सितंबर 30, 2013

नाथो की मौत भूख से हुयी : सहरसा टाईम्स के खबर का असर

28.09.2013 मुकेश कुमार सिंह: चौबीस सितम्बर को पचपन वर्षीय बुजुर्ग की मौत की वजह आखिरकार भूख ही निकली. सहरसा टाईम्स ने मौत के दिन से ही भूख से हुयी इस मौत की खबर को सिद्दत और संजीदगी से दिखाया था. सहरसा टाईम्स ने खबर के माध्यम से उन तमाम परिस्थितियों की ना केवल तस्वीर उतारी थी बल्कि थोक में लोगों के बयान भी लिए थे जो भूख से हुयी मौत की चीख--चीख कर गवाही दे रहे थे.आज सुप्रीम कोर्ट के फ़ूड सेफ्टी कमिश्नर के सलाहकार रुपेश के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम ने बैजनाथपुर गाँव में जांच कर इस बात का पुरजोर तरीके से खुलासा कर दिया की नाथो की मौत की वजह कोई बिमारी नहीं बल्कि भूख थी.
देखिये सुप्रीम कोर्ट के फ़ूड सेफ्टी कमिश्नर के सलाहकार रुपेश के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम बैजनाथपुर गाँव नाथो की मौत किस वजह से हुयी इसकी जांच के लिए पहुंची है.जांच टीम के सभी सदस्यों ने परिवार के सदस्य,मेले की शक्ल में जमा लोग,मुखिया सहित साथ आये अधिकारियों से जमकर पूछताछ की.पूछताछ पूरी करने के बाद खुद रुपेश कुमार और जांच टीम के प्रमुख सदस्य डॉक्टर शकील ने खुले लहजे में कहा की नाथो की मौत की वजह भूख थी.यही नहीं इन्होनें यह भी कहा की नाथो के लाश का पोस्टमार्टम कराया जाना चाहिए था.अपने बयान में इन्होनें यह भी साफ़ किया की मृतक के पुत्र से सादे कागज़ पर हस्ताक्षर लिए गए और मृतक के पुत्र को यह जानकारी नहीं दी गयी की कागज़ पर क्या लिखा हुआ है.जिले के PDS सिस्टम को पूरी तरह से फेल बताते हुए इन्होनें यह भी कहा की इतने गंभीर मामले में जिलाधिकारी का घटनास्थल पर नहीं आना काफी दुखद है.जाहिर तौर पर इनलोगों ने अपनी जांच में थोक में गड़बड़ी पायी जिसकी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यालय के कमिश्नर को सौंपी जायेगी.कयास लगाया जा सकता है की इस मामले पर जिले के कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिर सकती है.यह जांच टीम दिन के तीन बजे सहरसा पहुंची जहां सबसे पहले सहरसा परिसदन में इस घटना को लेकर अधिकारियों से बातचीत की.लेकिन यह खुलासा नहीं हो पाया की अधिकारियों से क्या बातचीत हुयी.
आखिरकार जिला प्रशासन की लीपा--पोती की कलाई खुल ही गयी और सच सामने आ ही गया.जिला प्रशासन को इस घटना को ना केवल नजीर बनाना चाहिए बल्कि इससे सीख लेते हुए अपनी कार्यशैली इसतरह से दुरुस्त करना चाहिए,जिससे फिर कोई नाथो इस तरह से भूख से तड़प--तड़प कर आगे ना मरे.सहरसा टाईम्स ने इस मामले में अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन बाखूबी किया है.

सितंबर 27, 2013

सीपीआई का हल्ला बोल

सहरसा टाईम्स:  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में विभिन्य जनसमस्याओं को लेकर जिला समाहरणालय पर विशाल प्रदर्शन किया गया. सहरसा रेलवे स्टेशन से हजारों की तायदाद में निकला गरीब--गुरबों का यह कारवां शहर के मुख्य मार्गों से होता हुआ जिला समाहरणालय पहुंचा जहां पहले तो ये आंदोलित कार्यकर्ता समाहरणालय के मुख्य द्वार को तोड़ते हुए अन्दर प्रवेश किये फिर जिलाधिकारी के कक्ष के सामने जमकर हंगामा और नारेबाजी की.जिलाधिकारी के कक्ष के बाहर इनलोगों ने जमकर बबाल काटे फिर धरने पर बैठ गए.इनलोगों को शासन--प्रशासन के काफी शिकायतें हैं.सहरसा में ओवरब्रिज के निर्माण,जिले में जर्जर सड़कें,जल--निकासी की समस्या,भूमिहीनों को पर्चा और जमीन पर स्वामित्व,बिजली की नियमित आपूर्ति और गलत बिजली बिल में सुधार,विभिन्य योजनाओं में मची लूट पर लगाम सहित चौबीस सूत्री मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी यह अल्टीमेटम के साथ सौंपा गया की जल्द इन मांगों पर उचित कारवाई नहीं हुयी तो समाहरणालय को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा. बाद में समाहरणालय के बाहर ये सभी कार्यकर्ता धरने की शक्ल में बैठ गए जहां वक्ताओं ने भाषण दिए.
इस हंगामे और हुजूम का जिला प्रशासन पर क्या असर होगा यह तो आगे देखा जाएगा लेकिन अभी इतनी बड़ी संख्यां में लोगों ने आकर यह जरुर जता दिया है की जनता सुकून से नहीं है और आगे वह शासन---प्रशासन की चूलें हिला कर रख सकती है.

सितंबर 24, 2013

भूख से बुजुर्ग की मौत


मुकेश कुमार सिंह : सरकारी योजनाओं में लगे घुन्न ने आज एक बुजुर्ग की ईहलीला खत्म कर दी.बीते चार--पांच महीने से सरकारी राशन नहीं मिलने की वजह से घर का चुल्हा खामोश था.कमजोर देह को गरीबी और मुफलिसी ने इस कदर अपनी आगोश में ले लिया की आखिरकार उसकी उखड़ी साँसे भी उसका साथ छोड़ गयी.एक बुजुर्ग आज भूख से तड़प--तड़प कर इस दुनिया को ना केवल अलविदा कह गया बल्कि सियासतदां को आंकड़ों की बाजीगरी और सत्ता की कुर्सी बचाने के दाँव--पेंच के खेल को भी बेआबरू कर गया.घर में महीनों से सरकारी दाना नहीं था और भूख कबतक यूँ ही जीने की मोहलत देती.
बैजनाथपुर गाँव में भूख से दम तोड़े यह हैं पचपन वर्षीय नाथो स्वर्णकार.बेजान लाश जमीन पर पड़ी है.एक मामूली सा घर था जिसमें बेटा और पुतोहू के साथ यह बुजुर्ग रहने को तयशुदा थे.बीते चार महीने से घर में अनाज नहीं था.बेटा मंदबुद्धि का है जो अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल में था.घर का चुल्हा पूरी तरह से खामोश था.बगल के लोग और पंचायत के मुखिया की दया से बीते चार महीने के दौरान कभी--कभी कुछ खाने के लिए इस बुजुर्ग को जरुर मिला लेकिन खुदगर्जी से भरी इस दुनिया में कब तक कोई इन्हें भोजन कराता रहता.कमजोर शारीर को समय पर खाना मिलना बंद हुआ तो वह और कमजोर होता चला गया और आज वह घडी आ गयी जब इस बुजुर्ग ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.गाँव के लोगों ने कुछ दिन पहले मृतक की पुतोहू को खबर दी थी,वह आई लेकिन घर में अनाज नहीं था.वह फिर लौटकर अपने मायके गयी और आज दस किलो चावल लेकर आई.लेकिन उसके आने से पहले ही नाथो हमेशा के लिए गहरी नींद में सो चुके थे.अब उन्हें किसी तरह के अनाज की जरुरत नहीं रही थी.
भूख से मौत हुयी है यह बात पंचायत के मुखिया पंकज कुमार चीख--चीख कर कह रहे हैं. मुखिया जी यह भी कह रहे हैं की पिछले तीन माह से इस पंचायत में किसी को अनाज नहीं मिला है.मुखिया जी यह भी कह रहे हैं की यह बात जब उन्होनें जिलाधिकारी से कही की इस बुजुर्ग की मौत भूख से हुयी है तो जिलाधिकारी शशि भूषण कुमार ने उनसे कहा की अगर भूख से मौत हुयी है तो आप जेल जायेंगे.मुखिया जी ने पूरी तरह से खुलकर कहा की बुजुर्ग की मौत की वजह भूख है.सहरसा टाईम्स की पुरजोर दखल के बाद जिलाधिकारी शशि भूषण कुमार ने घटनास्थल पर सी.ओ और अन्य अधिकारियों को जांच के लिए भेजा.और यह भी हमारी दखल का ही नतीजा था की मृतक का अब पोस्टमार्टम कराया जा रहा है जिससे यह पता चले की मौत की आखिर वजह क्या थी.
एक बुजुर्ग असमय काल के गाल में समा गया.महीनों से जिस बुजुर्ग देह को दाना ना मिला हो उसकी मौत की वजह को लेकर आरोप--प्रत्यारोप का दौर शुरू है.घर में अनाज एक दाना भी नहीं था जो एक कड़वी सच्चाई है. हमारी  दखल के बाद जिला प्रशासन अब मौत की वजह खंगालने में जुटा है.अगर जिला प्रशासन को थोड़ी सी भी शर्म और हया है तो वह अभी भी जागे और गरीबों तक समय से राशन--किरासन पहुंचे इसके लिए ईमानदार पहल करे.वैसे आप इसे तय मानिए की इस मामले में भी सभी कुछ ठन्डे बस्ते में जाकर दम तोड़ देगा.इस मामले में बड़ा सच है की इन्साफ से मुतल्लिक कहीं कुछ होने वाला नहीं है.यूँ गरीबों को लेकर कुछ समय तक हो--हंगामे के बाद ख़ामोशी का पुराना चलन है.

सितंबर 22, 2013

बीजेपी की विश्वासघात रैली

कल स्थानीय पटेल मैदान में बीजेपी की विश्वासघात रैली जो अपने तय समय दिन के बारह बजे की जगह दिन के दो बजे शुरू हुयी।इस रैली में हजारों की संख्यां में पहुंची महिलायें,पुरुष और बुजुर्ग--बच्चों की भीड़ को मंचासीन नेताओं ने तूफानी अंदाज में संबोधित किया।इस रैली को पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी,बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडे,पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह,पूर्व मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल,सांसद रामाधार सिंह सहित प्रदेश के कई अन्य नेताओं के अलावे क्षेत्रीय नेताओं ने भी संबोधित किया।सभी के भाषण में नीतीश को लेकर विष--वाण भरे थे.समवेत स्वर में वक्ताओं ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की नितीश विश्वासघाती हैं और उन्होनें बड़ा पाप किया है.आने वाले चुनावों में उन्हें उनके कर्मों की सजा मिलकर रहेगी।वक्ताओं ने नरेंद्र मोदी को आज देश की बड़ी जरुरत बताते हुए कहा की नरेंद्र मोदी की हवा नहीं बह रही है बल्कि नरेद्र मोदी के नाम की सुनामी आई है जिसमें सबके सब उड़ जायेंगे।नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री बनने से कोई भी नहीं रोक सकेगा।
इस रैली में शामिल होने से पूर्व ही हमने जिला मुख्यालय स्थित परिसदन में बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह से खास बातचीत की।बातचीत में आज गिरिराज पहले से कहीं ज्यादा तल्ख़ और आक्रामक दिखे।गिरिराज ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा की आने वाले समय में नीतीश कुमार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को जॉर्ज फर्नांडिस की तरह पार्टी से निकाल फेंकेंगे।गिरिराज ने खुलकर कहा की अगर शरद चाहें तो भाजपा उन्हें अपना सकती है लेकिन नीतीश अब किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं।गिरिराज ने शरद को भीष्म पितामह की भूमिका से बाहर निकलने की नसीहत भी दी।गिरिराज ने चारा मामले में नैतिक रूप से नीतीश कुमार को ना केवल इस्तीफा देने को कहा बल्कि आने वाले दिनों में नीतीश और लालू दोनों को चारा घोटाले में जेल जाने की बात भी कही।गिरिराज ने सहरसा टाईम्स से आगे कहा की नीतीश निरंकुश और मतान्ध हाथी हो गए हैं जनता महावत की शक्ल में आकर आगे उन्हें जबाब देगी।शरद ने नीतीश  पर तीखा हमला करते हुए कहा की नरेंद्र मोदी की कृत्रिम हवा नहीं बल्कि उनके नामं का तूफ़ान आया है जिसमें सब के सब उड़ जायेंगे।विभिन्य दंगे मामले में नीतीश के बयान पर भी गिरिराज जमकर बरसे।
मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार
इस रैली के दौरान सब से अहम् और दुखद बात यह रही की सुशील मोदी ने मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया और मीडियाकर्मियों को मंच से ना केवल उतर जाने को कहा बल्कि यह भी कहा की उन्हें फोटो खिंचवाने का शौक नहीं है,विजुअल मीडिया वाले चाहें तो उनके फोटो को ना चलायें।इस बात से नाराज मीडियाकर्मी मोदी के भाषण का सभास्थल से निकलने लगे लेकिन बीच में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मंगल पांडे ने मंच से नीचे मीडियाकर्मियों से मांफी मांगी।हांलांकि छोटे मोदी का मीडिया के प्रति यह तेवर कहीं से माफ़ी के काबिल नहीं है,इसलिए मीडियाकर्मियों ने मोदी के भाषण का पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया।
कुल मिलाकर यह एक सफल रैली मानी जा सकती है लेकिन गिरिराज के तल्ख़ बयान और सुशील मोदी के मीडियाकर्मियों के साथ अनुचित व्यवहार ने इस रैली के रंग में निश्चित तौर भंग डाल दिया।यही वजह हुयी की मोदी के व्यवहार से आहत विजुअल मीडियाकर्मियों ने मोदी के भाषण का पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया।

सितंबर 12, 2013

महिलाओं का बिजली के लिए संग्राम


रिपोर्ट सहरसा टाईम्स: आज बिजली के लिए जिला समाहरणालय के मुख्य द्वार से लेकर उसके परिसर में महिलाओं का घंटों संग्राम चलता रहा.जिले के मेनहा गाँव की महिलाओं का गुस्सा ना केवल सांतवें आसमान पर था बल्कि वह फुटकर समाहरणालय परिसर के चारों ओर पसरा हुआ भी था.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की ट्रान्सफार्मर महीनों से जला हुआ है और बिना बिजली जलाए ही इनलोगों को बिजली का बिल मिल रहा है.हद बात तो यह है की बहुत ऐसे लोग भी हैं जिन्होनें पुलिस के डर से बिना बिजली जलाए ही बिजली बिल का भुगतान भी कर दिया है.
खासकर के महादलित परिवार की महिलाओं के हाथ में आज कमान थी.महिलाओं ने जिला समाहरणालय और डी.एम कार्यालय में घंटों बबाल काटने के दौरान मौके पर मौजूद एक पुलिस जवान के साथ ना केवल धक्का--मुक्की की बल्कि जवान की रायफल भी छीनने की कोशिश की.इनलोगों ने दोपहर बाद अपने कार्यालय पहुंचे डी.एम का भी घेराव किया. 
विशेष कवरेज के साथ मुकेश सिंह
आज जनता दरबार के दिन भी हाकिम शाही अंदाज में दोपहर के बाद पहुंचे.महिलायें उनके आने के बाद भी हंगामा करती रही लेकिन साहेब आखिर साहेब ठहरे सो तुरंत इन महिलाओं को सुनना मुनासिब नहीं समझा.हमने भी चाहा की डी.एम शशि भूषण कुमार से पूछें की आखिर इन पीड़ितों को लेकर वे कितना गंभीर हैं और इस मामले का क्या समाधान निकाल रहे हैं लेकिन उन्होनें अपने अर्दली से हम तक खबर पहुंचवा दी की अभी वे किसी से नहीं मिलेंगे.हमने कुछ निचले अधिकारी से भी जबाब--तलब करना चाहा लेकिन सारे के सारे अधिकारी डी.एम के कक्ष में ही बने रहे.थक--हारकर दिन के करीब साढ़े तीन बजे वहाँ से हम चल पड़े.  
बिजली को लेकर आये दिन सहरसा में बबाल होता है जिससे विधि--व्यवस्था पटरी से उतर जाती है.लोग हो--हंगामे से लेकर सड़क जामकर यातायात को घंटों बाधित भी कर देते हैं.लेकिन हद की इन्तहा देखिये की लापरवाह और बेशर्म बिजली विभाग की कारगुजारियों पर जिला प्रशासन भी कहीं से गंभीर नहीं दिख रहा है.आखिर में हम इतना जरुर कहेंगे की इस जिले के आलाधिकारियों को बड़ी घटना--दुर्घटना से पहले जागने की आदत नहीं है.उनके लिए ऐसे मंजर महज एक आम बात भर है.

पीट--पीटकर युवक की ह्त्या

रिपोर्ट सहरसा टाईम्स : कल देर शाम सदर थाना के सपटियाही गाँव में पांच लोगों ने संजय से पैसे छीनने के दौरान पीट--पीटकर ह्त्या कर दी.हांलांकि मारपीट में जख्मी हुए युवक को उनके परिजन और अन्य लोगों ने तुरंत सदर अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.परिजन एक तरफ जहां इस घटना में पीट--पीटकर ह्त्या की बात कर रहे हैं वहीँ पुलिस अधिकारी ह्त्या किये जाने की बात तो स्वीकार कर रहे हैं लेकिन ह्त्या की वजह अधिक शराब पिलाए जाने और शराब में जहर मिलाये जाने की बात कर रहे हैं.वैसे पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है लेकिन आगे की तफ्तीश के लिए उसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इन्तजार है.
परिजन चीख--चीख कर बता रहे हैं की गाँव के ही छोटू दास,देवू दास,सूरज चौधरी,मुन्ना दास और एक अन्य व्यक्ति ने पीट--पीटकर उसे मौत के घाट उतार दिया.संजय के पास पैंतीस सौ रूपये थे जिसे हत्यारे छीनना चाहते थे लेकिन संजय उन रुपयों को बचाना चाहता था.इसी रूपये की छीनाझपटी में उसकी ईहलीला खत्म हो गयी.
पुलिस क्या कहती है:------ परिजनों के बयान के बाद भी पुलिस के अधिकारी सूर्यकांत चौबे,इन्स्पेक्टर,सदर,सहरसा इस घटना को ह्त्या का मामला तो मान रहे हैं लेकिन ह्त्या की वजह वे अधिक शराब पिलाने और शराब में जहर मिलाये जाने को तत्काल मौत की वजह बता रहे हैं.वैसे इन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इन्तजार है. 
सहरसा पुलिस की घटना के तुरंत बाद घटना की वजह को लेकर बेतुकी बयानबाजी का पुराना शौक है.अमूमन बड़े मामलों में इनका रवैया टालू और उलझाने वाला रहा है.बड़े अपराध का पटाक्षेप करने और अपराध पर नकेल कसने में सहरसा पुलिस अरसे से चूहे से भी कमतर नजर आती है.

सितंबर 11, 2013

बिकने से बचा बचपन : कोसी इलाके में बिक रही है मासूम किलकारियां

मुकेश कुमार सिंह  की रिपोर्ट: सहरसा रेल पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली.रेल पुलिस ने चाईल्ड लाईन संस्था के गुप्त सूचना पर सुबह करीब साढ़े आठ बजे सहरसा रेलवे  जनसेवा एक्सप्रेस जो सहरसा से पंजाब जाती है पर सवार तीन दलाल सहित सोलह मासूम बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले लिया.इन मासूमों के परिजनों को ये दलाल महज दो से दस हजार रूपये देकर मजदूरी कराने के नाम पर जालंधर ले जा रहे थे.बताते चलें की ये बच्चे सुपौल,अररिया जिले के के अलावे पड़ोसी देश नेपाल के रहने वाले हैं जबकि दो दलाल मधेपुरा और एक दलाल सुपौल जिला का रहने वाला है.रेल पुलिस और चाईल्ड लाईन से  जहां ने बच्चों के परिजनों को बच्चों की बरामदगी की जहां सूचना दे दी है वहीँ आगे की तफ्तीश और में भी जुटी हुयी है.
हम तो पेट की भूख मिटाने की जंग लड़ रहे हैं.हमें सपने देखने की आजादी नहीं है.जी हाँ! कोसी इलाके में बच्चे कच्ची उम्र में ही पढाई कर ऊँची मंजिल पाने के सपनों को कुचलकर कुछ काम कर रोजी--रोटी के इंतजाम में जुट जाते हैं.आंकड़े गवाह हैं की मानव तस्करों की गिद्ध दृष्टि इस इलाके प़र लगी रहती है जहां के मजबूर माँ--बाप नाना तरह के शब्जबाग के झांसे में आकर अपने बच्चों का सौदा मानव सौदागरों से करने से भी गुरेज नहीं करते हैं.रेल थाना में लाये गए ये बच्चे पंजाब के जालंधर ले जाए जाने के दौरान आज जनसेवा एक्सप्रेस से बरामद किये गए हैं.दलाल इन्हें बहला--फुसलाकर जालंधर ले जा रहे थे.यह सच है की जिन मासूम हाथों में कलम--किताब होनी चाहिए वह मज़बूरी में परदेश,वह भी कमाने के लिए जा रहे हैं.इनकी विवशता व्यवस्था और हुक्मरानों से कई सवाल एक साथ कर रहे हैं.गरीबी क्या होती है ज़रा इनकी बेजा चिथड़ों में लिपटी जिन्दगी में उतरकर देखिये.य़े बच्चे कह रहे हैं की वे पढ़ना चाहते हैं लेकिन मज़बूरी में कमाने जा रहे हैं.घर में अनाज नहीं है.जाहिर तौर पर ये मासूम अपनी इच्छा को कुचलकर परदेश जा रहे थे.
रेल पुलिस की गिरफ्त में आया ये तीनों दलाल है.मोहम्मद मुस्लिम और  अजय राम जहां मधेपुरा जिले के सरौनी गाँव का रहनेवाला वाला है वहीँ पवन कुमार सुपौल जिले के हरीपट्टी गाँव का रहने वाला है.पुलिस अधिकारी प्रभारी थानाध्यक्ष,रेल थाना,सहरसा आत्मा किशोर सिंह घटना की पूरी जानकारी देते हुए आगे उचित कारवाई का भरोसा दे रहे हैं. हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले कोसी के इस इलाके में गरीबी बेकारी,भुखमरी,बीमारी और तरह--तरह की समस्याएं सुबह की पहली किरण के साथ ही मुंह बाए खड़ी रहती है.इस इलाके में गरीबी कुलाचें भर रही है.खासकर के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर की स्थिति तो और भी नाजुक और कलेजे को चाक करने वाली है.पेट की आग बुझाना यहाँ पहाड़ खोदकर दूध निकाले के समान है.ऐसे में गरीब हर वक्त किसी तारणहार की बाट जोहते नजर आते हैं.इस लाचारी में ये गरीब माँ--बाप मानव तस्कर के झांसे में आ जाते हैं और महज कुछ रूपये की लालच में अपने कलेजे के टुकड़ों को उनके हाथों बेच देते हैं.लेकिन हद की इंतहा देखिये मुक्त कराये गए इन बच्चों को वायदे के मुताबिक़ आजतक ठीक से पुनर्वासित भी नहीं किया गया है.जाहिर सी बात है की इतने संवेदनशील मामले में सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम क्या खाक उठाये जायेंगे,सरकारी फाईलों से गरीबों के नाम पर निकलने वाली करोड़ों--अरबों की योजनायें धरातल पर नहीं पहुच पाती हैं यह उसी का नतीजा है.
कोसी का यह इलाका जहां भूख फन काढ़े बैठी है.गरीब माँ--बाप अपने नौनिहालों को जानवरों से भी कम कीमत में बेच रहे हैं.पिछले दस वर्षों में पंद्रह हजार से ज्यादा बच्चे बिक चुके हैं.पांच सौ से ज्यादा बच्चों का तो कुछ अता-पता ही नहीं है की वे जिन्दा भी हैं या नहीं.सबसे पहले हम आपको कुछ आंकड़ों की सच्चाई से रूबरू कराने जा रहे हैं।बचपन बचाओ आन्दोलन एक सामाजिक संस्था द्वारा पिछले 15 वर्षों के दौरान बिहार से बाहर बंधुआ मजदूरी कर रहे सात हजार से ज्यादा बच्चों को मुक्त कराया गया.यही नहीं कुछ और संस्थाओं के प्रयास से तीन हजार से ज्यादा बाल मजदूर भी सहरसा के आसपास के इलाके सहित सूबे के विभिन्य जगहों से मुक्त कराये गए।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की सहरसा में ऐसे बच्चों के लिए वर्ष 2003 में 40 बाल श्रमिक विद्यालय खोले गए थे लेकिन वर्ष 2006 के अंत होते--होते ये सारे विद्यालय बंद हो गए.यानि बाल मजदूरों के लिए सरकार कहीं से भी गंभीर नहीं रही.
कोसी इलाके में मासूम सपनों की बलि चढाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.सरकार के कागजी आंकड़े और जमीनी सच में कोई मेल नहीं है.गरीब के लिए ही लगभग सारी बड़ी योजनायें है लेकिन गरीब को इन योजनाओं का फलाफल मिलना तो दूर इन योजनाओं की पूरी जानकारी भी नहीं हो पाती है और उनकी अर्थी निकल जाती है.गरीबों की ज्यादातर योजनायें बाबू--हाकिम से लेकर बिचौलियों के बीच ही उछलती--फुदकती रह जाती है.ये गरीब अपने मासूम नौनिहालों के सपने बेचते हैं,उनकी जिन्दगी और उनकी अहमियत बेचते हैं.जबतक गरीबी और रोजगार का टोंटा रहेगा,इस इलाके में मानव तस्कर बच्चों को खरीदते रहेंगे.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।