जुलाई 14, 2012

रात की बरसात और नरक में तब्दील मुहल्ले की सड़के

बटराहा की सड़क 
रिपोर्ट चन्दन सिंह : सहरसा की लगभग तमाम जगहें पानी से तर हैं.इस जिले के कई इलाके ऐसे हैं जो अभी बाढ़ की चपेट में है.इससे इतर सहरसा जिला मुख्यालय के लगभग तमाम सड़कों से लेकर मुहल्ले तक सिर्फ पानी ही पानी का नजारा है.शहर का चप्पा--चप्पा पानी--पानी है.शहर के तमाम मुहल्ले मसलन गौतम नगर, गंगजला, बटराहा,कायस्थ टोला,हटियागाछी सहरसा बस्ती, भावानीनगर, संतनगर,बारिश के पानी से इसकदर लबालब हैं गोया बाढ़ का कहर हो. लेकिन सबसे ज्यादा बदहाल है बटराहा की तमाम सड़के. इस मोहल्ले में यदि आप आना चाहे तो बिना किचर, पानी का मुकाबला किये आप नहीं आ सकते.  बटराहा में वर्तमान बीजेपी विधायक आलोक रंजन जी का आवास है विधायक जी का रहना भी इसी मुहल्ले होता है इसके बावजूद यहाँ की सड़के बदहाल है लोग बेहाल है. इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते है की सहरसा के गली मुहल्ले की तमाम सड़कों की क्या हालत होंगे.लोग परेशान--हलकान हैं.बारिश में हुए इस जल-जमाव से लोगों का जीना मुहाल है.जिन्दगी में जैसे जंग लग गयी हो.जिन्दगी की रफ़्तार थम सी गयी है.नगर परिषद् पंगु और लाचार है.पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है जिसका नतीजा हमारे सामने है. कोसी के कहर के साथ सहरसा वासी बारिश का कहर भी झेलने को मजबूर हैं.इस इलाके के लोगों को कुदरत के कहर के साथ--साथ सरकारी लापरवाही का जुल्म भी सहना पर रहा है.इन्हें ना जाने इस मुसीबत से कब और कैसे निजात मिलेगी. इस शहर को बारिश ने अपनी पहली धाम में ही ना केवल पानी से तर कर दिया है बल्कि शहर को नरक में तब्दील करके रख दिया है.आम जनजीवन बेहाल है.लोगों की जिन्दगी ठहर सी गयी है. 

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।