जनवरी 31, 2013

65 करोड़ की 30 सड़कों का शरद यादव ने किया उदघाटन

 सहरसा के नवहट्टा प्रखंड के रामनगर भरना गाँव में एक सभा में शरद ने किया उदघाटन 

रिपोर्ट मुकेश कुमार सिंह: आज दोपहर बाद सहरसा के नवहट्टा प्रखंड के रामनगर भरना गाँव में एक सभा में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से करीब 65 करोड़ की लागत से बनी 30 सड़कों का उदघाटन किया।यह तमाम सड़कें जिले के नवहट्टा,महिषी,सोनवर्षा राज,कहरा,सौर बाजार और पतरघट प्रखंड में अलग--अलग कुल 30 जगहों पर बनी हैं।
नवहट्टा  B.D.O रामदेव ठाकुर का  मंच पर
जमकर क्लास
सड़कों के उदघाटन के बाद शरद यादव ने नवहट्टा के B.D.O रामदेव ठाकुर को मंच पर बुलाकर वृद्धा पेंशन,इंदिरा आवास और एपीएल और बीपीएल को लेकर उनका जमकर क्लास लिया और उन्हें कई शख्त निर्देश भी दिए।शरद ने इस दौरान सभा को भी संबोधित किया।सभा को संबोधित करते हुए उन्होनें कहा की मनरेगा में खूब बेईमानी हो रही है।ट्रैक्टर से काम करवाकर गरीबों को भी खूब लुटा जा रहा है।इनकी नजर में ग्रामीण इलाके में बेईमानों की बड़ी खेप मौजूद है।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का घेराव

मुकेश कुमार सिंह,: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव आज दोपहर में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से बनी कुछ सड़कों के निर्माण के बाद उन सड़कों के उदघाटन के लिए नवहट्टा प्रखंड के रामनगर भरना गाँव जा रहे थे।शरद यादव का काफिला अपनी मंजिल की और जा रहा था की बीच में ही नवहट्टा प्रखंड के इस्लामपुर गाँव के सैंकड़ों ग्रामीणों ने एक साथ शरद के काफिले पर न केवल हल्ला बोल दिया बल्कि जमकर नारेबाजी भी करने लगे।इस दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच तीखी नोंकझोंक भी हुयी।ग्रामीण को बिजली सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की वजह से वे अगिया--बेताल थे और शरद को खरी--खोटी सूना रहे थे।ग्रामीणों ने शरद के काफिले को डेढ़ घंटे से ज्यादा अपने गाँव में रोककर रखा।शरद यादव के तुरंत बिजली के इंतजाम और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उनतक ससमय और सही तरीके से पहुँचने के आश्वाशन के बाद शरद को गुस्साए लोगों ने यहाँ से जाने दिया।
यह नजारा है इस्लामपुर गाँव का।
 देखिये ग्रामीणों का धैर्य किस तरह से जबाब दे गया है की वे गुस्से से आग--बबुले होकर शरद यादव के काफिले को अपने गाँव से गुजरने नहीं दे रहे हैं।कई तरह की कमियों का दंश झेलने वाले इस गाँव के ग्रामीण ज्यादा बिजली को लेकर परेशान है।सुरक्षा जवानों से लगातार तीखी झड़प होने के बाद भी ग्रामीण मोर्चे पर देखिये न केवल डटे हुए हैं बल्कि किसी भी सूरत में शरद को रास्ता देने के लिए तैयार नहीं हैं।बड़ी मुश्किल से और शरद के फौड़ी कारवाई के भरोसे के बाद लोगों ने उनके काफिले को गंतव्य की और जाने दिया।
शरद यादव से सहरसा टाईम्स ने इस घेराव को लेकर जानना चाहा तो वे बड़े बेतुके अंदाज से पहले तो हमसे कहा की हम आपके हाथ जोड़ते हैं, जाईये आप यहाँ से,फिर हमसे कहा की आपको होश ही नहीं है।  जबकि  हम आपको बता दे की हम पूरी तरह से न केवल होश में थे बल्कि गरीब जनता की लामबंदी और उसके अगिया-बेताल विरोध के गवाह भी थे। बताना लाजमी है कि  शरद जी अन्तराष्ट्रीय मीडिया को फेस करने वाले नेता हैं। उनके रूखे तेवर को देख कर हम दावे के साथ कह सकते है कि उनकी नज़र में शायद कस्बाई इलाके के रिपोर्टरों की कोई हैसियत नहीं होती है। उनके तेवर को देख कर हमें यह भी लगा की राष्ट्रीय स्तर के नेता होने के लिए दुसरे को अंडर स्टीमेट करना जरुरी होता है। हांलांकि शरद यादव ने हमारे साथ तल्खी से पेश आने पर बाद में विचार किया और अपने मंच पर नवहट्टा के B.D.O रामदेव ठाकुर को बुलाया और इस्लामपुर गाँव में तुरंत ट्रान्सफार्मर लगवाकर बिजली चालु करने का हुक्म दिया।
शरद के इस घेराव ने यह जाहिर कर दिया है की सरकार के काम--काज को लेकर जनता में लगातार बढ़ रहा असंतोष अब विभिन्य तरीके से फूटने लगा है। 

सहरसा टाईम्स ने जगाई संवेदना

IMPACT OF SAHARSA TIMES

मुकेश कुमार सिंह: आज एक बार फिर सहरसा टाईम्स ने मर रही इंसानियत और कुंद पर रही संवेदना को ना केवल जगाने का काम किया है बल्कि एक इंसानी जिन्दगी बेजा खत्म होने से बच सके,इसका पुख्ता इंतजाम भी किया है।कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले सदर असपता सहरसा के आपातकालीन कक्ष में एक लावारिश महिला फर्श पर पड़ी धरती के भगवान का बाट जोह रही थी की वो आये और उसका इलाज करे लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली।एन वक्त पर सहरसा टाईम्स अस्पताल पहुंचा और उसकी पहल के बाद सोये अस्पताल में हलचल हुयी।आनन--फानन में अस्पतालकर्मी ना केवल हमारे कैमरे के सामने बीमार महिला को बेड पर पहुंचाया बल्कि तुरंत उसका इलाज भी शुरू हुआ।रात दस बजे सहरसा टाईम्स की पहल पर यह सारा संभव हुआ।इसे पुरे एपिसोड में करीब एक घंटा का वक्त गुजर गया लेकिन इस दौरान आपातकालीन कक्ष में डॉक्टर की कुर्सी खाली रही।यानी हमारी तमाम कोशिशों के बाबजूद डॉक्टर साहब आपातकालीन कक्ष से गायब रहे।हांलांकि इसको लेकर मौके पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मी ने हमें बहलाने की खूब कोशिश की। 
आपातकालीन कक्ष के फर्श पर पड़ी यह महिला लावारिश है।मुफलिसी और फटेहाली ने इसे अपने आगोश में ले रखा है।जाहिर तौर पर यह ना तो किसी की ख्वाहिश है और ना ही इसकी किसी को कोई जरुरत है।अकेली है,इसलिए इसका कोई तीमारदार भी नहीं है।आपातकालीन कक्ष के फर्श पर पड़ी यह बेबस महिला धरती के भगवान की मेहरबानी चाह रही है लेकिन ठूंठ और निष्प्राण हो चुकी इंसानियत के सामने इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। इसको शख्त इलाज की जरुरत है लेकिन इसे क्या बिमारी है और इसका उपचार कैसे हो इसको लेकर किसी को कोई चिंता नहीं है।पूछने पर यह बताती है की इसको यहाँ पर बेड नहीं दिया जा रहा है।कहती है की वह पिछले 24 घंटे से भूखी है लेकिन उसे निवाला देने वाला कोई नहीं है।यह शब्जी--भात खाने की अपनी इच्छा से सहरसा टाईम्स को दो--चार करा रही है।हमारी पहल के बाद सबसे पहले अस्पतालकर्मियों में खलबली मच गयी और आनन--फानन में ना केवल उसे बेड पर ले जाया गया बल्कि तुरंत उसका इलाज भी शुरू हुआ।बेड मिलने के बाद बीमार महिला काफी खुश हो गयी और सहरसा टाईम्स को इसके लिए धन्यवाद देने लागी।
आपातकालीन कक्ष में तैनात स्वास्थ्यकर्मी ने साफ़--साफ़ स्वीकार किया की हमारे उस कक्ष में पहुँचने के बाद वे इस बीमार महिला को बेड मुहैया कराने के लिए बाध्य हुए।ये सहरसा टाईम्स की पहल को स्वीकार रहे हैं।हमारी इस पहल को एक घंटा से ज्यादा का वक्त लगा जब उसका पूरा असर हमारे सामने हुआ।लेकिन हद की इंतहा देखिये की इस दौरान आपातकालीन कक्ष से डॉक्टर साहब गायब रहे।हमने इस बड़ी लापरवाही को लेकर भी मौके पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों से सवाल किये लेकिन इस मुद्दे पर स्वास्थ्यकर्मी हमें बहलाने की भरपूर कोशिश करते रहे।अनिल मालाकार नाम के स्वास्थ्यकर्मी का कभी कहना था की डॉक्टर साहब यहीं थे,अभी---अभी बाहर गए हैं।कभी वे कह रहे थे की डॉक्टर साहब वार्ड गए हैं।यह सही है की हमारी पहल के बाद बीमार लावारिश महिला को ना केवल एक अदद बेड मयस्सर हुआ बल्कि उसका इलाज भी शुरू हुआ। लेकिन बड़ा सवाल यह है की सहरसा टाईम्स कबतक इस बीमार महिला के पास तीमारदारी के लिए खडा रहेगा।आखिर कबतक हम लोगों को उनके कर्तव्य का अहसास कराते रहेंगे।यूँ बताना लाजिमी है जगाया उसे जाता है जो गहरी नींद में हों।लेकिन जो जागकर अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह हों उसे किस बूते जगाएं और उनका जागना आगे कबतक सच की शक्ल में काबिज रह पायेगा।

जनवरी 30, 2013

चार शातिर लुटेरे गिरफ्तार

बैंक,पेट्रोल पम्प सहित कई अन्य लूटकांड के आरोपी लुटेरे आये पुलिस की गिरफ्त में
बैंक,पेट्रोल पम्प सहित कई अन्य लूटकांड से हलकान---परेशान सहरसा पुलिस ने चार शातिर लुटेरे को गिरफ्तार करके राहत की सांस ली है।गिरफ्त में आये इन लुटेरों से पुलिस ने चार पिस्टल,नौ गोली और चार मोबाइल सेट भी बरामद किया है।कोसी रेंज के डी.आई.जी संजय कुमार सिंह ने प्रेस से रूबरू होते हुए कहा की चार बड़े लुटेरों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए ना केवल एक बड़ी कामयाबी है बल्कि इस कामयाबी से अब आगे अपराध पर भी लगाम लगेगा।गिरफ्त में आये इन चारों अपराधियों में से एक पूर्णिया जिला का है जबकि तीन सहरसा जिले के अलग--अलग थाना क्षेत्र के हैं।
सहरसा एस.पी अजीत सत्यार्थी के कक्ष में आज कामयाबी की हनक साफ़ तौर पर देखी जा सकती है।देखिये इस कक्ष का नजारा।नकाब में मुंह छुपाये चार शातिर लुटेरे के साथ पुलिस अधिकारी और पुलिस के जवान मौजूद हैं।इन चारों लुटेरे में रंजीत दास पुर्णिया जिले के रुपौली गाँव का रहने वाला है जबकि बांकी तीन सहरसा जिले के हैं।लुटेरा मनीष चौधरी और राजेश चौधरी दोनों सौर बाजार थाना के सहुरिया गाँव के और सूरज कुमार बनगांव थाना क्षेत्र के बरियाही बाजार का रहने वाला है।इस गिरोह का सरगना रंजीत दास है।
चन्दन कुमार, थानाध्यक्ष सोनवर्षा कचहरी
देखिये कामयाबी से उत्साहित कोसी रेंज के डी.आई.जी संजय कुमार सिंह किस तरह से उन जांबाज सब इन्स्पेक्टर को डेढ़--डेढ़ हजार और पुलिस जवानों को 700--700 रूपये की नकद राशि से पुरस्कृत कर रहे हैं जिन्होनें इन लुटेरों को पकड़ने में मुख्य भूमिका निभाई है।पुरस्कार पाने वाले सात सब इन्स्पेक्टर में चन्दन कुमार, थानाध्यक्ष सोनवर्षा कचहरी, चंद्रकांत गौरी, सदर थाना, सहरसा, अवधेश कुमार, गोपनीय शाखा, एस.पी कार्यालय, अजीत कुमार, शिविर प्रभारी, पस्तपार, मुकेश कुमार मंडल, ओपी अध्यक्ष, बलवा हाट, प्रसुन्जय कुमार, बिहरा थाना और शिव कुमार यादव, सदर थाना, सहरसा हैं।पुरस्कार पाने वाले नौ जवानों में बचन देव यादव,विपिन यादव,संजय यादव,प्रभु प्रसाद,जयंत कुमार,अवधेश मेहता,सुदिष्ट कुमार सुमन,मोहम्मद अशरफ अली और सुभाष कुमार हैं। 
अपराधियों का एक साथी सोनू यादव इन घटनाओं को अंजाम देकर फरार हुआ था जिसे बीते 22 जनवरी को पुर्णिया पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया गया था।इस गिरोह के पांच और सदस्य हैं जिनकी पहचान पुलिस कर चुकी है।इनको भी अतिशीघ्र सलाखों के भीतर पहुंचाया जाएगा।
जाहिर तौर पर पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है।इसके लिए उसकी पीठ जरुर थपथपाई जानी चाहिए।

रंगीन मिजाज B.D.O पर FIR दर्ज

 दलित पंचायत समिति सदस्या ने B.D.O पर छेड़छाड़ और दुष्कर्म के प्रयास का लगाया गंभीर आरोप


B.D.O केशव कुमार
रिपोर्ट सहरसा टाईम्स: सहरसा जिले के मुरली वसंतपुर पंचायत की दलित पंचायत समिति सदस्या ने कहरा B.D.O पर छेड़छाड़ और दुष्कर्म के प्रयास का गंभीर आरोप लगाते हुए SC/ST थाना में काण्ड दर्ज कराया है।जाहिर तौर पर आरोप संगीन है जिस वजह से पुरे इलाके में सनसनी फैल गयी है।काण्ड दर्ज कर जहां पुलिस तहकीकात में जुटी है वहीँ पीड़िता और उसके पति जख्मी हालत में सदर अस्पताल में भर्ती हैं।बताते चलें की घटना 28 जनवरी की देर शाम की है लेकिन इस मामले में पीड़िता के बयान पर कल 29 जनवरी की शाम में SC/ST थाना में मामला दर्ज किया गया है।B.D.O इन आरोपों से ना केवल पूरी तरह से इनकार कर रहे हैं बल्कि सहरसा टाईम्स से इस मामले की तटस्थ जांच कर सच को सामने लाने की अपील भी कर रहे हैं।

सदर अस्पताल की बेड पर पड़ी यह **** देवी है। कहरा B.D.O की आशिक मिजाजी में इनकी यह गत हुयी है।यह हम नहीं कह रहे बल्कि पीड़िता ने  छेड़छाड़ करने के साथ--साथ फर्श पर पटककर उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश का B.D.O पर आरोप लगाते हुए SC/ST थाना में काण्ड दर्ज कराया है।बतौर पीड़िता उसके चीखने और एन वक्त पर उसके पति के पहुँचने पर उसकी अस्मत तो चाक होने से बच गयी लेकिन उठा---पटक में उसे गंभीर चोट आई है।पीड़िता कह रही है की वह पंचायत की विभिन्य योजना की जानकारी लेने के लिए B.D.O के कक्ष में गयी थी की उसके साथ यह घटना घटी। जहां पीड़िता अभी महिला वार्ड में भर्ती है वहीँ उसके पति पुरुष वार्ड में भर्ती हैं। पति पिंटू पासवान इस घटना को लेकर  तफसील से बताते हुए कहते हैं की जब वे अपनी पत्नी को शोर करते हुए सुने तो वे भागकर B.D.O के कक्ष में में गए और अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश करने लगे।इसको लेकर वहाँ मौजूद कर्मचारी और खुद B.D.O ने उनकी भरपूर पिटाई की। सहरसा टाईम्स से इन्साफ दिलाने की लगातार गुहार लगा रहे है ।
आरोपी B.D.O केशव कुमार खुद को पूरी तरह से न केवल बेकसूर बता रहे हैं बल्कि इस मामले की निष्पक्ष जांच किये जाने की मांग भी कर रहे हैं।इनकी मानें तो घटना का जो समय बताया जा रहा है उस समय वे अपने कक्ष की जगह अन्य प्रखंडकर्मियों के साथ बरामदे पर खड़े थे।इनकी मानें तो जिनलोगों ने उनपर आरोप लगाए हैं वे उस वक्त खुद उन्हें धमकी देकर गए थे।
सहरसा एस.पी अजीत सत्यार्थी
इस मामले को लेकर सहरसा एस.पी अजीत सत्यार्थी का कहना है की B.D.O के खिलाफ मामला तो दर्ज जरुर किया गया है लेकिन आगे आरोपों की सत्यता के लिय्रे सघन जांच होगी।अगर B.D.O दोषी पाए गए तो उनपर कठोर कारवाई होगी।  आगे पुलिस की जांच में जो भी सच निकलकर सामने आये लेकिन अभी दलित महिला जनप्रतिनिधि के द्वारा लगाए गए आरोपों से पूरा प्रशासनिक अमला हिला हुआ है।एक रंगीन मिजाज B.D.O की यह कारस्तानी है,या फिर यह किसी गहरी साजिश का हिस्सा है।इसे आगे जानना और देखना दिलचस्प होगा।अगर आरोप सही हैं तो  B.D.O पर कठोर कारवाई की जानी चाहिए।अगर आरोप बेबुनियाद और साजिश है तो साजिशकर्ताओं को बेनकाब करते हुए उन्हें छट्ठी का दूध याद दिलाना चाहिए।

आई.जी ने की समीक्षा बैठक

दरभंगा प्रक्षेत्र के आई.जी जितेन्द्र सिंह गंगवार ने कोसी प्रमंडल के पुलिस अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक
रिपोर्ट सहरसा टाईम्स : लम्बे अरसे के बाद  सहरसा एस.पी अजीत कुमार सत्यार्थी के कक्ष में दरभंगा प्रक्षेत्र के आई.जी J.S.गंगवार ने कोसी प्रमंडल के पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक के दौरान आई.जी ने कोसी प्रमंडल के सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले के एस.पी सहित तमाम बड़े अधिकारियों को बेहतर पुलिसिंग के लिए ना केवल शख्त निर्देश दिए बल्कि अपराधी और जनता के बीच के फर्क को समझने की नसीहत भी दी।
दरभंगा प्रक्षेत्र के आई.जी J.S.गंगवार
सहरसा टाईम्स से खास बातचीत में आई.जी गंगवार ने कहा की अपराध नियंत्रण और विधि--व्यवस्था के लिए विशेष रणनीति बनायी गयी है। जिले के अन्दर नए वैज्ञानिक तरीके से सुचना तंत्र को विकसित करने के साथ--साथ चौकीदारों को नए सिरे से ट्रेनिंग दी जायेगी। विभिन्य कांडों के अनुसंधान और लंबित कांडों का त्वरित निष्पादन होगा। कोसी के दियारा इलाके में बोट पेट्रोलिंग को मजबूत किया जाएगा।
नक्सल और आतंकी गतिविधि पर विशेष रूप से नजर रखने के लिए तीनों जिले के एस.पी को उन्होनें अलग से निर्देश दिए है। जिले के सभी थानों के लिए अच्छे भवनों के निर्माण के साथ--साथ अत्याधुनिक संसाधन से उसे लैस किया जाएगा। समीक्षा बैठक में कोसी प्रमंडल के डी.आई.जी संजय कुमार सिंह,सुपौल के एस.पी विनोद कुमार मधेपुरा के एस.पी सौरभ कुमार साह और सहरसा के एस.पी अजीत कुमार सहित तीनों जिले के एस.डी पी.ओ और कुछ अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। आई.जी के इस दौरे से प्रमंडल के तमाम पुलिस अधिकारी तत्काल काफी उत्साहित दिखे लेकिन इस समीक्षा बैठक का कितना सुखद और प्रभावशाली फलाफल आयेगा,यह तो आन वाला वक्त ही बतायेगा।
 

बच्चों का हंगामा

 दो स्कूल के बच्चों ने एक साथ मिलकर जिला समाहरणालय पर किया हंगामा
रिपोर्ट सहरसा टाईम्स: बीते  दोपहर बाद करीब एक बजे पोशाक राशि और छात्रवृति नहीं मिलने से बौखलाए दो स्कूल के मासूम बच्चों ने एक साथ मिलकर जिला समाहरणालय पर जमकर हंगामा किया।समाहरणालय गेट पर बच्चे और बच्चियों का सैलाब उमड़ा था जिसने यहाँ पर घंटों न केवल बबाल काटे बल्कि स्कूल के हेडमास्टर और कुछ अन्य शिक्षकों पर स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की जगह शराब पीने का गंभीर आरोप भी लगाया।शिक्षा के मंदिर में गबन और अन्य कल्याणकारी योजनाओं में लूट की बात तो अब पुरानी बात हो गयी है लेकिन भविष्य संवारने वाले इस मंदिर में गुरुजनों द्वारा मदिरा---शराब पिए जाने की बात ने रूह तक को सिहरा कर रख दिया है।हांलांकि प्रशासन के वरीय अधिकारी ने सहरसा टाईम्स को इस पुरे मामले की जांच कर उचित कारवाई का भरोसा दिलाया है।
बच्चों की यह सुनामी जिला समाहरणालय पर आई है।ये सारे बच्चे सदर थाना क्षेत्र के गंगजला मध्य विद्यालय और डोमन लाल साह मध्य विद्यालय, महावीर चौक के हैं। इन बच्चों को ना तो छात्रवृति मिली है और ना ही इन्हें पोशाक राशि ही मिली है।बच्चे अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बगावत का विगुल फूंक चुके हैं,यह तस्वीर उसी की बानगी है। समाहरणालय पर हंगामा कर रहे सागर कुमार,विपीन कुमार,सोनी,जन्नती,मोहम्मद कैफ,मोहम्मद सफी,मोहम्मद जाहिद सहित ये तमाम बच्चे स्कुल के हेडमास्टर और स्कूल के कुछ अन्य शिक्षकों पर स्कूल में बैठकर शराब पीने का गंभीर आरोप लगा रहे हैं।बच्चों के इस आरोप ने तंत्र को पूरी तरह से कटघरे में खड़ा कर दिया है।इन बच्चों को सुनकर ऐसा लग रहा था की शिक्षा के मंदिर को आज किसी दानव की काली नजर लग गयी है। बच्चों को अधिकारियों ने खासी मशक्कत के बाद शांत कराने में सफलता पायी।
ए.डी.एम सतीश चन्द्र झा
इस पुरे मामले को लेकर हमने पहले सहरसा के डी.एम मिसबाह बारी से जबाब--तलब करना चाहा लेकिन वे किसी काम की वजह से जिला के किसी ग्रामीण क्षेत्र में थे। ऐसे में हमने ए.डी.एम सतीश चन्द्र झा से जबाब--तलब किया।पोशाक और छात्रवृति को लेकर इनका कहना था की सरकार के द्वारा स्कूल में बच्चों को 75 प्रतिशत उपस्थिति के बाद ही अब इस योजना का लाभ मिल सकेगा।अब जिन बच्चों ने स्कूल में आवश्यक उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है,उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इनकी नजर में ये हंगामा वही बच्चे कर रहे हैं।हमारे द्वारा यह पूछे जाने पर की बच्चे अपने गुरु पर स्कूल में शराब पीने का अति गंभीर आरोप लगा रहे हैं के जबाब में इन्होनें कहा की जिला से लेकर प्रखंड तक कई बड़े अधिकारियों का सप्ताह के अलग--अलग दिन जनता दरबार लगता है।ऐसी शिकायत अभीतक वहाँ नहीं पहुंची थी।अब मुझसे उन्हें जानकारी मिली है तो वे इसकी जांच अनुमंडल अधिकारी से करवाएंगे।एक बजे दिन से हंगामा चार बजे शाम तक समाहरणालय पर बदस्तूर चलता रहा।
बिहार के अन्य जिलों की तरह सहरसा जिले में भी बच्चों की पोशाक और छात्रवृति योजना स्कूल में बच्चों की 75 प्रतिशत उपस्थिति के नए नियम की वजह से शिक्षा विभाग से लेकर पुलिस---प्रशासन के अधिकारियों के गले की फांस बनती जा रही है।यहाँ पर यह माजरा तो है ही।इससे इतर गुरुजनों के द्वारा रोजाना स्कूल में बैठकर मदिरापान करने की बात ने अलग से एक नयी और बड़ी मुसीबत को सामने लाकर खड़ा कर दिया है।आगे देखना दिलचस्प होगा की इस पुरे मामले में आलाधिकारी किस तरह से संज्ञान लेकर जांच और कारवाई करते हैं।

जनवरी 29, 2013

झोला काटकर डेढ़ लाख उडाये



बीते दोपहर करीब बारह बजे सदर थाना के अति व्यस्ततम डी.बी.रोड स्थित स्टेट बैंक की बाजार शाखा में मस्ताना बीड़ी सप्लाई डीपो के एक कर्मचारी के झोले को उचक्कों ने बड़े नाटकीय अंदाज में काटकर डेढ़ लाख रूपये उड़ा लिए।पीड़ित कर्मचारी बैंक में रूपये जमा करने के लिए कतार में खड़ा था और जैसे ही उसकी बारी आई और उसने थैले से रुपया निकालना चाहा की उसके पाँव के नीचे की जमीन ही खिसक गयी।उचक्कों ने थैले को बारीकी से काटकर सारे रूपये उड़ा लिए थे।इस घटना को लेकर पीड़ित ने सदर थाने में काण्ड दर्ज करा दिया है।पुलिस अधीक्षक इस घटना के बाबत कहते हैं की बैंक में लगे सी.सी टी.वी कैमरे की मदद से अपराधी को दबोचा जाएगा।
इस घटना को लेकर सहरसा पुलिस कप्तान अजीत सत्यार्थी का कहना है की घटना की उन्हें  जानकारी मिली है।बैंक के सी.सी टी.वी फुटेज को देखकर अपराधी को दबोचा जाएगा।हमारे यह पूछने पर की इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं जिसमें पुलिस के हाथ अबतक खाली हैं को लेकर उनका जबाब था की अभीतक कई मामलों का उद्द्भेदन हो चुका है,पुलिस इस मामले का भी उद्द्भेदन करेगी।
पुलिस के कुछ अधिकारी पीड़ित कर्मचारी को लेकर हमारे साथ ही बैंक भी गए और एक तरह से हमारे सामने ही तहकीकात शुरू करने का फौड़ी दृश्य भी हमें दिखाया।लेकिन आगे इस तामझाम के क्या परिणाम निकलेंगे,फिलवक्त उसपर शब्द देना अभी जल्दबाजी होगी।
पुलिस के पिछले रेकॉर्ड को देखकर यह लगता है की अपराध का महज एक और मामला बढ़ा है।पुलिस की जांच आगे चलती रहेगी लेकिन इस घटना में शामिल अपराधी दबोचे जा सकेंगे,यह कहना नामुमकिन है।आंकड़े गवाह हैं की सहरसा पुलिस हर मोर्चे पर पूरी तरह से न केवल विफल है बल्कि अपराधियों के सामने घुटने टेकती दिख रही है।आगे रब जाने।

जनवरी 27, 2013

हनीमून किडनेपिंग


मुकेश कुमार सिंह की कलम से----------कोसी क्षेत्र में लड़कियों के अपहरण मामले में भारी इजाफा का दौर बदस्तूर जारी है।लड़कियों के अपहरण के पीछे यूँ तो कई कारण हैं लेकिन हालिया खुलासे से पता चलता है की ज्यादातर अपहरण प्रेम--प्रसंग में ही होते हैं।सहरसा में प्रत्येक माह सात फेरों के लिए औसतन सात लड़कियों का अपहरण हो रहा है।आकड़ों पर गौर करें तो सहरसा में वर्ष 2011 में लड़कियों के अपहरण के 55 मामले प्रतिवेदित हुए वहीं यह आकड़ा जनवरी से दिसंबर वर्ष 2012 में बढ़कर 94 तक पहुँच गया है जो न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि लड़के एवं लड़कियों के द्वारा घर बसाने का यह अंदाज पुलिस--प्रशासन के नाकों में भी दम कर रखा है।इस अपहरण की घटना को एक ओर कानूनविद एवं बुद्धिजीवी इसे भारतीय समाज के ताना-बाना के ठीक विपरीत बता रहे हैं तो दूसरी और ऐसे वारदातों के लिए दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति,संचार तकनीक का दुरूपयोग संस्कृति का पश्चिमीकरण एवं परिवार का गैर जिम्मेवाराना रवैया को वजह बता रहे हैं।समाजशास्त्रियों ने इसे एक साजिश के तहद लड़कियों का व्यापक पैमाने पर ट्रेफिकिंग कर देह व्यापार जगत में बेचने की बात कह इसकी गंभीरता को और बढ़ा दी है।वजह जो भी हो लेकिन आज की तारीख में हनीमून किडनेपिंग एक बड़ी सामाजिक समस्या बन कर उभर रही है जो सभ्य समाज के लिए कहीं से भी शुभ सन्देश नहीं है।
ये दृश्य है सहरसा जिले के विभिन्न क्षेत्रों से शादी की नीयत से अगवा की गयी विभिन्य लड़कियों का जिसने प्यार की पींगें बढाकर न घर और मर्यादा की दीवारें गिरायीं बल्कि ब्याह रचाकर अपने सामाजिक जीवन का शंखनाद भी कर दिया।
आप खुद इन प्रेमी युगल जोड़ो को देख कर अंदाजा लगा सकते हैं की इनका निर्णय कितना गंभीर है।हो सकता है इनका इरादा पवित्र हो,घर बसाने और नयी दुनिया आबाद करने का हो,बावजूद इसके हम कह सकते है कि ये जल्दबाजी में और बिना सोचे समझे लिया गया निर्णय है।किशोर--किशोरी का ये भटकाव न केवल कानून को परेशान करने वाला है बल्कि दो परिवारों को भी तबाह करने वाला है।साथ ही ऐसे कृत्य निश्चित तौर पर समाज पर भी दूरगामी प्रभाव डालते हैं।
प्रोफ़ेसर डॉ रेणु सिंह
इस तरह की शादियों के बुरे हस्र को भी हमने बदस्तूर देखा है।बाबजूद इसके घर की मेड़,घर के संस्कार और बेड़ियाँ इतनी कमजोर हैं की लडकियां मौक़ा पाते ही घर से भाग निकलती हैं।बुद्धिजीवी इसे भारतीय समाज के ताना-बाना के विपरीत तो बता ही रहे हैं,साथ ही ऐसे वारदातों के लिए दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति,संचार तकनीक का दुरूपयोग संस्कृति का पश्चिमीकरण एवं परिवार का गैर जिम्मेवाराना रवैया को भी ये वजह बता रहे हैं।कानूनविद इसे हर दृष्टिकोण से बस कानूनन जुर्म बता रहे हैं।हमने सामाजिक विषयों पर पकड़ रखने वाली एक विद्वान् महिला प्रोफ़ेसर डॉ रेणु सिंह,प्राचार्या,आर.एम कॉलेज,सहरसा और सहरसा व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अमरनाथ ठाकुर से इस विषय पर लम्बी बातचीत की।
वहीं इन सब से अलग समाजशास्त्रियों ने लड़कियों के अपहरण में भारी इजाफा की वजह व्यापक पैमाने पर वेश्यावृति के मकसद से बड़े शहरों की देह मंडी में इन लड़कियों को बेचना बताया।हम सहरसा के नामचीन समाजशास्त्री डॉ विनय कुमार चौधरी की मानें तो समूचे देश में लड़कियों का बाज़ार एक उद्योग का रूप ले चूका है और इसके माध्यम से सालाना पचहत्तर सौ करोड़ का व्यापार देश के भीतर हो रहा है।
इनके आकड़ो को देखे तो प्रत्येक वर्ष नेपाल से 7000,पूर्वोत्तर से 3000एवं भारत से 80,000 लड़कियाँ अपहृत होती है जिसे वेश्यावृति के धंधे में लगाया जाता है।इनके अनुसार 7वर्ष से लेकर 13वर्ष की लड़कियाँ का डिमांड अपने देश में ज्यादा है।इसके अलावे यहाँ से इन लड़कियों को विदेशो में यानि अरब के देशों में भी बेचे जाने की बातें सामने आ रही हैं।इन्होने बताया की 2011 में समूचे देश से 80000लड़कियाँ का अपहरण हुआ है जिसका पता लगाने में पुलिस आज तक असफल रही है।
कोशी क्षेत्र में लड़कियों के अपहरण में भारी इजाफा हुआ है।खास कर सहरसा में हुए वारदातों को देखें तो संख्यां चौकाने वाला है।दरअसल भौगौलिक दृष्टिकोण से यह इलाका काफी दुरुह है।प्रत्येक वर्ष प्राकृतिक आपदा झेलना यहाँ की नियति है।परिणाम है की यहाँ गरीबी ,बेकारी अपने चरम पर है। ऐसे में लोगों को अपना पेट पालना तो दूर बच्चों की उचित परवरिश करना एक कठिन समस्या बन गई है और इसी का नाजायज फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं।यदि आंकड़ो पर गौर करें तो कोशी क्षेत्र के मात्र एक जिला सहरसा का आकंडा ही ऐसी घटनाओं की बेतहाशा वृद्धि को साबित करता है।यह तो सरकारी आकंडा है।लेकिन कई ऐसे मामले हैं जो थाना तक पहुँचते ही नहीं हैं।यदि उसे जोड़ दिया जाय तो वह संख्यां बेहद चौकाने वाला होगा।
        पुलिस अधीक्षक
अजीत कुमार 'सत्यार्थी
इस बाबत हमने पुलिस प्रशासन से भी बातें की.इस पुरे प्रकरण पर सहरसा पुलिस अधीक्षक अजीत कुमार 'सत्यार्थी का कहना है की ज्यादातर अपहरण के मामले जो आज के समय में विभिन्य थानों में दर्ज हो रहे हैं वे प्रेम--प्रसंग से जुड़े हैं।वैसे कोसी कछार के इस इलाके के पर मानव तस्करों की भी गिद्ध दृष्टि लगी रहती है जिससे लड़कियों के खरीद--फरोख्त से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।वैसे इस तरह के मामले की वजह से पुलिस का बहुत समय व्यर्थ में चला जाता है जिससे अपराध नियंत्रण में खासी दिक्कत होती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अमरनाथ ठाकुर
इन वारदातों की बावत हमने पुलिस प्रशासन के साथ साथ कानूनविद ,बुद्धिजीवी एवं  समाजशास्त्रियों की भी राय लेने का प्रयास किया।सभी ने अपने--अपने अनुरूप विचार दिए,पर इससे इतर भारतीय सभ्यता व् संस्कृति की नीव निसंदेह ठोस है।आज भी यहाँ की सभ्यता संस्कृति का लोग विदेशों में भी मिसाल देते है।लेकिन संयुक्त परिवार का बिखराव,टी वी ,सिनेमा ,मोबाइल ,पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव के कारण युवा वर्ग में जरुर भटकाव आया है।लेकिन ये लाइलाज नहीं है।ऐसे में जरुरत है परिवार,माता--पिता को जिम्मेवार रवैया अपनाने की।जिससे वो अपनी जिम्मेवारी को समझें और किसी भी प्रकार के प्रलोभन में पड़े वगैर किसी के चंगुल में फंसने से खुद को बचाएं।आखिर में हम यह कहना चाहते हैं की इस हनीमून किडनेपिंग के परिणाम कुछ मामलों को छोड़ दें तो ज्यादातर काफी बुरे आते हैं।बहुतेरे ऐसे मामले भी सामने आये हैं जिसमें ब्याह के लिए घर से भागी लड़कियों के आशिक ने उसे देह मंदी में बेच डाला है।तब अफ़सोस भी हो तो उससे कुछ भी हासिल होने से तो रहा। 

सहरसा टाईम्स की पहल के बाद उठी लाश

सहरसा टाईम्स:  सहरसा टाईम्स सिर्फ खबरें नहीं लिखता--बनाता बल्कि मानवीय संवेदना के साथ अपनी सामाजिक और अन्य जिम्मेवारी भी सिद्दत के साथ निभाता है।आज हम उसी की बानगी से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।बताना लाजिमी है की 25 जनवरी की शाम करीब आठ बजे सदर थाना के बेंगहा गाँव में एक तेज रफ़्तार मैक्सी ने एक 65 वर्षीय बुजुर्ग को बुरी तरह से कुचल डाला जिससे तत्काल मौके पर ही बुजुर्ग की मौत हो गयी।दुर्घटना के बाद मैक्सी का चालक गाड़ी छोड़ कर फरार हो गया।घटना की सुचना के बाद पुलिस--प्रशासन के कई अधिकारी बीती रात ही घटनास्थल पर पहुंचकर लाश को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हुए। आज अहले सुबह से ही ग्रामीणों ने लाश के साथ सड़क को जाम कर दिया और मुआवजे की मांग करने लगे।मौके पर दिन भर अधिकारियों का आना--जाना लगा रहा लेकिन आहत लोग अपनी मांग पर डटे रहे।आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे की लोग मौके पर सहरसा टाईम्स को देखना और उसकी पहल चाहते थे। आज 26 जनवरी की शाम साढ़े चार बजे सहरसा टाईम्स जब ग्रामीणों के बीच पहुंचा तब लोगों ने सहरसा टाईम्स की पहल और उसके दिए भरोसे के बाद लाश को वहाँ से उठने दिया।जिला प्रशासन ने सहरसा टाईम्स से पारिवारिक लाभ के बीस हजार रूपये,कबीर अन्तियेष्ठी के डेढ़ हजार रूपये सोमवार को पीड़ित के परिजन को देने का वायदा किया,साथ ही उन्होनें गाड़ी मालिक और इंश्योरेंस कंपनी से भी उचित मुआवजा दिलाने का भरोसा दिलाया।
सदर थाना के थानाध्यक्ष सह सदर इन्स्पेक्टर सूर्यकांत चौबे इस बात को खुद बता रहे हैं की लोग लाश को कल से ही उठने नहीं दे रहे हैं।इनलोगों को मुआवजा चाहिए। यह कह रहे हैं की ये लोग फोटो खिंचवाने का इन्तजार कर रहे थे।अब हमारे द्वारा फोटो खिंचवा लिया तो लाश को वे जाने दे रहे हैं।इन्स्पेक्टर साहब का यह बयान जहां सहरसा टाईम्स की पहल को प्रमाणित कर रहा है वहीँ पुलिस--प्रशासन पर अब लोगों का भरोसा नहीं रहा इसकी चुगली भी कर रहा है।
सहरसा टाईम्स सिर्फ खबरें नहीं लिखता--बनाता है बल्कि हर तरह के अपने दायित्व और कर्तव्य को भी बाखूबी निभाता है।हम हर वक्त लोगों की इन्साफ की लड़ाई में उनके साथ तबतक खड़े मिलेंगे जबतक उनको पूरा का पूरा इन्साफ नहीं मिल जाता है।

जनवरी 26, 2013

गणतंत्र दिवस पर एतिहासिक सद्दभावना रैली

मुकेश कुमार सिंह-- आपाधापी और अंधदौड़ में आज जहां पुरे देश में गणतंत्र दिवस और सवतंत्रता दिवस को बस एक दिनी सरकारी कार्यक्रम के तौर पर मनाकर देश और राज्य के कर्णधार अपनी--अपनी पीठ खुद से थपथपा लेते हैं वहीँ सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर जैसे कस्बाई इलाके के मासूम नौनिहालों ने  पूर्वांचल युवा मंच के बैनर तले एतिहासिक सद्दभावना रैली निकालकर देश और समाज के सामने एक नजीर पेश किया है।
इस रैली का मुख्य प्रयोजन यह था की मजहब और जाति जैसी हीन भावना से ऊपर उठकर जहां सिर्फ अपने देश और राज्य के हित के लिए सोचें वहीँ इस राष्ट्रीय महापर्व को एक दिनी सरकारी कार्यक्रम के तौर पर मनाकर अपने महान देश का अपमान न करें।सिमरी बख्तियारपुर मुख्यालय स्थित हाई स्कूल से निकला यह सद्दभावना कारवां लगभग पांच किलोमीटर की यात्रा तय करके चकभारो गाँव स्थित महंथ नारायण दास उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंचा जहा रैली के संयोजक ने बच्चों की रैली से तब्दील हुयी महती सभा को संबोधित किया।इस मौके पर बच्चों ने अपने दिल की बात जुबां पर लायी तो देश के बड़े--बड़े सूरमाओं पर यक--ब--यक हमें खूब तरस आया।पूरी रैली को पहले दिल की नजर से देखिये फिर महती मजमे को देखिये।
 कार्यक्रम के संयोजक रितेश रंजन
पूर्वांचल युवा मंच के बैनर तले निकला बच्चों का पावन और बेशकीमती सन्देश देने वाला यह कारवां निश्चित रूप से ना केवल एतिहासिक भर था बल्कि देश के हुक्मरानों से लेकर जिम्मेदार लोगों के लिए नींद से जागने का पैगाम भी था।यह सद्दभावना रैली एक सामाजिक संगठन के द्वारा आयोजित की गयी रैली थी जिसकी एक और खासियत यह थी की इस रैली में एक तरफ जहां मजहब और जाति का कोई बंधन नहीं था वहीँ बच्चों की महती सभा को संबोधित करने के लिए सत्ताधारी दल के नेताओं के साथ--साथ राजद,कौंग्रेस और लोजपा सहित कई और दल के नेता भी मौजूद थे।इस मौके पर इस कार्यक्रम के संयोजक रितेश रंजन और इस संगठन से जुड़े मीर रिजवान आदि खुलकर कार्यक्रम को लेकर बता रहे हैं।
सद्दभावना को लेकर ऐसी तस्वीर एक तो बहुत कम ही देखने को मिलती है और जब दिखती है तो रूह तक को हिला और जमीर को सिद्दत से झंकझोर जाती है।बच्चों की यह सद्दभावना साईकिल रैली निश्चित रूप से देश के सभी क्षेत्र के लोगों के लिए एक नजीर है।देश के इस महापर्व को हल्के में मना भर देना कहीं से भी जायज नहीं है।बच्चों ने इस रैली के माध्यम से समाज की आँख खोलने की पुरजोर कोशिश की है।

64 वें गणतंत्र पर लहराया तिरंगा

सहरसा टाईम्स-------देश के 64 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर आज सुबह के नौ बजे सहरसा स्टेडियम में सूबे के अनुसूचित जाति--जनजाति सह सहरसा जिले के बीस सूत्री प्रभारी मंत्री जीतन राम मांझी ने झंडोत्तोलन किया।इस मौके पर कोसी प्रमंडल के आयुक्त विमलानंद झा,डी.आई.जी संजय कुमार सिंह,डी.एम मिसबाह बारी,एस.पी अजीत सत्यार्थी सहित जिले के कई अन्य वरीय प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने गणतंत्र के लहराते परचम को सलामी दी।कार्यक्रम की शुरुआत में मंत्री जीतन राम मांझी ने पहले जीप से पुरे मैदान में घुमकर पैरेड का निरीक्षण किया।इस राष्ट्रीय महापर्व के मौके पर जीतन राम मांझी ने अपने भाषण में कहा की आज भ्रष्टाचार और मंहगाई सबसे बड़ी चुनौती है।राज्य विकास की रोज नयी ईबारत लिख रहा है लेकिन अभी सरकार को कई मोर्चे पर और काम करने हैं जिसमें वे सभी दिन--रात लगे हुए हैं।
मंत्री ने लोगों से समाज में प्रेम,भाईचारा और सहयोग बनाए रखने की अपील करते हुए कहा की देश के भीतर और बाहर दोनों जगह आतंकियों का खतरा अपने परवान पर है।ऐसे में हम सभी को मिलकर ऐसी नापाक ताकतों को मुंहतोड़ जबाब देना है।गणतंत्र दिवस के मौके पर जिले के विभिन्य विभागों के द्वारा कई रंगारंग झांकियां भी निकाली गयी।सार्जेंट मेजर रामनरेश पांडे ने पैरेड का नेतृत्व किया।बताते चलें के जिला से लेकर पंचायत और गाँव स्तर पर झंडोत्तोलन कर सरकारी से लेकर आमलोगों ने जमकर जश्न मनाये।सच में आज का दिन राष्ट्रीय महापर्व का दिन है जो हमें पोर--पोर  आजाद भारत का अहसास कराता है।

अस्पताल का एक और बेशर्म सच

मुकेश कुमार सिंह :  कोसी के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल सहरसा में गरीब मरीजों के साथ इनदिनों खुलकर खिलवाड़ हो रहा है.दूर--दराज इलाके से अपनी गाढ़ी कमाई खर्च करके मुफ्त चिकित्सा के प्रलोभन में गरीब मरीज इस अस्पताल में आते तो हैं लेकिन उनका इलाज नहीं हो पाता है.सुबह आठ बजे से ही अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर घंटों चिकित्सक के आने की बाट जोहना और फिर बिना इलाज कराये ही लौट जाना इनकी नियति बन गयी है.
इस अस्पताल का OPD आठ बजे से दोपहर के बारह बजे तक और शाम चार बजे से छह बजे तक चलता है.लेकिन सहरसा टाइम्स  आज खुलासा करने जा रहा है की ग्यारह बजे तक मरीज यत्र--तत्र पड़े हैं लेकिन डॉक्टर साहब नहीं आये हैं.यानि यहाँ प़र मरीजों के रजिस्ट्रेशन में जितनी तेजी दिखाई जाती है उतना गंभीर इन मरीजों के इलाज के लिए यहाँ प़र कोई नहीं है.हद की इंतहा है की रोजाना पांच--छह सौ से ज्यादा मरीजों के यहाँ रजिस्ट्रेशन होते हैं लेकिन मरीजों का इलाज पूरी तरह से नदारद है अगर किसी मरीज का इलाज हुआ तो उसे यहाँ पर दवा मिलनी मुश्किल है.आलम यह है की गरीब मरीज बाहर से दवा खरीदने को मजबूर हैं.सबसे खास बात तो यह है की अस्पताल परिसर में ही एक प्राईवेट दवा दूकान भी वर्षों से अवस्थित है जहां से मरीज दवा खरीद रहे हैं.
देखिये यह है सदर अस्पताल का OPD.दूर--दराज इलाके से आये गरीब मरीजों का यहाँ प़र तांता लगा हुआ है.सुबह आठ बजे से दिन के बारह बजे तक मरीजों को विभिन्य विभागों के डॉक्टर के द्वारा यहाँ प़र देखने का प्रावधान है.दिन के दस बजे सहरसा टाइम्स  यहाँ पहुँचता है तो यहाँ का आलम ही कुछ और है.यहाँ के ज्यादातर विभाग या तो बन्द पड़े हैं,या जो खुले हुए हैं तो उस विभाग में डॉक्टर ही नहीं हैं.
डॉक्टर साहब की खाली कुर्सी बस मरीजों को मुंह चिढा रही है.लेकिन इससे इतर यहाँ प़र मरीजों का धड़ाधड़ रजिस्ट्रेशन हो रहा है.सुबह आठ बजे से ही यहाँ प़र मरीजों की भीड़ जमा है लेकिन किसी भी मरीज का यहाँ प़र इलाज नहीं हो रहा है.सहरसा टाइम्स  यहाँ प़र ग्यारह बजे तक मौजूद रहा लेकिन इस दौरान एक भी डॉक्टर यहाँ नहीं आये और जाहिर सी बात है की किसी भी मरीज का इलाज नहीं हुआ.मरीज और उनके परिजन यहाँ बस त्राहिमाम कर रहे हैं.हद बात तो यह है की कई मरीज पिछले कई दिनों से यहाँ आ रहे हैं।उन्होनें पुर्जा भी कटा रखा है लेकिन उनका यहाँ पर इलाज नहीं हो रहा है।दिलीप कुमार,कमल किशोर पोद्दार,भूषण साह,कंचनदेवी,रेखा देवी जैसे कई मरीज के परिजन हैं जो अपनी व्यथा सूना रहे हैं. 
 ग्यारह बजे तक डॉक्टर साहब का कोई अता--पता नहीं है लेकिन मरीजों का रजिस्ट्रेशन यहाँ प़र धड़ाधड़ हो रहे हैं.दो स्वास्थ्यकर्मी बड़ी तन्मयता से दो रूपये लेकर रजिस्ट्रेशन करने में जुटे हुए हैं.पूछने प़र ये कहते हैं की इनका काम बस रजिस्ट्रेशन करना है.बहुत बातें अस्पताल के उपाधीक्षक ही बता पायेंगे.हमने इनको बहुत कुरेदा तो इनका कहना हुआ की डॉक्टर साहब जरुर आयेंगे और मरीजों को जरुर देखेंगे भी.अब डॉक्टर साहब पर निर्भर है की वे कब आयेंगे और कितने मरीजों को देख पायेंगे.
अब ज़रा इस तस्वीर को देखिये.अस्पताल परिसर में वर्षों से चलने वाला यह प्राईवेट दवाखाना है.इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को अक्सर इसी दूकान से दवा खरीदनी पड़ती है.एक तरफ सरकार कहती है की अस्पताल में दवा का अकूत भण्डार है जहां गरीब मरीजों को मुफ्त में दवा मिलेगी लेकिन यहाँ आकर गरीब मरीज ठगे जा रहे हैं.मरीज के परिजन खुलकर बता रहे हैं की वे प्राईवेट से दवा खरीदने को विवश हैं.मरीज के परिजन तो यह भी कह रहे हैं की यहाँ के डॉक्टर खुद उन्हें अपने क्लिनिक पर यह कहकर बुलाते हैं की यहाँ बेहतर इंतजाम नहीं है,आप मरीज को लेकर हमारी क्लिनिक पर चलिए.जहांतक दवा दुकानदार का सवाल है तो उसका कहना है की जो आवश्यक दवा अस्पताल में नहीं होती है उसी को लेने के लिए मरीज के परिजन यहाँ आते हैं.
इस अस्पताल में कोसी प्रमंडल के सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले की अलावे कोसी तटबंध के भीतर सीमावर्ती दरभंगा जिले के लोगों के साथ-साथ नेपाल इलाके से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं.
सामजिक कार्यकर्ता प्रवीण  आनंद
इस अस्पताल की दुर्दशा को लेकर हमने समाजसेवी को भी टटोलना चाहा.सामजिक कार्यकर्ता प्रवीण  आनंद कहना है की इस अस्पताल में मरीजों के पुर्जे खूब कटते हैं लेकिन उनका इलाज यहाँ पर नहीं हो पाता है.पुर्जे लेकर लोग इधर--उधर भटकते हुए वापिस लौट जाते हैं.इस अस्पताल से मरीज भाग भी जाते हैं.यहाँ पर डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी की घोर किल्लत है.सरकार विज्ञापन से खुद को न चमकाए बल्कि जमीनी सच से रूबरू होकर समस्या का निदान करे.समाजसेवी इस अस्पताल के साथ--साथ इस विभाग के मंत्री को भी बीमार बता रहे हैं.बाहरी दवा लिखे जाने को लेकर इनका कहना है की कोसी इलाके को ध्यान में रखकर सरकार दवा की खरीददारी ही नहीं करती है.ऐसी दवाएं यहाँ ट्रकों पर लादकर भेजी जाती हैं जिसका यहाँ अधिक जरुरत ही नहीं है.नतीजा यह होता है की एक तरफ जहां ऐसी दवाएं एक्सपायर हो जाती है वहीँ दूसरी तरफ मरीजों को बाहर की दवा खरीदनी पड़ती है.इनके दो अलग--अलग बयान हैं.दोनों को ध्यान से सुन लें.
सिविल सर्जन भोला नाथ झा
हमने इस पुरे मसले को लेकर सहरसा के सिविल सर्जन सह चीफ मेडिकल ऑफिसर भोला नाथ झा से जबाब--तलब किया.इनकी मानें तो मरीजों को देखने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है.ये बिल्कुल सफ़ेद झूठ बोलकर यह जता रहे हैं की इतने भारी मात्रा में मरीजों के पुर्जे कट रहे हैं जो उनके इलाज किये जाने का प्रमाणपत्र है.अस्पताल परिसर में प्राईवेट दवाखाना को लेकर इनका कहना है पिछले सिविल सर्जन आजाद हिन्द प्रसाद और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से वह दवाखाना खोला गया था.वे इसपर कोई टिपण्णी करना चाहते.
सरकार बेहतर स्वास्थ्य इंतजामात की चाहे जितनी डींगें हांक ले लेकिन सरजमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है.बड़ा सच है की गरीब सदियों से खेलने और इस्तेमाल की वस्तु बनकर रह गए हैं.हर जगह यही गरीब ठगे और छले जा रहे हैं.सियासत भी इन्हीं गरीबों प़र और हकमारी भी इन्ही गरीबों की.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।