मुकेश कुमार सिंह की कलम से------ अपने आंदोलन के दूसरे दिन सहरसा में नियोजित शिक्षक आज पूरी तरह से गुंडागर्दी पर उत्तर गए.आलम यह था की ये शिक्षक मोटरसाईकिल पर घूम--घूमकर विभिन्य स्कूल पहुँच रहे थे जहां बच्चे या तो इन्हें देखकर खुद डरकर भाग रहे थे या फिर ये शिक्षक जबरन उन बच्चों को स्कूल से निकालकर घर भेज रहे थे.यूँ तो इस आंदोलन की वजह से अधिकाँश स्कूल पहले से बंद हैं लेकिन जो खुले थे,उनपर आज शामत आई थी.इन आंदोलित शिक्षकों ने जिले के शिक्षा विभाग के तमाम कार्यालय में भी तालाबंदी कर के काम--काज को पूरी तरह से ठप्पकर दिया.
नियोजित शिक्षकों का गुस्सा अब सातवें आसमान पर है.बच्चों में ज्ञान भरने वाले ये गुरूजी आज गुंडे--मवाली की शक्ल में दिख रहे हैं.देखिये किस तरह से ये जबरदस्ती बच्चों को स्कूल से भगा रहे हैं मध्य विद्यालय तिवारी टोला,मध्य विद्यालय कोसी कोलीनी,कुंवर सिंह मध्य विद्यालय,NPS डुमरैल सहित दर्जनों स्कूल जो आज खुले थे उन्हें ये गुरूजी दादागिरी के दम से बंद करा रहे हैं.मोटरसाईकिल पर देखिये ये सभी किस तरह से घूम--घूमकर स्कूल को बंद करा रहे हैं.बच्चे भयभीत हैं और कह रहे हैं की सर उन्हें जबरदस्ती स्कूल से भगा रहे हैं.जहांतक गुरूजी का सवाल है तो उनका कहना है की गुंडई शिक्षक नहीं सरकार कर रही है,वे तो ऐसा करने के लिए विवश और मजबूर हैं.नियोजित शिक्षक की सरकार से इस आरपार की लड़ाई में जिले के 741 प्राथमिक और 509 मध्य विद्यालय पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं.
नियोजित शिक्षकों की जायज मांगों के हम भी पक्षकार हैं लेकिन शिक्षकों ने जिस तरह से मासूम नौनिहालों को जबरन स्कूल से खदेड़ना शुरू किया है हम उसका पुरजोर विरोध करते हैं.आंदोलन का यह चरित्र और यह विकृत चेहरा निसंदेह शर्मसार करने वाला है.सरकार को त्वरित गति से इस मामले का पटाक्षेप करना चाहिए.
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