इसे विभाग की लापरवाही कहिये,लूट-खसोट का नतीजा कहिये या फिर लोगों को समय पर जागरूक नहीं किया जाना.वजह आखिर जो भी हो सरकार का इस इलाके के लोगों को शुद्ध जल पिलाने का सपना बस सपना बनकर ही रह गया है.हांलांकि इसके मुतल्लिक करोड़ों रूपये की लागत से कोसी अमृत पेयजल योजना चलायी भी गयी लेकिन धरातल पर यह पूरी तरह से खाऊ-पकाऊ बनकर विफल हो गयी.जिलेवासियों को शुद्ध जल मुहैया कराने की गरज से PHED ने वर्ष 2003 से 2005 के बीच करोड़ों की लागत से कोसी पेयजल योजना के तहत शहर से लेकर गाँव तक 1294 जगहों पर पेयजल प्लांट का निर्माण कराया था लेकिन थोड़े समय तक पानी टपकाकर यह प्लांट बेपानी होकर पूरी तरह से मृत हो गया.आलम यह है कि विगत पांच वर्षों से सबके-सब प्लांट टूटे-फूटे,जर्जर और बेजार पड़े हैं.दूसरे की प्यास बुझाने का माद्दा रखने वाला यह कल्याणकारी प्लांट आज खुद प्यासा बना बैठा है और इसे पानी की जरुरत है.यह इलाका जल जमाव वाला है.ऐसे में जाहिर तौर पर इलाके के हजारों लोग दूषित जल पीकर गंभीर बिमारियों के शिकार होने को लगातार विवश हैं.
विभाग के अधिकारी इस योजना की विफलता को स्वीकारते हैं लेकिन इसके लिए लोगों में जागरूकता की कमी के साथ-साथ उस वक्त योजना में रही कुछ तकनीकी कमियों को वे इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं.इनकी नजर में यहाँ यह योजना प्रयोग के तौर पर शुरू की गयी थी जो विफल साबित हो गयी.
जाहिर सी बात है अगर यह योजना सफल होती तो आज लोग शुद्ध जल पी रहे होते और दूषित जल से कबका उन्हें छुटकारा मिल गया होता.लेकिन इस योजना की विफलता की वजह से लोग लौह युक्त,पीला और गंदगी से भरा दूषित पानी पीने को विवश हैं.चिकित्सक की राय में इस इलाके के लोग दूषित जल पीने की वजह से डायरिया,डिसेंट्री,गैस्टिक,टायफायड,जोंडिस सहित पेट से जुड़े कई अन्य बिमारियों के शिकार होते हैं.
एक बड़ी और कल्याणकारी योजना यहाँ विभागीय लापरवाही और लूट-खसोट की बलि चढ़ चुकी है.यहाँ आमजन की जगह समृद्ध तंत्रों के हितों का ख़याल रखा जाता है.लूट तंत्र की जय हो.काश एक बार अन्ना इधर भी आते.नीतीश बाबू गहरी नींद से जागिये और कुछ ऐसा कीजिये जिससे सच में लोगों का भला हो सके.लोगों ने जिगर फाड़ के आप पर भरोसा जताया है और आपको झोली भर के दुआएं दी है.लोगों की फना होती उम्मीदें और आस को साबूत उम्र बख्सी की जुगात कीजिये.