कोसी प्रमंडल के अधिकारी और कर्मचारियों के मन--बढ़ऊ रवैये से परेशानपंचायती राज जनप्रतिनिधि और विभिन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता--नेता अब आरपार की लड़ाई के मूड में हैं.जिला परिषद् के सभा कक्ष में आज पंचायती राज जनप्रतिनिधि और विभिन्य दलों के नेता--कार्यकर्ता इकठ्ठा हुए हैं.जनप्रतिनिधियों के साथ इस सर्वदलीय बैठक में सारे वक्ता समवेत अफसर और कर्मचारियों प़र जमकर बरस रहे हैं.एक तरफ जहां इन जनप्रतिनिधियों का कहना है की जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है और उनपर जनता की उम्मीदों का बोझ है लेकिन अधिकारी--कर्मचारी उनकी एक नहीं सुनते हैं और उनका अपमान करते हैं.आखिर वे किस तरह से जनता का भला कर पायेंगे.जनता की समस्याओं को लेकर जब वे कोसी प्रमंडल के आयुक्त जे.आर.के.राव के पास उनके द्वारा दिए गए मिलने के समय प़र जाते हैं तो उन्हें आयुक्त अपने कक्ष से खदेड़ देते हैं.बीते नौ फ़रवरी को उनके साथ आयुक्त ने काफी अपमानजनक व्यवहार किया.वहीँ विभिन्य राजनीतिक दलों के नेता--कार्यकर्ताओं ने भी अफसरों के रवैये प़र कड़ी आपत्ति जताई.आज की इस बड़ी बैठक में यह फैसला लिया गया की अगर अधिकारियों ने जल्द अपने चाल--चलन को ठीक नहीं किये तो एक एतिहासिक बड़ा जन आन्दोलन होगा जिसमें अधिकारियों को अपने कार्यालय तक पहुँच पाना भी मुश्किल होगा.
जाहिर तौर प़र त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ये जनप्रतिनिधि अफसरों के अपमान और उपेक्षा से हलकान--परेशान हैं.प्रशासन के अधिकारियों को चाहिए की इन जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर विकास की गाड़ी को आगे बढायें.इसमें कोई शक नहीं है की अधिकारियों से ज्यादा क्षेत्र की समस्याओं की ज्यादा जानकारी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को होती है.वैसे सुशासन के बाबू के रंग बड़े निराले हो गए हैं.आगे अफसरों का रुख कैसा रहेगा और इस जन आन्दोलन का रंग कैसा होगा यानि ऊंट किस करवट बैठेगा,अभी कहना नामुमकिन है.
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