अगस्त 04, 2016

थानेदार के रूप में कसाई है ये, इसे थाना से हटाओ सरकार

पीड़ितों की करता है पिटाई और कई रास्ते से करता है धन उगाही .........
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक----बीते तीन अगस्त को मारपीट के मामले में जख्मी हुए सुशील भगत को न्याय दिलाने और पीड़ित के बयान पर मामला दर्ज कर अनुसंधान करने की जगह सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह ने पीड़ित की ना केवल गालियों से खिदमत की बल्कि धक्के मारकर उन्हें थाने से बाहर भी कर दिया। थानेदार की काली करतूत के वायरल होने के बाद भी जब इस दादा किस्म के दबंग थानेदार पर बड़े अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की तो, विभिन्य राजनीतिक दल ने इस मामले में आज से हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है। सबसे पहले राजद के जिलाध्यक्ष जफ़र आलम और वरिष्ठ राजद नेता रंजीत यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने एसपी अश्वनी कुमार से मुलाक़ात कर संजय सिंह पर अविलम्ब कार्रवाई की मांग की ।लेकिन एसपी साहब ने कहा की इस मामले में जांच चल रही है । जांच रिपोर्ट आने के बाद ही वे कुछ कर सकेंगे । हद की इंतहा है की थानेदार किस तरह से पीड़ित के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, उसका विजुअल्स मौजूद है लेकिन एसपी साहब जांच करवा रहे हैं ।
राजद जिलाध्यक्ष जफ़र आलम ने कड़े लहजे में कहा की अगर 24 घंटे के अंदर इस थानेदार पर कार्रवाई नहीं हुयी तो इस मामले को वे माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तक ले जाएंगे और इस थानेदार पर कार्रवाई करवा कर रहेंगे ।
बात इतने पर ही खत्म नहीं हुयी । जन अधिकार पार्टी ने थानेदार पर शीघ्रता से बड़ी कार्रवाई हो, इसके लिए आज शाम में थाना चौक को जामकर थानेदार का पुतला दहन किया । इस दौ
रान पार्टी कार्यकर्ताओं ने थानेदार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की ।
धीरे--धीरे यह थानेदार प्रकरण अब सियासी रंग पकड़ने लगा है । एक तरफ जहां यह लग रहा है की इस बार इस आतातायी थानेदार का विकेट गिरकर रहेगा और बड़ी कार्रवाई होकर रहेगी, तो दूसरी तरफ कयास यह भी लगाया जा रहा है की बड़े अधिकारियों तक मोटा नजराना पहुंचाकर यह जीवट थानेदार फिर से बच निकलेगा ।
संसय बरकरार है की आखिर इस थानेदार का क्या होगा ?साक्ष्य रहते हुए इस थानेदार पर कार्रवाई में आखिर देरी क्यों हो रही है ?आखिर बड़े अधिकारी इस थानेदार पर कार्रवाई करने से डर क्यों रहे हैं ? कहते हैं की समरथ के नहीं कछु दोष गोसाईं....पैसा,रसूख,पैरवी और प्रभाव के सामने में अक्सर न्याय घुटने टेक देता है ।कहीं इस मामले में भी सभी कुछ टांय--टांय फिस्स ना हो जाए....

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।