जनवरी 26, 2013

गणतंत्र दिवस पर एतिहासिक सद्दभावना रैली

मुकेश कुमार सिंह-- आपाधापी और अंधदौड़ में आज जहां पुरे देश में गणतंत्र दिवस और सवतंत्रता दिवस को बस एक दिनी सरकारी कार्यक्रम के तौर पर मनाकर देश और राज्य के कर्णधार अपनी--अपनी पीठ खुद से थपथपा लेते हैं वहीँ सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर जैसे कस्बाई इलाके के मासूम नौनिहालों ने  पूर्वांचल युवा मंच के बैनर तले एतिहासिक सद्दभावना रैली निकालकर देश और समाज के सामने एक नजीर पेश किया है।
इस रैली का मुख्य प्रयोजन यह था की मजहब और जाति जैसी हीन भावना से ऊपर उठकर जहां सिर्फ अपने देश और राज्य के हित के लिए सोचें वहीँ इस राष्ट्रीय महापर्व को एक दिनी सरकारी कार्यक्रम के तौर पर मनाकर अपने महान देश का अपमान न करें।सिमरी बख्तियारपुर मुख्यालय स्थित हाई स्कूल से निकला यह सद्दभावना कारवां लगभग पांच किलोमीटर की यात्रा तय करके चकभारो गाँव स्थित महंथ नारायण दास उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंचा जहा रैली के संयोजक ने बच्चों की रैली से तब्दील हुयी महती सभा को संबोधित किया।इस मौके पर बच्चों ने अपने दिल की बात जुबां पर लायी तो देश के बड़े--बड़े सूरमाओं पर यक--ब--यक हमें खूब तरस आया।पूरी रैली को पहले दिल की नजर से देखिये फिर महती मजमे को देखिये।
 कार्यक्रम के संयोजक रितेश रंजन
पूर्वांचल युवा मंच के बैनर तले निकला बच्चों का पावन और बेशकीमती सन्देश देने वाला यह कारवां निश्चित रूप से ना केवल एतिहासिक भर था बल्कि देश के हुक्मरानों से लेकर जिम्मेदार लोगों के लिए नींद से जागने का पैगाम भी था।यह सद्दभावना रैली एक सामाजिक संगठन के द्वारा आयोजित की गयी रैली थी जिसकी एक और खासियत यह थी की इस रैली में एक तरफ जहां मजहब और जाति का कोई बंधन नहीं था वहीँ बच्चों की महती सभा को संबोधित करने के लिए सत्ताधारी दल के नेताओं के साथ--साथ राजद,कौंग्रेस और लोजपा सहित कई और दल के नेता भी मौजूद थे।इस मौके पर इस कार्यक्रम के संयोजक रितेश रंजन और इस संगठन से जुड़े मीर रिजवान आदि खुलकर कार्यक्रम को लेकर बता रहे हैं।
सद्दभावना को लेकर ऐसी तस्वीर एक तो बहुत कम ही देखने को मिलती है और जब दिखती है तो रूह तक को हिला और जमीर को सिद्दत से झंकझोर जाती है।बच्चों की यह सद्दभावना साईकिल रैली निश्चित रूप से देश के सभी क्षेत्र के लोगों के लिए एक नजीर है।देश के इस महापर्व को हल्के में मना भर देना कहीं से भी जायज नहीं है।बच्चों ने इस रैली के माध्यम से समाज की आँख खोलने की पुरजोर कोशिश की है।

1 टिप्पणी:


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।