रिपोर्ट चन्दन सिंह : अपने कम जलस्तर के बाबजूद कोसी कहर बरपाने प़र आमदा है.कोसी की लपलपाती तेज धार पूर्व मध्य रेल के सहरसा और मानसी के बीच फनगो हॉल्ट प़र रेलवे ट्रैक के समीप तेजी से ना केवल कटाव कर रही है बल्कि रेलवे ट्रैक को खुद में समाने के लिए बाबली होकर ट्रैक की ओर तेजी से बढती भी आ रही है.हलकान-परेशान रेल प्रशासन दो सौ से ज्यादा मजदूर लगाकर कटाव को रोकने में जुटा हुआ है लेकिन खतरा कम होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है.कोसी की धारा रेलवे ट्रैक की ओर मुड़ी हुई है जो बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है.अगर ट्रैक क्षतिग्रस्त हुआ तो कोसी प्रमंडल की पचास लाख से अधिक की आबादी का राज्य मुख्यालय से रेल संपर्क पूरी तरह से टूट जाएगा.यूँ तो कई दिनों से रेल का परिचालन बाधित रहता है और विभिन्य ट्रेनें अपनी नीयत समय से घंटों विलम्ब से किसी तरह ट्रैक के इस पार से उस पार और उस पार से इस पार जाती है .अगर ट्रेन का परिचाल रुका तो कोसी प्रमंडल के लाखों की आबादी प़र एक नयी और बड़ी मुसीबत की मार पड़ेगी.रेल अधिकारी फिलवक्त स्थिति को कंट्रोल में बता रहे हैं लेकिन नदी की धारा का रुख ट्रैक की तरफ देखकर वे भी खासे परेशान और बड़ी आफत की आशंका में डूबे दिख रहे हैं.
मै आपको बता दू कि ये कटाव चंद कुछ दिनों से नहीं है बल्कि बीते दो तीन वर्षो से कोशी ट्रेक के बगल से हो कर अपना रास्ता बना ली है. इतने दिनों से रेल प्रशासन कुम्भकर्ण जी कि निंद्रा में सोये थे इतना ही नहीं सभी नेतागण भी इस होकर ही राजधानी जाते रहे लेकिन इनकी नजर कोशी के कटाव पर नहीं पड़ी. अरे भाई कैसे पड़ेगी नजर ये जनता के रखवाले तो रेल के A.C. कोच में बैठकर अपना सफ़र करते है न. जो भी हो ये पचास लाख की आवादी कोशी के रहमो करम पर है जी रही है.. जिस दिन कोशी मैया की किर्पा होई उस दिन उत्तर बिहार में फिर से एक त्रासदी होगी जिसका मूल्यांकन सिर्फ हमारे जनप्रतिनिधि है कर पाएंगे.पिछले ढाई वर्षों से डुमरी पुल क्षतिग्रस्त रहने की वजह से मुख्य सड़क मार्ग से कोसी प्रमंडल का राज्य मुख्यालय से संपर्क भंग है.ऐसे में अगर रेल मार्ग ठप्प हुआ तो कोसी इलाके में एक बड़ी आफत आ जायेगी.रेल प्रशासन को काम में और तेजी लाना होगा जिससे रेलवे ट्रैक को कोसी की क्रूर धार से बचाया जा सके.थोड़ी सी लापरवाही और चुक से बड़ी आफत आकर रहेगी.यूँ तबाही फुंफकार मारती मुहाने पर खड़ी है.
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