चन्दन सिंह की रिपोर्ट ----
असम में बीजेपी की जीत के साथ ही बीजेपी वाले यूपी फ़तह की बात सोच रहे है और अपनी जीत के लिए कोइ कोर कसर भी नहीं छोर रही है. यह भी सत्य है कि इस देश के प्रधानमंत्री का जलवा विश्व के मानचित्र पटल पर छाया हुआ है. अधिकांश देशों में नरेन्द्र मोदी ने अपनी छाप छोड़ दी है. केंद्र में सत्ता पाने के लिए बीजेपी वाले ने कहा था ''सबका साथ सबका विकास'' क्या ये वाकई में इस स्लोगन पर भारतीय जनता पार्टी खड़ी उतड़ी.
असम में बीजेपी की जीत के साथ ही बीजेपी वाले यूपी फ़तह की बात सोच रहे है और अपनी जीत के लिए कोइ कोर कसर भी नहीं छोर रही है. यह भी सत्य है कि इस देश के प्रधानमंत्री का जलवा विश्व के मानचित्र पटल पर छाया हुआ है. अधिकांश देशों में नरेन्द्र मोदी ने अपनी छाप छोड़ दी है. केंद्र में सत्ता पाने के लिए बीजेपी वाले ने कहा था ''सबका साथ सबका विकास'' क्या ये वाकई में इस स्लोगन पर भारतीय जनता पार्टी खड़ी उतड़ी.
मोदी सरकार की सबसे बड़ी असफलता रोजगार के मोर्चे पर हुई है। कई सर्वे के रिपोर्ट के मुताबिक यह तथ्य सामने आया है कि भारत में युवाओं के लिए रोजगार वृद्धि की दर पिछले कई सालों के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है। कई सर्वे में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि पिछले एक साल में ही बेरोजगारों की संख्या में लगभग 2 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। सत्ता में आने से पहले नरेंद्र मोदी ने करोड़ों नौकरियां पैदा करने का वादा किया था, रेलवे जैसे बड़े विभाग के ग्रुप डी की बहाली की कोई सुचना ही नहीं है. सर्वे यह भी कहता है कि बेरोजगारी की सबसे ज्यादा मार पढ़े-लिखे युवाओं पर पड़ी है। इनमें 25 फीसदी युवा 20 से 24 वर्ष के हैं, तो 25 से 29 वर्ष के युवा 17 फीसदी हैं। जाहिरतौर से नरेन्द्र मोदी या बीजेपी वाले का यह श्लोगन "सबका साथ सबका विकास " क्या भारत के यूवाओं के हित में है या नरेन्द्र मोदी का कद बड़ा होते ही ये शालोगन धड़साही हो गया.