के सामने डी के अंदर कार्यक्रम को कवर करने में थे.आप जान लें की पुलिस--प्रशासन के अधिकारी और पुलिस जवानों की एक बड़ी पलटन डी के बाहर तैनात थी जो मीडियाकर्मी को एक तरह से नजर बन्द किये हुए थी.मीडियाकर्मी को डी के बाहर निकलने ही नहीं दिया गया

मार्च 22, 2012

Bihar Through Stamps

प्रदीप जैन 
डाक टिकट  संग्राहक,पटना 
Bihar Day is much more than celebration. It is more than another public holiday. It is more than the pride and excitement of citizens who call themselves Biharis. Bihar Day, celebrated on 22 March to commemorate the State’s separation from Bengal in 1912, is the one day of the year where over 103 million individual Biharis, regardless of their religious beliefs, can come together in shared experience; an experience that may not be easy or necessary to articulate, but that – often unconsciously – binds them to this remarkable land and its people.
This is an important occasion to remind ourselves how lucky we are to be citizens of the most historical place in the world that is the cradle of Hinduism, the birthplace of Buddhism, Jainism and the tenth guru of Sikhs. Our cultural identities reflect the common historical experiences and shared cultural codes which provide us, as ‘one people’, with stable, 
unchanging and continuous frames of reference and meaning, beneath the shifting divisions and vicissitudes of our actual history. This ‘oneness’, underlying all the other, more superficial differences, is the truth – the essence of ‘Bihari-pan’ or simply ‘Biharism’.
The day is celebrated all over the world with flag raising ceremonies, tributes to our heroes and fireworks taking place in the capital – Patna. On each day by morning, crowds comprising mostly youth, begin to build up, soaking in the classy ambience that is imparted by the majestic Gandhi Maidan, the venue of a three-day long cultural extravaganza. The festivities include a number of colourful and authentic folk dances, music and theater performances, art and traditional crafts exhibitions, panel discussions on literature and cinema and a feast of exquisite Bihari cuisine. 
The celebrations of the Bihar Divas on March 22, every year, crossed the boundaries of the state and the country. The foundation day of Bihar was celebrated with gaiety and fervor in several states and foreign countries. California and New Jersey in the US, Sydney in Australia, Seoul in South Korea, Dubai, Qatar and Bahrain in the Gulf, besides Canada and England are the countries which observed Bihar Day. At all these places, the celebrations were held under the banner of the Bihar Foundation. In India, the foundation’s chapters in Mumbai, Chennai, Kolkata and Bangalore organised the festivities with pomp and grandeur. It’s also been a time of leadership and hope, as Bihar will complete 100 years of its formation on March 22, 2012.

मार्च 20, 2012

धोखे और लूट का शौचालय

शौचालयों की तबाही पर सहरसा टाइम्स  की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट 
लूट का शौचालय
जिले में PHED द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान और लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत गरीब-मजलूमों के साथ जरुरतमंदों के लिए बनाये गए शौचालय ना केवल लूट-खसोट के  जिंदा मिसाल हैं बल्कि सरकारी योजनाओं के साथ हो रहे भद्दे मजाक का बेजोड़ नमूना भी हैं.यूँ तो पुरे जिले में BPL परिवार के लिए 1 लाख 14 हजार 40,APL परिवार के लिए 1 लाख 39 हजार और महादलित परिवारों के लिए 33 हजार शौचालय बनाने की योजना थी.लेकिन अभीतक BPL परिवार के लिए 68 हजार 500,APL परिवार के लिए 12 हजार 400 और महादलितों के लिए 20 हजार के करीब  शौचालय बनाए गए हैं.यह योजना वितीय वर्ष 2005--06 की है लेकिन इसपर काम 2007 में शुरू किये गए.एक तो निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ और जब शुरू हुआ तो लूट की दरिया बह निकली.ये बेहया और बेशर्म शौचालय कहीं खेतों में यायावर की तरह बनाये गए हैं तो कहीं रसोई के चूल्हे के बगल में.यही नहीं गुणवत्ता के मानक को ताक पर रखकर बेछप्पड़ इन शौचालयों के लिए टेंक भी नहीं बनाये गए हैं.हद बात तो यह है कि ये सारे अधकचरे मगर विभाग द्वारा पूर्ण निर्मित दिखाए गए वे शौचालय हैं जो दिख रहे हैं.बहुतों शौचालय तो कागजों पर ही बनाये गए हैं.
गौरतलब है की जिले में PHED द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान और लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत अभीतक हजारों शौचालय का निर्माण कराया गया है लेकिन करीब--करीब ये सभी शौचालय पुरे जिले में खून के आंसू रो रहे हैं.एक शौचालय के निर्माण में 2500 रूपये खर्च आता है.APL परिवार को 500 रूपये खुद देने पड़ते हैं जबकि शेष 2000 रूपये विभाग देता है.BPL परिवार को 300 रूपये खुद देने पड़ते हैं जबकि शेष 2200 रूपये विभाग देता है.महादलितों के लिए विभाग पुरे के पुरे 2500 रूपये देकर निर्माण कराता है.यह एक बेहतर सरकारी योजना साबित होती लेकिन योजना का टार्गेट और उसे पूरा करने की जल्दी के बीच खाऊ-पकाऊ कुनीति ने इसे बेमकसद बनाकर रख दिया है.गौरतलब है की इस जिले में शौचालय निर्माण के टारगेट को तो पूरा नहीं ही किया जा सका लेकिन जितने निर्माण हुए वे ना केवल लूट की नयी इबारत लिख रहे हैं बल्कि लूट का परचम भी लहरा रहे हैं.सरकारी योजनाओं का बुरा हस्र कोई नयी बात नहीं है.लेकिन योजनाओं को इसतरह मजाक बनाकर उसके साथ खिलवाड़ करना गिरावट का अति जरुर है.सत्तासीनों के साथ-साथ विरोधी दलों और अवाम को भी इस मुतल्लिक विमर्श और आत्ममंथन की जरुरत है.सुशासन बाबू को हम तो बस कुछ कालिख पुती तस्वीरें दिखा रहे हैं जो जमीनी सच की तासीर हैं.

मार्च 17, 2012

राज्यरानी एक्सप्रेस का हुआ शुभारम्भ


लम्बे समय से एक बेहतर ट्रेन की बात जोह रहे कोसी वासियों की आखिरकार आज मन की मुराद पूरी हुई.आज से सहरसा से पटना के लिए राज्यरानी एक्सप्रेस का शुभारम्भ हुआ.जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव,खगड़िया के सांसद दिनेश चन्द्र यादव,सहरसा के बीस सूत्री प्रभारी मंत्री जीतन राम मांझी, स्थानीय भाजपा विधायक आलोक रंजन और समस्तीपुर रेलखंड के डी.आर.एम सत्य प्रकाश त्रिवेदी ने एक साथ हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को किया रवाना.यह ट्रेन सहरसा से पटना और पटना से सहरसा चार घंटे में पहुंचेगी.हांलांकि आज यह ट्रेन सुबह के सवा नौ बजे बजे सहरसा से रवाना हुई लेकिन इस ट्रेन का समय सहरसा से सुबह सात बजे और पटना से दिन के 12.45 मुक़र्रर है.बताना लाजिमी है की इस ट्रेन के शुरू होने से क्षेत्र के लोगों में काफी ख़ुशी है की यह ट्रेन महज चार घंटे में अपना सफ़र पूरा करेगी लेकिन लोगों को यह मलाल है की उनकी वर्षों से एक रात्रि सेवा की ट्रेन की मांग थी जिसे आज तक किसी रेल मंत्री ने पूरा नहीं किया.काश यही ट्रेन रात में चलाई जाती.
 राज्यरानी का परिचालन लगभग एक वर्ष से लंबित था.क्षेत्र के लोग इस गाड़ी को रात्रि में चलवाना चाहते थे.खींचतान में आजतक इस ट्रेन का परिचालन शुरू नहीं हो सका था.लेकिन आज जब इस ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ तो इसे सुबह में सहरसा से और दोपहर में पटना से चलाने का समय मुक़र्रर हुआ.इसको लेकर रेलवे नागरिक सलाहकार समिति के सदस्य भी काफी दुखी हैं और ट्रेन के परिचालन को रात्रि में उचित बता रहे हैं.चार घंटे में सफ़र---कोसी क्षेत्र वासियों के लिए यह ट्रेन एक सौगात से कम नहीं.क्षेत्रवासियों की यात्रा इस ट्रेन सहित सभी ट्रेनों से सदैव मंगलमय हो,सहरसा टाइम्स भी यही  कामना करता है.

मांस व्यवसायी की हत्या

मांस व्यवसायी मोहम्मद लुकमान की हत्या
बीते 15 मार्च की रात से लापता मांस व्यवसायी मोहम्मद लुकमान उर्फ़ कारी की अज्ञात अपराधियों ने कल शाम ना केवल गोली मारकर ह्त्या कर दी बल्कि ह्त्या के साक्ष्य को मिटाने की नीयत से लाश को बिसनपुर नदी में फेंक भी दिया.कल देर शाम लाश पतरघट पुल के नीचे से बरामद हुई.प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ अज्ञात अपराधियों ने मृतक व्यवसायी मोहम्मद लुकमान को उसकी मोटरसाईकिल सहित परसों रात में ही पहले अगवा कर लिया था फिर हत्या की इस घटना को अंजाम दिया.मृतक के परिजन जहां घटना के बाबत जानकारी दे रहे हैं वहीँ ह्त्या के पीछे के कारण को फिलवक्त बता पाने में वे असमर्थ हैं.परिजनों की मानें तो इस निर्मम ह्त्या मामले में एक तो पुलिस के अधिकारी घटना की सूचना के पाँच घंटे बाद घटनास्थल प़र पहुँचे और अब कारवाई के नाम प़र वे महज खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं.हांलांकि पतरघट पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए उसे सदर अस्पताल सहरसा भेज दिया है. पोस्टमार्टम कराने आये चौकीदार की मानें तो उन्हें कमान काटकर पोस्टमार्टम कराने भेज दिया गया.थाने के बड़े हाकिम अक्सर थाने में बैठे रहते हैं और लगभग सारे महत्वपूर्ण कार्यों को चौकीदार अंजाम देते हैं.बेबस चौकीदार हाकिमों के हुक्म बजाने के सिवा कुछ और करने की हैसियत ही नहीं रखते.
सहरसा में कानून का राज नहीं बल्कि अपराधियों की अघोषित हुकूमत चलती है.इस जिले में सुशासन की जगह गुंडाराज है.पुलिस अपराधी--गुंडों को पकड़ने की जगह उनके सामने घुटने टेकी दिख रही है.जाहिर तौर प़र इस जिले की पुलिस प़र अपराधी----गुंडे पूरी तरह से हावी हैं.

शिक्षा कर्मचारियों का दो दिवसीय धरना

जिले के शिक्षा विभाग के करीब पचास कर्मी दो दिवसीय धरने
पिछले दस महीनों से वेतन नहीं मिलने से भुखमरी के कगार प़र पहुँचे जिले के शिक्षा विभाग के करीब पचास कर्मी आज जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय के सामने दो दिवसीय धरने प़र बैठे.धरनार्थियों ने धरने के दौरान सूबे के मुखिया नीतीश कुमार,शिक्षा मंत्री पी.के.शाही और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कहा की उनलोगों ने सरकार और राज्य मुख्यालय में बैठे विभागीय बड़े अधिकारी के खिलाफ दो दिवसीय धरने के माध्यम से सिर्फ विगुल फूंका है.अभी तो ये ट्रेलर है जिसमे जिला मुख्यालय स्थित शिक्षा विभाग के तीन दफ्तरों के कामकाज को दो दिनों तक के लिए ठप्प किया गया है.अगर उनके वेतन का इस माह और जल्द भुगतान नहीं हुआ तो वे जिले के तमाम शिक्षा विभाग के दफ्तरों में ताले जड़ देंगे और सभी शिक्षण संस्थानों को भी बंद करा देंगे.भुखमरी में आज आलम यह है की एक तरफ जहां दुकानदार उन्हें कोई सामान उधार नहीं देना चाहता तो वहीँ दूसरी तरफ उनके बच्चों की शिक्षा बाधित है और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएँ दे पाना भी उनके बस में नहीं रहा है.अपना हक़ अब वे लड़कर लेंगे.सरकार खबरदार हो जाओ.
बिना वेतन के दस महीने तक काम करना एक साहसिक कार्य संस्कृति है.आवंटन की विसंगति की वजह से इतने लम्बे समय तक कर्मियों के वेतन को रोके रखना कहीं से भी जायज नहीं है.सरकार के विभागीय मंत्री को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए इन कर्मियों के वेतन का भुगतान करवाना चाहिए.अगर सरकार इस मामले का त्वरित समाधान नहीं करती है तो स्थिति विकट होगी जिसे संभाल पाना फिर आसान नहीं होगा.

मार्च 16, 2012

अधिकारियों से अनाथ मासूमों की फ़रियाद

रीना,कुसहा त्रासदी में अनाथ हुई बच्ची.
18 सितम्बर 2008 की कुसहा त्रासदी में अपना घर--बार और माँ--बाप सहित अपने स्वजनों को गंवाकर अनाथ हुए सैंकड़ों बच्चों में से कुछ बच्चों को सहरसा के एक दंपत्ति आकांक्षा अनाथ आश्रम में रखकर विगत तीन वर्षों से परवरिश कर रहे हैं.निः संतान यह दंपत्ति सेवा भाव से पहले तो चुन--चुनकर इन बच्चों को इकठ्ठा किया फिर जो कुछ खुद के पास था उसे झोंक कर इन बच्चों की परवरिश की लेकिन सफ़र मुश्किल था और इनके पास साधन नहीं थे.बाद में इस दंपत्ति ने समाज के लोगों से चंदे और भीख मांगकर इन बच्चों की परवरिश की.लेकिन किसी भी चीज की हद और सीमा होती है.अब चंदे के दौर को भी ग्रहण लग चुका है.बच्चे धीरे--धीरे बड़े हो रहे हैं.ऐसे में इन्हें भोजन के साथ--साथ उचित शिक्षा की भी दरकार है.लेकिन करें क्या,हाथ तो खाली है.आज इसी अनाथ आश्रम का संचालक इन बच्चों को साथ लेकर सहरसा के डी.एम से इनके जीवन रक्षा की फ़रियाद करने डी.एम के जनता दरबार पहुंचा.लेकिन बदकिस्मती यहाँ भी आगे--आगे पहुँच गयी. डी.एम आज किसी कार्य से बाहर थे और जनता दरबार में फ़रियाद उनकी जगह ए.डी.एम सुन रहे थे.ए.डी.एम साहब ने इन बच्चों को और आश्रम के संचालक को सुना और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को आदेश दिया की वे आश्रम को देखें और इसकी रिपोर्ट करें.
यानि पहले जांच फिर कारवाई होगी.बताना लाजिमी है की इस आश्रम के संचालक को पिछले दो वर्षों से अधिकारियों से इसी तरह का आश्वासन मिलता रहा है जो आज लेकर वह वापिस अपने दरके आश्रम लौट रहा है.
वर्तमान जिलाधिकारी मिसबाह बारी से भी यह आश्रम संचालक एक सप्ताह पूर्व मिलकर फ़रियाद कर चुका है.यही नहीं इससे पूर्व के दो पूर्व जिलाधिकारी आर.लक्ष्मणन और देव राज देव से भी ये फ़रियाद कर चुके हैं लेकिन परिणाम आजतक सिफर ही रहा.दस दिन पूर्व जिला में पदभार संभालने वाले ए.डी.एम सतीश चन्द्र झा साहब को सुनिए किस तरह वे आकांक्षा अनाथ आश्रम की कुंडली देखने की बात कर रहे हैं.उन्होनें तमाम बच्चों को देखकर कहीं से भी मानवीय संवेदना का इजहार नहीं किया और अफसरशाही की मोटी चमरी में कैद रहकर जांच का जिम्मा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को सौंप दिया की वे जांच कर देखें की माजरा क्या है.जांच के तराजू प़र आश्रम को तौला जाएगा फिर सोचा जाएगा की इस आश्रम के लिए क्या कुछ किया जाए.पिछले दो वर्षों से जांच के नाम प़र चल रहे इस गोरख खेल को एक बार फिर पंख लग गए.
ये मासूम बच्चे बर्बादी के जिन्दा इस्तहार हैं.इनकी मासूमियत को बचाने और उनमें उड़ान भरने की जरुरत है.नीतीश बाबू कुसहा के इन दर्दीले तोहफे को अपने सजावटी फूलदानों में जगह ना दीजिये चलेगा,कम से कम अपनी फटी कालीन--दरीचे और कूड़ेदान में तो इन्हें जगह दीजिये.इतने में भी ये दम भर जी लेंगे.

मार्च 07, 2012

मथुरा के ब्रज की होली बनगावं में

                                                   सहरसा होली लाइव सिर्फ सहरसा टाइम्स पर
होली तो आपने कई जगहों के देखे होंगे लेकिन आज जो मै आपको दिखाने जा रहा हूँ उससे देख आप ये जरुर बोलेंगे जोगीरा सा..रा.... रा....मथुरा के ब्रज की होली की तरह मशहुर है बनगावं की होली यंहा  तीन दिनों तक मनाये जानेवाली हुरदंगी और लठमार होली से कोई नहीं बच पाता.. आप देखिये इस  तस्वीर में यंहा किस तरह से होली में जोगीरा सा रा रा होता है............. आप सभी को होली की हार्दिक शुभकानाए 
                                                                             चन्दन सिंह 
                                                                 (MD SAHARSA TIMES)
                               इस विडियो को देखने के लिए इस लिंक पर क्लीक करे............. 
                         http://www.youtube.com/watch?v=hnXHLsX28Kk&feature=youtu.be

मार्च 04, 2012

कोशी अभिशाप नहीं वरदान साबित होगी

क्षेत्रीय सांसद शरद यादव
कोशी के उफान से उभरे जख्मों को भरने के लिये जदू के रास्ट्रीय अध्यक्ष व क्षेत्रीय सांसद शरद यादव ने बीते कल उस जगह अपना हेलीकाप्टर उतरवाया जंहा इससे पहले कोई भी रास्ट्रीय स्तर के नेताओं ने आम सभा या उनके दर्दों पे मरहम लगाने नहीं पहुची थी. तटबंध के अन्दर बसा अल्पसंख्यक  बहुल क्षेत्रीय मनौव्वर गांव आज भी विकास की अंधी से कोशों दूर है. और इस तरह से सांसद का अचानक से आना यंहा के लोगो को उम्मीद की नई किरण दिखने जैसी लग रही है.जाहिर तौर पर इस क्षेत्र के लोगो को अब इनसे उम्मीदे काफ़ी बढ़ गई है. जनसभा को संबोधित करने के दौरान शरद यादव ने कहा कोसी अभीशाप थी तो अब आशीर्वाद बनेगी. कोसी अब कोसनेवाली नहीं बल्कि बरदान साबित होगी. यंहा से उपजाई गई सब्जिया बाहर भेजी जाएगी. मैंने जहा भी गया हूँ कोसी जैसी हरियाली मैंने नहीं देखी.  भाषण के दौरान शरद जी ने ये भी कहा ये जगह पहले टापू था लेकिन अब चारो तरफ सड़क का जाल बिछ गया है. अगर यंहा विकास की राशि में लुट होती है तो हमें ख़बर करे. 
बिहार में हमारी सरकार सात वर्षों से चल रही है  लेकिन एक भी घोटाला नहीं हुआ. बस इतना सुनते ही लोगो ने ताली और नारे लगाने लगे. इससे कतई नाकारा नहीं जा सकता की  कोसी दियारा क्षेत्र के लिये जो भी योजनाये आती है वे उनतक नहीं पहुँच पाती है. जिसे या तो विधायक खा जाता है नहीं तो निचले स्तर का जनप्रतिनिधि. लुट ही लुट मची है अगर आप इस क्षेत्र में कभी जायेंगे तो आपको हर वो चीख़, दर्द सुनाई दिखाई देगी जिसे आप टेलीविजन या सिनेमा के बड़े पर्दों पे देखते या सुनते है. नेता जी तो लम्बी लम्बी बाते कह के चले गए लेकिन क्या इनके जख्मों को भरने के लिये यंहा के जनप्रतिनिधि आगे आयेंगे ये फिर उन्हें उनके हालात पर हिन् छोर देंगे ये तो वक़्त बतायेगा .

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।